तुलसी दास जी चलले ससुररिया ए दईया भादों के अनंरिया ।गंगा रे जमुनावा के निरमल जालावा मुदा दहाला।

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 22 ноя 2024

Комментарии • 6