भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
@@kartikaytiwari3945 arjun ne bheshm dron karn ashwathama sab ko haraya tha pr nihate hone par unka vad nahi krta tha bheshm ne khud kaha tha mujhe shikahndi se marwao virat parv pdlo mahabharat ke pehle tirse din bhi arjun ne bheshm ko gayal karke behosh kia tha
@Anshuman Singh ek baar bhi bheshm dron ne arjun ko nahi haraya kintu arjun ne dron bheshm samet 5 maharathio ko akele haraya tha virat yudh me 14 ve din ke yudh ke akele arjun ne bina rath ke 8 maharathio ko haraya tha tb sab ne chhal se nihate arjun par baan chalaye the arjun ne sab ko hara dia tha karn ko bachane toh ashwathama agya tha😂usi raat duryudhan ne dron se kaha tha arjun ke hote hoye yeh yudh jitna asambv he arjun harakar kisi ka vad nahi krta tha kyuki nihato par baan nahi chalan chta tha lekin aap kaurvo ke bhakto ko tv serial dekhne hr mahabharat kaha pdni he😂
@@harsh312harshh arjun bhisma ke age kuch nahi tha wo pehli baat arjun ko bahut prem karte the isliye dhuryodhan Unko baar baar boltha tha pithma ap puri sakti se kiu yudh nahi kar rahe unhe bhi patha tha galat kon hai jo parsuram ko serender karwa diye arjun kon hai
क्या संस्कार हैं कि युद्ध से पहले आशीर्वाद लेते हैं फिर उन्हीं के विरुद्ध रोते हुए युद्ध करते हैं। उच्चतम कोटि का संस्कार, धैर्य एवं वीरता का साहस अपने आप में बहुत कुछ प्रदर्शित करता है। धन्य है ये भारत देश, धन्य हैं हम सभी भारतवासी जो ऐसे देश में जन्म लिया।
Bhai hum to uss dharm se hai jisme Prithviraj Chauhan jaise Raja ne apne dushman Ghori ko bhi shama daan de diya usko haraane ke baad. (Shama veerasya bhushanam)
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
गुरु श्रेष्ठ परशुराम शिष्य श्रेष्ठ भीष्म पितामह की जय हो जय हो जय हो | अद्भुत अद्भुत अद्भुत ! ऐसा संस्कारवान वीर योद्धा सिर्फ और सिर्फ मेरी मातृभूमि भारत मे ही हो सकता है | जय हो जय हो जय हो कृष्ण कन्हैया बंशी वाले की जय हो | 🙏🙏🙏
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
@@durvasabamanmadav-w3g What a pious & sacred thought you have shared. I feel immensely delighted & overwhelmed to read your each and every line full of hallowed feelings. Mera NAMASKAR ❤🙏❤
भारत भूमि में अनगिनत योद्धा हुए,, परन्तु कुछ वीर योद्धाओं ने मरते- मरते सबके हृदय मेंं अपनी ऐसी छवि बनायी जो अमिट है। ऐसे वीर योद्धाओं को कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏
@@Jaat_ravi001 Dronacharya ji ek brahman the kshtriya nahi. Ve Pandav aur Kauravon ke guru the unhe Kshtriya shikha di parantu wah swayam ek brahman the. Isliye PARSHURAM ji ne unhe apna shisha banaya.
Ha lekin jit parshuram ki भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
2:54 मन को चमत्कृत करने वाली बहुत अद्भुत बात कही आचार्य परशुराम जी आपने ; बचपन में जब 5 साल की उम्र में पहली बार ये सीरीयल महाभारत देखी थी तब परशुराम जी को एक बाबा जी समझता था मैं , इसे पितामह भीष्म का एक डेरे के बाबाजी से युद्ध समझा था .
✍🏻अंग्रेजी में एक कहावत है: Every cloud has a silver lining. यह कोरोना पर भी लागु होता है। सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं सडकों पर नीलगाय और हिरणों के विचरण की। यह भी कि प्रदुषण में भारी कमी आयी है। लेकिन इसके दुसरे पक्ष के ऊपर विचार कीजिये। अस्पतालों में OPD बंद है; इसके बावजूद इमरजेंसी में भीड़ नहीं है। तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी? माना, सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं; इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही है। परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कोई शिकायत नहीं आ रही है की किसी का इलाज नहीं हो रहा है? दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले शवों की संख्या में २४ प्रतिशत की कमी आयी है। दिल्ली छोड़िये साहब बनारस का हाल देखे हरिश्चनद्र घाट पर औसतन प्रतिदिन 80 से 100 शव आते थे आज करोना के माहौल मे प्रतिदिन 20 या 25 डेड बॉडी आ रही हैं इसी तरह मणीकरणिका पर भी यही हालात वहॉ के डोम राज परिवार से पुछने पर वो भी आश्चर्य चकित होते हुए बताते है की ये सन्धी मौसम है (जाड़े से गर्मी मे जाना) इस समय हर साल डेड बॉडी मे बढोत्तरी होती है परन्तु पता नही क्यो भारी कमी है डेड बाडी की जबकी केवल B H U से प्रतिदिन10से 15 शव आते थे वो एक दम बन्द है मै BHU गया जो मरिज भर्ती थे वो तो सब है नये मरिज की भर्ती नही हो रही तो वाकई मे ये आश्चर्य चकित करने वाला है की सारी बिमारी सब गायब है क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया...? नहीं. यह सवाल उठाता है मेडिकल पेशा के वणिज्यीकरण का। जहाँ कोई बीमारी नहीं भी हो वहां डॉक्टर उसे विकराल बना देते हैं। कॉर्पोरेट हॉस्पिटल के उदभव के बाद तो संकट और गहरा हो गया है। मामूली सर्दी-खांसी में भी कई हज़ारों और शायद लाख का भी बिल बन जाना कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं रह गयी है। अभी अधिकतर अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं। मैं डॉक्टरों की सेवा की अहमियत को कम करने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ। कोविद १९ में जो सेवा दे रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूँ। लेकिन डर कुछ ज़्यादा ही हो गया है। बहुत सारी समस्याएं डॉक्टरों के कारण भी है। इसके अलावा लोग घर का खाना खा रहे हैं, रेस्तराओं का नहीं। इससे भी फर्क पड़ता है। अगर PHED अपना काम ठीक से करे और लोगों को पीने का पानी शुद्ध मिले तो आधी बीमारियां ऐसे ही खत्म हो जाएंगी। कनाडा में लगभग ४-५ दशक पूर्व एक सर्वेक्षण हुआ था। वहां लम्बी अवधि के लिए डॉक्टरों की हड़ताल हुई थी। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस दौरान मृत्यु दर में कमी आ गयी। स्वास्थ्य हमारी जीवनशैली का हिस्सा है जी केवल डॉक्टरों पर निर्भर नहीं है। महत्मा गाँधी ने हिन्द स्वराज में लिखा है कि डॉक्टर कभी नहीं चाहेंगे की लोग स्वस्थ रहें; वकील कभी नहीं चाहेंगे कि आपसी कलह खत्म हो। जो भी हो, lockdown से परेशानियां हैं जो अपरिहार्य हैं लेकिन इसने कुछ ज्ञानवर्धक एवं दिलचस्प अनुभव भी दिए हैं। ज़रा सोचिये...!😞🤔🤭👌🤔🙏🏻🙏🏻
इतनी पराक्रमी योद्धा थे हमेशा धर्म और आचरण से युद्ध करते थे ऐसी मानवता ऐसी वीरता विश्व में कहीं देखने को नहीं मिलेगी भारत विश्व को आचरण और मनुष्यता का पाठ पढ़ा पढ़ाता है जय भारत जय हिंदुस्तान
@@subhashparmar5227 hahaa o भा ई थोड़ा महाभारत पढ़ भी लेना कभी सीरियल छोड़कर ,कर्ण को गंधर्वो, सात्यकि ,भीम ,अर्जुन , अभिमन्यु ,सबने युद्ध में हराया था सीरियल वाले कर्ण और रियल वाले कर्ण जिसको वेदव्यास ने महाभारत में बताया है उसमे जमीन आसमान का अंतर है भाई
@@navdeeptanwar9854 😂😂he sakha...me it to ni janta lekin jita bhi janta hu har ek serial..me sabhi Mahabharat dekhi he or mene sabhi me dekha he...karna jesa yodha na tha na he or na hi rahega or osne sabhi padvo ko hraya tha ..or shree.. Krishna ne bhi kaha tha he Arjun karna jesa yodha mahan he esa yodha mene aaj tak ni dekha..or vah..bar bar Karna ki tarif karte the Jisse Arjun krodhit hote the tab ye sab onhone ye kaha🙏🙏
@@subhashparmar5227 Accha to fir बताइए कि सात्यकि ,भीम ,गंधर्वो और अर्जुन के हाथों से भी कई बार हारने के कारण कर्ण महान योद्धा और भीष्म के बराबर का योद्धा कैसे हो गया थोड़ा हमारा भी ज्ञान बढ़ा दीजिए
@@gulshannajib5727करन गंगा पुत्र भीष्म के एक बाल के बराबर भी नहीं था.गंगा पुत्र के 4 गुरु थे 1,ऋषि भारद्वाज,2,ऋषि भार्गव,3,ऋषि बृहस्पति,गुरु परशुराम उनके आखरी गुरु थे ।और भीष्म को हराना इनके किसी भी गुरु के बस की बात नहीं थी।
Guru koi Vyakti ya Devta nahi hota Bure waqt me sahi rah Dikhane wala Hi humara Asli Guru hota he Ma k rup me Behen k rup me GF k rup me Bhai k rup me Pita k rup me Chhote bhai k rup me Uske aneko rup ho sakte he magar Gyan ek hi hota he
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
दोस्तो, जब भी शरीर से आत्मा निकलेगी भले, कितने ही साल बित जाये. रामायण और महाभारत सिरीयल हमेशा याद आयेगी. शत शत नमन उन लोगोको जिन्होने इस सिरीयल के लिये अपना योगदान दिया.
