Final Aarti of HH Gopal Krishna Goswami Maharaj ji🙏

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  • Опубликовано: 14 окт 2024

Комментарии • 84

  • @Tirth_Yatra108
    @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

    ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
    चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
    Meaning
    मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢😢😮😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮😢😢😢😢

  • @Tirth_Yatra108
    @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

    ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
    चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
    Meaning
    मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😢😮😢😮😮😢😢

  • @goallajawahar25
    @goallajawahar25 5 месяцев назад +1

    Hare krishna Hare krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare 🙏🏾 🙏🏾

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢😢

  • @gyansharma5751
    @gyansharma5751 5 месяцев назад +2

    Hare krishna maharaj dandvant prnam 🙏

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😮😢😢😮

  • @craftcraft3395
    @craftcraft3395 5 месяцев назад +1

    🙏🙏🙏

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢😢😮

  • @Divyanka_Sharma
    @Divyanka_Sharma 5 месяцев назад +2

    Hare Krishna 🙏🏻 dandvat pranam Maharaj ji 🙏🏻🙏🏻

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😮😢😮😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😢😢😢

  • @Tirth_Yatra108
    @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

    ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
    चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
    Meaning
    मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😮😢😮😢😮😢😢😮😢😮

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      Hare Krishna Hare Krishna
      Krishna Krishna Hare Hare
      Hare Rama Hare Rama
      Rama Rama Hare Hare
      All glories to srila prabhupad🙏🙏🙏🙏🙏

  • @Divyanka_Sharma
    @Divyanka_Sharma 5 месяцев назад +3

    Hare Krishna Maharaj ji aap hamesha hamare ❤ hridaya me rahenge 😢😢😢 I miss you pujya Maharaj ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻✨🌺🌺🌼❤️

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ।

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      Hare Krishna Hare Krishna
      Krishna Krishna Hare Hare
      Hare Rama Hare Rama
      Rama Rama Hare Hare
      All glories to srila prabhupad🙏🙏🙏🙏🙏
      H.H Gopal Krishna goswami Maharaj ji ki Jay 🙏🙏🙏

  • @Madhav1208
    @Madhav1208 5 месяцев назад +1

    ❤❤Hare Krishna❤❤

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      Hare Krishna Hare Krishna
      Krishna Krishna Hare Hare
      Hare Rama Hare Rama
      Rama Rama Hare Hare
      All glories to srila prabhupad🙏🙏🙏🙏🙏
      H.H Gopal Krishna goswami Maharaj ji ki Jay 🙏🙏🙏

  • @Radharanikismile
    @Radharanikismile 5 месяцев назад +1

    राधावल्लभ श्री हरिवंश 🙏🙏❤❤❤

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢😢

  • @amarendratiwari10
    @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

    संसार-दावानल-लीढ-लोक
    त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
    प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
    वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
    महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
    वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
    रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
    श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
    श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
    युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
    चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
    स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
    कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
    श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
    माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
    प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
    निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
    या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
    तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
    साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
    उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
    किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
    यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
    यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
    ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
    वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
    😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢

  • @Panduranguyach
    @Panduranguyach 5 месяцев назад +3

    Mahaprabhuji @bhagawan Shri Krishna prbhu dham💐🙏✍️ Hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare ! hare Ram hare Ram Ram Ram hare hare

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +1

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😢😮😢😢

  • @Radharanikismile
    @Radharanikismile 5 месяцев назад +1

    हरे कृष्ण 🙏🙏❤❤

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😮😢😮😢😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      Hare Krishna Hare Krishna
      Krishna Krishna Hare Hare
      Hare Rama Hare Rama
      Rama Rama Hare Hare
      All glories to srila prabhupad🙏🙏🙏🙏🙏
      H.H Gopal Krishna goswami Maharaj ji ki Jay 🙏🙏🙏

  • @amarendratiwari10
    @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

    All glories to guru Maharaj ji😢😢😢😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +1

