पुरुष संसार में है तो उसे पत्नी का सहारा चाहिए और संयम में रहे तो गुरु का सहारा चाहिए ,पत्नी बिना पति के रह लेगी लेकिन पुरुष पत्नी के बिना नहीं रह सकता , अगर लड़की को संस्कार नहीं दिए तो वह शादी के बाद जिस घर में जाएगी उसे बर्बाद कर देगी लेकिन मां समझ नहीं पाती और बिना संस्कार दिए विदा कर देती है ,आज के लड़के घर में क्या जवाब देते है माता पिता ने हमारे लिए क्या किया ,सारे फैसले वही करेंगे हम बड़े हो गए है हम भी फैसला लेने लायक हो गए ,लड़की मिली तो पुण्य से लेकिन पुण्यात्मा नहीं मिली ,
आप लोग धन को लूटना ,लूटना समझते हो और समझदार लोग विश्वास के लूटने को लूटना समझते है ,पत्नी उस काल में अलग होती थी अभी इस पंचम काल में अलग है संस्कार नहीं है आज भौतिकता वादी में है ,जैनों के यहां कभी साधु के नहीं गए कभी मंदिर नहीं गए कभी आहार नहीं दिए कोई बात नहीं लेकिन संस्कार को बनाए रखना ,जब शादी नहीं हुई थी तब तक बारह घंटे कान में इयर फोन लगाकर बातें करते रहे अब शादी हो गई अब पति रात को बारह बजे आता है सो जाता है सुबह छः बजे निकल जाता ,क्यों ? घर में रहने की इच्छा नहीं होती ,पूरे परिवार का वर्णन रहना सहन संस्कार की ,पहनाव ओढ़ाव का ,
Namostu maharaj ji 👏 👏
Namostu gurudev 🙏🙏💯
Namostu bhagwan 🙏🙏
यही तो सच है जीवन का 🙏🙏
नमोस्तु नमोस्तु गुरुदेव 🙏🙏❤
Muni Shri Vinamra Sagar Ji Maharaj ji ke charno me mera or mere pariwar ka koti koti namostu namostu namostu namostu namostu 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Namsto guru Ji
Namostu namostu gurudev ji
नमोस्तु गुरुदेव
Pranam
जीवन का वास्तविक सच है।
कन्या पुण्यात्मा तो थी और मीठा बोलती थी जैसे ही उसकी शादी हुई पति का जीवन बदल गया वह राजा का मंत्री बन गया ,
पुरुष संसार में है तो उसे पत्नी का सहारा चाहिए और संयम में रहे तो गुरु का सहारा चाहिए ,पत्नी बिना पति के रह लेगी लेकिन पुरुष पत्नी के बिना नहीं रह सकता , अगर लड़की को संस्कार नहीं दिए तो वह शादी के बाद जिस घर में जाएगी उसे बर्बाद कर देगी लेकिन मां समझ नहीं पाती और बिना संस्कार दिए विदा कर देती है ,आज के लड़के घर में क्या जवाब देते है माता पिता ने हमारे लिए क्या किया ,सारे फैसले वही करेंगे हम बड़े हो गए है हम भी फैसला लेने लायक हो गए ,लड़की मिली तो पुण्य से लेकिन पुण्यात्मा नहीं मिली ,
आप लोग धन को लूटना ,लूटना समझते हो और समझदार लोग विश्वास के लूटने को लूटना समझते है ,पत्नी उस काल में अलग होती थी अभी इस पंचम काल में अलग है संस्कार नहीं है आज भौतिकता वादी में है ,जैनों के यहां कभी साधु के नहीं गए कभी मंदिर नहीं गए कभी आहार नहीं दिए कोई बात नहीं लेकिन संस्कार को बनाए रखना ,जब शादी नहीं हुई थी तब तक बारह घंटे कान में इयर फोन लगाकर बातें करते रहे अब शादी हो गई अब पति रात को बारह बजे आता है सो जाता है सुबह छः बजे निकल जाता ,क्यों ? घर में रहने की इच्छा नहीं होती ,पूरे परिवार का वर्णन रहना सहन संस्कार की ,पहनाव ओढ़ाव का ,