*हे प्रभु,मुझे कुछ नहीं चाहिए,सिर्फ जो प्यारी आंखें मेरा कॉमेंट पढ़ रही हैं,उनके माता पिता को लंबा जीवन और संसार की सारी खुशियां दे देना🤗🤗❤️* *जय श्री कृष्णा..........❤️🚩🌹*
Trillions Trillions Trillions Trillions Trillions Uncountable Salute to Shri BR Chopra Jee and Ramanand Sagar Jee for making such a Wonderful Serials....Both these Serials Ramayan and Mahabharat are so awesome that it seems these characters in real are there in this Era too. I don't have Words and Numbers to Define how great these Serials are till today. Future Generations will love it....This is the real Knowledge, real Education for our future generations. Love them both. Jai Shree Ram, Jai Shree Krishna.
गुरु द्रोण जैसा होना चाहिए, जो अपने शिष्य से श्रेष्ठ योद्धाओंका अँगूठा काट कर माँग सके । आर्य नीती, भूमिपुत्रों को कमजोर करो, उनका छल करो, कपट करो औऱ मुलनिवासिय भूमिपुत्रों को निर्बल, असहाय बनाने की ।
पृराने महाभारत सीरियल में जिसने भी जो पात्र निभाया वह काबिले तारीफ है,आज जो सीरियल लोग बना रहे हैं इसमें वह संवाद नजर नहीं आता। पहले के महाभारत को जो भी देखता है मानो लोग उसी युग में चले गए हों।
@@vidit2534 to mere bhai usne brahmin+kshatriya likha hai isme kahi bhi vaishya ya shudra ki bezatti ya unko gaali di hai kya ?? Or naam naa likhna koi jahilta ya crime to h nahi. :)
रामानंद सागर जी और बी आर चोपड़ा दोनों द्वारा बनाया गया रामायण एवं महाभारत उत्कृष्ट रचना है जो आज तक भारतीय जनमानस में रमा हुआ है । ये दोनों ही धारावाहिक सभी हिन्दुओं को एकजुट करने के लिए पर्याप्त है।
Sirf hindu nahi mere dost ye granth toh sabhi ke liye hai, ye gyan ke bhandar hai. Mahabharat Bachpan mein dekhta tha ab lockdown mein shuru ki ab tak 55 episode dekh liye hai
Abe chutiye kya hindu hindu bol raha hai iske samwad dr rahi Masum raja sahab ne likhe aur kunti aur Arjun k kirdar do muslim play kar rahe hai chutiye mandbuddhi
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला| इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है| युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है| परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है। परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है| हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
इच्छा मृत्यु का बरदान होते हुए भी भीष्म पितामह ने अपने गुरु का सम्मान किया वह प्रशंसनीय है,, परशुराम जी ने भी एक स्त्री के सम्मान के लिए युद्ध किया वह भी प्रशंसा योग्य हैं, धन्य हैं भारत भूमि,,जय हिन्द,, सतश्रीअकाल 🇮🇳🇳🇵
isme mazak kon uda raha h .. Mne serials ki Tamiz aur Tehzib k uper tariff ki .. mazak kaha se laga apko .. kuch bhi yar pehle parh to lo sahi se kya cmnt kiya h mne .. wse tumhe reply krne me mujhe koi intrest nhi .. lekin shayad mera cmnt tumhari smjh nhi aya isliye kiya. . Aur 2sri baat me dharam waram ko nhi maanta OK .
@@aliasadzaidi1945 kuch log pagal kutte Jaise hote hai, in logo se muh mat lariye, aapka samay lost Hoga. In logon ke chalte desh aage nahi bar rahe hai.
@@jaimataki2615 He didn't snatch anything. Guru Parashuram handed over the bow to Lord Rama and went for tapasya after he had recognised Lord Rama as Lord Vishnu.
भगवान परशुराम नारायण अवतार है और भीष्म गंगा पुत्र. भीष्म पितामह इच्छा मृत्यु तक नहीं मर सकते किंतु भगवान परशुराम अमर है. और अधिक शक्तिशाली थे. भीष्म पितामह जैसे वीर ने तो भगवान श्री कृष्ण से भी अस्त्र उठाने पर बिवश किया. धन्य है पितामह, जिन्हें भगवान के दोनों अवतारों से युद्ध करने का सौभाग्य मिला
भीष्म जीते नहीं थे, अपितु उन्होंने परशुराम जी के सामने उनके इष्ट और गुरु शिव का अस्त्र प्रयोग करना चाहा, जिसका उत्तर परशुराम जी नहीं देना चाहते थे। परशुराम जी, श्री हरि विष्णु के षष्ठमावतार हैं। विष्णु के किसी अवतार को पराजित करना असम्भव है। हरि हरि विष्णु
जिसके अंदर महाभारत के गुणों का समावेश है वो निश्चित ही महान बनेगा । महाभारत के किरदारों को नमन । महाभारत देखने से सद्गुणों का वातावरण बनता है , जिससे मन सांत एवं सात्विक होता है । इसलिए हमेशा इसका आवरण बनाए रखना चाहिए ।
What do you mean by show? He's a great actor but it is the power of the character that he portrayed and story of Mahabharata that is binding the viewers ..
ruclips.net/video/5vM0d5JWFTg/видео.html अगर आप तंत्र मंत्र में विश्वास रखते हो तो ऊपर दिए हुए लिंक को टच कीजिए और मेरे साथ जुड़ चाहिए सभी प्रकार का निशुल्क जानकारी मिलेगा
PARSHURAM JI'S role was played by popular character artist of Punjabi films nowadays Shivender Mahal ,, he also played SHIVJI'S role in this epic serial ..
क्या अद्भुत भारतीय संस्कृति थी। शिष्य गुरु से विद्या प्राप्त करने के बाद भी दम्भी नहीं था। राज्याधिकारी होकर भी पैदल गुरु के प्रति सम्मान था। आज तो विद्यार्थी छात्र-नेता भी बन गया तो गुरु की छाती पर जूतों सहित चढ़ना चाहता है। और नेता बन गया तो क्या कहने- गुरुजन ही जूता हो जाते हैं। भारतीय समाज तो और चार कदम आगे है।
The character of Bheeshma Pitamah by Mukesh Khanna is etched in minds. Nobody and I repeat nobody can even come hundreds of miles close to his performance in this epic Mahabharata serial. His dialogue delivery, expressions , body language was un matchable. I have not seen any actor , not even my favourite AB, have such a screen presence. He was way too dominating. I must have seen this epic serial innumerable times and every time it as engrossing as ever. His next larger than life performance was in Yalgaar as Police commissioner.
Mukesh Khanna carried the serial single handedly on his shoulders👍🙏👍🙏👌👌👌👍💪if any other had played PITAMAHAA's role the serial would have been a big ""disaster''",only bhagwan SRI KRISHNA & PITAMAHAA themselves saved CHOPRA team by inaculating a Divine influence on B R CHOPRA & team ..... Like those agree...
2013 Star Plus Mahabharat??? Made by jokers, acted by Models not Actor's. The full series was shit, Nothing in Front of BR CHOPRA'S ORIGINAL MAHABHARATA 1988
@Manvi Chaudhry please dnt talk abt starplus Mahabharata. It was joke n a big insult to the original Mahabharata. The old Mahabharata was true to the original epic, bt the starplus one was like a masala bollywood movie where plot, actions n incidents were created by the serial's scriptwriter 😂😂😂 And Sourabh Jain looked like a charming romantic dashing lover but not so much the wise, knowledgeable, intelligent, mature politician that Krishna was at Hastinapur.
ruclips.net/video/5vM0d5JWFTg/видео.html अगर आप तंत्र मंत्र में विश्वास रखते हो तो ऊपर दिए हुए लिंक को टच कीजिए और मेरे साथ जुड़ चाहिए सभी प्रकार का निशुल्क जानकारी मिलेगा
@Krupal Parekh best Mahabharata of this era is B.R chopra Mahabharata...starplus Mahabharata is nothing in front of this old masterpiece...actors of old Mahabharata are way better than any shit Mahabharata of EKTA Kapoor trp Mahabharata....
