न मंत्रं न यंत्रम् I Uncover the Divine Forgiveness Hymn | Durga Stuti Prarthna
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- Опубликовано: 8 сен 2024
- देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् - Na Mantram No Yantram
Durga Devi Apraadh Kshamaapan Stotram by Adi Shankaracharya
Welcome to our channel! In this video, we present the powerful and heartfelt "देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्" (Devyapraadhkshamaapan Stotram) composed by the great sage Adi Shankaracharya. This sacred hymn is a profound plea for forgiveness from the Divine Mother, seeking her grace and compassion for all our known and unknown transgressions.
Adi Shankaracharya ka likha bada hi sundar kshama stotra hai... Wey Devi se kshama yaachna karte hue kahte hain...
माँ! मैं न मन्त्र जानता हूँ, न यन्त्र; मुझे स्तुतिका भी ज्ञान नहीं है। न आवाहनका पता है, न ध्यानका। स्तोत्र और कथाकी भी जानकारी नहीं है। न तो तुम्हारी मुद्राएँ जानता हूँ और न मुझे व्याकुल होकर विलाप करना ही आता है; परंतु एक बात जानता हूँ, केवल तुम्हारा अनुसरण, तुम्हारे पीछे चलना ही सभी क्लेशों का, समस्त दुःख विपत्तियोंको हर लेता है ॥१॥
सबका उद्धार करनेवाली कल्याणमयी माता! मैं पूजाकी विधि नहीं जानता, मेरे पास धनका अभाव है, मैं आलसी भी हूँ तथा मुझसे ठीक- ठीक पूजा नहीं होती; इन कारणोंसे तुम्हारी सेवामें मुझसे जो त्रुटि हुई है, उसे क्षमा करना; क्योंकि पुत्रका कुपुत्र हो सकता है, किंतु माता कभी कुमाता नहीं होती ॥२॥
माँ। इस पृथ्वीपर तुम्हारे सीधे-सादे पुत्र तो बहुत-से हैं, किंतु उन सबमें मेरे-जैसा चंचल कोई विरला ही होगा। शिवे! मेरा जो यह त्याग हुआ है, यह तुम्हारे लिये कदापि उचित नहीं है; क्योंकि संसारमें कुपुत्रका होना सम्भव है, किंतु कहीं भी कुमाता नहीं होती ॥३॥
जगदम्ब ! मातः । मैंने तुम्हारे चरणोंकी सेवा कभी नहीं की, देवि ! तुम्हें अधिक धन भी समर्पित नहीं किया; तथापि मुझ जैसे अधमपर जो तुम अनुपम स्नेह करती हो, इसका कारण यही है कि संसारमें कुपुत्र पैदा हो सकता है, किंतु कहीं भी कुमाता नहीं होती ॥४॥
गणेशजीको जन्म देनेवाली माता पार्वती! अन्य देवताओंकी आराधना करते समय मुझे नाना प्रकारकी सेवाओंमें व्यग्र रहना पड़ता था, इसलिये पचासी वर्षसे अधिक अवस्था बीत जानेपर मैंने देवताओंको छोड़ दिया है, अब उनकी सेवा-पूजा मुझसे नहीं हो पाती; अतएव उनसे कुछ भी सहायता मिलनेकी आशा नहीं है। इस समय यदि तुम्हारी कृपा नहीं होगी तो मैं अवलम्बरहित होकर किसकी शरणमें जाऊँगा ॥५॥
माता अपर्णा ! तुम्हारे मन्त्रका एक अक्षर भी कानमें पड़ जाय तो उसका फल यह होता है कि मूर्ख चाण्डाल भी मधुपाकके समान मधुर वाणीका उच्चारण करनेवाला उत्तम वक्ता हो जाता है, दीन मनुष्य भी करोड़ों स्वर्ण-मुद्राओंसे सम्पन्न हो चिरकालतक निर्भय विहार करता रहता है। जब मन्त्रके एक अक्षरके श्रवणका ऐसा फल है तो जो लोग विधिपूर्वक जपमें लगे रहते हैं, उनके जपसे प्राप्त होनेवाला उत्तम फल कैसा होगा? इसको कौन मनुष्य जान सकता है ॥ ६ ॥
