आपकी बातों को सुनकर ऐसा लगता है की दिनभर आपको ही सुनता रहूँ , पर इस पापी पेट का भी जुगाड़ करना है , बड़ा दुःख होता है जब आपको छोड़कर अन्य कामों में लगना पड़ता है ।
सीधे बुरी मानसिकता पर प्रहार, आचार्य जी करते है तुम्हारे अहंकार पर वार,सुनने पे नहीं अच्छे लगेगे तुम्हे इनके विचार, पर जिंदगी में अमल करोगे तो, हो जाएगा तुम्हे इनके विचारो से प्यार, और फिर निश्चित है तुम्हारा उद्धार।❤️❤️
नहीं हैं ये कोई आचार्य जी के विचार, वो तो कर रहे अपने शब्द से है प्रचार, उनके लिए हैं यह सब उनका दर्शन, परंतु आपके लिए है ये विचारो का घर्षण। जब कुछ नहीं है दर्शन से पात, तो काहे मचावत हैं कमेंट में उत्पात। आचार्य जी सम्यक दृष्टि से हैं विचार पाते, और आप बिना ध्यान उनके विचार चुराते। विचार पड़ोसना नहीं है गुरु जी का काम, आपको बताना क्या हैं आपका असली धाम। पर आप तो बढ़ाते उल्टा अहंकार को, इस तरह आप तो जीता देंगे मार को। तपस्या से मिलती हैं सम्यक दृष्टि, बिना इसके मिलती हैं सिर्फ मिथ्या सृष्टि। - शून्य अद्वैत।
आचार्य जी का एक एक शब्द ,एक एक वाक्य ब्रह्म वाक्य है l आचार्य जी का ज्ञान तेजी से हमें सत्य की ओर ले जा रहा है lजैसे जैसे आचार्य जी को सुनती जा रही हूं अपनी अज्ञानता का बोध हो रहा है ,माया के प्रति सारे भ्रम टूट रहे हैं l मैंने कृष्ण को , बुद्ध को ,महावीर को ,कबीर साहब को नहीं देखा ,लेकिन मुझे आचार्य जी में ये सब नज़र आते हैं l कोटि कोटि नमन मेरे कृष्ण समान गुरुवर आचार्य प्रशांत को 🙏❤️
: आचार्य जी सत्य से तो अवगत कराते ही हैं , साथ में हिंदी भाषा की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति , सशक्त शब्दावली , सुनकर मन शांत और आनंदित हो जाता है l आधुनिक युग के कृष्ण हैं आप 🙏 आप लगातार हम अज्ञानियों का अज्ञान दूर करके हमें सत्य की दिशा में ले जा रहे हैं l हमें आपके ज्ञान ,आपके मार्ग दर्शन की बहुत जरूरत है आचार्य जी 🙏श्री चरणों में नमन स्वीकार करें 🙏❤️
वास्तव में हम सब नेत्रहीन ही पैदा होते है ,हमारे पास तीन आँखे होनी चाहिए और दो ही होती है, तीसरी अभ्यास की साथ विकसित की जा सकती है ,इसी का नाम अध्यात्म है ,लगातार खुद को देखनी वाली आंख ♥️🙏
हमारी सारी क्षमताएँ दुनिया को देखने के लिए विकसित हैं। खुद को देखने के लिए हमारी क्षमता प्राकृतिक तौर पर विकसित होती ही नहीं। बच्चा जैसे हैंडीकैप्ड पैदा होता है। वास्तव में हम सब नेत्रहीन ही पैदा होते हैं। हमारे पास तीन आँखे होनी चाहिए और दो ही होती हैं। अच्छी बात ये है कि ये जो तीसरी आँख है, ये अभ्यास के साथ विकसित की जा सकती है- इसी का नाम अध्यात्म हैं। लगातार खुद को देखने वाली आँख। देखने वाले के साथ अगर एक होकर दुनिया को देख रहे हो तो तुम अहंकार हो। और देखने वाले और दुनिया को तुम साथ-साथ देख रहे हो तो आत्मा हो। -आचार्य प्रशांत
प्रकृति की प्रक्रियाओं को अनात्मा जान लेना ही आत्मस्थता है। जो कुछ भी हो रहा है प्राकृतिकतौर पर, वो मैं नहीं। जो कुछ भी इस दुनिया में चल रहा है वो प्राकृतिक है, गुणों का खेल है, समय का फेर है, उसमें मैं नहीं। -आचार्य प्रशांत
