सरकार की बात है नितीश कुमार जी दहेज़ की मांग खत्म करना पड़ेगा ठिक है मंत्री मदल में कुर्सी बनाये दहेज़ खत्म करे नितीश कुमार जी बिहारगरिबआदरयोजनाचालुकरदेजीयेठीक हैं कलाश हैं 6ठीक है
चाहिए, लड़का और लड़की दोनों ही अमूल्य होते हैं| कहानी - एक बार श्रीकृष्ण पर ये आरोप लगा कि उन्होंने स्यमंतक मणि चुराई है और जिस सत्राजित की वो मणि थी, उसके भाई प्रसेनजित की हत्या कर दी है। श्रीकृष्ण पर चोर और हत्यारा होने का कलंक लग गया था। श्रीकृष्ण ने जंगल जाकर वो मणि खोज ली थी। एक शेर प्रसेनजित को मारकर खा चुका था। जामवंत से श्रीकृष्ण मणि लेकर आए और सत्राजित को सौंप दी। सत्राजित द्वारिका के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वे सूर्य देव के उपासक थे। सूर्यदेव ने सत्राजित से प्रसन्न होकर स्यमंतक मणि दी थी। ये मणि हर रोज 20 तोला सोना देती थी। श्रीकृष्ण ने वो मणि राजकोष के लिए मांगी थी, लेकिन सत्राजित ने मणि के लिए मना कर दिया था। इस वजह से मणि खोने पर सत्राजित को श्रीकृष्ण पर संदेह हुआ था। जब श्रीकृष्ण ने मणि लौटाई तो सत्राजित को अपनी गलती पर पछतावा हुआ था। सत्राजित ने श्रीकृष्ण से कहा, 'मुझसे भूल हो गई है। मैं भूल का प्रायश्चित करना चाहता हूं। मेरी एक बेटी है सत्यभामा, मैं चाहता हूं कि आप उससे विवाह कर लें। मैं ये मणि आपको दहेज में दूंगा।' श्रीकृष्ण ने कहा, 'विवाह तो मैं सत्यभामा से कर लूंगा, लेकिन मैं मणि दहेज में नहीं लूंगा।' अगर विवाह प्रसंग में धन अधिक महत्वपूर्ण हो जाए तो विवाह संबंध गड़बड़ा सकते हैं। दहेज एक ऐसी बीमारी है जो समाज में कई परिवारों को बर्बाद कर देती है। श्रीकृष्ण दहेज विरोधी थे। सीख - हमारे समाज में आज भी जहां दहेज का लेन-देन हो रहा है, वहां इस प्रथा को बंद करना चाहिए। न तो कन्या का कोई मोल है और न ही पुत्र का। विवाह संबंध समझ से और समानता से होना चाहिए, न कि दहेज की सौदेबाजी से।
Hoeihae wohi Jo Ram ravchi rakha jiodi bhagwan banaker bhejte hae ham sab madhyam hae shukh air dhukh karymo SAE Tay HOTA hae ajkel free vivah ho rahe Sarkar sabke liyae nagad taken detae hae muyft shiykyxa ayatmnirbhar banae shilaei laghu work Kar rahe Gopal
माहात्म्य अध्याय - 31 भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - पूर्वकाल में अवन्तिपुरी (उज्जैन)में धनेश्वर नामक एक ब्राह्मण रहता था।वह रस, चमड़ा और कम्बल आदि का व्यापार करता था। वह वैश्यागामी और मद्यपान आदि बुरे कर्मों में लिप्त रहता था। चूंकि वह रात-दिन पाप में रत रहता था इसलिए वह व्यापार करने नगर-नगर घूमता था। एक दिन वह क्रय-विक्रय के कार्य से घूमता हुआ महिष्मतीपुरी में जा पहुंचा जो राजा महिष ने बसाई थी। वहाँ पापनाशिनी नर्मदा सदैव शोभा पाती है। उस नदी के किनारे कार्तिक का व्रत करने वाले बहुत से मनुष्य अनेक गाँवों से स्नान करने के लिए आये हुए थे। धनेश्वर ने उन सबको देखा और अपना सामान बेचता हुआ वह भी एक मास तक वहीं रहा। वह अपने माल को बेचता हुआ नर्मदा नदी के तट पर घूमता हुआ स्नान, जप और देवार्चन में लगे हुए ब्राह्मणों को देखता और वैष्णवों के मुख से भगवान विष्णु के नामों का कीर्तन सुनता था। वह वहाँ रहकर उनको स्पर्श करता रहा, उनसे बातचीत करता रहा। वह कार्तिक के व्रत की उद्यापन विधि तथा जागरण भी देखता रहा। उसने पूर्णिमा के व्रत को भी देखा कि व्रती ब्राह्मणों तथा गऊओं को भोजन करा रहे हैं, उनको दक्षिणा आदि भी दे रहे हैं। उसने नित्य प्रति भगवान शंकर की