I am 64 years old and a devout sikh but I have listened almost 80 % lectures by Osho ,,, and I am sure he was a gifted rather God gifted soul rarely visible and rarely appreciated. I salute Osho and revere him like a pure God man. thanks
Osho was way ahead of time, people were too orthodox to understand his vastness, today osho’s talks are getting more relevant and new generation is adopting his ideologies, after 50-60 years osho will be understood by everyone. He was way ahead of his time ❤️❤️❤️❤️
Osho wasn't ahead of time we are the one who is in past nobody meditates so we will always be in past cuz people like you and me never try to awake ourslves
अपने परम गुरु ओशो के बारे मे एक संत से सुनना आनंदित कर गया, आज के तथाकथित साधु संत ओशो का नाम लेने से भी कतराते हैं।पुज्य मोरारी बापू जी को नमन,अहोभाव।
@@amiteshraj7342 sahi kaha aapne. Modi ke sath khada ho jaata hai Jaghi Vasudev, kisaano ke sath nahi, isi se sabit ho jaata hai ye dogla hai....Modi kush bhi sach nahi bola aajtak to ise dikhta nahi ye kaahe ka sant...Osho ke sath iski tulna karke Osho ka apman na kare. Ek baar to ek ladki ne ise iske ashram ki illegal ennchroachment pe sawal pucha to use isne dhamki de daali
Morari Bapu ji , thanks for speaking on Osho. Osho was controversial during his time .I am glad this generation accepted Osho and there is lot to learn from him. It is a pleasure to listen To Morari Bapu ji bring out Osho's positive qualities.
Osho को मैने teenage में पढ़ा था ये बहुत अद्भुद था जिसने मुझे गहराई से प्रभावित किया । क्रान्तिकार बिचार जो मेरे लिये एकदम नया था ।ओशो को पढ़कर आप उनसे प्रभावित हुए बिना नही रह सकते क्योंकि ओशो तर्क और व्यहारिक्ता कि बात करते है
A million thanks to all my brothers who are uploading this highly valuable priceless treasure. this must reach all budding young generation and a great revolution must happen with OSHO ideology. Million billion salute to OSHO !!!
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद श्रीमदभागवतगीता अध्याय-3 कर्म-योग धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II # जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II # और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II # इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II # इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II # इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II # इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
ओशो जी और बापु जी को सत् सत् नमन एवं बापू जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद आपके इस व्याख्यान से ओशो को समझ सकेंगे और इस नयी पीढ़ी को एक नयी समझ,नयी सोंच पैदा होगी। आपको प्रणाम 🙏
ओशो और मुरारी बापू दोनों ही हिंदी भाषा के इतिहास के सबसे महानतम वक्ता है. गंगा की आरती जिसतरह गंगाजल से ही होती है वैसे ही एक बुद्ध पुरुष को दूसरा बुद्ध पुरुष ही समझा सकता है.
👌 Dear Bapu, Good speech Excellent speech Osho message worked on you it's our lucky time. Well done Bapu 👌 Keep more study Bapu as your lucky time started. 👍
Morari bapuji aap sache arthome SADHU hai sach kabul karneme jo himmat dikhata hai vo hi sant kahlata hai. 99% pravachan dene wale OSHO ko sunkar pravachan dete hai our nam khudka karte hai. Aap ko pranam.
Fantastic and unique understanding of Morari Bapu on OSHO. Namaskar to Bapu's Aatma to understand and explain Osho. And also grateful to Kamlesh Pandey for sharing his experience with Osho.
👌 Dear Bapu, Good speech Excellent speech Osho message worked on you it's our lucky time. Well done Bapu 👌 Keep more study Bapu as your lucky time started. 👍
I was the biggest critic of Osho coz i hd heard it frm others... Now I am speechless abt Osho coz I heard it directly from him.. One of the greatest Enlightened avtaars of human Existence.. 🙏🙏🙏
Osho was not only a philosopher. He is the master of human history, spirituality. We have ignored him because of our narrow minded thinking. If we ignored him more , we will miss something very special.
My Beloved OSHO. Its true that many of Motivational Speaker, Saints have been using words taken from osho's Discourse and talks that were told by osho before many years ago....
Alok Sharma I absolutely agree with you,that all the contemporary motivational and spiritual speakers only reiterate the teachings of Osho.However, only Murari bapu,openly gave this fountainhead(Osho) his rightful recognition!