भीष्म पितामह की जय यह वह वीर है जिसका जीवन अंतराल समय के लिए भी गर्व है मुझे गर्व है कि मैंने जिस देश में जन्म लिया उस देश में भीष्म पितामह जैसे वीरों ने भी जन्म जय हिंद
हर हर महादेव गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह। गुरु तस्वीर सदा गुरुवे नमः वो भी क्या दिन थे जब गुरु और शिष्य दोनों एक साथ मिलते थे
दादा भीष्म पिता मह के दरबार में सदैव कृपाचार्य द्रोणाचार्य जैसे ब्राह्मणों का सदैव परिवार की तरह सम्मान रहा ब्राह्मण सदैव से देशभक्त क्षत्रियों का मित्र रहा है और अत्याचारी घमंडी क्षत्रियों के लिए परशुराम है
🕉 महादेव के परम भक्त भगवान महर्षि श्री परशुराम जी, भगवान श्री हरि विष्णु के एक मात्र ऐसे अवतार हैं। जो आदिकाल से हर युग में ७सात चिरंजीवीयों में से एक हैं तथा तीनों लोकों में सदा के लिए धर्म की रक्षा हेतु अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। एवं अन्य ६ छः चिरंजीवी #> महावीर श्री हनुमान जी, लंकेश श्री विभीषण जी, राजा श्री बलि जी, महर्षि श्री वेदव्यास जी, गुरु श्री कृपाचार्य जी एवं श्री अश्वथामा जी एवं इन सभी के साथ महर्षि श्री मार्कंडेय जी का स्मरण करना अति आवश्यक प्रमुख्य है। तथा इन सभी के स्मरण मात्र से ही मनुष्य को कल्याण की प्राप्ति होती है। क्योंकि यह सब अजय अमर है तथा इन्हें कोई भी परास्त नहीं कर सकता। , जय श्रीराम # जय भगवान महर्षि परशुराम जी। #🚩 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।' 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।🙏🏻
🕉 श्री महादेव के परम भक्त भगवान महर्षि श्री परशुराम जी, भगवान श्री हरि विष्णु के एक मात्र ऐसे अवतार हैं। जो आदिकाल से हर युग में ७सात चिरंजीवीयों में से एक हैं तथा तीनों लोकों में सदा के लिए धर्म की रक्षा हेतु अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। एवं अन्य ६ छः चिरंजीवी #> महावीर श्री हनुमान जी, श्री लंकेश विभीषण जी, राजा श्री बलि जी, महर्षि श्री वेदव्यास जी, गुरु श्री कृपाचार्य जी एवं श्री अश्वथामा जी एवं इन सभी के साथ महर्षि श्री मार्कंडेय जी का स्मरण अति आवश्यक प्रमुख्य है। तथा इन सभी के स्मरण मात्र से ही मनुष्य को कल्याण की प्राप्ति होती है। क्योंकि यह सब अजय अमर है तथा इन्हें कोई भी परास्त नहीं कर सकता। , जय श्रीराम # जय भगवान महर्षि परशुराम जी। #🚩 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।' 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।🙏🏻
Dwait Astroguru@ अपने बौखलाहट को अपने पास रखो और अपने अहंकार में किसी भी ऋषि मुनि एवं भगवान का अपमान करने से पहले सौ बार सोचो नहीं तो इसका परिणाम बुरा भुगतना पड़ेगा।
Dwait Astroguru क्षत्रिय उत्पन्न कहां से हुए थे मूर्ख पहले तो तू मुझे यह बता। अगर तुझे नहीं पता तो मैं तो यह बता देता हूं वह भगवान महर्षि श्री कश्यप जी के द्वारा उत्पन्न हुए थे। जिनकी तेरह न पत्नियां थी किसी के दैत्य पैदा हुए थे , किसी के मनुष्य , किसी के देवता, किसी के गंधर्व या किसी के नाग तथा क्षत्रीय वंश महर्षि कश्यप के द्वारा ही उत्पन्न हुए थे। अगर तूने शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया है तो पहले शास्त्रों का अध्ययन कर उसके बाद कुछ बात कर।
Dwait Astroguru तेरे सहस्त्रार्जुन उर्फ सहस्त्रबाहु ने भगवान ब्रह्मदेव से शक्तियां पाकर अधर्म करने पर तुला हुआ था वह निर्दोषों को और महर्षि ब्राह्मणों को उनके यज्ञ से वंचित कर देता था तथा अपने आप को भगवान समझने लगा था। इसीलिए भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के रूप में इस पृथ्वी पर उसका एवं दुष्टों क्षत्रियों का नाश करने के लिए जन्म लिया।, जय भगवान परशुराम जी
Dwait Astroguru@ @World Tour TV छत्रिय उत्पन्न कहां से हुए थे मूर्ख पहले तो तू मुझे यह बता। अगर तुझे नहीं पता तो मैं तो यह बता देता हूं वह भगवान महर्षि श्री कश्यप जी के द्वारा उत्पन्न हुए थे। जिनकी तेरे पत्नियां थी किसी के दैत्य पैदा हुए थे , किसी के मनुष्य , किसी के देवता, किसी के गंधर्व या किसी के नाग सूर्यवंश एवं क्षेत्रीय वंश महर्षि कश्यप के द्वारा ही उत्पन्न हुए थे। अगर तूने शास्त्रों का अध्यन नहीं किया है तो पहले शास्त्रों का अध्ययन कर उसके बाद कुछ बात कर।
परंम संस्कार का साक्षात्कार पितामह भिष्म का भगवान परशुराम किया गया उसे साबित होता है की भारतवर्ष के संस्कार कितने महान है। संयोग से आज पवित्र रामनवमीका दिन है 🚩जय जय श्री राम 🇮🇳
Apne guru se vijay bhaw ka ashirvaad lene se hi bhisma pitamah ji us time hi jit gaye the mere favorite character the voo😘😘😘😘🚩🚩🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ Aur me bhi ek rajput(shatri) ho
भीष्म जी प्रतीज्ञा के लिए मजबूत थे, अपने समय में सबसे अधिक वीर थे परन्तु देशहित और धर्म की रक्षा करने के समय उनकी प्रतिज्ञा ने ही उन्हें मजबूर कर दिया इसलिए भीष्म पितामह के जीवन से हमें यह भी सीखना चाहिए कि बिना सोचे समझे कोई भी प्रतिज्ञा या संकल्प नहीं करना चाहिए
महाभारत की यह प्लेलिस्ट देखें
bit.ly/GeetaSaarMahabharat
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
😊u
ऐसा गुरु जिसकी हारने से शोभा बढ़ती है, श्रीपरशुराम को शत शत् नमन.🙏
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
मेरे ख़्याल से भीष्म पितामह से बड़ा योद्धा पूरे महाभारत में कोई नहीं था। जो अपने गुरु को भी परास्त कर दे ऐसे शूरवीर को शत शत नमन।
Arjun
@@harsh312harshh अर्जुन भी नहीं हरा पाता। इसलिए भीष्म पितामह के सामने शिखंडी को लाया गया वरना पितामह पूरी पांडव सेना नष्ट कर देते।
@@kartikaytiwari3945 arjun ne bheshm dron karn ashwathama sab ko haraya tha pr nihate hone par unka vad nahi krta tha bheshm ne khud kaha tha mujhe shikahndi se marwao virat parv pdlo mahabharat ke pehle tirse din bhi arjun ne bheshm ko gayal karke behosh kia tha
@Anshuman Singh ek baar bhi bheshm dron ne arjun ko nahi haraya kintu arjun ne dron bheshm samet 5 maharathio ko akele haraya tha virat yudh me 14 ve din ke yudh ke akele arjun ne bina rath ke 8 maharathio ko haraya tha tb sab ne chhal se nihate arjun par baan chalaye the arjun ne sab ko hara dia tha karn ko bachane toh ashwathama agya tha😂usi raat duryudhan ne dron se kaha tha arjun ke hote hoye yeh yudh jitna asambv he arjun harakar kisi ka vad nahi krta tha kyuki nihato par baan nahi chalan chta tha lekin aap kaurvo ke bhakto ko tv serial dekhne hr mahabharat kaha pdni he😂
@@harsh312harshh arjun bhisma ke age kuch nahi tha wo pehli baat arjun ko bahut prem karte the isliye dhuryodhan Unko baar baar boltha tha pithma ap puri sakti se kiu yudh nahi kar rahe unhe bhi patha tha galat kon hai jo parsuram ko serender karwa diye arjun kon hai
क्या संस्कार हैं कि युद्ध से पहले आशीर्वाद लेते हैं फिर उन्हीं के विरुद्ध रोते हुए युद्ध करते हैं। उच्चतम कोटि का संस्कार, धैर्य एवं वीरता का साहस अपने आप में बहुत कुछ प्रदर्शित करता है। धन्य है ये भारत देश, धन्य हैं हम सभी भारतवासी जो ऐसे देश में जन्म लिया।
Bhai wo guru tha uska, isliye hamesha hi uska ashirwad lega
Vai Javvas Ali Javvad Sanatan Dharm ko samjhna saral Nahi hay.
Deeply sochna parta hay!