प्रसन्नता के लिए होती दीपमाला भी देखी। त्रिपुर नामक राक्षस के तीनों पुरों को भगवान शिव ने इसी तिथि को जलाया था इसलिए शिवजी के भक्त इस तिथि को दीप-उत्सव मनाते हैं। जो मनुष्य मुझमें और शिवजी में भेद करता है, उसकी समस्त क्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं। इस प्रकार नर्मदा तट पर रहते हुए जब उसको एक माह व्यतीत हो गया तो एक दिन अचानक उसे किसी काले साँप ने डस लिया। इससे विह्वल होकर वह भूमि पर गिर पड़ा। उसकी यह दशा देखकर वहाँ के दयालु भक्तों ने उसे चारों ओर से घेर लिया और उसके मुँह पर तुलसीदल मिश्रित जल के छींटे देने लगे। जब उसके प्राण निकल गये तब यमदूतों ने आकर उसे बाँध लिया और कोड़े बरसाते हुए उसे यमपुरी ले गये। उसे देखकर चित्रगुप्त ने यमराज से कहा - इसने बाल्यावस्था से लेकर आज तक केवल बुरे कार्य ही हैं इसके जीवन में तो पुण्य का लेशमात्र भी दृष्टिगोचर नहीं होता। यदि मैं पूरे एक वर्ष तक भी आपको सुनाता रहूँ तो भी इसके पापों की सूची समाप्त नहीं होगी। (श्रीजी की चरण सेवा" की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज से जुड़े रहें) यह महापापी है इसलिए इसको एक कल्प तक घोर नरक में डालना चाहिए। चित्रगुप्त की बात सुनकर यमराज ने कुपित होकर कालनेमि के समान अपना भयंकर रुप दिखाते हुए अपने अनुचरों को आज्ञा देते हुए कहा - हे प्रेत सेनापतियों! इस दुष्ट को मुगदरों से मारते हुए कुम्भीपाक नरक में डाल दो। सेनापतियों ने मुगदरों से उसका सिर फोड़ते हुए कुम्भीपाक नरक में ले जाकर खौलते हुए तेल के कड़ाहे में डाल दिया। प्रेत सेनापतियों ने उसे जैसे ही तेल के कड़ाहे में डाला, वैसे ही वहाँ का कुण्ड शीतल हो गया ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार पूर्वकाल में प्रह्लादजी को डालने से दैत्यों की जलाई हुई आग ठण्डी हो गई थी। यह विचित्र घटना देखकर प्रेत सेनापति यमराज के पास गये और उनसे सारा वृत्तान्त कहा। सारी बात सुनकर यमराज भी आश्चर्यचकित हो गये और इस विषय में पूछताछ करने लगे। उसी समय नारदजी वहाँ आये और यमराज से कहने लगे - सूर्यनन्दन! यह ब्राह्मण नरकों का उपभोग करने योग्य नही है। जो मनुष्य पुण्य कर्म करने वाले लोगों का दर्शन, स्पर्श और उनके साथ वार्तालाप करता है, वह उनके पुण्य का छठवाँ अंश प्राप्त कर लेता है। यह धनेश्वर तो एक मास तक श्रीहरि के कार्तिक व्रत का अनुष्ठान करने वाले असंख्य मनुष्यों के सम्पर्क में रहा है। अत: यह उन सबके पुण्यांश का भागी हुआ है। इसको अनिच्छा से पुण्य प्राप्त हुआ है इसलिए यह यक्ष की योनि में रहे और पाप भोग के रुप में सब नरक का दर्शन मात्र कर के ही यम यातना से मुक्त हो जाए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - सत्यभामा! नारदजी के इस प्रकार कहकर चले जाने के पश्चात धनेश्वर को पुण्यात्मा समझते हुए यमराज ने दूतों को उसे नरक दिखाने की आज्ञा दी।
बहुत ही सुन्दर नाटक है।यह तो प्रेरणादायक है।आशा है समा पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
M
To
07@@kavitakumari8098
अगर लड़के वाले दहेज कि मांग छोड़कर लड़कियों की पढ़ाई की डिग्री की मांग करे तो माता पिता दहेज की जगह लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने की चिंता करेंगे।
😊😊😊
Esh natak. Ne bilkul yathrath Uttar diya heà 👌👌🙏🙏
Very good film
Nice v
Bahut sunder story
सरकार की बात है नितीश कुमार जी दहेज़ की मांग खत्म करना पड़ेगा ठिक है मंत्री मदल में कुर्सी बनाये दहेज़ खत्म करे नितीश कुमार जी बिहारगरिबआदरयोजनाचालुकरदेजीयेठीक हैं कलाश हैं 6ठीक है