भवानी! जो अपने अंगोंमें चिताकी राख भभूत लपेटे रहते हैं, जिनका विष ही भोजन है, जो दिगम्बरधारी हैं, मस्तकपर जटा और कण्ठमें नागराज वासुकिको हारके रूपमें धारण करते हैं तथा जिनके हाथमें कपाल शोभा पाता है, ऐसे भूतनाथ पशुपति भी जो एकमात्र 'जगदीश' की पदवी धारण करते हैं, इसका क्या कारण है? यह केवल तुम्हारे पाणिग्रहणकी परिपाटीका फल है; तुम्हारे साथ विवाह होनेसे ही उनका महत्त्व बढ़ गया ॥ ७ ॥
मुखमें चन्द्रमाकी शोभा धारण करनेवाली माँ! मुझे मोक्षकी इच्छा नहीं है, संसारके वैभवकी भी अभिलाषा नहीं है; न विज्ञानकी अपेक्षा है, न सुखकी आकांक्षा; अतः तुमसे मेरी यही याचना है कि मेरा जन्म 'मृडानी, रुद्राणी, शिव, शिव, भवानी'- इन नामोंका जप करते हुए बीते ॥ ८ ॥
माँ श्यामा ! कभी विधिपूर्वक तुम्हारी आराधना मुझसे न हो सकी। सदा कठोर भावका चिन्तन करनेवाली मेरी वाणीने कौन-सा अपराध नहीं किया है। फिर भी तुम स्वयं ही प्रयत्न करके मुझ अनाथपर जो किंचित् कृपादृष्टि रखती हो, माँ! यह तुम्हारे ही योग्य है। तुम्हारी-जैसी दयामयी माता ही मेरे-जैसे कुपुत्रको भी आश्रय दे सकती है ॥ ९ ॥
माता दुर्गे। करुणासिन्धु महेश्वरी! मैं विपत्तियोंमें फैसकर आज जो तुम्हारा स्मरण करता हूँ
[पहले कभी नहीं करता रहा] इसे मेरी शठता न मान लेना; क्योंकि भूख-प्याससे पीड़ित बालक माताका ही स्मरण करते हैं ॥ १०॥
जगदम्ब ! मुझपर जो तुम्हारी पूर्ण कृपा बनी हुई है, इसमें आश्चर्यकी कौन- सी बात है,
पुत्र अपराध-पर-अपराध क्यों न करता जाता हो, फिर भी माता उसकी उपेक्षा नहीं करती ॥ ११ ॥
महादेवि ! मेरे समान कोई पातकी नहीं है और तुम्हारे समान दूसरी कोई पापहारिणी नहीं है;
ऐसा जानकर जो उचित जान पड़े, वह करो ॥ १२॥
About Devyapraadhkshamaapan Stotram:
- Composer: Adi Shankaracharya, the great philosopher and theologian of Advaita Vedanta.
- Theme: Total surrender and seeking forgiveness from the Divine Mother.
- Language: Sanskrit with English transliteration and meaning.
Key Benefits of Chanting :
- Purifies the mind and heart
- Brings peace and serenity
- Invokes divine grace and forgiveness
- Enhances spiritual growth and self-realization
Stotram Highlights:
In this Durga Stotram the devotee confesses their sins and mistakes, pleading with the Divine Mother, Devi Durga for pardon and mercy. It acknowledges human frailty and the compassionate nature of the Divine.
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सबसे बड़ी सरकार जगत जननी जगदम्बा जय कारा शेरावाली दा कुलदेवी मडा़ज माता की जय 🙏🙏
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Jàu. Mata. Di
@@santoshgolwara311 🙏🙏🙏
Jai Devi 🙏 Radhe Radhe 🙏 Jai Shree Ram 🙏
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Jay Mata Laxmi mata 🥶🥶🥶🥶🥶🥶🥶🥶🥶🙉🙉🤖🤖🤖🤖🤖☠️💀👻🐣🐤🐥🦆🦩🦚🐟🐠🐡🐡
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Jai Mata Di. GODDESS DURGA MATA JI please forgive us for all my mistakes.🛕🔔🕉️🪷🥥🚩🪔🙏.