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮😢😢😢

  • @nirmalak5334
    @nirmalak5334 5 месяцев назад +2

    Jai gurudev ❤Jai prabhupada ❤

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😮😢😮😮😢😮

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢

  • @tehelkaviral8447
    @tehelkaviral8447 5 месяцев назад

    Om Shanti Om Shanti Om Shanti

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      शुद्ध-भकत-चरण-रेणु,
      भजन अनुकूल।
      भकत सेवा, परम-सिद्धि,
      प्रेम-लतिकार मूल॥1॥
      माधव-तिथि, भक्ति जननी,
      यतने पालन करि।
      कृष्ण वसति, वसति बलि,
      परम आदरे बरि॥2॥
      गौर आमार, ये सब स्थाने,
      करल भ्रमण रंगे।
      से-सब स्थान, हेरिब आमि,
      प्रणयि-भकत-संगे॥3॥
      मृदंग-वाद्य, शुनिते मन,
      अवसर सदा याचे।
      गौर-विहित, कीर्तन शुनि’,
      आनन्दे हृदय नाचे॥4॥
      युगल-मूर्ति, देखिया मोर,
      परम-आनन्द हय।
      प्रसाद-सेवा, करिते हय,
      सकल प्रपन्च जय॥5॥
      ये दिन गृहे, भजन देखि
      गृहते गोलोक भाय,
      चरण-सीधु, देखिया गंगा,
      सुख ना सीमा पाय॥6॥
      तुलसी देखि, जुड़ाय प्राण,
      माधवतोषणी जानि’।
      गौर-प्रिय, शाक-सेवने,
      जीवन सार्थक मानि॥7॥
      भकतिविनोद, कृष्ण भजने,
      अनुकूल पाय याहा।
      प्रति-दिवसे, परम सुखे,
      स्वीकार करये ताहा॥8॥

  • @AnkitaRai_21
    @AnkitaRai_21 5 месяцев назад +3

    Maharaj ji ke charno main mera koti koti pranam ❤🌷🌺😢🙏

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

      All glories to srila prabhupad and guru Maharaj ji🙏

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮😢😢

  • @blackpentherofgod5639
    @blackpentherofgod5639 5 месяцев назад +1

    😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢😢😮😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      Hare Krishna Hare Krishna
      Krishna Krishna Hare Hare
      Hare Rama Hare Rama
      Rama Rama Hare Hare
      All glories to srila prabhupad🙏🙏🙏🙏🙏
      H.H Gopal Krishna goswami Maharaj ji ki Jay 🙏🙏🙏

  • @narayanlamichhane9344
    @narayanlamichhane9344 5 месяцев назад +2

    Hare krishna

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢

  • @AdvVasantSYadav
    @AdvVasantSYadav 5 месяцев назад +2

    All glories to srila gurudev

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮😢

  • @vandanakuchhal2688
    @vandanakuchhal2688 5 месяцев назад +2

    Hari Hari ❤jai Shrila Gurudev jai Shrila Prabhupad and Their mission.unable to digest this loss.😭😭😭🙏🙇‍♀️🌷❤️vimala tulsi dd