अपनी ध्यान अवस्था से प्राप्त पवित्रता एवं खुशियां का एक पंच भौतिक का पूतला की पहचान करवा रहे गुरु महाराज बापू ...शत शत नमन आपने तो अपनी अनुभव की सेनेट से उसे मंजूरी दे दी वाह जय हो
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद श्रीमदभागवतगीता अध्याय-3 कर्म-योग धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II # जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II # और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II # इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II # इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II # इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II # इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
@@ghanshyam9915 Krishna ka zamana gujar gaya.... Wo baate ab nhi chalti.... isliye God ne Osho ko bheja hai.... Sabko pasand nhi aati OK ... Jinko pasand aati hai wo Mukt ho jaate hai .
Bapu, you always rocks, but the way osho talks no one compete him, i would say bapu represent bhakti and osho represent tatva.... very well enjoyed Bapu :)
ओशो ने किसी ने कहा आपके आश्रममे युवक- युवतियां खुललेआम व्यवहार करते हे ।तो ओशो ने कहा"मुझे कया?" तो वो आदमी बोला आश्रम तो आपका है।तो ओशो बोले " तो तुजे कया"?
Morari bapu ko aaj tak maine nahin suna hun.pahli bar maine inko video ke maddhyam se dekha ,suna ar samjha. bahut sundar ar hridaygrahy hai.kya khubsurti se mahan osho par aapne apne sadvicharon Ko rakha hai.Bapuji ko mera Naman .
Mai kuch dino pehle bahut pareshan sa tha. Apne atith ke bareme sochta tha aise mei accidently maine OSHO ko suna Or do tin bar sunne ke bad mai shant rehna laga. Mujhe anand milne laga. OSHO ko aur janna hai.
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद श्रीमदभागवतगीता अध्याय-3 कर्म-योग धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II # जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II # और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II # इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II # इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II # इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II # इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
ओशो की अपनी एक मस्ती है उन्हें इस बात की फ़िक्र नहीं की लोग क्या सोचेंगे इसलिए ओशो परम आनंद को प्राप्त है और हमें फ़िक्र है की हमारा पडोसी क्या सोचेगा इसलिए हम दुखी है यही वास्तविकता(reality) है आप इसे माने न माने मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता !
श्री सीताराम श्री परमपुज्य जीवन के प्रेरक श्री मोरारी बापू जी को सत् सत् नमन सत्य प्रकाश धरमपुरहा महुटा अतर्रा बाँदा उत्तर प्रदेश निकट श्री चित्रकूट धाम से उर्फ अमन चिरंजीव नमन बेटा
Osho ko naman ase mahan sant aaj ki duniya me na h or na hi honge unki aawaj me jadu tha youtub pr hi itna acha lgta h to wo log jisne osho ko samne dekhkr unko suna wo to bahut bhagy wale the....👏👏
Osho ne rasta dikha diya he ki manusya hone me hame iswar aur prakruti ne param hone ke liye bheja he....all men should being state of god only the way enter into samadhi.....thank u bapuji..love u so much...
आप सच मे महा विचारक है।आपकी बात एकदम ठीक है हम किसी भी विचारधारा को समझे बीना उसके बारे केसे बात कर सलते है? हम जो समज़ते है वही कहते है अब यह सुनने वाले पर निर्भर है की वह उसको किस तरह से ग्रहण करता है।लेकिन एक ज़िम्मेदारी वक्ता की भी होनी चाहिए की उसकी बात श्रोता को समज़ आणि चाहिए।कलिस्ठ शब्दों से जाल न बुने।
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद श्रीमदभागवतगीता अध्याय-3 कर्म-योग धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II # जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II # और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II # इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II # इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II # इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II # इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
@@ghanshyam9915 Osho wants everybody to be natural. When you are hungry you eat food. It's need of body. God is not fool to give you sex organ. When Osho people feel it's arising they have it with their lovers. They don't suppress. They fulfil their Godgiftrd desire
@@ghanshyam9915 श्री. घनश्याम जी, प्रणाम. प्रथमतः आप इतनी आस्थासे इतनी गहराई मे सोचते है यह बात प्रशंसनीय है. ओशोजी को समझने के लिए सिर्फ १ बार १ प्रवचन सुनना काफी नही है. जितना आप जादा सुनेंगे, कई प्रवचन १ से जादा बार सुनेंगे तो आपके समझमे जरुर आएगा की उनका कहनेका असली हेतु, मकसद क्या है. संभोग और अन्य सारी वासनाओंकी उन्होंने शिफारस नही की है, उनका कहना सिर्फ यही है की जिस शत्रु से लडना है, जिसपे काबू पाना है उसे पहले पुरी तरह से समझ लो. शत्रु की ताकद और तौर तरीके जाने बिना लडना खतरनाक होता है. इसलिए तो शास्त्रोंमे भी गृहस्थाश्रम अवश्य किया है. काम-क्रोध आदि वासनाओंके भी सकारात्मक पैलू है. उनको जानो फीर उनसे अपने को दूर करनेकी चेष्टा शुरु करो. आप आसानिसे समज पाएंगे मै क्या कहना चाहता हुं... 🙏
I am 64 years old and a devout sikh but I have listened almost 80 % lectures by Osho ,,, and I am sure he was a gifted rather God gifted soul rarely visible and rarely appreciated. I salute Osho and revere him like a pure God man. thanks
Every human is unique part of God. Mind , Eyes ,Ears and voice. What else god can give you? Osho is A great CREATION of God.
