सड़क बन कर पैसे की बर्बादी की है, कोई जरुरत नही थी ऊपर सड़क की सड़क के आने से जंगल तो गया ही, लोगों के खेत भी जा रहे है, ओर जब पता है कि सड़क बरसात में नीचे आ रही है, तो वह पर पुश्ता क्यू नही रखा गया, समय बर्बाद और व्यापारियों का समय भी बर्बाद हो रहा है, जय उत्तराखंड
आ सकती नही आ रही है, आप कल्पना भी नही कर सकते कि कितना मलबा यहां दोनों रोड पर आया, मार्ग 12 घंटे बाधित रहा और मलबे से गाँव का जंगल और खेती जो बर्बाद हुई और भविष्य मे होगी, उसका अनुमान लगाना मुश्किल है, गाँव वालों को किसी और गाँव के लिए अपना uper का जंगल से और खतों से रास्ता देने जा यह दंड भुगतना पड़ रहा है.
यह एक गलत तरिके से रोड बनाने का नतिजा है , PWD की भंयकर गलत , रोड बनने से पहले ही इसकी आशंका बातायी गयी थी ।यदि इस सड़क को कन्याविद्यालय से बनवायी जाती तो बिना बैन्ड से ही तथा बहुत कम नुक्सान के बनती , पहले सर्वे कन्याविद्यालय से किया था , पता नही क्यो बदल दिया गया । यह समस्या कभी भी दुवारा बरसात में होगी ,।
सूचना देने का धन्यवाद भाईसाब
भाई साहब जी नमस्ते जानकारी देने के लिए धन्यवाद जी आप को धन्यवाद जी ❤❤❤❤❤❤😊😊😊😊😊😊😊
Yahan per jaldi se jaldi pustak Banna chahie
यहां बार बार ऐसा होता है। इस बार इसका स्थायी समाधान होना चाहिए।
सभी को नमस्कार....
रोड की गलत प्लानिंग का नतीजा कई सालो तक भुगतान पड़ेगा 😢😢
सड़क बन कर पैसे की बर्बादी की है, कोई जरुरत नही थी ऊपर सड़क की सड़क के आने से जंगल तो गया ही, लोगों के खेत भी जा रहे है, ओर जब पता है कि सड़क बरसात में नीचे आ रही है, तो वह पर पुश्ता क्यू नही रखा गया, समय बर्बाद और व्यापारियों का समय भी बर्बाद हो रहा है, जय उत्तराखंड
Es road par PWD ko dyan Dena chaye bhai ji barsat me kabi bi musibat AA sakti hai
आ सकती नही आ रही है, आप कल्पना भी नही कर सकते कि कितना मलबा यहां दोनों रोड पर आया, मार्ग 12 घंटे बाधित रहा और मलबे से गाँव का जंगल और खेती जो बर्बाद हुई और भविष्य मे होगी, उसका अनुमान लगाना मुश्किल है, गाँव वालों को किसी और गाँव के लिए अपना uper का जंगल से और खतों से रास्ता देने जा यह दंड भुगतना पड़ रहा है.
यह एक गलत तरिके से रोड बनाने का नतिजा है , PWD की भंयकर गलत , रोड बनने से पहले ही इसकी आशंका बातायी गयी थी ।यदि इस सड़क को कन्याविद्यालय से बनवायी जाती तो बिना बैन्ड से ही तथा बहुत कम नुक्सान के बनती , पहले सर्वे कन्याविद्यालय से किया था , पता नही क्यो बदल दिया गया । यह समस्या कभी भी दुवारा बरसात में होगी ,।