/मेवाड़ आदिवासी भील गवरी-डुलावतो का गुडा / पाबु राठौड़ खेल लाइव-डुलावतो का गुड़ा से ¢¢25 September 2023
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- Опубликовано: 9 ноя 2024
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/मेवाड़ आदिवासी भील गवरी-डुलावतो का गुडा / पाबु राठौड़ खेल लाइव-डुलावतो का गुड़ा से ¢¢25 September 2023
पाबूजी महाराज का इतिहास
पाबू जी की जीवनी (Pabuji Biography in Hindi)
जन्म-1239 ई. (विक्रम संवत्1296)
जन्मस्थान-जोधपुर जिले के फलोदी में कोलू / कोलूमंड गाँव
मृत्यु-विक्रम संवत् 1233 (37 वर्ष)
मृत्युस्थान-देचूँ गाँव
पूरा नाम-वीर पाबूजी महाराज ,ऊँटों का देवता, गौ रक्षक
अन्य नाम-देवता, लक्ष्मण जी का अवkतार, हाङ फाङ देवता, मेहर जाति के मुसलमान,पीर, प्लेग रक्षक देवता ।
पिता का नाम -श्री धाँधलजी राठौङ
माता-श्रीमती 'कमला दे'
राजवंश-राठौङ
धर्म-हिन्दू
पत्नी-श्रीमती सुपियार/फुलमदे
पाबूजी की घोङी-केसर कालमी
बहनें-सोनल बाई और पेमल बाई
भाई-बूडोजी
पांच साथी-सरदार चांदोजी, हरमल जी राइका, सावंतजी, डेमाजी, सलजी सोलंकी ।
प्रसिद्धि-लोक देवता, गौ रक्षक, वीर योद्धा
पाबूजी का जन्म कब हुआ - Pabuji Ka Janm Kab Hua
राठौङ राजवंश के पाबूजी राठौड़ का जन्म 1239 ईस्वी 13 वीं शताब्दी में फलौदी (जोधपुर) के निकट कोलूमण्ड गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम धाँधलजी राठौङ तथा माता का नाम 'कमला दे' था। ये राठौड़ों के मूल पुरुष 'राव सीहा' के वंशज थे। धांधल जी के चार संतानें थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्र - पाबूजी व बूडोजी थे तथा बहनें - सोनल बाई और पेमल बाई थी। आना बघेला जैसे शक्ति संपन्न शासक के भगोड़े सात थोरी- भाईयों (चांदा, देवा, खापू, पेमा, खलमल, खंधार और चासल) को पाबू ने आश्रय देकर उनकी रक्षा की।
पाबूजी का विवाह - Pabuji Ka Vivah
पाबूजी का विवाह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढ़ा की पुत्री सुप्यार से हुआ था। पाबूजी के बहनोई नागौर के राजा जिंदराव खींची था। पाबूजी व जिंदराव खींची की आपस में बनती नहीं थे। जब इनका विवाह हो रहा था तब उनके बहनोई जिंदराव खींची ने विवाह में विघ्न डाला।
खींची ने अपनी पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए देवल चारणी की गायों को घेर लिया। देवल चारणी ने गायों को छुड़वाने के लिए मदद मांगी थी, जब गाय छुडवाने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ तो उन्होंने पाबूजी से सहायता मांगी। तब पाबूजी अपने चौथे फेरे के बीच से ही उठकर अपने बहनोई जायल के जीन्दराव खींची से देवल चारणी (जिसकी केसर कालमी घोङी ये माँग कर लाए थे) की गायें छुङाने के लिए अपने साथियों के साथ रवाना हुए।