चाहिए, लड़का और लड़की दोनों ही अमूल्य होते हैं|
कहानी - एक बार श्रीकृष्ण पर ये आरोप लगा कि उन्होंने स्यमंतक मणि चुराई है और जिस सत्राजित की वो मणि थी, उसके भाई प्रसेनजित की हत्या कर दी है। श्रीकृष्ण पर चोर और हत्यारा होने का कलंक लग गया था।
श्रीकृष्ण ने जंगल जाकर वो मणि खोज ली थी। एक शेर प्रसेनजित को मारकर खा चुका था। जामवंत से श्रीकृष्ण मणि लेकर आए और सत्राजित को सौंप दी।
सत्राजित द्वारिका के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वे सूर्य देव के उपासक थे। सूर्यदेव ने सत्राजित से प्रसन्न होकर स्यमंतक मणि दी थी। ये मणि हर रोज 20 तोला सोना देती थी। श्रीकृष्ण ने वो मणि राजकोष के लिए मांगी थी, लेकिन सत्राजित ने मणि के लिए मना कर दिया था। इस वजह से मणि खोने पर सत्राजित को श्रीकृष्ण पर संदेह हुआ था।
जब श्रीकृष्ण ने मणि लौटाई तो सत्राजित को अपनी गलती पर पछतावा हुआ था। सत्राजित ने श्रीकृष्ण से कहा, 'मुझसे भूल हो गई है। मैं भूल का प्रायश्चित करना चाहता हूं। मेरी एक बेटी है सत्यभामा, मैं चाहता हूं कि आप उससे विवाह कर लें। मैं ये मणि आपको दहेज में दूंगा।'
श्रीकृष्ण ने कहा, 'विवाह तो मैं सत्यभामा से कर लूंगा, लेकिन मैं मणि दहेज में नहीं लूंगा।'
अगर विवाह प्रसंग में धन अधिक महत्वपूर्ण हो जाए तो विवाह संबंध गड़बड़ा सकते हैं। दहेज एक ऐसी बीमारी है जो समाज में कई परिवारों को बर्बाद कर देती है। श्रीकृष्ण दहेज विरोधी थे।
सीख - हमारे समाज में आज भी जहां दहेज का लेन-देन हो रहा है, वहां इस प्रथा को बंद करना चाहिए। न तो कन्या का कोई मोल है और न ही पुत्र का। विवाह संबंध समझ से और समानता से होना चाहिए, न कि दहेज की सौदेबाजी से।
5
1àà
Dahej Lobhiyon ko Sare aam fancy honi chahiye na ki jail esee sashu ka gardan kat dena chahiye
MC
Kahani aapki bahanji Bahut hi gam bhari h. He bhagwan beti de to dhan dolat de nahi to beti na de
Arti ka rol bhut accha
Han ji aap ji ka ek Dahej geet bahut Sundar bahut bahut Sundar hai main Ki Tarah na karta hun
अमीर को गरीब का दर्द नही पता उनको पैशा का मतलब है
9
😭💔💧
दहेज प्रथा बंद करो जो भी दहेज की मांग करें उसकी शिकायत कानून मैं करेl
🎉t0😊⁰ⁿ
@@ramkumersharma8327guuiikopjrtfujjjoghuy lo Addy
Very good video 🇳🇵 good morning
इस दहेज प्रथा के स्टोरी पर हमलोग भी नाटक के रूप में खेले है छठ पर्व में 21/11/2020 में
Iv
Ppppppppppp0pppppp0-g&ghncxstuoplb cdsetuuioooojhhhhhhhgdppppppppppppppopppppppppppppppppppppppppppppppppppoooopp0pppppppppppppppppppppppppppppppppppp
Nic
Anshu Rajput 6360921254
Hii
@@UpendarKumar-ee6pp te
@@UpendarKumar-ee6pp à
@@RajKumar-ge6bn 0tt0
Nice sunita singh
Nice story😪😩😭👨👩👧👍
CT
T6 hi by hu to by Cynthia ft by
O
Duniya sjn bhuat hi cm hota hai
Vahut hi sunder
मन खुश हो गया
S8ss8ddtsy
हे भगवान यदि बेटी दो तो धन और संपत्ति दो जिससे वह अपनी बेटी का विवाह अच्छी तरह से कर सके जय श्री राम राजा सरकार की जय हो
👍
LP l
Sanjay
Aaaa\aaaaaa\a
@@kjhghjk6159 jb mn
जय श्री राधे कृष्णा
C
अनप
tttt❤
Jey mata de
cy
दहेज मांगना बंद करो खुद लड़की बच जाएगी
Video Taf
@@mangalkushwaha9003 b
😊😊😊😅😮😮😮😅
.😅😢Ujm m
PP
ब्यूटी idea for
Very nice story
very nice one video
Very nice video
Ravi Kumar न
11years
2:36
3re
Bahut acha ji
Very nice video.
