नामदेव कबीर त्रिलोचन सदना कसाई सेन समिति बनी थी जिसकी अध्यक्षता संत शिरोमणी सतगुरु रविदास जी महाराज ने की उन्हीं के अनुसार छुआछूत मिटाने अभियान चलाया जिसमें सतगुरु रविदास जी के काई प्रमाण दिये जिससे उनके बहुत से राजा के शिष्य बने ।।। बाणी।। पहली लिखी है मोहि मोहि अंतर कैसा कनक कटक जल तरंग जैसा।। हे परम पिता परमेश्वर तुझमें मुझमें अंतर अगर आप सोना है तो मैं सोने बना आभूषण हूं ओर आप समुद्र है मैं उसमें उठने बाली तरंग जो आपकी शोभा बढ़ाते हैं उसी प्रकार हे प्रभु मैं आपका ही अंश हूं मैं दुनिया में जाता हूं आपका अंश बनकर भजन के द्वारा आपकी शोभा बढ़ाता हू बाद में मैं लौटकर आता हूं आप ही समा जाता हूं जिस प्रकार सोने से आभूषण का आकार दिया जाता है फिर आभूषण को गला सोना होता इसी समुद्र में लहरे उठती है बाद में समुद्र में समा जाती है उसी प्रकार मनुष्य उन्हीं के अंश से आता और जाता है तो उन्हीं में समा जाता तो आपमें मुझमें कोई अंतर नहीं है
आप बहुत अच्छी गायिका हैं लेकिन इसमें जो आदमी बहुत भद्दे तरीके से मंजीरा बजाया है वह बहुत भद्दा महसूस होता है कृपया आप ध्यान दें इससे कहिएगा कि यह एक जगह बैठकर शालीनता से बैठ कर बजाया करें मैं आपके गाने को डाउनलोड करना चाहता हूं लेकिन इसके फ़ूहड़ पन के कारण डाउनलोड करने का मन नहीं करता है।धन्यवाद ।
Bahut Sundar Aawaz k Sath Bahut Sundar Bhajan👏
Bhajan Me is Tarah Khanjhani Nahi Bajai Jati🥺
Jay ho shri ram ji ki🕉🕉🕉🙏🙏
मेरी आपसे रिक्वेस्ट किया अच्छा सा मेरी आपसे एक रिक्वेस्ट है कि एक प्यारासा भजन
Bahu hi sundar geet
🙏🙏🙏
Savita ji aapko aur aapki party mandal Ko hamari taraf se aapko Hardik shubhkamnaen pahunche dhanyvad
❤❤❤❤❤❤❤❤
Ok
You are Nice didi ji 🎵songs
नामदेव कबीर त्रिलोचन सदना कसाई सेन समिति बनी थी जिसकी अध्यक्षता संत शिरोमणी सतगुरु रविदास जी महाराज ने की उन्हीं के अनुसार छुआछूत मिटाने अभियान चलाया जिसमें सतगुरु रविदास जी के काई प्रमाण दिये जिससे उनके बहुत से राजा के शिष्य बने
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बाणी।। पहली लिखी है
मोहि मोहि अंतर कैसा कनक कटक जल तरंग जैसा।।
हे परम पिता परमेश्वर तुझमें मुझमें अंतर अगर आप सोना है तो मैं सोने बना आभूषण हूं ओर आप समुद्र है मैं उसमें उठने बाली तरंग जो आपकी शोभा बढ़ाते हैं उसी प्रकार हे प्रभु मैं आपका ही अंश हूं मैं दुनिया में जाता हूं आपका अंश बनकर भजन के द्वारा आपकी शोभा बढ़ाता हू बाद में मैं लौटकर आता हूं आप ही समा जाता हूं जिस प्रकार सोने से आभूषण का आकार दिया जाता है फिर आभूषण को गला सोना होता इसी समुद्र में लहरे उठती है बाद में समुद्र में समा जाती है उसी प्रकार मनुष्य उन्हीं के अंश से आता और जाता है तो उन्हीं में समा जाता तो आपमें मुझमें कोई अंतर नहीं है
Savita didi ji aapki aabaj our aapka gana goodluck
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आप बहुत अच्छी गायिका हैं लेकिन इसमें जो आदमी बहुत भद्दे तरीके से मंजीरा बजाया है वह बहुत भद्दा महसूस होता है कृपया आप ध्यान दें इससे कहिएगा कि यह एक जगह बैठकर शालीनता से बैठ कर बजाया करें मैं आपके गाने को डाउनलोड करना चाहता हूं लेकिन इसके फ़ूहड़ पन के कारण डाउनलोड करने का मन नहीं करता है।धन्यवाद ।
आप वैद्य हैं तो आपका पता बताओ
भावना भारती के लोकगीत
Savita didi ji aapki aabaj our aapka gana goodluck