swami anandhai maharaj jinka naam Mukesh hai
Ekdum sahi kaha aapne
Osho was way ahead of time, people were too orthodox to understand his vastness, today osho’s talks are getting more relevant and new generation is adopting his ideologies, after 50-60 years osho will be understood by everyone. He was way ahead of his time ❤️❤️❤️❤️
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Mee too
Brilliant comment of this ERA
Osho wasn't ahead of time we are the one who is in past nobody meditates so we will always be in past cuz people like you and me never try to awake ourslves
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Sometimes I am dumbstruck.
What a man osho was?
How can someone be the versatile like him?
My respect to him.
आंसू आ गए आज तो आप से ओशो को सुनकर 🙏🙏 ऐसा प्रतीत हुआ जैसे ओशो फूल हैं और आप उस फूल की खुशबू, मन को झकझोर दिया।
Wah🎉
❤👌👌
मने ओशो जी के करीब करीब सारे प्रवचन सुन लिए है करीब 2साल से सुन रहा हु वंडर फुल
श्री मुरारी बापू जिस खुले ह्रदय से आपने ओशो के बारे में बोला है।वो अन्य साधुओं से आपको अलग और महान बनाते है।
नमन है आपको श्री बापू
अपने परम गुरु ओशो के बारे मे एक संत से सुनना आनंदित कर गया, आज के तथाकथित साधु संत ओशो का नाम लेने से भी कतराते हैं।पुज्य मोरारी बापू जी को नमन,अहोभाव।
सही कहा आपने,,,,,प्रणाम करता हूँ नमन करता हूँ
Very nice comment by you . I am trying to find such comment but not getting . Haha some r thinking Bapu is blaming Osho
पर ये आदमी भगवान ओशो पर कम खुद के बारे मे ज्यादा बता रा है।
I'm alive because of Osho. He speaks the truth that my soul was thirsty for.
"Sadguru jaggi vasudev" is also speak only the truth.
well said sir me too.
Osm bro
@@AnandKumar-ge7mk modi ka yaar hai wo modi jhoota hai bola tha ki petrol ke daam km honge.hue
@@amiteshraj7342 sahi kaha aapne. Modi ke sath khada ho jaata hai Jaghi Vasudev, kisaano ke sath nahi, isi se sabit ho jaata hai ye dogla hai....Modi kush bhi sach nahi bola aajtak to ise dikhta nahi ye kaahe ka sant...Osho ke sath iski tulna karke Osho ka apman na kare.
Ek baar to ek ladki ne ise iske ashram ki illegal ennchroachment pe sawal pucha to use isne dhamki de daali
Morari Bapu ji , thanks for speaking on Osho. Osho was controversial during his time .I am glad this generation accepted Osho and there is lot to learn from him. It is a pleasure to listen To Morari Bapu ji bring out Osho's positive qualities.
ओशो युग युगों से पार परम पिता परमात्मा हैं, जो कि आज भी सर्वत्र हैं ....।।
Osho को मैने teenage में पढ़ा था ये बहुत अद्भुद था जिसने मुझे गहराई से प्रभावित किया । क्रान्तिकार बिचार जो मेरे लिये एकदम नया था ।ओशो को पढ़कर आप उनसे प्रभावित हुए बिना नही रह सकते क्योंकि ओशो तर्क और व्यहारिक्ता कि बात करते है
A million thanks to all my brothers who are uploading this highly valuable priceless treasure. this must reach all budding young generation and a great revolution must happen with OSHO ideology. Million billion salute to OSHO !!!
