श्री गोवर्धन की शिखरतेहो मोहन दीनी टेर बड़ी दानलीला स्वर श्री विठ्ठलदास बापोदरा कु.वैशाली त्रिवेदी
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- Опубликовано: 20 сен 2024
- श्री गोवर्धन की शिखरतेहो मोहन दीनी टेर बड़ी दानलीला स्वर श्री विठ्ठलदास बापोदरा कु.वैशाली त्रिवेदी दानलीला की जात ताल धमार
हाँ ...
श्री गोवर्धन की शिखरतेहो मोहन दीनी टेर
अंत रंगसो कहत हे सब अंत रंगसो कहत हे सब
ग्वालिन राखो घेर अहो सब ग्वालिन राखो घेर नागरी दान दे
तुम नंद महर के लाल
अहो रानी जशोमती प्रान आधार अहो सखी देवनके प्रतिपाल
अहो ढोटा काहेको बढ़ावत राग
मोहन जान दे जान दे जान दे जान दे . तुम नंद महर के लाल मोहन जान दे
ग्वालिन रोकी ना रहे हे ग्वाल रहे पचहार
अहो गिरिधारी दौरियो अहो गिरिधारी दौरियो
सो कहयो न मानत गवार अहो सो कह्यो न मानत गवार
नागरी दान दे ||१||
वृषभान नृपत की बाल अहो रानी कीर्ति प्राण आधार अहो सब सखियन की शीरधार अहो तेरे चंचल नयन विशाल
अहो तेरो दानी श्री नंदकुमार नागरी दान दे
दान दे दान दे दान दान दे दान दे दान दे ||
वृषभान नृपत की बाल नागरी दान दे ||२ ||
चली जात गोरस मदमाती मानों सुनत नहीं कान
दौरि आये मन भावसे सो दौरी आये मन भावसे सो
रोकी अंचल तान अहो सो तो रोकी अंचल तान
नागरी दान दे ||३ ||
एक भुजा कंकन गहै एक भुजा गही चीर ||
दान लेन ठाडे भये हे .. दान लेन ठाडे भये हे
गहवर कुंज कुटीर अहो प्यारे गहवर कुंज कुटीर
नागरी दान दे ||४ ||
बहुत दिना तुम बच गई हो दान हमारौ मार ||
आज नई आज लैहों आपनो हो आज हों लैहों आपनो
दिन दिन कौ दान संभार अहो दिन दिनकौ दान संभार
नागरी दान दे ||५ ||
रसनिधान नव नागरी हो निरख बचन मृदु बोल
क्यों मु रि ढाढ़ी होत है क्यों मु रि ढाढ़ी होत है
घूँघट पट मुख खोल अहो प्यारी घूँघट पट मुख खोल
नागरी दान दे ||६ ||
हरख हियें हरि करखिकें हो मुखतें नील निचोल ||
पूरन प्रगट्यो देखिये हो पूरन प्रगट्यो देखिये
पूरन प्रगट्यो देखिये मानो चंद घटाकी ओल
अहो मानो चंद घटाकी ओल नागरी दान दे ||७||
ललित वचन समुदित भये नेति नेति यह बैन || उर आनंद..हां... उर आनंद अति ही बढ्यो सो चलती सुफल भये मिलि नैन अहो
सुफल भये मिलि नैन नागरी दान दे
तुम नंद महर के बाल
अहो रानी जसुमति प्राण आधार || नागरी दान दे ||८||
गोपी :यह मारग हम नित गई हो कबहूँ सुन्यौ नहीं कान ||
आज नई यह होत है लाला आज नई यह होत है लाला
मांगत गोरस दान सु नो लाला
मांगत गोरस दान मोहन जान दे ||९ ||
लाला: तुम नविन नव नागरी हो नूतन भूषण अंग ||
नयौ दान हम मांगनौ सो नयौ दान हम मांगनौ सो
नयौ बन्यौ यह रंग अहो प्यारी नयौ बन्यौ यह रंग
नागरी दान दे ||१० ||
गोपी :चंचल नयन निहारि ये हो अति चंचल मृदु बैन ||
कर नहीं चंचल कीजिये कर कर नहीं चंचल
किजिये तजी .. अंचल चंचल नैन अहो त जी
अंचल चंचल नैन अंचल चंचल नैंन मोहन जान दे ||११ ||
लाला :सुन्दरता सब अंग की हो बसनन राखी गोय ||
निरख निरख छबी लाडिली
निरख निरख छबी लाडिली मेरो
मन आकर्षित होय अहो मेरो मन आकर्षित होय
नागरी दान दे ||१२ ||
लाला :लै लकुटी ले लकुटी ठाडे रहे जान सांकरी खोर ||
मुसकित गौरी लायकें सौं मुसकि गौरी लायकें हो सौं
सकत न लई रति जोर अहो मोसों सकत न लई रति जोर . नागरी दान दे ||१३ ||
गोपी नेंक दूरी ठाडे रहो कछू और सकुचाय
कहा कियौ मन भांवते मेरे कहा कियौ मन भांवते मेरे
अंचल पीक लगाय अहो मेरे अंचल पीक लगाय
मोहन जान दे ||१४ ||
लाला: कहा भयौ अंचल लगी पीक हमारी जाय ||
याके बदलें ग्वालिनी मेरे याके बदलें ग्वालिनी मेरे
नयनन पीक लगाय अहो मेरे नयनन पीक लगाय
नागरी दान दे ||१५ ||
गोपी :सुधे बचनन मांगिये हो लालन गोरस दान ||
भ्रोंहन भेद जनाय कें सो भ्रोंहन भेद जनाय कें सो
कहत आन की आन
अहो लाल कहत आन की आन मोहन जान दे ||१६ ||
लाला :जेसे हम कछु कहत हैं ऐसी तुम कहि लेहु ||
मनमाने सो कीजिये मनमाने सो मनमाने सो कीजिये पर
दान हमारो देहु अहो प्यारी दान हमारो देहो
नागरी दान दे ||१७ ||
गोपी :कहा भरें हम जात हैं दान जो मांगत लाल ||
भई अवार घर जान दे सो भई अवार घर जान दे सो
छांड अटपटी चाल अहो प्यारे छांड अटपटी चाल
मोहन जान दे ||१८ ||
દાનલીલા નું ખૂબ જ ખૂબ જ ખૂબ જ સુંદર પદ સાંભળીને દાનલીલા ની અંદર મગ્ન થઈ જવાય તેવું છે જય શ્રી કૃષ્ણ
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No word's to say to common people it's just a song for pusti jiv it's Nitya Leela no words just tears of happiness 🙏🏻 and dandvat to Shri Hari Ray ji 🙏🏻
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જય શ્રી કૃષ્ણ🙏🌹🙏
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❤very nice❤
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Aati sunder jai ho dani
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Jay shreekrushna bhai evam khub khub vadhai
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Dan bihari lal ki jay ho
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Jayshri krushn.
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