Bhai hum to uss dharm se hai jisme Prithviraj Chauhan jaise Raja ne apne dushman Ghori ko bhi shama daan de diya usko haraane ke baad. (Shama veerasya bhushanam)
Same as modern times ~ kiss ass then kick ass
Jinka itihas 1400 saal ka hai wo kya samjhe 4500 saal purv mahabharat ke baare me
काश ऐसी गुरु शिष्य परंपरा आज के युग में देखने को मिलता♥️♥️♥️👏👏👏😍😍😍
Jarur hoga
Bhagwan se dua maango .... ki time bdle ... Vaise bhi satyug aane wala hai ... Jai mahakaal
gurukul kidhar hai ?
Aka ke rajput guru sishaya lakaya nahi hai
Sab rajput dogala hai 😡😡😡
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
गुरु श्रेष्ठ परशुराम शिष्य श्रेष्ठ भीष्म पितामह की जय हो जय हो जय हो |
अद्भुत अद्भुत अद्भुत !
ऐसा संस्कारवान वीर योद्धा सिर्फ और सिर्फ मेरी मातृभूमि भारत मे ही हो सकता है |
जय हो जय हो जय हो
कृष्ण कन्हैया बंशी वाले की
जय हो | 🙏🙏🙏
xdxxdxxxddddxdxddxxxxxxxxdxxxddxxdxxxxxdxxxddxdxxxxdxxxxddddxxxdxxxxxxxxdxxxxxxxxxddxddxxxxxxxdxdxxxxxxx
xxxx
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
@@durvasabamanmadav-w3g
What a pious & sacred thought you have shared. I feel immensely delighted & overwhelmed to read your each and every line full of hallowed feelings.
Mera NAMASKAR ❤🙏❤
भारत भूमि में अनगिनत योद्धा हुए,,
परन्तु कुछ वीर योद्धाओं ने मरते- मरते सबके हृदय मेंं अपनी ऐसी छवि बनायी जो अमिट है।
ऐसे वीर योद्धाओं को कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏
मुकेश खन्ना भीष्म के किरदार में इतने डूबे कि
अपनी निजी जिंदगी में भी आजीवन ब्रह्मचर्य है। बिना शादी किए
आज के भीष्म की एक लाईक तो बनता है भाई
I follow wifi study.Thanx for being a part..
Sach me oh unmarried hai
@@RK_FamilyPrism yes
🤣🤣🤣
🤣🤣😃😃😄😆😆
Bhishma the 1st Kshatriya Student of Lord Parshurama 🙏
2 one is karna
@@1paraSF. nhi second dronacharya h
@@Jaat_ravi001 ha bhul gaya 😅
@@Jaat_ravi001 Dronacharya ji ek brahman the kshtriya nahi. Ve Pandav aur Kauravon ke guru the unhe Kshtriya shikha di parantu wah swayam ek brahman the. Isliye PARSHURAM ji ne unhe apna shisha banaya.
@@1paraSF. karn ne dron se b shiksha li thi
इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था पितामह को ❤️
किन्तु गुरु को उन्होंने जो respect दिया प्रशंसनीय हैं 🙏
🙏🙏.
@@NikhilSingh-nn3ht 🙏🙏
Modi kuch sika insa
Parshuram Amar the
@@pappushukla8490 nahi amarta ka vardan bhagwan tak ko bhi nhi prapt tha sirf Brahma Vishnu mahesh ko prapt tha or devio ko
युद्ध में विजय मेरी ही हो ये आशीर्वाद दीजिये
युद्ध तो यही जित गए भीष्म🙏🙏
Ha lekin jit parshuram ki भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
पिता मह भीष्म जैसे योद्धा धरती पर कोई नही था और न ही होगा और न है ...छत्रियों की आन बान शान हैं ...पिता श्रेष्ठ महाभारत के सबसे महान योद्धा हैं No 1
Yes bro
Hindu bhai mere comment ka reply par ek Muslim apne had par kar raha h
koi khatriya he aj wo sb kol yug k pahle huya krta tha
Parshuram ji jaisa guru yodha bhi koi nhi .
@@rishabhsinha3479 itihas utha k dekhna kon acha tha bhismpita ya parusram
2:54 मन को चमत्कृत करने वाली बहुत अद्भुत बात कही आचार्य परशुराम जी आपने ; बचपन में जब 5 साल की उम्र में पहली बार ये सीरीयल महाभारत देखी थी तब परशुराम जी को एक बाबा जी समझता था मैं , इसे पितामह भीष्म का एक डेरे के बाबाजी से युद्ध समझा था .
35 साल पहले के सीमित संसाधनों और पुरानी तकनीक के बावजूद भी बी आर चोपड़ा निर्देशित यह महाभारत कितना जीवंत और शानदार लगता है।
rajendra singh
Sahi he
✍🏻अंग्रेजी में एक कहावत है: Every cloud has a silver lining. यह कोरोना पर भी लागु होता है। सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं सडकों पर नीलगाय और हिरणों के विचरण की। यह भी कि प्रदुषण में भारी कमी आयी है। लेकिन इसके दुसरे पक्ष के ऊपर विचार कीजिये। अस्पतालों में OPD बंद है; इसके बावजूद इमरजेंसी में भीड़ नहीं है। तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी? माना, सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं; इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही है। परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कोई शिकायत नहीं आ रही है की किसी का इलाज नहीं हो रहा है? दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले शवों की संख्या में २४ प्रतिशत की कमी आयी है। दिल्ली छोड़िये साहब बनारस का हाल देखे हरिश्चनद्र घाट पर औसतन प्रतिदिन 80 से 100 शव आते थे आज करोना के माहौल मे प्रतिदिन 20 या 25 डेड बॉडी आ रही हैं इसी तरह मणीकरणिका पर भी यही हालात वहॉ के डोम राज परिवार से पुछने पर वो भी आश्चर्य चकित होते हुए बताते है की ये सन्धी मौसम है (जाड़े से गर्मी मे जाना) इस समय हर साल डेड बॉडी मे बढोत्तरी होती है परन्तु पता नही क्यो भारी कमी है डेड बाडी की जबकी केवल B H U से प्रतिदिन10से 15 शव आते थे वो एक दम बन्द है मै BHU गया जो मरिज भर्ती थे वो तो सब है नये मरिज की भर्ती नही हो रही तो वाकई मे ये आश्चर्य चकित करने वाला है की सारी बिमारी सब गायब है क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया...? नहीं. यह सवाल उठाता है मेडिकल पेशा के वणिज्यीकरण का। जहाँ कोई बीमारी नहीं भी हो वहां डॉक्टर उसे विकराल बना देते हैं। कॉर्पोरेट हॉस्पिटल के उदभव के बाद तो संकट और गहरा हो गया है। मामूली सर्दी-खांसी में भी कई हज़ारों और शायद लाख का भी बिल बन जाना कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं रह गयी है। अभी अधिकतर अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं। मैं डॉक्टरों की सेवा की अहमियत को कम करने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ। कोविद १९ में जो सेवा दे रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूँ। लेकिन डर कुछ ज़्यादा ही हो गया है। बहुत सारी समस्याएं डॉक्टरों के कारण भी है। इसके अलावा लोग घर का खाना खा रहे हैं, रेस्तराओं का नहीं। इससे भी फर्क पड़ता है। अगर PHED अपना काम ठीक से करे और लोगों को पीने का पानी शुद्ध मिले तो आधी बीमारियां ऐसे ही खत्म हो जाएंगी। कनाडा में लगभग ४-५ दशक पूर्व एक सर्वेक्षण हुआ था। वहां लम्बी अवधि के लिए डॉक्टरों की हड़ताल हुई थी। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस दौरान मृत्यु दर में कमी आ गयी। स्वास्थ्य हमारी जीवनशैली का हिस्सा है जी केवल डॉक्टरों पर निर्भर नहीं है। महत्मा गाँधी ने हिन्द स्वराज में लिखा है कि डॉक्टर कभी नहीं चाहेंगे की लोग स्वस्थ रहें; वकील कभी नहीं चाहेंगे कि आपसी कलह खत्म हो। जो भी हो, lockdown से परेशानियां हैं जो अपरिहार्य हैं लेकिन इसने कुछ ज्ञानवर्धक एवं दिलचस्प अनुभव भी दिए हैं। ज़रा सोचिये...!😞🤔🤭👌🤔🙏🏻🙏🏻
Its much better than that star pls mahabharat
Ha
इतनी पराक्रमी योद्धा थे हमेशा धर्म और आचरण से युद्ध करते थे ऐसी मानवता ऐसी वीरता विश्व में कहीं देखने को नहीं मिलेगी भारत विश्व को आचरण और मनुष्यता का पाठ पढ़ा पढ़ाता है जय भारत जय हिंदुस्तान
पितामह से बड़ा न तो कोई योद्धा हुआ और न ही प्रतिज्ञावादी ।
धन्य हैं आप ।
शत शत नमन🙏
Shareef Ladka...he mitra mahayodha karna the ese yodha🙏🙏
@@subhashparmar5227 hahaa o भा ई थोड़ा महाभारत पढ़ भी लेना कभी सीरियल छोड़कर ,कर्ण को गंधर्वो, सात्यकि ,भीम ,अर्जुन , अभिमन्यु ,सबने युद्ध में हराया था सीरियल वाले कर्ण और रियल वाले कर्ण जिसको वेदव्यास ने महाभारत में बताया है उसमे जमीन आसमान का अंतर है भाई
@@navdeeptanwar9854 😂😂he sakha...me it to ni janta lekin jita bhi janta hu har ek serial..me sabhi Mahabharat dekhi he or mene sabhi me dekha he...karna jesa yodha na tha na he or na hi rahega or osne sabhi padvo ko hraya tha ..or shree.. Krishna ne bhi kaha tha he Arjun karna jesa yodha mahan he esa yodha mene aaj tak ni dekha..or vah..bar bar Karna ki tarif karte the Jisse Arjun krodhit hote the tab ye sab onhone ye kaha🙏🙏
Or mitra mene Mahabharat bhi padi he aap muje nadan balak na samje..🙏🙏
@@subhashparmar5227 Accha to fir बताइए कि सात्यकि ,भीम ,गंधर्वो और अर्जुन के हाथों से भी कई बार हारने के कारण कर्ण महान योद्धा और भीष्म के बराबर का योद्धा कैसे हो गया थोड़ा हमारा भी ज्ञान बढ़ा दीजिए
काश! हम भी उस युग जन्म लेते जहां दिया हुआ आशीर्वाद सत्य होता
अब संसार मैं किसी गुरु को तुम जैसा शिष्य नही मिलेगा 🔥🔥
Nyc
Karn mil gaya
@@gulshannajib5727करन गंगा पुत्र भीष्म के एक बाल के बराबर भी नहीं था.गंगा पुत्र के 4 गुरु थे 1,ऋषि भारद्वाज,2,ऋषि भार्गव,3,ऋषि बृहस्पति,गुरु परशुराम उनके आखरी गुरु थे ।और भीष्म को हराना इनके किसी भी गुरु के बस की बात नहीं थी।
आज भी पुरानी महाभारत देखते हैं पुराने दिन याद आ जाते हैं
महाभारत जैसी ऐतिहासिक गाथा का वर्णन बड़ी निपुणता के साथ किया सभी कलाकारों ने, महाभारत का हर अंश देखने योग्य है..