संसारी और संसार के बीच के संबंध को जो एक साथ देख सके यही आत्मा है प्रकृति ने इंसान को इस तरह की छमता के साथ नहीं बनाया है लेकिन अभ्यास से ये छमता पैदा की जा सकती है धन्यवाद आचार्य जी
हर अनुभव आपको बदल रहा है लेकिन इस तरह से नहीं बदल रहा है कि आपको अनुभव की ज़रूरत न पड़े। हर अनुभव बस आपको इस तरह से बदल रहा है कि आपको किसी और अनुभव की ज़रूरत पड़े। आपको जो भी चीज़ मिल रही है वो इस तरह से मिल रही है, वो आपके भीतर एक अगली चीज़ की ज़रूरत पैदा कर दे रही है। ये संसार और संसारी का रिश्ता है। जो इसको समझ लेगा, उसको वो बहुत भारी चीज़ समझ में आ गयी जिसको परमात्मा कहा जाता है। वो भारी चीज़ इस छोटी-सी चीज़ में छुपी हुई है। तुम ये देख लो कि तुम्हारा और दुनिया का रिश्ता क्या है? जो संसारी है वो संसार का बना हुआ है और भागता संसार की ओर ही है। लेकिन उसको बस बाहर का दिखाई पड़ता है और जब तक उसे बाहर का दिखाई पड़ता है उसकी जिंदगी यही रहती है- भोजनालय से शौचालय तक। -आचार्य प्रशांत
Gyan indiriya +mind=satvaguun Karma indiriya +panch pran=rajoguun.... Rest or laziness =tamas. All karmic circle but our ego will not tolerate this simple truth and start singing song I am doing.🙏🙏🙏🙏🙏Acharya ji one of best Vedanta philosophy sir I had found in my life
Hm sbi ko aacharya G,,ek aisichij de rahey ,,jisey paney k liye,,hamarey aatit mei elibilty chahiye hoti thi,,tyag krna hota tha,,maa pita or us insaan ko b,,hr tarh ka,,gurukul mei reh kr aisa gyaan milta tha,, hamarey aacharya G is so generous,🌱🌱🌱🙏🙏🙏 he ,is doing only for us,apna sbsey kimti chij(time) de rahey hain,taki hmlogo ki tklif shayd km hojay,,or hmlog itey mast ki apni dhun mei ki,,pata B ni tklif mei hai, ki ni?,tklif ko,,brand or tarh tarh ka naam dekr, fir wo chahey relation ka na hi,,ya shauk,, ya kuch ban na,,bhir k hisssab se,,,janwaro se bttr mr mr k,,mr rahey hain hm sbi pata B ni chalta,, qki koi ni hamarey samaj mei jo sai concept batay samjhay,,hr chij mei milawt hogai hai,,yahan tk ki,,ma pitabhai behan,,insaan ka kya aaarth hota hai,,eo tk ni jaan pay,,bs jaisa sbi kr rahey bs wausa kr deney hm B bn jatey hain,,aisi paaramparo mei hm,,behosh ki life ji rahey hain, bhagwaan or us supremnatural power ka bahut bahut dhynwaad jo, ji acharya G jaisey,,insaan ko,,banaya,,jin ki wajh se,,hm kuch hdd tk,,jiney k mayney samjh pa rahey hain,,bheer mei hotey huey B ,,apney ko bheer jaisa na bana paney ki jid maani hai🙏🙏🙏🙏🌱🌱🌱🌱🌱
Respect and honours journey everyday journey honour thanks again everyday life gods gifts angles wise wisdoms words strong words meals feelings thankyou more comments
संस्था से संपर्क हेतु इस फॉर्म को भरें: acharyaprashant.org/enquiry?formid=209
उपनिषद और जीवन पर ऑनलाइन कोर्स: solutions.acharyaprashant.org
Jab mai hu hi nahi toh mai kyun is khel ko khelu....Do I have that choice or I have to play it ?