Verry verry Heart touching story😢😢😢😢😢
राम
जय हो
Very nice. Arvind Singh yadav
B
M
Gajb h yari don't Bari
Very nice👏👏👏👏👏
.
दहेज ना देनी ओर ना ही लेन चाहिए
Ok
Bahut hi dard bhara kisa
❤
Har chhar mai laxmi jaisibety jaroor daye
तुम ऊऊ थे 😍😄😄😋 श्रेणी 😊
He Bhawan sabko Batee ke sath dhan aur dhoulat sabhi ko
Very nice
बहुत ही अच्छा है
Sita ram
rajesh kumar very good
Very nice kahani Aapney gana gaya
Very nice rathaur cassette
Bhag 2 to banate bhai
सेंड हो गया
@@AjayPatel-qc6zb , ,
Dulhan hi dahej hai.
Vc
सीमा से बाहर निकलने से पहले
Best
वह कभी नहीं लेना चाहिए
Ati sundar
Panchlal
Hello how are you
Dahejeksamajikroghailekininsankoitnabhinirdayiaurlalchinahinhonachahiye. Verygoodabhinay. Dhanyawad
Yes
Very is nice
Nice story 🎊😍😘
Hoeihae wohi Jo Ram ravchi rakha jiodi bhagwan banaker bhejte hae ham sab madhyam hae shukh air dhukh karymo SAE Tay HOTA hae ajkel free vivah ho rahe Sarkar sabke liyae nagad taken detae hae muyft shiykyxa ayatmnirbhar banae shilaei laghu work Kar rahe Gopal
Ĺ
@@kantaprasd9022 p00
Gulab.kumar.
Ku
L
Nice video
Manjeet Bhadauria
दहेज लेना पाप नंदकिशोर सोनी
Deshraj
यू बी एमपी एक
W d
Ll
Jay ho g
Volvo ly
Gambhari. Kahani achchh hai
Dahej koi na le to ham bhi Nahi legege asa kanon hona chahe
दहेज माँग ने बाले को भीखमग्ना समछा जाय
Hi hello
.
.
Yy
Dhubanyi roto kyon Nahi
P
Aise SAS sasur Bhagwan Kisi Ko Na De Durgesh Kumar Kaushambi Uttar Pradesh
Nanhe
Good story
tanuja Kumari cr3es6
Mast
Aisa no kare
माहात्म्य
अध्याय - 31
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - पूर्वकाल में अवन्तिपुरी (उज्जैन)में धनेश्वर नामक एक ब्राह्मण रहता था।वह रस, चमड़ा और कम्बल आदि का व्यापार करता था। वह वैश्यागामी और मद्यपान आदि बुरे कर्मों में लिप्त रहता था। चूंकि वह रात-दिन पाप में रत रहता था इसलिए वह व्यापार करने नगर-नगर घूमता था। एक दिन वह क्रय-विक्रय के कार्य से घूमता हुआ महिष्मतीपुरी में जा पहुंचा जो राजा महिष ने बसाई थी। वहाँ पापनाशिनी नर्मदा सदैव शोभा पाती है। उस नदी के किनारे कार्तिक का व्रत करने वाले बहुत से मनुष्य अनेक गाँवों से स्नान करने के लिए आये हुए थे। धनेश्वर ने उन सबको देखा और अपना सामान बेचता हुआ वह भी एक मास तक वहीं रहा।
वह अपने माल को बेचता हुआ नर्मदा नदी के तट पर घूमता हुआ स्नान, जप और देवार्चन में लगे हुए ब्राह्मणों को देखता और वैष्णवों के मुख से भगवान विष्णु के नामों का कीर्तन सुनता था। वह वहाँ रहकर उनको स्पर्श करता रहा, उनसे बातचीत करता रहा। वह कार्तिक के व्रत की उद्यापन विधि तथा जागरण भी देखता रहा। उसने पूर्णिमा के व्रत को भी देखा कि व्रती ब्राह्मणों तथा गऊओं को भोजन करा रहे हैं, उनको दक्षिणा आदि भी दे रहे हैं। उसने नित्य प्रति भगवान शंकर की प्रसन्नता के लिए होती दीपमाला भी देखी।