मुझे आज तक ऐसा कोई गुरु नहीं मिला जिसकी मैं दिल से रिस्पेक्ट कर सकूं सब मतलबी गुरु मिले हैं
Guru koi Vyakti ya Devta nahi hota Bure waqt me sahi rah Dikhane wala Hi humara Asli Guru hota he
Ma k rup me
Behen k rup me
GF k rup me
Bhai k rup me
Pita k rup me
Chhote bhai k rup me
Uske aneko rup ho sakte he magar Gyan ek hi hota he
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
ऐसे वीर सिर्फ भारत में ही पैदा होते हैं .....गंगापुत्र भीष्म की जय
Lollll😂😂😂😂😂
Sahi hai bhai...
Jay sanatan sanskriti 🚩🚩🚩
ईतने मुरख जो है भारत मे, अरे सही ढंगसे सोचो, पढाई करो, ए सब कालपनिक है.
@@ntamhane4614 tune kaha padh liya murkh
Kis lok ke prani ho
Mai har roz ek episode dekhta hu🙂🙂,bhot hi gyan ki baate sikhta hu,in mahan logo se, proud to be a Indian Muslim
Bhai tum jese muslim b he pata nai tha...thnku bhai
Mahabharat ki baat hi alag he
Sab practical he aur bahut kuch sikhne ko milta he😊
Hume garv h...Ki Tum jaise sachhe musalman hamare desh me h...We r proud of U
Malik bhai proud of u, jai hind jai sri ram allah hu akbar
Hats off bro
🙏🙏🙏
कितने लोग मुकेश खन्ना जी के किरदार से सन्तुष्ट है
Everyone.
sandeep mishra mcbhdojdgzhx
130 crore
Teri biwi sabse jyada kush hain mukesh khanna se
Me bhi santuthh hu ji
यूँ तो सभी पात्र महाभारत में एक से बढ़ कर एक थे किन्तु जो बात भीष्म में थी वो किसी अन्य में नहीं थी। 🙏
दोस्तो, जब भी शरीर से आत्मा निकलेगी भले, कितने ही साल बित जाये. रामायण और महाभारत सिरीयल हमेशा याद आयेगी. शत शत नमन उन लोगोको जिन्होने इस सिरीयल के लिये अपना योगदान दिया.
Cv
Sahi kaha aapne
Hindu BHAI mere comment ka reply par ek Muslim ne apne had par kar de
Sach bhai
*हे प्रभु,मुझे कुछ नहीं चाहिए,सिर्फ जो प्यारी आंखें मेरा कॉमेंट पढ़ रही हैं,उनके माता पिता को लंबा जीवन और संसार की सारी खुशियां दे देना🤗🤗❤️*
*जय श्री कृष्णा..........❤️🚩🌹*
जय श्री राम
bhgwan apko lambi umer de
@@Pankajtripathi4852 मण kl kl
Trillions Trillions Trillions Trillions Trillions Uncountable Salute to Shri BR Chopra Jee and Ramanand Sagar Jee for making such a Wonderful Serials....Both these Serials Ramayan and Mahabharat are so awesome that it seems these characters in real are there in this Era too. I don't have Words and Numbers to Define how great these Serials are till today. Future Generations will love it....This is the real Knowledge, real Education for our future generations. Love them both. Jai Shree Ram, Jai Shree Krishna.
Pitamah Bhishma is one of the Mighty and Powerful Warrior ever born on Earth
Proud to be Sanatani🚩🚩
शिष्य हो तो भीष्म जैसा गुरु हो तो परशुराम जैसा
U7
@@MohanSingh-pf9io DeeR zero.
N www
Sisy ho Karn jaisa guru parsuram jaisa
गुरु द्रोण जैसा होना चाहिए, जो अपने शिष्य से श्रेष्ठ योद्धाओंका अँगूठा काट कर माँग सके ।
आर्य नीती, भूमिपुत्रों को कमजोर करो, उनका छल करो, कपट करो औऱ मुलनिवासिय भूमिपुत्रों को निर्बल, असहाय बनाने की ।
पृराने महाभारत सीरियल में जिसने भी जो पात्र निभाया वह काबिले तारीफ है,आज जो सीरियल लोग बना रहे हैं इसमें वह संवाद नजर नहीं आता। पहले के महाभारत को जो भी देखता है मानो लोग उसी युग में चले गए हों।
Bilkul sahi bola bhai
Right
Sahi
आपने बिल्कुल सही बोला सर।
सत्य कहा .जय श्री कृष्ण. सनातन युगे युगे.
अदभुत संस्कार थे हमारे पूर्वजों में ।। जय हो
Yes
The entry of Parashuram Ji at 0:10 was gigachad🙏🏻😎
जय दादा परशुराम 🚩🚩🚩
जय हो पितामाह भीष्म...... नमन
Jai dax
Jai sree ram jai Raghuvansh jai rajputana
जय दादा परशुराम 👏👏
Jai Rajputana Jai Shree Ram Jay Ho Kshatriya Samaj ke veer yodha Pitamah bhisma ki
Jai pitamah bhishma
भीष्म तो तभी जीत गए थे जब वो भगवान परशुराम का आशीर्वाद लेने गये थे और वो आशीर्वाद था विजय भावा
Super
You are right
Vaise bhi ganga putra se vo puri shakti se lade the
Sahi baat
Mahadev ke alawa ganga putra bhisma ko yudh me koi parajit nhi kar sakta tha....aisa prabhu Shree Krishna ne bhi kaha tha
03:10 आहा!!! भगवान ने क्या बात बोली ।
*इस प्रकार युद्ध करो कि तुम्हारा गुरु लज्जित ना होवे*
जय श्री हरि विष्णु वंशज ( ब्राम्हण+क्षत्रिय) 🙏
Shudra aur vaishya kya hai be jahil
@@faizanhashmi389 Jo tumahre liye Shia aur ahmadi hai
@@faizanhashmi389 jahil Tu hume naa smjha 72 hoor😂
@@vidit2534 to mere bhai usne brahmin+kshatriya likha hai isme kahi bhi vaishya ya shudra ki bezatti ya unko gaali di hai kya ?? Or naam naa likhna koi jahilta ya crime to h nahi. :)
@@faizanhashmi389 katmula🥴
धन्य है वह देश जहां परशुराम और भीष्म जैसे महान आत्मा ने जन्म लिया था
🙏🙏🙏
रामानंद सागर जी और बी आर चोपड़ा दोनों द्वारा बनाया गया रामायण एवं महाभारत उत्कृष्ट रचना है जो आज तक भारतीय जनमानस में रमा हुआ है । ये दोनों ही धारावाहिक सभी हिन्दुओं को एकजुट करने के लिए पर्याप्त है।
hindu nhi, hindustani bol
Sirf hindu nahi mere dost ye granth toh sabhi ke liye hai, ye gyan ke bhandar hai. Mahabharat Bachpan mein dekhta tha ab lockdown mein shuru ki ab tak 55 episode dekh liye hai
Abe chutiye kya hindu hindu bol raha hai iske samwad dr rahi Masum raja sahab ne likhe aur kunti aur Arjun k kirdar do muslim play kar rahe hai chutiye mandbuddhi
श्री परशुराम जी, भगवान श्री हरि विष्णु के एक मात्र ऐसे अवतार हैं
Ansh
Vi ji
वन
🚩🚩सत्य स्नातन धर्मवीर कण कण मे गौरव भर देंगे..