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Jai Mata di 🙏 🙏
जय जय अंबे ! जय जगदम्बिके !! 🙏🙏🙏
Jai Jai Maa Laxmi ji
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏
जय श्री राम जय श्री कृष्ण।
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
जय माता की
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🕉🙏🌹 Jai Mata di 🙏🌹🙏
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
Jai Ma Laxmiji
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Jai Ho Matha Rani, Jai Ho Maa Durga, Dhanyavaad, Thank You Maa
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
जय श्री गणेश भगवान 🪔 जय मां भगवती दुर्गा 🪔🍎🌹🙏🙏 जय भोलेनाथ 🪔🌿🪔🙏🙏 जय श्री लक्ष्मीनारायण 🪔🌹🙏🙏 जय हो सर्व देवी देवों 🪔🌹🍎🙏🙏🙏
जय जय अंबे ! जय जगदम्बिके !! 🙏🙏🙏
Om namah shakti shivaye❤❤
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
गुरु जी प्रणाम
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🚩♥️♥️🙏🏻जय जय श्री शिवशक्ती जी🙏🏻♥️♥️🚩
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बहुत बहुत अच्छा स्त्रोत👌
Thankyou so much गुरु जी🙏🏻
God bless You & Your Family 🙏🏻♥️
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Aum shree Laxmi mata ya namo namaha
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
L@@CulturalStoriesOfIndia
Jai Mata Rani. Than You.
Om Namo Bhagvate Vasudevay.
Thank Universe. Har Har Mahadev.
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Jai matadi
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यह शिखरिणी छंद में लिखा गया है,इसे पढ़ने में शीघ्रता न करें।छंद के लक्षण को ध्यान में रखकर स्थिरता पूर्वक पाठ करें तो अच्छा रहेगा।जय मां दुर्गा।जय श्रीराम।
यदि कोई त्रुटि हुई है तो क्षमा चाहेंगे 🙏 इसे गानेवाली भक्त संस्कृत की ज्ञानी नहीं, मध्यम वर्ग की सामान्य सी कन्या हैं। इस स्तोत्र को लोक परंपरा में भजन की तरह गाने का जो चलन है, वहीं से, अपनी नानी-दादी, माता-पिता, सगे संबंधियों से उन्होंने ये सीखा है और गाती हैं.
माता जी से हम प्रार्थना करेंगे कि वो हमें ज्ञान दें, ताकि हम अज्ञानी पुत्र-पुत्रियों से ऐसी त्रुटियाँ न हों 🙏 यही इस स्तोत्र का भी भाव है..
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि में "शब्दहीनं" "मात्राहीनं" "छंदहीनं" भी जोड़ कर हम देवी से क्षमा याचना करते हैं 🙏
आप जैसे ज्ञानी, गुणीजनों का ये स्नेह बना रहे, आप मार्गदर्शन करते रहें, हम त्रुटियाँ सुधारने का पूरा प्रयास करेंगे 🙏
jai mata rani
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
Thank You
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Meri galti ko maf kr dijiye baba 🙏🌹
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Jai mata di 🙏🌹🚩🌺❤
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Please don't mind it is shikharini Chand mantra bhang correct pronunciation must be corrected
🙏 Margdarshan karte rahein.
Is Vasant Tilika Chhand portion Okay?
Please record and share. Shall share it with the girl.
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
Hari om 🙏🏻🙏🏻please iski meaning bataye🙏🏻🙏🏻
Avashya...Sheeghra ek video banaakar daalta hoon. जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !! 🙏🙏🙏
@@CulturalStoriesOfIndia Thank you so much 🙏🏻🙏🏻
@@simranlulla5658 🙏🙏
सबसे बड़ी सरकार जगत जननी जगदम्बा जय कारा शेरावाली दा कुलदेवी मालादेवी माता की जय 🙏🙏
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Jai Ma Laxmiji
Jay He Maa!!🙏🙏
Jai Mata di
जय जय अंबे ! जय जय जगदम्बे !!🙏🙏🙏