'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत' एक प्रसिद्ध हिन्दी लोकोक्ति है. इसका अर्थ है कि समय बीत जाने के बाद पछताने या प्रयास करने से कोई फ़ायदा नहीं होता. यह कहावत आलसी और भाग्य पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए चरितार्थ होती है.
बहुत ही अफसोस कि बात है कि हमारे नगर पंचायत रोहतास की एक मात्र खेल मैदान अब हम से अब बिछड़ने वाला है अभी भी हमें पूरी उम्मीद है अपने नगर पंचायत रोहतास की chairman और चेनारी विधानसभा के विधायक और सासाराम लोक सभा के सांसद जी से की इस खेल मैदान को चाहे जैसे भी हो हमारे आने भविष्य के हवाले कर दिया जाए यह आप की कृपा नगर पंचायत रोहतास के लोगों के ऊपर होगा और सबसे ज्यादा नियाजी वीडियो का शुक्र गुजार हूं कि आपने हम लोगों के दर्द को दिखाने का काम किया है और हमें आगे भी आपसे यही उम्मीद है
ग्राउंड बचाने का सिलसिला तो पहले से ही शुरू होना चाहिए था जब ग्राउंड की स्थिति खराब हो गई थी वहां पर नाली का पानी जमा हो जा रहा है जो की खेल बंद हो गया था अगर खेल ा जाता खेल होते रहता तो ग्राउंड बचाया जाता है इसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा नहीं लिया अब जो हाईकोर्ट के अधीन जमीन चला गया और इसका बिक्री हो गया। अब तो और मुश्किल हो गई है
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'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत' एक प्रसिद्ध हिन्दी लोकोक्ति है. इसका अर्थ है कि समय बीत जाने के बाद पछताने या प्रयास करने से कोई फ़ायदा नहीं होता. यह कहावत आलसी और भाग्य पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए चरितार्थ होती है.
बहुत ही अफसोस कि बात है कि हमारे नगर पंचायत रोहतास की एक मात्र खेल मैदान अब हम से अब बिछड़ने वाला है अभी भी हमें पूरी उम्मीद है अपने नगर पंचायत रोहतास की chairman और चेनारी विधानसभा के विधायक और सासाराम लोक सभा के सांसद जी से की इस खेल मैदान को चाहे जैसे भी हो हमारे आने भविष्य के हवाले कर दिया जाए यह आप की कृपा नगर पंचायत रोहतास के लोगों के ऊपर होगा और सबसे ज्यादा नियाजी वीडियो का शुक्र गुजार हूं कि आपने हम लोगों के दर्द को दिखाने का काम किया है और हमें आगे भी आपसे यही उम्मीद है
सबसे दुर्भाग्य कि बात है कि रोहतास का कोई नेता या जनप्रतिनिधि ने सच के लिए और लोगो की हक के लिए आवाज नही उठाते हैं।
ग्राउंड बचाने का सिलसिला तो पहले से ही शुरू होना चाहिए था जब ग्राउंड की स्थिति खराब हो गई थी वहां पर नाली का पानी जमा हो जा रहा है जो की खेल बंद हो गया था अगर खेल ा जाता खेल होते रहता तो ग्राउंड बचाया जाता है इसमें लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा नहीं लिया अब जो हाईकोर्ट के अधीन जमीन चला गया और इसका बिक्री हो गया। अब तो और मुश्किल हो गई है
Bhut dukh ki baat h
Ab kuch nhi hoga kabhi akbarpur mein ground nhi banega sirf bolte bolte aaj ground chl gya