पृथ्वी की क्या बात करो अम्बर केसरिया कर देंगे.. 🚩🚩जय हो भारत महान... जय हो पितामह भीष्म की
जय क्षत्रिय धर्म ...भीष्म पितामह 🙏
भीष्म पितामह और भगवान परशुराम के युद्ध का महर्षि वेदव्यास रचित महान महा काव्य महाभारत में विस्तार से वर्णन है| भीष्म पितामह ने अंबा को स्वयंवर में जीत कर हरण करने के पश्चात अपने क्षत्रिय धर्म के विरुद्ध जाकर अंबा से विवाह नहीं किया था| तब लाचार अंबा अपनी प्रार्थना लेकर भृगुवंश शिरोमणि नारायण आवेशवतार (व्याख्यान चित्र नम्बर 7) परशुराम जी के पास गई थीं| भगवान परशुराम ने अपने शिष्य भीष्म पितामह को अंबा से विवाह कर अपना क्षत्रिय धर्म निभाने का संकेत दिया, लेकिन प्रतिज्ञा से बंधे भीष्म पितामह इसे न मान सके| जिसके फलस्वरूप आरंभ हुआ भीष्म और परशुराम के बीच धर्मोच्चित महासंग्राम, जो 23 दिनों तक चला|
इस युद्ध में आखिर कौन विजित हुआ था और कौन पराजित, ऐसे प्रश्न कोई संकुचित सोच का व्यक्ति ही उठा सकता है| अंबोपख्यान पर्व के 179वे अध्याय में लिखा है कि स्वयं भीष्म पितामह अपने गुरु परशुराम के चरण स्पर्श करने जाते हैं| ये संदर्भ जो लोगो के लिए प्रेरणा होनी चाहिए वो दुर्भाग्यवश कुंठित मानसिकता का परिचायक बन गया है|
युद्ध बिभिन्न चरणों में होता है|
परशुराम जी ने युद्ध के प्रारंभ में ही भीष्म पितामह को अपने बाहुबल से हरा दिया था, जैसा की निम्न दिए श्लोकों में वर्णित है| जिसके बाद उनके वसु भाई, उनकी माता गंगा के साथ ब्राह्मण का रूप धरकर उन्हें बचाने पहुंचे थे | यह प्रसंग उद्योग पर्व के अन्तर्गत अंबोपख्यान पर्व के 182वे अध्याय से है| और फिर स्वयं भीष्म पितामह स्वीकार करते हैं कि महाबली परशुराम से उनका जितना संभव नहीं| ये भीष्म पितामह की महानता थी तब भीष्म पितामह को उनके वसु भाईयो ने उन्हें अमोघ प्रस्प्वापनास्त्र अस्त्र दिया था | ये अस्त्र ब्रह्मशिर की भांति प्रबल था और श्रृष्टि का विनाश कर सकता था| भीष्म क्षत्रिय धर्म से बंधे थे| भगवान परशुराम अम्बा के वचन से बंधे थे| देवताओं और परशुराम के पितरों ने इस विनाश को रोकने के लिए दोनों योद्धाओं से विनती की| परन्तु दोनों ही नहीं माने उसके पश्चात स्वयं भीष्म पितामह की माता ने परशुराम जी से अपने शस्त्र छोड़ने की प्रार्थना की जिसके पश्चात भृगुनंदन नारायण अवतार परशुराम जी ने अपने शस्त्र छोड़ दिए| | ये भगवान परशुराम की महानता थी| जय पराजय में इस युद्ध को तौलने वाले कभी सनातन सभ्यता की गुरु-शिष्य परम्परा को नहीं समझे| घटिया प्रवृति के लोग इसमें ब्राह्मण क्षत्रिय के बीच फुट डालने का अवसर तलाश रहे हैं पर सनातन का जोड़ इतना कमजोर नहीं है| महर्षि वेदव्यास ने जब इस प्रसंग की व्याख्या की तब उनका आशय क्या ऐसी दुष्प्रचारित मानसिकता होगी? वो गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को दर्शा रहे थे| भगवान परशुराम और भीष्म पितामह के बीच का युद्ध, गुरु और शिष्य के बीच का युद्ध था। आजतक सनातन इतिहास में कहीं भी गुरु से शिष्य श्रेष्ठता नहीं दिखाता। शिष्य हमेशा गुरु का आदर करता है। युद्ध भी गुरु की आज्ञा से करता है| अर्जुन ने भी गुरु द्रोणाचार्य की आज्ञा लेकर ही उनपर शस्त्र उठाये| यही हमारी संस्कृति है।
परशुराम ने अम्बा को वचन दिया था, भीष्म भी अपनी गुरु की आज्ञा से ही लड़े। इसमें श्रेष्ठता ढूढंने वाले उसी कुचक्र कुविचार का शिकार हैं, जिसने सनातन सभ्यता को चोट पहुँचाई है। गुरु शिष्य को शिक्षा ही इसलिए देता है क्योंकि शिष्य एक दिन गुरु से भी श्रेष्ठ और निपुण बने। एक गुरु के लिए वो सबसे आनंद-विभोर पल होता है।सिर्फ विकारों से शिकार व्यक्ति ही इसमें प्रतियोगीता ढूंढ़ सकता है। धिक्कार है ऐसे लोगों पर, जो सनातन संस्कृति की एकता के शल्य बने बैठे हैं। धिक्कार है| भीष्म पितामह एक महान प्रतिज्ञनिष्ठ वसु, अपना धर्म निभा रहे थे तो वहीँ भगवान परशुराम स्वयंभु नारायण अवतार, अपनी लीला में मग्न थे| भीष्म परशुराम युद्ध में श्रेष्ठ बस भारतवर्ष की युग युगांतर से चली आ रही गुरु शिष्य की परम्परा है|
हमें सहयोग दीजिये अगर आप चाहते हैं कि हम इसी तरह देश विदेश के मुद्दे उठाकर सच का साथ देते रहें, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
इच्छा मृत्यु का बरदान होते हुए भी भीष्म पितामह ने अपने गुरु का सम्मान किया वह प्रशंसनीय है,, परशुराम जी ने भी एक स्त्री के सम्मान के लिए युद्ध किया वह भी प्रशंसा योग्य हैं, धन्य हैं भारत भूमि,,जय हिन्द,, सतश्रीअकाल 🇮🇳🇳🇵
This is the real Hindu warrior culture- Bhishma was the noblest person who ever lived.
प्रणाम पितामह प्रणाम तातश्री ये महाभारत मेरी जिंदगी है इसके बिना मेरा जीवन अधुरा है
Abey ek aurat ke liye kitne chutiye ban ke mar gaye mahabhart ke naam par
@@sonyk4198 muh band rakh apni
@@sonyk4198 Teri behen thi Kya wo aurat Jo itna pata hai?😆😆😆😆
Jai ParshuRam jai Bishm
श्रम
जय हो भगवान परशुराम जी व जय हो पितामह भीष्म जी 🌹🙏🏻
Mahabharat ho ya ramayan
in 2no series me . Tamiz. Tehzib ka koi jawab nhi ..
isme mazak kon uda raha h ..
Mne serials ki Tamiz aur Tehzib k uper tariff ki .. mazak kaha se laga apko .. kuch bhi yar pehle parh to lo sahi se kya cmnt kiya h mne .. wse tumhe reply krne me mujhe koi intrest nhi .. lekin shayad mera cmnt tumhari smjh nhi aya isliye kiya. . Aur 2sri baat me dharam waram ko nhi maanta OK .
🙏
@@aliasadzaidi1945 bhai aap iss Kailash jaise dhongi logo ki baat ka bura na mane. Mahabharata aur Ramayan sabhi k liye h sabhi iska anand le sakte h.
@@aliasadzaidi1945 proud on you sir
@@aliasadzaidi1945 kuch log pagal kutte Jaise hote hai, in logo se muh mat lariye, aapka samay lost Hoga. In logon ke chalte desh aage nahi bar rahe hai.
जब डिडिएलजे 25 सालो से दिखलाई जाती हैं तो फिर रामायण ओर महाभारत कयो नहीं यहि हमारी जडे हैं।
Sahi baat hai sir ji
@@bharatbhatt158 6 try'
Ab agyi
Jarur dikhani chahiye yahi to
Hamare desh ka culture hai
@@bharatbhatt158 u
Bhisma the great warrior who fought with the GOD himself🔥🔥
He was no more god because lord Rama snatched his vishnu element from him
@@jaimataki2615but lord krishna called him god
@@happiestguy4873 lol when did this happen
You need to stop watching those serials and learn the real knowledge
@@jaimataki2615 He didn't snatch anything. Guru Parashuram handed over the bow to Lord Rama and went for tapasya after he had recognised Lord Rama as Lord Vishnu.
