ચોર્યાસી કોસ વ્રજ પરિક્રમા ભાગ-૨ || 84 Kos Vraj || Shri Dwarkeshlalji Kadi Ahmedabad

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  • Опубликовано: 26 ноя 2024

Комментарии • 2

  • @PushtiRasamrut
    @PushtiRasamrut 4 месяца назад +3

    ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं।
    बृंदावन गोकुल तन आवत सघन तृनन की छाहीं॥
    प्रात समय माता जसुमति अरु नंद देखि सुख पावत।
    माखन रोटी दह्यो सजायौ अति हित साथ खवावत॥
    गोपी ग्वाल बाल संग खेलत सब दिन हंसत सिरात।
    सूरदास, धनि धनि ब्रजबासी जिनसों हंसत ब्रजनाथ॥

  • @MayaShah-s7m
    @MayaShah-s7m 4 месяца назад

    Jay ho vallbh kual na balko ni jay ho