पुण्य से जीवन में "सहारा" तो मिल जाता है लेकिन|| सूर्यमित्र मुनि की कथा || मुनि श्री विनम्रसागर जी

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  • Опубликовано: 3 фев 2025

Комментарии • 14

  • @Aaa15464
    @Aaa15464 26 дней назад

    Namostu maharaj ji 👏 👏

  • @Jain_200
    @Jain_200 26 дней назад

    Namostu gurudev 🙏🙏💯

  • @MyAccount-z1c
    @MyAccount-z1c 26 дней назад

    Namostu bhagwan 🙏🙏

  • @AJain-hj2kt
    @AJain-hj2kt 26 дней назад

    यही तो सच है जीवन का 🙏🙏

  • @AJain-hj2kt
    @AJain-hj2kt 26 дней назад

    नमोस्तु नमोस्तु गुरुदेव 🙏🙏❤

  • @sushmashah1391
    @sushmashah1391 26 дней назад +1

    Muni Shri Vinamra Sagar Ji Maharaj ji ke charno me mera or mere pariwar ka koti koti namostu namostu namostu namostu namostu 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @kanchanrawat7373
    @kanchanrawat7373 26 дней назад

    Namsto guru Ji

  • @rajmanisharma8173
    @rajmanisharma8173 14 дней назад

    Namostu namostu gurudev ji

  • @ashokjain153
    @ashokjain153 24 дня назад

    नमोस्तु गुरुदेव

  • @bhagwatisharma7270
    @bhagwatisharma7270 26 дней назад

    Pranam

  • @rikhabsankhala9992
    @rikhabsankhala9992 26 дней назад

    जीवन का वास्तविक सच है।

  • @MohanBafna
    @MohanBafna 25 дней назад +1

    कन्या पुण्यात्मा तो थी और मीठा बोलती थी जैसे ही उसकी शादी हुई पति का जीवन बदल गया वह राजा का मंत्री बन गया ,

  • @MohanBafna
    @MohanBafna 25 дней назад

    पुरुष संसार में है तो उसे पत्नी का सहारा चाहिए और संयम में रहे तो गुरु का सहारा चाहिए ,पत्नी बिना पति के रह लेगी लेकिन पुरुष पत्नी के बिना नहीं रह सकता , अगर लड़की को संस्कार नहीं दिए तो वह शादी के बाद जिस घर में जाएगी उसे बर्बाद कर देगी लेकिन मां समझ नहीं पाती और बिना संस्कार दिए विदा कर देती है ,आज के लड़के घर में क्या जवाब देते है माता पिता ने हमारे लिए क्या किया ,सारे फैसले वही करेंगे हम बड़े हो गए है हम भी फैसला लेने लायक हो गए ,लड़की मिली तो पुण्य से लेकिन पुण्यात्मा नहीं मिली ,

  • @MohanBafna
    @MohanBafna 25 дней назад

    आप लोग धन को लूटना ,लूटना समझते हो और समझदार लोग विश्वास के लूटने को लूटना समझते है ,पत्नी उस काल में अलग होती थी अभी इस पंचम काल में अलग है संस्कार नहीं है आज भौतिकता वादी में है ,जैनों के यहां कभी साधु के नहीं गए कभी मंदिर नहीं गए कभी आहार नहीं दिए कोई बात नहीं लेकिन संस्कार को बनाए रखना ,जब शादी नहीं हुई थी तब तक बारह घंटे कान में इयर फोन लगाकर बातें करते रहे अब शादी हो गई अब पति रात को बारह बजे आता है सो जाता है सुबह छः बजे निकल जाता ,क्यों ? घर में रहने की इच्छा नहीं होती ,पूरे परिवार का वर्णन रहना सहन संस्कार की ,पहनाव ओढ़ाव का ,