@@jaimataki2615 learned from WhatsApp University
भगवान परशुराम नारायण अवतार है और भीष्म गंगा पुत्र. भीष्म पितामह इच्छा मृत्यु तक नहीं मर सकते किंतु भगवान परशुराम अमर है. और अधिक शक्तिशाली थे. भीष्म पितामह जैसे वीर ने तो भगवान श्री कृष्ण से भी अस्त्र उठाने पर बिवश किया. धन्य है पितामह, जिन्हें भगवान के दोनों अवतारों से युद्ध करने का सौभाग्य मिला
बहुत ही सुंदर किरदार निभाया है मुकेश खन्ना ने अभी तक ब्रम्हचर्य है जो प्रतिज्ञा किया था उसका पालन निजी जीवन भी किया धन्य है ऐसे लोग👍
भीष्म जीते नहीं थे, अपितु उन्होंने परशुराम जी के सामने उनके इष्ट और गुरु शिव का अस्त्र प्रयोग करना चाहा, जिसका उत्तर परशुराम जी नहीं देना चाहते थे। परशुराम जी, श्री हरि विष्णु के षष्ठमावतार हैं। विष्णु के किसी अवतार को पराजित करना असम्भव है।
हरि हरि विष्णु
Bas kro bina mtlb ka gyan n diya kro
@@suryavideos6769 ,भीम टा हो, तो कॉपी पेस्ट वाला मतलब का संविधान वाला ज्ञान जानो, बाकी तुम्हारे बस में नहीं।
Abey chutiya hara hi Diya kyonki bheesma ka vadh asambhav tha
Isliye wo jeet Gaye
Bilkul Sahi baat
निकल वे
जिसके अंदर महाभारत के गुणों का समावेश है वो निश्चित ही महान बनेगा ।
महाभारत के किरदारों को नमन ।
महाभारत देखने से सद्गुणों का वातावरण बनता है , जिससे मन सांत एवं सात्विक होता है । इसलिए हमेशा इसका आवरण बनाए रखना चाहिए ।
Koi comment v krega ya sirf like hi maroge...
@@LalitaDevi-ks7yn Jay Lalita devi
@@crazyjourney3963 ha ha ha ha bhai maa ka nam se id h ....isliye
@@crazyjourney3963 पआग
@@crazyjourney3963 bhai kya comments mara 😁😁.....aunty ji ko yad kr liya
योद्धाओं का योद्धा = भीष्म पितामह💪🦁🦁
Mukesh khanna had a big role in the success of this show. He alone carried this show in the beginning phase
Right
Dont forget about nitish bhardwaj
What do you mean by show? He's a great actor but it is the power of the character that he portrayed and story of Mahabharata that is binding the viewers ..
Mahanhart dekh kar arsa "agtaheko ham isug me he aorsab dekh rahehe good🙏
Mukesh khanna ka jawab nahi, par nitish bhardwaj ka bhi kabile tarif tha unko kyon bhool jate ho bhai log
Sach mein Ramayan Aur Mahabharat se bahut kuch sikhne milta hai, thanks to BR Chopra ji, proud to born as hindu
An absolute delight on the face on Parshurams face when he's defeated - goosebumps when watching this - absolutely amazing
पितामह भीष्म सबसे भीषण 🥶🙏🏻🌺
This scene always gives goosebumps. Naman to our glorious rich culture and heritage. Jai Maa Bharati.🙏
क्षत्रिय धर्म युगे युगे 🚩 🚩
जय श्री राम 🙏 🙏
जय श्री कृष्ण 🙏 🙏
जय श्री पितामह🙏🙏
@@Nishant.Sharma no
@@Nishant.Sharma abe purn roop se pitamah bhisama kshatriya the bo janm se hi kshatriya the
Sri Krishna Yadav the
@@VishalYadav-ld5dq bhia Humne kab mna kiya ki bo yadav nhi the
ruclips.net/video/5vM0d5JWFTg/видео.html
अगर आप तंत्र मंत्र में विश्वास रखते हो तो ऊपर दिए हुए लिंक को टच कीजिए और मेरे साथ जुड़ चाहिए सभी प्रकार का निशुल्क जानकारी मिलेगा
मुकेश खन्ना जी ने अपने किरदार को जीवंत बना दिया, आप हमेशा ही हमारे आदरणीय रहेंगे ।
PARSHURAM JI'S role was played by popular character artist of Punjabi films nowadays Shivender Mahal ,, he also played SHIVJI'S role in this epic serial ..
Parshuram ji is so proud of Bhishma. This is the power of Humbleness.
भीष्म पितामह को कोटी कोटी नमन। धन्य है ऐसे गुरु भी।
क्या अद्भुत भारतीय संस्कृति थी। शिष्य गुरु से विद्या प्राप्त करने के बाद भी दम्भी नहीं था। राज्याधिकारी होकर भी पैदल गुरु के प्रति सम्मान था।
आज तो विद्यार्थी छात्र-नेता भी बन गया तो गुरु की छाती पर जूतों सहित चढ़ना चाहता है। और नेता बन गया तो क्या कहने- गुरुजन ही जूता हो जाते हैं। भारतीय समाज तो और चार कदम आगे है।
पितामह भीष्म जैसा इंसान युगों बाद जन्म लेता हैं।धन्य है पितामह। इस रोल को जीवंत कर दिया था मुकेश खन्ना जी। अन्य सभी के किरदार भी शानदार था। जय हो।
The character of Bheeshma Pitamah by Mukesh Khanna is etched in minds. Nobody and I repeat nobody can even come hundreds of miles close to his performance in this epic Mahabharata serial. His dialogue delivery, expressions , body language was un matchable. I have not seen any actor , not even my favourite AB, have such a screen presence. He was way too dominating. I must have seen this epic serial innumerable times and every time it as engrossing as ever. His next larger than life performance was in Yalgaar as Police commissioner.
Cute😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂 I think you didn't watched the new and IMPROVED MAHABHARATA 😂😂😂😂
Which one pls?
Sorry I have not seen that. Who has made it ?
Mukesh Khanna carried the serial single handedly on his shoulders👍🙏👍🙏👌👌👌👍💪if any other had played PITAMAHAA's role the serial would have been a big ""disaster''",only bhagwan SRI KRISHNA & PITAMAHAA themselves saved CHOPRA team by inaculating a Divine influence on B R CHOPRA & team ..... Like those agree...
2013 Star Plus Mahabharat??? Made by jokers, acted by Models not Actor's. The full series was shit, Nothing in Front of BR CHOPRA'S ORIGINAL MAHABHARATA 1988
Mukesh ji was perfect for Bhism role.
@Manvi Chaudhry ii.
@Manvi Chaudhry please dnt talk abt starplus Mahabharata. It was joke n a big insult to the original Mahabharata. The old Mahabharata was true to the original epic, bt the starplus one was like a masala bollywood movie where plot, actions n incidents were created by the serial's scriptwriter 😂😂😂 And Sourabh Jain looked like a charming romantic dashing lover but not so much the wise, knowledgeable, intelligent, mature politician that Krishna was at Hastinapur.
Star plus Mahabharat good ,Shree Krishna speech very nice
ruclips.net/video/5vM0d5JWFTg/видео.html
अगर आप तंत्र मंत्र में विश्वास रखते हो तो ऊपर दिए हुए लिंक को टच कीजिए और मेरे साथ जुड़ चाहिए सभी प्रकार का निशुल्क जानकारी मिलेगा
@Krupal Parekh best Mahabharata of this era is B.R chopra Mahabharata...starplus Mahabharata is nothing in front of this old masterpiece...actors of old Mahabharata are way better than any shit Mahabharata of EKTA Kapoor trp Mahabharata....
भीष्म पितामह की जय यह वह वीर है जिसका जीवन अंतराल समय के लिए भी गर्व है मुझे गर्व है कि मैंने जिस देश में जन्म लिया उस देश में भीष्म पितामह जैसे वीरों ने भी जन्म जय हिंद
ये भारतीय संस्कृति हैं।। ऐसे उदाहरण सिर्फ यही मिलेंगे और कहि भी नहीं
Fun fact lord parshuram and pitamha bheesm both are literally immortal beings ❤
❤❤❤❤❤
Bheesm had ichamrityu that's why he died in the battle of Kurukshetra. He did not want to live anymore
Parshuram ji is chiranjeevi, but Bhishma got icchamrityu vardaan from father.
Different things
@@akray1153ichamrityu doesn't mean no one can kill you
The meaning of ichamrityu is when you are going to die, you will increase you time of death
@@prince5478parantu,usme pain ko sahan karna padta hai...
Parsurama is proud of Bheeshma, it can be seen through his eyes.