@@rashmimishra6963 खेल को देखना हैं सिर्फ, साक्षी रहना हैं, दृश्य और दृष्टा पर ध्यान रखना हैं।
आपकी बातों को सुनकर ऐसा लगता है की दिनभर आपको ही सुनता रहूँ , पर इस पापी पेट का भी जुगाड़ करना है , बड़ा दुःख होता है जब आपको छोड़कर अन्य कामों में लगना पड़ता है ।
@@rashmimishra6963 बात मे दम तो है
@@Shunya_Advait साक्षी भाव रखना या द्रूष्ट्रा भाव से देखना तो इसमे मै आया मै यानी अहंभाव तो
सीधे बुरी मानसिकता पर प्रहार, आचार्य जी करते है तुम्हारे अहंकार पर वार,सुनने पे नहीं अच्छे लगेगे तुम्हे इनके विचार, पर जिंदगी में अमल करोगे तो, हो जाएगा तुम्हे इनके विचारो से प्यार, और फिर निश्चित है तुम्हारा उद्धार।❤️❤️
नहीं हैं ये कोई आचार्य जी के विचार,
वो तो कर रहे अपने शब्द से है प्रचार,
उनके लिए हैं यह सब उनका दर्शन,
परंतु आपके लिए है ये विचारो का घर्षण।
जब कुछ नहीं है दर्शन से पात,
तो काहे मचावत हैं कमेंट में उत्पात।
आचार्य जी सम्यक दृष्टि से हैं विचार पाते,
और आप बिना ध्यान उनके विचार चुराते।
विचार पड़ोसना नहीं है गुरु जी का काम,
आपको बताना क्या हैं आपका असली धाम।
पर आप तो बढ़ाते उल्टा अहंकार को,
इस तरह आप तो जीता देंगे मार को।
तपस्या से मिलती हैं सम्यक दृष्टि,
बिना इसके मिलती हैं सिर्फ मिथ्या सृष्टि।
- शून्य अद्वैत।
@@Shunya_Advait yes, you're right
I love to listen his thoughts....
आत्मा-आपकी सच्चाई! अहंकार में दुःख है। दृश्य और दृस्टा को प्रकृति कहते हैं।
आचार्य जी,नमन।
उपनिषद उन्हीं के लिए है जिन्हें ये भोजनालय-शौचालय के चक्कर से घिन आने लगी है।
यही है क्या जीवन?
-आचार्य प्रशांत
नही जीना है , मुझे भोजनालय से शौचालय तक की ज़िन्दगी ।
ज़िन्दगी कुछ और मांगती है....
नमन आचार्य जी।
देखने में हमेशा चुनाव निहित होता है , वजह को ही अर्थ कहते हैं ,अर्थ माने लाभ 🙏🙏🙏
आचार्य जी का एक एक शब्द ,एक एक वाक्य ब्रह्म वाक्य है l आचार्य जी का ज्ञान तेजी से हमें सत्य की ओर ले जा रहा है lजैसे जैसे आचार्य जी को सुनती जा रही हूं अपनी अज्ञानता का बोध हो रहा है ,माया के प्रति सारे भ्रम टूट रहे हैं l मैंने कृष्ण को , बुद्ध को ,महावीर को ,कबीर साहब को नहीं देखा ,लेकिन मुझे आचार्य जी में ये सब नज़र आते हैं l कोटि कोटि नमन मेरे कृष्ण समान गुरुवर आचार्य प्रशांत को 🙏❤️
: आचार्य जी सत्य से तो अवगत कराते ही हैं , साथ में हिंदी भाषा की इतनी सुंदर अभिव्यक्ति , सशक्त शब्दावली , सुनकर मन शांत और आनंदित हो जाता है l
आधुनिक युग के कृष्ण हैं आप 🙏 आप लगातार हम अज्ञानियों का अज्ञान दूर करके हमें सत्य की दिशा में ले जा रहे हैं l हमें आपके ज्ञान ,आपके मार्ग दर्शन की बहुत जरूरत है आचार्य जी 🙏श्री चरणों में नमन स्वीकार करें 🙏❤️
आप कौन है l आप वो है जो दुनिया की चीजों को देखते है l और देखते ही प्रभावित हो जाते है l ❤️❤️🙏🙏🙏🙏
इससे जबरदस्त वीडियो आज तक नहीं देखा...