इस धरती पर पहला ऐसा महान व्यक्ति हुआ जिसने अध्यात्म और ईश्वर तक पहुंचाने का सबसे सरल मार्ग बताया।ऐसे दिव्य पुरीष को सत सत नमन...।
Durgesh Nagar आभार सहित धन्यवाद
Rght Osho is really great
"Sadguru jaggi vasudev" v ek atmagyani h.
Unhe v ek baar sun kr dekhe....
रिअल संत ईश जमाने का
@@AnandKumar-ge7mk true . Both Osho n Sadguru r enlightened
Morari Bapu, we Osho lovers deeply Thank You for expressing your unbiased opinions about this Enlightened Soul, a true guide for many.
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद
श्रीमदभागवतगीता
अध्याय-3 कर्म-योग
धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I
यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II
# जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II
आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II
# और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II
इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I
एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II
# इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II
तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I
पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II
# इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II
इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI
मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II
# इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II
एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I
जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II
# इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
ओशो जी और बापु जी को सत् सत् नमन एवं बापू जी आप को बहुत बहुत धन्यवाद आपके इस व्याख्यान से ओशो को समझ सकेंगे और इस नयी पीढ़ी को एक नयी समझ,नयी सोंच पैदा होगी।
आपको प्रणाम 🙏
I am so glad to see great Morari Bapu speaking on Osho, thank you
Bapu ji , Very good speaking on OSHO , l am also one of the OsHO premi
Osho is beyond time.. & thinking.. Keep your blessing with us..
Itni sachhi bat Pyare Osho ke liye kahi.Morari Bapuji aap jaise Sant hi ker sakte h. Bahuuuut pranam Prabhu Osho aur Bapuji Shat shat naman.
Osho is the greatest philosopher of india along with world.parnam oshoji
बहुत सुंदर विचार रखे बापू जी ने ओशो के बारे में, यह बात भी सही है कि आज भी बहुत सारे ओशो प्रेमी, संन्यासी ओशो को गहनता से न जान पाएं है .......
मनोज कुमार आभार सहित धन्यवाद
Namo Osho
only the good, pure people would see other person goodness so does MURARIBAPU
@@geetadaswani1570 true agree with you otherwise logo Ko furst hi kha dusro m kmiya nikalne s
Pyare Osho Naman
every word is diamond Morari Bapu ji .
मैं ओशो को समझना नहीं चाहता बल्कि मैं ओशो में जीना चाहता हूँ।
so sweet
नमन 🙏
धन्यवाद ... आपको नमन मोरिजी बापू
ओशो पर बोलने के लिये ...
Dr. Swami Surya Mehta आभारी हैं ओशो पर बोलने के लिए धन्यवाद मोरारीबापु
super super speach on osho by Murari bapuji.thanks.
great Morari Bapu... aapko naman...
Osho is really great...... 🙏
OSHO
Me hu hi ni is duniya ki
Hi soham
Osho naman
SOHAM TALK 9586996351
ओशो नमन : बहुत बहुत धन्यवाद मोरारी बापू जी ओशो पर बोले सत सत नमन
ओशो और मुरारी बापू दोनों ही हिंदी भाषा के इतिहास के सबसे महानतम वक्ता है. गंगा की आरती जिसतरह गंगाजल से ही होती है वैसे ही एक बुद्ध पुरुष को दूसरा बुद्ध पुरुष ही समझा सकता है.
Dinesh Sharma आभार सहित धन्यवाद
सही!
Kaya.Bat.h.bapu.Apako.mera.Naman
मामूली सा अंतर है। मुरारी जी किताबी- ज्ञान है, ओशो अनुसंधान है।
जलने की बू आ रही है।सूरज को दिया दिखाने वाली बात कर रहे हैं। खुद पर ही मजाक।
मुरारी बापू कहाँ का बुद्ध पुरुष???
I've read many comments on different video of OSHO, but still I've not been found any negative comments on OSHO.
Today we are understanding it.
He was a really spiritual person on the earth (osho)
I LOVE OSHO & HIS SPEECHS, OM OHSO NAMHA......
Very nice and courageous words spoken from heart by Shri Morari Bapu. Pranam.
Bhagwan Kare Bhakt bhi Ram bhagwan aur tuldsidasji se hate karna chode
👌
Dear Bapu,
Good speech
Excellent speech
Osho message worked on you it's our lucky time.