त्रिपुर नामक राक्षस के तीनों पुरों को भगवान शिव ने इसी तिथि को जलाया था इसलिए शिवजी के भक्त इस तिथि को दीप-उत्सव मनाते हैं। जो मनुष्य मुझमें और शिवजी में भेद करता है, उसकी समस्त क्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं। इस प्रकार नर्मदा तट पर रहते हुए जब उसको एक माह व्यतीत हो गया तो एक दिन अचानक उसे किसी काले साँप ने डस लिया। इससे विह्वल होकर वह भूमि पर गिर पड़ा। उसकी यह दशा देखकर वहाँ के दयालु भक्तों ने उसे चारों ओर से घेर लिया और उसके मुँह पर तुलसीदल मिश्रित जल के छींटे देने लगे। जब उसके प्राण निकल गये तब यमदूतों ने आकर उसे बाँध लिया और कोड़े बरसाते हुए उसे यमपुरी ले गये।
उसे देखकर चित्रगुप्त ने यमराज से कहा - इसने बाल्यावस्था से लेकर आज तक केवल बुरे कार्य ही हैं इसके जीवन में तो पुण्य का लेशमात्र भी दृष्टिगोचर नहीं होता। यदि मैं पूरे एक वर्ष तक भी आपको सुनाता रहूँ तो भी इसके पापों की सूची समाप्त नहीं होगी। (श्रीजी की चरण सेवा" की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज से जुड़े रहें) यह महापापी है इसलिए इसको एक कल्प तक घोर नरक में डालना चाहिए। चित्रगुप्त की बात सुनकर यमराज ने कुपित होकर कालनेमि के समान अपना भयंकर रुप दिखाते हुए अपने अनुचरों को आज्ञा देते हुए कहा - हे प्रेत सेनापतियों! इस दुष्ट को मुगदरों से मारते हुए कुम्भीपाक नरक में डाल दो।
सेनापतियों ने मुगदरों से उसका सिर फोड़ते हुए कुम्भीपाक नरक में ले जाकर खौलते हुए तेल के कड़ाहे में डाल दिया। प्रेत सेनापतियों ने उसे जैसे ही तेल के कड़ाहे में डाला, वैसे ही वहाँ का कुण्ड शीतल हो गया ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार पूर्वकाल में प्रह्लादजी को डालने से दैत्यों की जलाई हुई आग ठण्डी हो गई थी। यह विचित्र घटना देखकर प्रेत सेनापति यमराज के पास गये और उनसे सारा वृत्तान्त कहा।
सारी बात सुनकर यमराज भी आश्चर्यचकित हो गये और इस विषय में पूछताछ करने लगे। उसी समय नारदजी वहाँ आये और यमराज से कहने लगे - सूर्यनन्दन! यह ब्राह्मण नरकों का उपभोग करने योग्य नही है। जो मनुष्य पुण्य कर्म करने वाले लोगों का दर्शन, स्पर्श और उनके साथ वार्तालाप करता है, वह उनके पुण्य का छठवाँ अंश प्राप्त कर लेता है। यह धनेश्वर तो एक मास तक श्रीहरि के कार्तिक व्रत का अनुष्ठान करने वाले असंख्य मनुष्यों के सम्पर्क में रहा है। अत: यह उन सबके पुण्यांश का भागी हुआ है। इसको अनिच्छा से पुण्य प्राप्त हुआ है इसलिए यह यक्ष की योनि में रहे और पाप भोग के रुप में सब नरक का दर्शन मात्र कर के ही यम यातना से मुक्त हो जाए।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - सत्यभामा! नारदजी के इस प्रकार कहकर चले जाने के पश्चात धनेश्वर को पुण्यात्मा समझते हुए यमराज ने दूतों को उसे नरक दिखाने की आज्ञा दी।
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al mare
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Hkingju
त
very nice husband aise he pati Hona chahiye sabka
😂😂😂 Dahej Pratha band karo yah bahut bura Aftab hai
द्वारा
good
Movie
Dr.Raju Chouhan ANNA. NUMBER. DO
Dr.Raju Chouhan
मधु
Madhu
@
Dahej Lena band karo
Very Laik
आई हुई
P6