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +2

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮

  • @prakharbansal5797
    @prakharbansal5797 5 месяцев назад +3

    Maharaja left for the supreme abode 🙏

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😮

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ।

  • @MithunHazra-t1s
    @MithunHazra-t1s 5 месяцев назад +2

    হরে কৃষ্ণ প্রভুজি আপনার কমল চরনের অহেতুকি ধুলি কৃপা প্রার্থনা করি

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +1

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад +1

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😢😮😢

  • @sanusingh4748
    @sanusingh4748 5 месяцев назад +1

    🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😮😢😢😮😢

  • @narayanlamichhane9344
    @narayanlamichhane9344 5 месяцев назад +1

    Jay shree gurudev

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😮😢😮😢😢

  • @PawanSharma-lo5tu
    @PawanSharma-lo5tu 4 месяца назад

    जे आनिल प्रेमधन करुणा प्रचुर।
    हेन प्रभु कोथा गेला अचार्य ठाकुर॥1॥
    काँहा मोर स्वरूप-रूप, काँहा सनातन?
    काँहा दास-रघुनाथ पतितपावन?॥2॥
    काँहा मोर भट्‌टयुग, काँहा कविराज?
    एक काले कोथा गेला गोरा नटराज?॥3॥
    पाषाणे कुटिबो माथा, अनले पशिब।
    गौरांङ्ग गुणेर निधि कोथा गेले पाब?॥4॥
    से सब संगीर संगे जे कैल विलास।
    से संग ना पाइया कान्दे नरोत्तमदास॥5

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  4 месяца назад

      Hare Krishna Hare Krishna
      Krishna Krishna Hare Hare
      Hare Rama Hare Rama
      Rama Rama Hare Hare
      All glories to srila prabhupad🙏🙏🙏🙏🙏
      H.H Gopal Krishna goswami Maharaj ji ki Jay 🙏🙏🙏

  • @Hiii57878
    @Hiii57878 5 месяцев назад +1

    JAI SRILA GURUDEV ❤️❤️❤️❤️ JAI SRILA PRABHUPADA ❤❤❤❤❤

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +1

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +1

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😮😢😮😮

  • @elssoekhoe891
    @elssoekhoe891 5 месяцев назад +1

    Hare krishna😂😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад +1

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥
      😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😢😮😢😢

  • @rahuldebbarbanroyrahul853
    @rahuldebbarbanroyrahul853 5 месяцев назад +1

    Hare krishna

    • @amarendratiwari10
      @amarendratiwari10  5 месяцев назад

      संसार-दावानल-लीढ-लोक
      त्राणाय कारुण्य-घनाघनत्वम्।
      प्राप्तस्य कल्याण-गुणार्णवस्य
      वन्दे गुरोःश्रीचरणारविन्दम्॥1॥
      महाप्रभोः कीर्तन-नृत्यगीत
      वादित्रमाद्यन्‌-मनसो-रसेन।
      रोमाञ्च-कम्पाश्रु-तरंग-भाजो
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥2॥
      श्रीविग्रहाराधन-नित्य-नाना।
      श्रृंगार-तन्‌-मन्दिर-मार्जनादौ।
      युक्तस्य भक्तांश्च नियुञ्जतोऽपि
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥3॥
      चतुर्विधा-श्री भगवत्‌-प्रसाद-
      स्वाद्वन्न-तृप्तान्‌ हरि-भक्त-संङ्घान्।
      कृत्वैव तृप्तिं भजतः सदैव
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥4॥
      श्रीराधिका-माधवयोर्‌अपार-
      माधुर्य-लीला-गुण-रूप-नाम्नाम्।
      प्रतिक्षणाऽऽस्वादन-लोलुपस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥5॥
      निकुञ्ज-युनो रति-केलि-सिद्धयै
      या यालिभिर्‌ युक्तिर्‌ अपेक्षणीया।
      तत्राति-दक्ष्याद्‌ अतिवल्लभस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥6॥
      साक्षाद्‌-धरित्वेन समस्त शास्त्रैः
      उक्तस्तथा भावयत एव सद्भिः।
      किन्तु प्रभोर्यः प्रिय एव तस्य
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥7॥
      यस्यप्रसादाद्‌ भगवदप्रसादो
      यस्याऽप्रसादन्न्‌ न गति कुतोऽपि।
      ध्यायंस्तुवंस्तस्य यशस्त्रि-सन्ध्यं
      वन्दे गुरोः श्रीचरणारविन्दम्॥8॥😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😮😢😢😮😢😢😮😢

    • @Tirth_Yatra108
      @Tirth_Yatra108 5 месяцев назад

      ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।
      चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः॥
      Meaning
      मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्पन्न हुआ था, और मेरे गुरु ने अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से मेरी आँखें खोल दीं। मैं उन्हें सादर नमस्कार करता हूँ। 😮😢😮😢😮😢