Well done Bapu 👌
Keep more study Bapu as your lucky time started.
👍
Grt osho
Osho is one the of the top spiritual man
There is no top and last in spirituality
Sirla prabhu is on top
ओशो युग की शुरुवात हो गयी।
ruclips.net/video/t3HkW6M7chA/видео.html
OSHO YOU ARE REALLY GREAT TODAY EVERY PERSON IS BOUND TO TALK YOU NO BODY CAN IGNORE YOU IN FUTURE, SALUTE OSHO, THANK FOR MORAR G BABU ON OSHO
Morari bapuji aap sache arthome SADHU hai sach kabul karneme jo himmat dikhata hai vo hi sant kahlata hai. 99% pravachan dene wale OSHO ko sunkar pravachan dete hai our nam khudka karte hai. Aap ko pranam.
Bahut sunder
@@RajinderKumar-rk2zz good
osho has cleared my conscience and given me pure knowledge of this existence on earth and releived of any existential crisis i had!! namo osho
congratulations ho all osho lover s of the world
मोरारी बापू जी सदैव सत्संगी रहे है वे जीवन भर सत्संग करते रहे है, वे सभी बुद्ध पुरुषों को सुनते है
Fantastic and unique understanding of Morari Bapu on OSHO. Namaskar to Bapu's Aatma to understand and explain Osho. And also grateful to Kamlesh Pandey for sharing his experience with Osho.
Isse Sunkar Dil mai Sukoon sa mila ❤
I Love you OSHO
Speaking upon Osho is courageous by Murari Babu like saint. It implies that you are so much true human being. Awesome/..
👌
Dear Bapu,
Good speech
Excellent speech
Osho message worked on you it's our lucky time.
Well done Bapu 👌
Keep more study Bapu as your lucky time started.
👍
very good thought
thanks bapu speech on osho,
thanks.
I was the biggest critic of Osho coz i hd heard it frm others... Now I am speechless abt Osho coz I heard it directly from him.. One of the greatest Enlightened avtaars of human Existence..
🙏🙏🙏
Osho was not only a philosopher. He is the master of human history, spirituality. We have ignored him because of our narrow minded thinking. If we ignored him more , we will miss something very special.
Osho was great philosopher... I love Osho n Bapu too...
Osho was not philosopher
Osho is not a philosopher
Thank you morari bapu osho pr bolne k liye
very inspirited speech. Naman Morari Bapu.
Kuch paaglo ne dislikes bhi kiya hai..
OSHO ko dil se samjhe dimaag se NAHI...
LOVE u OSHO
bhai sahab har koi nahi pata unko ..naman osho🙏🙏
My Beloved OSHO. Its true that many of Motivational Speaker, Saints have been using words taken from osho's Discourse and talks that were told by osho before many years ago....
Alok Sharma
I absolutely agree with you,that all the contemporary motivational and spiritual speakers only reiterate the teachings of Osho.However, only Murari bapu,openly gave this fountainhead(Osho) his rightful recognition!
Thanks Rupa Ji
i agree..i too have noticed that
murari bapu ek bat btao wo humari ramayan k baare itne glay vichar h osho k tb b ap unke baare me acha acha bol rhe ho ..
wht is this ....???
osho ne ram ke bare me kahte hai kya ye sahi hai
अपनी ध्यान अवस्था से प्राप्त पवित्रता एवं खुशियां
का एक पंच भौतिक का पूतला
की पहचान
करवा रहे गुरु महाराज
बापू ...शत शत नमन
आपने तो अपनी अनुभव की सेनेट से उसे मंजूरी दे दी
वाह
जय हो
Pyare sadguru, thank you from the core of my heart 🌹🌹
,🙏🌄🙏
Osho meri jaan i love ❤️ u 🙏
Namastote Bapuji 🙇🙏Bahut pyar baat Aap ki baat Osho amrut paani Dhunyavaad👌
GREAT SPEECH ....
Osho Rocks...
The time has come that Osho's wave will influence the world...
renu singh yeah I agree. bhartiya larkio ke baare main Maine osho ke vichar sune. bahut sahi lage mujhe.
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद
श्रीमदभागवतगीता
अध्याय-3 कर्म-योग
धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I
यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II
# जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II
आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II
# और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II
इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I
एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II
# इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II
तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I
पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II
# इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II
इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI
मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II
# इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II
एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I
जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II
# इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
the world then will be free from the clutches of politician and priests. A situation of a heaven.
