Varju Or Raja Rani Ki Gavri Udaipur
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- Опубликовано: 20 сен 2024
- मेवाड़ क्षेत्र में किया जाने वाला गवरी नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को सावन-भादो माह में किया जाता है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे राई नृत्य के नाम से जाना जाता है। इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है। वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते हैं। इसके खेलों में नरसि मेहता,गणपति,खाडलिया भूत,काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा इत्यादि के खेल होते हैैं। इसमें शिव को "पुरिया" कहा जाता है।
Kumar ke bhata ki gavri nice gavri he 😍❤
Ye Rani hai is kalakar ka name kya hai
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बजाने वाला सही नहीं है बाकी खेल तो अच्छा निकल