जय गुरु परशुराम जय भीष्म।
आपकी कीर्ति अमर रहेगी
Hrhch
हमारा बचपन और युवात्व सवारने के लिए शुक्रिया पितामह।
हर हर महादेव
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु महेश्वरा गुरु साक्षात परम ब्रम्ह। गुरु तस्वीर सदा गुरुवे नमः
वो भी क्या दिन थे जब गुरु और शिष्य दोनों एक साथ मिलते थे
जै दादा परशुराम। 🚩🚩
परशुराम ना होते तो भीष्म न होते
Aatankwaadi
😂😂😂😂
@@AnshSingh-wz7vk hass kya rha hai😂bhism nhi hote... Parshuram ne hi sikhaya tha sbkuch😂
Mtlb jaati baad tumhaare ander koot koot kr bhara hua h
क्या ही ब्रम्हचर्य की अखंडता का प्रताप है! 🙏🙏
अच्छा knowlege kaha se bhi mile le lena chahiye bht gyan प्राप्त हुआ 👍🏻
दादा भीष्म पिता मह के दरबार में सदैव कृपाचार्य द्रोणाचार्य जैसे ब्राह्मणों का सदैव परिवार की तरह सम्मान रहा ब्राह्मण सदैव से देशभक्त क्षत्रियों का मित्र रहा है और अत्याचारी घमंडी क्षत्रियों के लिए परशुराम है
Lekin Parshuram hi ne bahut acche kshatriya ko bhi mar diya tha.
@@NikhilSingh-nn3ht kyu ki vo adharmi ka rakhsan kar rahe the to vo bhi adharmi ho gaye
aur Hum Ravan jaise durachari atyachari Rakshash ke liye Shri Ram hain
@@technicalmind1290 ha bhai
Jai bhagwan parshuram
Jai shree ram
जय दादा परशुराम ❤️🙏
My favorite scene Lord Parashuram and Ganga Putra Bhishma. Excellent. Thanks. Pronam to Great Teacher and devoted Disciple. Pronam.
महाभारत के मुख्य अभिनेता पितामह भीष्म ही है
हे क्षत्रियों अपने पूर्वजों को याद रखना और उनके बल, बुध्दि, विद्या का अनुसरण करना 🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
🕉 महादेव के परम भक्त भगवान महर्षि श्री परशुराम जी, भगवान श्री हरि विष्णु के एक मात्र ऐसे अवतार हैं। जो आदिकाल से हर युग में ७सात चिरंजीवीयों में से एक हैं तथा तीनों लोकों में सदा के लिए धर्म की रक्षा हेतु अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। एवं अन्य ६ छः चिरंजीवी #> महावीर श्री हनुमान जी, लंकेश श्री विभीषण जी, राजा श्री बलि जी, महर्षि श्री वेदव्यास जी, गुरु श्री कृपाचार्य जी एवं श्री अश्वथामा जी एवं इन सभी के साथ महर्षि श्री मार्कंडेय जी का स्मरण करना अति आवश्यक प्रमुख्य है। तथा इन सभी के स्मरण मात्र से ही मनुष्य को कल्याण की प्राप्ति होती है। क्योंकि यह सब अजय अमर है तथा इन्हें कोई भी परास्त नहीं कर सकता। , जय श्रीराम
# जय भगवान महर्षि परशुराम जी। #🚩
'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।🙏🏻
परशुराम को हराने वाले महाशक्तिशाली क्षत्रीय कुल के राजा भीष्म पितामह को प्रणाम।
🕉 श्री महादेव के परम भक्त भगवान महर्षि श्री परशुराम जी, भगवान श्री हरि विष्णु के एक मात्र ऐसे अवतार हैं। जो आदिकाल से हर युग में ७सात चिरंजीवीयों में से एक हैं तथा तीनों लोकों में सदा के लिए धर्म की रक्षा हेतु अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। एवं अन्य ६ छः चिरंजीवी #> महावीर श्री हनुमान जी, श्री लंकेश विभीषण जी, राजा श्री बलि जी, महर्षि श्री वेदव्यास जी, गुरु श्री कृपाचार्य जी एवं श्री अश्वथामा जी एवं इन सभी के साथ महर्षि श्री मार्कंडेय जी का स्मरण अति आवश्यक प्रमुख्य है। तथा इन सभी के स्मरण मात्र से ही मनुष्य को कल्याण की प्राप्ति होती है। क्योंकि यह सब अजय अमर है तथा इन्हें कोई भी परास्त नहीं कर सकता। , जय श्रीराम
# जय भगवान महर्षि परशुराम जी। #🚩
'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।🙏🏻
Dwait Astroguru@ अपने बौखलाहट को अपने पास रखो और अपने अहंकार में किसी भी ऋषि मुनि एवं भगवान का अपमान करने से पहले सौ बार सोचो नहीं तो इसका परिणाम बुरा भुगतना पड़ेगा।
Dwait Astroguru क्षत्रिय उत्पन्न कहां से हुए थे मूर्ख पहले तो तू मुझे यह बता। अगर तुझे नहीं पता तो मैं तो यह बता देता हूं वह भगवान महर्षि श्री कश्यप जी के द्वारा उत्पन्न हुए थे। जिनकी तेरह न पत्नियां थी किसी के दैत्य पैदा हुए थे , किसी के मनुष्य , किसी के देवता, किसी के गंधर्व या किसी के नाग तथा क्षत्रीय वंश महर्षि कश्यप के द्वारा ही उत्पन्न हुए थे। अगर तूने शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया है तो पहले शास्त्रों का अध्ययन कर उसके बाद कुछ बात कर।
Dwait Astroguru तेरे सहस्त्रार्जुन उर्फ सहस्त्रबाहु ने भगवान ब्रह्मदेव से शक्तियां पाकर अधर्म करने पर तुला हुआ था वह निर्दोषों को और महर्षि ब्राह्मणों को उनके यज्ञ से वंचित कर देता था तथा अपने आप को भगवान समझने लगा था। इसीलिए भगवान विष्णु ने भगवान परशुराम के रूप में इस पृथ्वी पर उसका एवं दुष्टों क्षत्रियों का नाश करने के लिए जन्म लिया।, जय भगवान परशुराम जी
Dwait Astroguru@ @World Tour TV छत्रिय उत्पन्न कहां से हुए थे मूर्ख पहले तो तू मुझे यह बता। अगर तुझे नहीं पता तो मैं तो यह बता देता हूं वह भगवान महर्षि श्री कश्यप जी के द्वारा उत्पन्न हुए थे। जिनकी तेरे पत्नियां थी किसी के दैत्य पैदा हुए थे , किसी के मनुष्य , किसी के देवता, किसी के गंधर्व या किसी के नाग सूर्यवंश एवं क्षेत्रीय वंश महर्षि कश्यप के द्वारा ही उत्पन्न हुए थे। अगर तूने शास्त्रों का अध्यन नहीं किया है तो पहले शास्त्रों का अध्ययन कर उसके बाद कुछ बात कर।
Mahabharat का हर एक किरदार अपना सर्वश्रेष्ठ एक्टिंग किया है
हम क्षत्रियो के लिए ब्राम्हण हमेसा पूज्यनीय थे और हमेसा रहेंगे भी । 🙏
Bilkul brahmins bhi kshatriyo ki bht respect krte h
परंम संस्कार का साक्षात्कार पितामह भिष्म का भगवान परशुराम किया गया उसे साबित होता है की भारतवर्ष के संस्कार कितने महान है।
संयोग से आज पवित्र रामनवमीका दिन है
🚩जय जय श्री राम 🇮🇳
I love to watch mahabharata but directed by b r chopda is best one. All characters were amazing.
हरा भरा वीरों से हरदम मेरा हिंदुस्तान रहा।
सब देशों से देश हमारा भारत ही बलवान रहा।
यह दृश्य बचपन से देखते आ रहा हूं लेकिन जितनी बार भी देखूं यह उस समकालीन यथावत प्रतीत होता है 🙏🏻😌
सही कहते है महाभारत जैसे पात्र अब कही नहीं मिलेंगे..
Or ramayan bhi
Apne guru se vijay bhaw ka ashirvaad lene se hi bhisma pitamah ji us time hi jit gaye the mere favorite character the voo😘😘😘😘🚩🚩🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ Aur me bhi ek rajput(shatri) ho
गुरु का सम्मान ऐसे धार्मिक कार्यकर्मो से ही सीखा जाता है
श्री राधेकृष्ण🙏🪷🫀🙇♂️
Now I felt the importance of Mahabharata as because
today I have got the actual age to analyse the meaning of Mahabharata.
मुकेश खन्ना की आवाज बहुत बढ़िया है
सीरियल जैसा इस संसार में कुछ नहीं है ऐसा लगता है स्वर्ग यहां पर मौजूद है शंभू
Bahutat A
Mahabhart
Zxt Yes pĺoom Muszzsaees er
Porm
Xxxporn
कोठी कोठी वंदन करता हूं महाभारत के सभी विर योद्धाओं को 🙏🙏 जय श्री राम
The background music score along with the theme song is one of the best in Indian TV history
T
P
जय हो पितामहः की🚩
🙏🙏चरण वन्दन🙏🙏
ये है सनातनी संस्कृति। शत्रु को भी सम्मान करते हम
हर हर महादेव । जय श्री राम
भीष्म जी प्रतीज्ञा के लिए मजबूत थे, अपने समय में सबसे अधिक वीर थे परन्तु देशहित और धर्म की रक्षा करने के समय उनकी प्रतिज्ञा ने ही उन्हें मजबूर कर दिया इसलिए भीष्म पितामह के जीवन से हमें यह भी सीखना चाहिए कि बिना सोचे समझे कोई भी प्रतिज्ञा या संकल्प नहीं करना चाहिए