Chingaaree uth chuki hai.
Madam g.....ab to aag lgegi..
.....osho 😘
@@ghanshyam9915 Krishna ka zamana gujar gaya.... Wo baate ab nhi chalti.... isliye God ne Osho ko bheja hai.... Sabko pasand nhi aati OK ... Jinko pasand aati hai wo Mukt ho jaate hai .
Bapu, you always rocks, but the way osho talks no one compete him, i would say bapu represent bhakti and osho represent tatva.... very well enjoyed Bapu :)
Very nice! Thanks Murari Bapu ji
Osho... The Legend.... U r great sir.. U r talking bout.... Bhagwan Rajneesh...
💞सत्यमेव जयते यह संतों के द्वारा ही संभव हो सकता है🙏🙏🙏
I can only say that i can't say anything....words are unable to express the granduer of osho....osho is the essence of silence........
But those like us who know and understand we can spread his message around ourselves that will be enough
morari Bapu............. Naman
jay OSHO.............
Very Nice .........
thank you murari bapu.... love you osho!
osho is great
osho is my god
i love you osho
man of heart ,with great sense of humor and ultimate knowledge. shri moraribapu and osho-a drop dissolved in an ocean.
Morari bapu ne DIL jeet liya.... thanks
Thanks bapu ji..for on osho speech .. My inspirational Teacher is osho...I loved osho...
superb...very nice...spritual speech..heart touching words..
ओशो ने किसी ने कहा आपके आश्रममे युवक- युवतियां खुललेआम व्यवहार करते हे ।तो ओशो ने कहा"मुझे कया?" तो वो आदमी बोला आश्रम तो आपका है।तो ओशो बोले " तो तुजे कया"?
Hahahahaha Perfect answer
Sahi me ?
😀😀😀👍👍
a perfect answer
Amazing talk.... Learned a lot osho by Shri Morari bapu! .....
Morari bapu ko aaj tak maine nahin suna hun.pahli bar maine inko video ke maddhyam se dekha ,suna ar samjha. bahut sundar ar hridaygrahy hai.kya khubsurti se mahan osho par aapne apne sadvicharon Ko rakha hai.Bapuji ko mera Naman .
Osho master of the masters of all over world .
you are not even zero nonsense in front of guru osho
Linked Bapu Morari views on Osho, he was great fearless revolutionary saint , philosopher, an unmatchable ocean of knowledge of every subject
excellent commentary from a saint of Gujarat.
Mai kuch dino pehle bahut pareshan sa tha. Apne atith ke bareme sochta tha aise mei accidently maine OSHO ko suna Or do tin bar sunne ke bad mai shant rehna laga. Mujhe anand milne laga. OSHO ko aur janna hai.
Morari bapu has a heart of gold and intellect of platinum
Yes murari bapu upne meri manka bat kahediya . I love osho .
i love you osho
Morari Bapu ji is really great. Who honestly confessed the greatness of OSHO 🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍👍
yes osho ko pehli baar suna iasa laga jaise koi best friend. mil giya ho jisse sari dil ki baat ki jaa sakti hai.kuch apna sa lagda hai. ❤❤❤
super speech on Osho by Shri Morari Babu.
Rajesh Dave
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद
श्रीमदभागवतगीता
अध्याय-3 कर्म-योग
धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I
यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II
# जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II
आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II
# और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II
इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I
एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II
# इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II
तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I
पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II
# इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II
इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI
मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II
# इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II
एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I
जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II
# इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
ओशो की अपनी एक मस्ती है उन्हें इस बात की फ़िक्र नहीं की लोग क्या सोचेंगे
इसलिए ओशो परम आनंद को प्राप्त है और हमें फ़िक्र है की हमारा पडोसी क्या सोचेगा
इसलिए हम दुखी है यही वास्तविकता(reality) है आप इसे माने न माने मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता !
NATIONAL REAL TV कया खुब कहा ओशो के प्रेम के बारे मे आप तो बहुत ही मजेदार है भैया आभार आपका और धन्यवाद
Hello
मुरारी बापु धन्य हैं जिन्होंने इतनी गहराई से ओशो को समझा और हमे़ भी बताया। और उनके बारे में बहुत सारी गलतफहमियाँ दूर करीँ।।।
100 % true
Osho naman
great speech about osho.
mere vichar morarji babu k bare me badal gaye is speech ko sunne k bad bhut hi honesty se unhone bate kahi dhany ho gya Mai
I LoOoOove OshoOo..what a speech about osho... Nice bapu
आसमान मे १ ही सूरज हो सकता है लेकीन भगवान की कृपा है के धरती पे हम २ सूरज पाए है. ओशोजी और मुरारी बापुजी..