Best and simple मेरे लिए
देखने वाले के साथ एक हो कर अगर तुम दुनिया को देख रहे हो तो तुम अहंकार हो और देखने वाले को और दुनिया को साथ साथ देख रहे हो तो तुम आत्मा हो ।।
आत्मनिरीक्षण ही धीरे धीरे आत्मज्ञान बन जाता है
आप है तो हम हम है ,
आप वो है जो दुनिया को देखते है और देखते ही प्रभावित हो जाते है🙏🏻
संसारी की भीतर कुछ है जो उसे संसार के ओर भेजता है और संसार की जिस भी चीज़ से वो प्रतिक्रिया करता है ,लिप्त होता है वो चीज़ संसारी को बदल देती है।।
वास्तव में हम सब नेत्रहीन ही पैदा होते है ,हमारे पास तीन आँखे होनी चाहिए और दो ही होती है, तीसरी अभ्यास की साथ विकसित की जा सकती है ,इसी का नाम अध्यात्म है ,लगातार खुद को देखनी वाली आंख ♥️🙏
Sahi kaha aapne bilkul
दृश्य और दृष्टा को देखना ही साक्षी है।
आपको जो भी चीज़ मिल रही है वो इस तरह से मिल रही है कि वो आपके भीतर एक अगली चीज़ की जरूरत पैदा कर दे रही है , ये संसार और संसारी का रिश्ता है ⚡🙏🙏🙏🙏
ये मेरी favourite लाइन थी😁
जो कुछ भी चल रहा हे इस दुनिया में वो में नही ...प्रकृती का खेल है बस.......बहुत बडी बात हे ये👌👌.... धन्यवाद आचार्यजी मार्गदर्शन के लीये🙏🙏🙏🙏
हमारी सारी क्षमताएँ
दुनिया को देखने के लिए विकसित हैं।
खुद को देखने के लिए हमारी क्षमता
प्राकृतिक तौर पर विकसित होती ही नहीं।
बच्चा जैसे हैंडीकैप्ड पैदा होता है।
वास्तव में हम सब नेत्रहीन ही पैदा होते हैं।
हमारे पास तीन आँखे होनी चाहिए
और दो ही होती हैं।
अच्छी बात ये है कि
ये जो तीसरी आँख है, ये अभ्यास के साथ विकसित की जा सकती है-
इसी का नाम अध्यात्म हैं।
लगातार खुद को देखने वाली आँख।
देखने वाले के साथ अगर एक होकर दुनिया को देख रहे हो तो तुम अहंकार हो।
और देखने वाले और दुनिया को तुम साथ-साथ देख रहे हो तो आत्मा हो।
-आचार्य प्रशांत
प्रकृति की प्रक्रियाओं को अनात्मा जान लेना ही आत्मस्थता है।
जो कुछ भी हो रहा है प्राकृतिकतौर पर, वो मैं नहीं।
जो कुछ भी इस दुनिया में चल रहा है वो प्राकृतिक है, गुणों का खेल है, समय का फेर है,
उसमें मैं नहीं।
-आचार्य प्रशांत
Guru ji pranam Naman
संसारी और संसार के बीच के संबंध को जो एक साथ देख सके यही आत्मा है
प्रकृति ने इंसान को इस तरह की छमता के साथ नहीं बनाया है
लेकिन अभ्यास से ये छमता पैदा की जा सकती है
धन्यवाद आचार्य जी
This is the best thing i ever encountered.
I am blessed and i can see that i am blessed now.
It is really transcendental.
Just wow....
