मंत्री पूजन विधि। मातृ पूजन। मायन जनेऊ पूजन। मंडप पूजा,कोहबर पूजा,कुटना मनछुआ,तारा तीरना,मैत्रीपूजन

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 16 фев 2024
  • मंत्री पूजन विधि । मातृ पूजन । मायन जनेऊ पूजन । मंडप पूजा, कोहबर पूजा, कुटना मनछुआ, तारा तीरना, मैत्रीपूजन मायन पूजा
    मायन गीत
    मंडप पूजन विधि
    मंडप पूजन
    मातृ पूजन विधि मंत्री पूजा विधि
    मंत्री पूजा सामग्री
    मंत्री पूजा
    मंत्री पूजा विधि
    मंत्री पूजा के गाना
    mantri ki puja ka gana
    mantri puja kaise hota hai
    mantri pooja विवाह मंत्री पूजा कैसे करें
    विवाह पूजा
    विवाह मंडप पूजन विधि
    विवाह विधि
    विवाह मंत्र mantri pujan me samagri
    mantri puja geet
    mantri puja song
    mantri puja vidhi
    mantri puja ka gana
    mantri puja kaise hota hai
    mantri puja kaise karen matrika pujan vidhi
    matrika pujan song
    matrika pujan mantra
    matrika pujan geet
    matrika pujan
    मातृका पूजन
    मातृका पूजन मंत्र
    saptamatrika pujan
    जनेऊ गीत
    जनेऊ क्या होता है
    जनेऊ कैसे बनाते हैं
    जनेऊ धारण करने का मंत्र
    जनेऊ कैसे पहने
    जनेऊ मंत्र
    जनेऊ बनाने की विधि
    जनेऊ धारण करने के नियम
    जनेऊ पहनने का मंत्र
    जनेऊ संस्कार मंत्री पूजा विधि
    मंत्री पूजा
    मंत्री पूजा क्या होता है
    विवाह पूजा पद्धति
    विवाह मंडप पूजन विधि। matrika pujan in navratri
    shodash matrika pujan
    मंत्री पूजा क्या होता है
    विवाह पूजा पद्धति
    विवाह मंडप पूजन विधि #विवाह #मंत्रीपूजन #मायनजनेऊ #कोहबर #तारातीरना #सिंदूरदान #आचार्यनरेन्द्रशुक्ल
    लड़की के हाथ में चावल-गुड़-सिन्दूर की डिब्बी रखकर कोहबर से एक सोहागवती स्त्री कन्या को आँगन में ले आवे चौक पर बिठा दे।
    लगनपत्री की पूजा कराये लगनपत्री पढ़कर सब को सुना दे। लगनपत्री के भीतर पीला चावल व खड़ी हल्दी सुपारी, १ रुपया २ पैसा दूब रखकर उसे लपेट देः कलाईनारा से अच्छी तरह लपेट कर बाँध दे।
    लग्नपत्री के ऊपर ५ जगह ऐपन-सेन्दुर लगवा दे।
    ब्राह्मण को दक्षिणा दे नाई को न्यौछावर दे।
    लड़की के हाथ में सिन्दूर की डिब्बी रखकर कोहबर ले जाय, ले जाते समय आगे-आगे पानी की धार देता रहे। कोहबर में ले जाकर सिन्दूर की डिब्बी वहाँ पर रखा दे, लड़की को दही बताशा खिला दे।
    कन्या के घर से लगन आने पर बर के घर में बर को पूर्वमुख बैठाकर गौर गणेश कलश की पूजा कराने के बाद लग्नपत्री की पूजा करावे। फिर लगन खोलकर उसे पढ़े।
    उसके बाद नाई, ब्राह्मण को न्योछावर व दक्षिणा दे।
    वर को कोहबर में ले जाय और उसे दही गुड़ चखावे ।
    बर को कोहबर में ले जाते समय उसके आगे जल की धार देते रहना चाहिए।
    चकरी
    कुछ जातियों में लगन पुजाने के पहले लड़की के यहाँ और लगन खोलने के पहले वर के यहाँ चकरी की पूजा होती है। कुछ जातियां में मटमंगग, गीतकढ़ेया के दिन ही चकरी रखी जाती है। अपने कुल-जाति के अनुसार यह रशम करना चाहिए।