दोनोंको तहे दिलसे शतशः प्रणाम.. 🙏🙏🙏
श्री सीताराम श्री परमपुज्य जीवन के प्रेरक श्री मोरारी बापू जी को सत् सत् नमन सत्य प्रकाश धरमपुरहा महुटा अतर्रा बाँदा उत्तर प्रदेश निकट श्री चित्रकूट धाम से उर्फ अमन चिरंजीव नमन बेटा
Osho ko naman ase mahan sant aaj ki duniya me na h or na hi honge unki aawaj me jadu tha youtub pr hi itna acha lgta h to wo log jisne osho ko samne dekhkr unko suna wo to bahut bhagy wale the....👏👏
DeepThanks Shri MORARI BAPU Ji...For EXPRESSING Your UNBIASED OPINION On OSHO.......
real world why your mother & sister went to osho
Mere buddhpurush bapu
Osho ne rasta dikha diya he ki manusya hone me hame iswar aur prakruti ne param hone ke liye bheja he....all men should being state of god only the way enter into samadhi.....thank u bapuji..love u so much...
morari bapu thanks a lot......! ek or di najar ashiqi k liye...
I love you osho
आप सच मे महा विचारक है।आपकी बात एकदम ठीक है हम किसी भी विचारधारा को समझे बीना उसके बारे केसे बात कर सलते है? हम जो समज़ते है वही कहते है अब यह सुनने वाले पर निर्भर है की वह उसको किस तरह से ग्रहण करता है।लेकिन एक ज़िम्मेदारी वक्ता की भी होनी चाहिए की उसकी बात श्रोता को समज़ आणि चाहिए।कलिस्ठ शब्दों से जाल न बुने।
great and true speech about osho
osho is always my favorite...
osho was a complete thought
मेरे प्रिये भाई-बहनो मुझे ये बिलकुल भी समझ में नहीं आ रहा की कैसे आप ओशो जैसे तार्किक व्यक्ति जो सिर्फ काम (वासना) की तृप्ति पर ज़ोर देकर भगवान (राम) की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं और लोगो को गुमराह करते हैं खासकर युवा वर्गों को जो देश की बुनियाद हैं उनको अपने रास्ते से भटकाते हैं और काम (वासना) को तृप्त करके मानसिक शान्ति का अनुभव करने का रास्ता दिखाते हैं जो की भगवत गीता जो की इस संसार का सर्वश्रेत्य ज्ञान और हिन्दुओ का सर्वश्रेत्य और पवित्र ग्रन्थ हैं जिसको भगवान कृष्ण ने स्वयॅ अपने श्रीमुख से अर्जुन को सुनाया हैं उसके अनुसार सर्वथा गलत और अनुचित हैं, गीता के अनुसार काम भावना की तृप्ति से नहीं बल्कि उनका दमन करके ही मनुष्य आत्म शान्ति (मानसिक शान्ति) प्राप्त कर सकता हैं और अपना तथा समाज का कल्याण कर भगवत प्राप्ति कर अपना उद्धार कर सकता हैं I अगर आपको विस्वास नहीं तो कृपया अपने जीवन का सिर्फ 2 मिनट निकाल कर भगवत गीता के अध्याय 3 (कर्म-योग) के श्लोक संख्या 38 से 43 को ध्यान से अर्थ सहित पढ़िए आपको सब समझ में आ जाएगा की ओशो का सिद्धांत सही हैं या गलत I ओशो का सिद्धांत भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए रास्ते के बिलकुल विपरीत हैं I अब आप मुझे ये बताइये की ओशो महान हैं या भगवान श्रीकृष्ण? ओशो का सिद्धांत सही हैं या भगवान कृष्ण का? अपने अंतरात्मा से पूछिए की ओशो सही हैं या गलत? उनका बताया गया मार्ग सही हैं या गलत? कृपया भगवत गीता के निम्नलिखित श्लोक अर्थ के साथ ध्यानपूर्वक पढ़े I धन्यबाद
श्रीमदभागवतगीता
अध्याय-3 कर्म-योग
धूमेनाव्रियते वाहिरयथादर्शो मलेन च I
यथोल्बेनाव्रतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतं II 38 II
# जिस प्रकार धुएँ से अग्नि और मैल से दर्पण ढका जाता है तथा जिस प्रकार जेरसे गर्भ ढका रहता है,वैसे ही उस काम (वासना) के द्वारा यह ज्ञान ढका रहता है II ३८ II
आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा I