पाबूजी का राजपूत होने के नाते क्षत्रिय धर्म था, कि वे प्रजा की सेवा करे। पाबूजी और जिंदराव खींची के बीच 1276 ई. में युद्ध हुआ था। देचूँ गाँव में युद्ध करते हुए पाबूजी वीर गति को प्राप्त हो गये तथा उनके सैनिक साथी लोग भी शहीद हो गए। अतः इन्हें 'गौ-रक्षक देवता' के रूप में पूजा जाता है। पाबूजी को सम्मान देने के लिए राजस्थान में चौथे फेरे के बाद ही विवाह सम्पन्न माना जाता है।
पाबूजी की फड़ - Pabuji Ki Phad
पाबूजी की फङ 'रात्रि जागरण' की तरह होती है, यह फङ मध्य रात्रि तक चलती है। फङ के मुख्य कलाकार भोपे - भोपियाँ होते हैं जो पाबूजी के भजन गाते हैं व नृत्य करते हैं।
ऊंटों के देवता - Camel Ka Devta
जब कभी क्षेत्रीय लोगों के ऊँट हो जाते है तो ऊँट के मालिक पाबूजी के सामने शरणागत होते हैं। बाद में जब पाबूजी के आशीर्वाद से ऊँट स्वस्थ हो जाता है, तो इसी खुशी में क्षेत्रीय लोग पार चं ऊँटों के देवता' के रूप में पाबूजी की विशेष मान्यता है। कहा
1.पाबूजी का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर - पाबूजी का जन्म 1239 ई. (विक्रम संवत् 1296) में जोधपुर जिले के फलोदी में कोलू/कोलूमंड गाँव में हुआ था।
प्र. 2 पाबूजी के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर - श्री धाँधलजी राठौङ
प्र. 3 पाबूजी के माता का नाम क्या था ?
उत्तर - श्रीमती 'कमला दे'
प्र. 4 पाबूजी की प्रिय घोङी का नाम क्या था ?
उत्तर - केसर कालमी
प्र. 5 पाबूजी की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर - फूलमदे
प्र. 6 पाबूजी महाराज ने किस औरत को उसकी रक्षा के लिए वचन दिया था ?
उत्तर - पाबूजी महाराज ने देवल चारणी नाम की औरत को अपनी घोङी देने के बदले में उनकी रक्षा का वचन दिया था।
प्र. 7 पाबूजी के पांच साथी कौन-कौन थे ?
उत्तर 1 पांच साथी सरदार चांदोजी, हरमल जी सावंतजी, डेमाजी, सलजी सोलंकी ।
8.किस लोकदेवता को 'ऊँटों का देवता' कहा
जाता है ?
उत्तर - लोकदवेता पाबूजी राठौङ को
प्र. 9 किसने देवल चारणी की गायों को चुरा था ?
उत्तर - पाबूजी के बहनोई जिंदराव खींची ने
प्र. 10 मारवाङ में ऊँट (साण्डे) को लाने का श्रेय किसको जाता है ?
उत्तर - पाबूजी को
'11.पाबूजी की फङ' किस वाद्ययंत्र की सहायता
से बाँची जाती है ?
उत्तर - पाबूजी की फङ को नायक जाति के भोपों द्वारा 'रावणहत्था' वाद्ययंत्र के साथ बाँची जाती है।
प्र. 12 पाबूजी का पूजा-स्थल कहाँ है ?
उत्तर - जोधपुर के कोलूमण्ड गांव (फलोदी) में
प्र. 13 लोकदेवता पाबूजी को वार्षिक मेला कहाँ लगता है ?
उत्तर राजस्थान के जोधपुर जिले के कोलूमंड में चैत्र महीने की अमावस्या को पाबूजी का वार्षिक मेला लगता
है।
प्र. 14 पाबूजी की मृत्यु कब हुई थी ?
नहाने की अमावस्या को पाबूजी का वार्षिक मेला लगता
उत्तर - पाबूजी की मृत्यु विक्रम संवत् 1233 को देचूँ गाँव में हुई थी।
प्र. 15 पाबूजी की समाधि कहाँ बनी हुई है ?
उत्तर - पाबूजी की समाधि देचूँ गांव में बनी हुई है
राम राम सा 🙏🙏🙏
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