    मठमंगरा गीत स्त्रियों मंगलगान करती हैं। घर में बाहर जाकर बाग-बगीचा अथवा अन्य शुद्ध स्थान से मिट्टी खोद कर लाती हैं फिर बैठकर मूमल- ओखर्ग सूप आदि की पूजा करती हैं और जिसका विवाह हो रहा है उसके हाथ-पाँव में हल्दी उपटन लगानी हैं। जहां चकरी पहले नहीं रखी गयी है, वहाँ चकरी रखी जाती है, पीले कपड़े के टुकड़े में राई-नमक-आटे का चोकर रखकर पुटली बना दे और कलाई से बाँध दे फिर कन्या अथवा वर से उसकी पूजा करा दे। १ पुटली तथा लोहे की अँगूठी वर के दाहिने एवं कन्या के बायें हाथ में बाँध दे। बाकी ४ में से १ खम्भा में, १ कलश में, १ पीढ़ा में, १ गेडुआ (पूजाजलपात्र) में बाँधना चाहिए। ब्राह्मण को तेल-कंगन की दक्षिणा और नाई को न्यौछावर दे।
    कन्या या बर के हाथ में सिन्दूर की डिब्बी देकर उसे कोहबर में ले जाय और उसे दही-बताशा खिलायें। कोहबर में ले जाते समय जल की धार देता रहे।
    पून-पुनौती सिल पोहने के पहले कन्या या वर की माता ५ सोहागवती स्त्रियों के साथ जाकर कुआँ या तालाब या नदी पूजें, मिट्टी खोदें और अपने आँचल में थोड़ी सी मिट्टी लेती आवें।
    मण्डप में माता आकर पश्चिम मुख खड़ी हो कन्या पिता अथवा वर पिता को पूर्व मुख खड़ा कर उसके दुपट्टे में उस मिट्टी को ५ चार अदला बदली करे।
    इसी को पून-पुनौती कहते हैं। इसी मिट्टी से विवाह के लिए पिहानी या चूल्हा बनाना चाहिए। माता-पिता दोनों मण्डप के नीचे कलश के उत्तर आमने-सामने बैठ कर गाँठ बाँधकर सिल पोहें।
    • सिल पोहने की विधि--
    २ सिल, २ लोढ़ा सामने रखकर दोनों का ऊपरी हिस्सा मिला दे।
    सिल लोढ़े पर ५-५ जगह ऐपन, सेंदुर लगावें। अक्षत-गुड़ रखें।
    दाल पीसते समय दोनों के ऊपर चुनरी या पीली धोती डाल दे।
    ५ बार पीसकर दोनों उठें और घूमकर एक-दूसरे के सिल पर जा-जाकर दाल पीसें।
    घूमते समय लोढ़ा नहीं छोड़ना चाहिए, एक-दूसरे के लोढ़े को पकड़ लेना चाहिए।
    सिल पोहना
    उरद और चने की भीगी हुई दाल थोड़ी-थोड़ी दोनों सिल पर रखकर पीसे।
    इसी तरह ५ बार घूमें। बाद में दोनों सिल की दाल एक पर रखकर पत्नी को पीसना चाहिए। पीसने के बाद चुनरी हटाकर दोनों कलश के सामने बैठकर देव-पितरों की पूजा करें। तेल
    वर या कन्या के हाथ में चावल, गुड़, सिन्दूर की डिबिया रखकर कोहबर से मण्डप में ले आयें।
    • तेल चढ़ावें। विधि--
    कडू तेल में सूखी पीसी हल्दी डालकर दूब से पहले ब्राह्मण चढ़ावें।
    फिर ५ कुमारी कन्याएँ वर अथवा कन्या को तेल ३ बार लगायें।
    तेल चढ़ाने के समय वर या कन्या के हाथ में गुड़ चावल सिन्दूर की डिबिया रख दे। □ तेल दोनों पैर की अंगुलियों में, पैर के घुटने में, हाथ की कलाई और घुटने में, दोनों कन्धों पर और माथ में लड़कियों को ५-५ बार छुवाना चाहिए। पाँचों जगह छुवाकर दूब को चूमना चाहिए। लड़कियाँ तेल चढ़ा लें तो हाय का चावल-गुड़ उस लड़की को दे दें।
    इसी तरह पाँचों कन्या को अलग-अलग गुड़-चावल देना चाहिए। तेल चढ़ाने का मन्त्र- ओमु काण्डातू काण्डात् प्ररोहन्ति परुषः परुषस्परि। एवानो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च
    इसके बाद नाइन या सोहागवती श्री तेल को मल दे।
    ब्राह्मण कंगन बाँधे। कंगन विधि-

Комментарии • 98