Combination of jiddu Krishnamurti, osho,ramanmaharshi,adishankara Acharya, kabir, bulleyshah and socrates 🙏🙏🙏🙏🙏
मेरे अंदर भी धीरे धीरे साक्षी भाव जागृत होने लगा है। उपनिषदों के वचन थोड़े थोड़े समझ आने लगे हैं।🙏
Dhyanwad acharya ji etne bade baat saralta se samjane ke liye
धन्यवाद आचार्य जी और संस्था ।
आत्मा का स्थूल माने स्थूल दर्पण सभी को देखता जनता।
प्रणाम आचार्य श्री 🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏जय श्री कृष्ण🙏🙏🙏
Alag hoo gahay dirshtaa sey excellent Acharayjii Naman Acharyajii Dhanywadh Acharyajii 💚👏🌹🙏
Aap jaise guru ki bohot jarurat hai puri duniya me 🙏🏽
साक्षी। 🙏🙏🙏 आचार्य जी।
प्रकृति की प्रक्रियाओं को अनात्मा जान लेना ही आत्मस्तथा है।
Naman Naman Naman Naman Naman Naman Naman 🙏
Naman Acharya ji koti koti pranam. ...
शत शत नमन गुरुदेव ❤️❤️
Thanks
प्रणाम आचार्य जी।।हम कुछ भी देखते नहीं हैं,बस एक लाभ हानि का गणित करते हैं।।💐💐🙏🙏🌄
नमन आचार्य जी
आशा करती हुं की आप सब बहुत अच्छे होंगे ।
मेरा नाम मैंना यादव ।।
आज मुझे finally ख़ुद और ख़ुद की जीवन से घृणा उठने लग गए 🕊️🕊️🕊️🕊️🕊️... Jordaar
हर अनुभव आपको बदल रहा है
लेकिन इस तरह से नहीं बदल रहा है कि आपको अनुभव की ज़रूरत न पड़े।
हर अनुभव बस आपको इस तरह से
बदल रहा है कि आपको किसी और अनुभव की ज़रूरत पड़े।
आपको जो भी चीज़ मिल रही है
वो इस तरह से मिल रही है,
वो आपके भीतर एक अगली चीज़ की
ज़रूरत पैदा कर दे रही है।
ये संसार और संसारी का रिश्ता है।
जो इसको समझ लेगा,
उसको वो बहुत भारी चीज़ समझ में आ गयी
जिसको परमात्मा कहा जाता है।
वो भारी चीज़ इस छोटी-सी चीज़ में
छुपी हुई है।
तुम ये देख लो कि तुम्हारा और दुनिया का रिश्ता क्या है?
जो संसारी है वो संसार का बना हुआ है
और भागता संसार की ओर ही है।
लेकिन उसको बस बाहर का दिखाई पड़ता है
और जब तक उसे बाहर का दिखाई पड़ता है
उसकी जिंदगी यही रहती है-
भोजनालय से शौचालय तक।
-आचार्य प्रशांत
🙏🏻🙏🏻
चरण स्पर्श आचार्य जी 💐🙇
Naman acharya Shree
अहंकार पर वार ,आचार्य जी प्रणाम
झूठे स्व से स्वयं को अलग कर लेनी की यही सिद्ध करती है कि तुम आत्मा(तुम्हारा सच्चाई, तुम जो वास्तव में हो) हो ।।।
guruji ki sikshA se mere jivan ka star sachmuch upar utha h ..ab m aware rhta hun ki m kya krne ja raha hun
ये सही हैं।
Radhe Radhe Radhe Radhe ❤️🙏😍
कृपया अपनी टिप्पणी को देवनागरी में लिखिए।
🌺🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺🌺
नमन् आचार्य श्री जी ! परणाम 🌷 🙏 🌷
Gyan indiriya +mind=satvaguun
Karma indiriya +panch pran=rajoguun....
Rest or laziness =tamas.
All karmic circle but our ego will not tolerate this simple truth and start singing song I am doing.🙏🙏🙏🙏🙏Acharya ji one of best Vedanta philosophy sir I had found in my life
Satya
।। मेरे गुरु, मेरे आधार ।।
Thanks sir
Prranam Gurudev
Riya 🙏🙏
Jai ho prabhu
🙏
Pranam Acharyaji..
The gist of all vedantic teachings explained so beautifully..Thanks a lot 🙏🙏🙏
गुरु जी जिंदगी जीना बहुत कठिन हो गई है 🙁🙁🙁🙁
ऐसा क्या हो गया ?