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च II 39 II
# और हे अर्जुन! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होनेवाले कामरूप (वासना) ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है II ३९ II
इन्द्रियाणि मनो बुद्धिरस्याधिष्ठानमुच्यते I
एतैर्विमोहयत्येष ज्ञानमावृत्य देहिनां II 40 II
# इन्द्रियाँ,मन और बुद्धि-ये सब इसके वासस्थान कहे जाते हैं I यह काम इन मन,बुद्धि और इन्द्रियों के द्वारा ही ज्ञान को आच्छादित करके जीवात्मा को मोहित करता हैं II ४० II
तस्मात्त्वंद्रियान्यादौ नियम्य भरतषर्भ I
पाप्मानं प्रजहि ह्येनम ज्ञानविज्ञाननाशनम II 41 II
# इसलिए हे अर्जुन! तू पहले इन्द्रियों को वश में करके इस ज्ञान और विज्ञान का नाश करने वाले महान पापी काम को आवश्य ही बलपूर्वक मार डाल II ४१ II
इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्यः परम मनःI
मनसस्तु परा बुद्धियो बुध्दे परतस्तु सः II 42 II
# इन्द्रियों को स्थूल शरीर से पर यानी श्रेठ,बलवान और सूक्ष्म कहते हैं; इन इन्द्रियों से पर मन हैं, मन से भी पर बुद्धि हैं और जो बुद्धि से भी अत्यंत पर हैं वह आत्मा हैं II ४२ II
एवं बुद्धेः परम बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना I
जहि शत्रुम महाबाहो कामरूपं दूरसदम II 43 II
# इस प्रकार बुद्धि से पर अर्थातः सूक्ष्म,बलवान और अत्यंत श्रेठ आत्मा को जानकर और बुद्धि के द्वारा मन को वश में करके हे महाबाहो! तू इस कामरूप दुर्जय शत्रु को मार डाल II ४३ II
@@ghanshyam9915 Osho wants everybody to be natural. When you are hungry you eat food. It's need of body. God is not fool to give you sex organ. When Osho people feel it's arising they have it with their lovers. They don't suppress. They fulfil their Godgiftrd desire
@@ghanshyam9915 श्री. घनश्याम जी, प्रणाम. प्रथमतः आप इतनी आस्थासे इतनी गहराई मे सोचते है यह बात प्रशंसनीय है. ओशोजी को समझने के लिए सिर्फ १ बार १ प्रवचन सुनना काफी नही है. जितना आप जादा सुनेंगे, कई प्रवचन १ से जादा बार सुनेंगे तो आपके समझमे जरुर आएगा की उनका कहनेका असली हेतु, मकसद क्या है. संभोग और अन्य सारी वासनाओंकी उन्होंने शिफारस नही की है, उनका कहना सिर्फ यही है की जिस शत्रु से लडना है, जिसपे काबू पाना है उसे पहले पुरी तरह से समझ लो. शत्रु की ताकद और तौर तरीके जाने बिना लडना खतरनाक होता है. इसलिए तो शास्त्रोंमे भी गृहस्थाश्रम अवश्य किया है. काम-क्रोध आदि वासनाओंके भी सकारात्मक पैलू है. उनको जानो फीर उनसे अपने को दूर करनेकी चेष्टा शुरु करो. आप आसानिसे समज पाएंगे मै क्या कहना चाहता हुं... 🙏
वाह
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ओशो का सटीक विस्तार ।
Apko dhanyabab morari bapu ji ki apne osho ko samgha.
सारा हृदय खोल कर विचार दिया है बापू ने मेरा शत नमन उनके चरणों में ... ये मैं अपनी ज़िम्मेवारी से बोल रहा हूँ साहब..... wahh
The Great Osho.... And Great... Sant.. Morari bapu.... I love both of you...... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
The great man Morari bapu and Osho and great listener
ओशो शब्दातित है समय के भाती था ,,,, है ओर सदा रहगा,,,,
वक्ताओं ने बढ़िया जानकारी दी।
Osho was a gift to humanity
what a grt8 way to giving tribute. only grt8 ppl can praise great8 ppls. sat sat pranam