बहुत मजेदार कहानी।अपने पुराने सामान को हम भारतीय बहुत दिल से सहेज कर रखते है।मेरी एक सखी ने पुराने पीतल के बर्तन सुंदर तरीके से सजा कर रखे है।जो बहुत ही आकर्षक लगते है।
मेरी शादी 1964मेम हुई थी और उससमय की ससुर जी की डायरी हिसाब वाली मेरे हाथ उनकी मृत्यु बाद लगी।वे सरकारी ठेकेदार थे और खर्च में लिखा था...2-2 रु.हर मजदूर को और मिस्त्री को 5रु.रोजाना।बस यही याद है अभी। बहुत आश्चर्यजनक हिसाब था आज के जमाने में।
Bahut khoob
धन्यवाद जी 🙏♥️
बहुत मजेदार कहानी।अपने पुराने सामान को हम भारतीय बहुत दिल से सहेज कर रखते है।मेरी एक सखी ने पुराने पीतल के बर्तन सुंदर तरीके से सजा कर रखे है।जो बहुत ही आकर्षक लगते है।
♥️🥰
Bahut hi khubsurat prastuti 🙏
Thanks dear Poonam ji 😊♥️🌹
बहुत बहुत सुन्दर कहानी है
🙏♥️
Sachmuch sun kar bahut hi anand aaya.
मुझे भी पढ़ने में बहुत अच्छा लगा😊🙏
Dhol ke bheetar pol bahut jagah hai
जन्म वाली डायरी मेरे पापा के घर भी है
हर बच्चे के जन्म की डिटेल है इसमे
👍👍 जी Anju जी
Beautiful Memories 💕
मेरी शादी 1964मेम हुई थी और उससमय की ससुर जी की डायरी हिसाब वाली मेरे हाथ उनकी मृत्यु बाद लगी।वे सरकारी ठेकेदार थे और खर्च में लिखा था...2-2 रु.हर मजदूर को और मिस्त्री को 5रु.रोजाना।बस यही याद है अभी। बहुत आश्चर्यजनक हिसाब था आज के जमाने में।
प्रिय कुमुद जी.. बिल्कुल सही लिखा आपने .. पुराने ज़माने की बात ही अलग थी ♥️🙏
Aapne toh haveli ke ander ka dar a itihas hi bata diya
🙏😊💕