आनहोनी होनी नही होनी होय सो होय
Hm sbi ko aacharya G,,ek aisichij de rahey ,,jisey paney k liye,,hamarey aatit mei elibilty chahiye hoti thi,,tyag krna hota tha,,maa pita or us insaan ko b,,hr tarh ka,,gurukul mei reh kr aisa gyaan milta tha,, hamarey aacharya G is so generous,🌱🌱🌱🙏🙏🙏 he ,is doing only for us,apna sbsey kimti chij(time) de rahey hain,taki hmlogo ki tklif shayd km hojay,,or hmlog itey mast ki apni dhun mei ki,,pata B ni tklif mei hai, ki ni?,tklif ko,,brand or tarh tarh ka naam dekr, fir wo chahey relation ka na hi,,ya shauk,, ya kuch ban na,,bhir k hisssab se,,,janwaro se bttr mr mr k,,mr rahey hain hm sbi pata B ni chalta,, qki koi ni hamarey samaj mei jo sai concept batay samjhay,,hr chij mei milawt hogai hai,,yahan tk ki,,ma pitabhai behan,,insaan ka kya aaarth hota hai,,eo tk ni jaan pay,,bs jaisa sbi kr rahey bs wausa kr deney hm B bn jatey hain,,aisi paaramparo mei hm,,behosh ki life ji rahey hain, bhagwaan or us supremnatural power ka bahut bahut dhynwaad jo, ji acharya G jaisey,,insaan ko,,banaya,,jin ki wajh se,,hm kuch hdd tk,,jiney k mayney samjh pa rahey hain,,bheer mei hotey huey B ,,apney ko bheer jaisa na bana paney ki jid maani hai🙏🙏🙏🙏🌱🌱🌱🌱🌱
Jay guru dev
वेदान्त पर ये वीडिओज़ बड़े कीमती हैं।🙏
Pranam Acharya ji
Great sir
आचार्य जी नमन राम जय राम जय राम जय राम जय राम जय राम जय राम जय राम जय
PRONAM Guru ji.
अच्छी वीडियो 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
naman achrya ji
Love from Patharighat, Assam.
Jay gurudev 🙇🙏
Pranam guruji
🙏🙏धन्यवाद आचार्यजी
guru ji, ki jai
प्रणाम आचार्य जी !
🙏🙏🌹🙏🙏
haa aachary ji bahut dukh hai esase pr esase niklana or bhi muskil hai
Although Acharya ji puts a new idea every day but this is the Best explanatory Video till date
आज मै 2x स्पीड में वीडियो सुनी हूं ,
क्या करू सुने बिना रहा भी नहीं जाता ,इस समय मैं बहुत व्यस्त हूं😔😔
मेरा तो हर समय ही ऐसा रहता है । 2x
Mai roj 4 dekhta hu
@@Shunya_Advait me too always 2x
दृश्य और दृष्टा के बीच प्रक्रियाएं लगातार चलती रहती है ,उसी प्रक्रिया को प्रकृति भी कह सकते हो ।।
🙏🙏🌺
प्रणाम 🙏
jay shree krishna✨💐😊
~आचार्य जी प्रणाम ~
❤❤❤🌃❤❤❤
প্রনাম।
आचार्य जी कैसे हम आत्मा को जानें कैसे अलग देखें अपने आप को प्रकृति से?
सादर प्रनाम आचार्य जी 😚😍😍
देखने में हमेशा चुनाव निहित होता है🙏🏻
👌👌🙏🙏
नमस्ते🙏
स्वयं एवं किसी ओर के प्रति साक्षीभाव से निर्णय लेना 🙏
Hello Guru ji🙏🙏🙏
Duniya ka dukh dekh ke swayam ka dukh agar kankar matr lage to fir chintit apne liye ho ya duniya ke liye🙏🙏
❤
Achrya ji phle like mera
Pranam Acharya ji 🙏❤️🙏 best wishes for your good health and for all dear team members with you ❤️🙏🙏🙏
🙏🙏....
Good
Respect and honours journey everyday journey honour thanks again everyday life gods gifts angles wise wisdoms words strong words meals feelings thankyou more comments
Acharya ji please 14feb ko matru pitru pujan divas ke liye logo ko bataye jo Sant Shri Asharamji bapu ka Sankalp hai