चार्वाक दर्शन महान प्राचीनतम, वैज्ञानिक, यथार्थ, और तार्किक दर्शन है.....जो पाखंड और कर्मकांड को दरकिनार करते हुए समस्त अन्धविश्वासों का सीधा सटीक खंडन करते है.....
हिंदू अपनी पूजा पाठ वेदिक दर्शन कर के करते हैं और अपनी दिनचर्या और व्यापार में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए चार्वाक दर्शन के अनुसार व्यवसाय करते हैं। वेदिक दर्शन काल्पनिक है और चार्वाक दर्शन वास्तवीक है। इसलिए हिन्दू धर्म, चार्वाक दर्शन को जीवन यापन करने पर जोर देते है।
राजेश जी पाश्चात्य सभ्यता चार्वाक का ही अनुसरण करती है, जिसमे कोई रिस्ते नाते सामाजिक व्यवस्थाएं नही हैं केवल वर्तमान में रह कर भोग करो उसमे, माँ, मौसी चाची,बुआ,बहन में कोई फर्क नही किसी से भी कैसा भी व्यवहार करो।
चार्वाक दर्शन नहीं philosophy है। खाओ,पियो ऐश करो। जो दिखता है बस वहीं तक सीमित है। दर्शन जो बाहर है वोह अपने अंदर भी है अंतर्दृष्टि से देखने का विज्ञान है।Life must be goal oriented not half goal ⚡🪐💞
बहुत सुंदर प्रस्तुति। बधाई। कपोत कबूतर है। कबूतर में मांस बहुत कम होता है मयूर में अधिक, इसलिए हाथ में आया कबूतर उस मयूर से बेहतर है, जो अभी उपलब्ध नहीं है।
यावज्जीवं सुखं जीवेतास्ति मृत्योगोचर: भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:? भावार्थ - जब तक जीवन है, सुखपूर्वक जिए, ऐसा कोई नहीं जो मृत्यु को प्राप्त न हो, जब शरीर एक बार जलकर राख हो गया, जब यह दोबारा कैसे आएगा? अर्थात यह दोबारा आने वाला नहीं........
Very good explanation. Charwak darshan shall be understood in entirety. It has elements that are relevant even today. It is based on sound reason and object knowledge rather than conceptual imagination in Vedas. It is more relevant to address day-to-day affairs of life. It appears that mostly we live charwack darshan but preach vedic way of life. A life that neither true to oneself nor others. Need to see truth deep and clear.
उपनिषद केवल यह कहते है की हम की भी निर्णय लेते है वो बाहरी परिस्थितियों के द्वार निर्मित होता है ,यह हमारी इच्छा नहीं है । अतः अपने मन का निर्माण करना पड़ता है यही मोक्ष है।
चार्वाक दर्शन को समझ लेने लिए पहले आप एक बार चार्वाक दर्शन (धर्म के धंधे की पोल खोल) नामक किताब जिसे डॉ सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने लिखा है उसे पढ़ ले। आपके समझ में बहुत कुछ बढ़ोतरी होगी
Brihaspati ji ne Indra ko sabak sikhane ke liye Charwak Darshan diya ...kripya yah bhi sabko batayiye...sath hi Vedant darshan pr bhi kuch prakas daliye.
चार्वाक दर्शन भौतिक वादी दर्शन है जिसमें भोतिकता को महत्व दिया गया है। और आज दुनिया भोतिकता पर ही टिकी हुई हैं। आत्मा परमात्मा पर विश्वास करने वाले भौतिक सुख सुविधाओं का आनंद लें रहे हैं।
श्रीमान लोकायत दर्शन इसलिए नहीं कहा जाता क्योंकि इसके मानने वाले लोग बहुत थे , बल्कि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दर्शन इस लोक और भौतिक जगत को मानता है। स्वर्ग , नर्क , मुक्ति ,पुनर्जन्म आदि को नहीं मानता। कुल मिलाकर ये अपने जमाने का राम रहीम, और आशाराम दर्शन है।
महोदय जैसे चर्वाक शब्द के अनेक अर्थ हैं वैसे ही लोकायत शब्द के अनेक अर्थ लिए जाते हैं। शाब्दिक अर्थ के अनुसार जो लोक में व्याप्त है वही लोकायत है। आज भी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में इसी मत का बोलबाला है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस दर्शन के कारण उस जमाने के कई पाखंडियो(जैसा कि अपने कुछ नाम लिए है) की पोल खोली। लोगो को तार्किक बनाया और हमारे दर्शन को भी।
@@SamkhyaIAS श्रीमान एक शब्द के अनेक अर्थ हो सकते हैं। परन्तु ये तर्क कि बहुसंख्यक समाज द्वारा इसका अनुसरण किया गया या वर्तमान में सभी लोग चार्वाक के सिद्धांतों का पालन करते हैं, यह मेरे समझ से परे है। क्योंकि आज तक मैंने एक भी शादी नहीं देखी जहां पंडित और मंत्रोच्चारण के बिना शादी हुई हो । अन्नप्राशन, मुंडन , यज्ञोपवित, विवाह , मृत्यु के उपरांत दाह संस्कार, ये सभी कर्मकाण्ड के विरोध में ही चार्वाक महान जी ने हमें अपना अमूल्य ज्ञान दिया।
@@Ramesh3987 मित्र इसीलिए मैंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष शब्द का प्रयोग किया है।प्रत्यक्ष भौतिकवादी वे हैं जो आध्यात्मिक सत्ता को स्वीकार नही करते तथा अप्रत्यक्ष भौतिकवादी वे हैं जो आध्यात्मिक सत्ताओ को इसलिए स्वीकार करते है ताकि उन्हें भौतिक सुख प्राप्त हो सके। इस दृष्टि से आप देखेंगे तो प्रत्येक युग मे इस मत के समर्थक बहुसंख्यक में ही हैं। वास्तव में जितने भी संस्कारो का उल्लेख अपने किया है वो जीवन मे भौतिक सफलताओ के लिए ही आयोजित किए जाते रहे है। इस रूप में ये सभी संस्कार तो भौतिकवाद को ही मजबूती देते हैं।
neeraj bhai charvak darshan ke granth ko agar aaj dhoondhnaa ho jaise brihaspaty darshan ko aaj dhoodhnaa ho tau bhaarat ke kis praant mei talash karnee chahiye? ... kaheen naa kaheen kisee khandahar mei ho saktaa hai? kyaa ye granth hamaare desh kee seema se baahar gayaa ho tau kahaan jaa saktaa hai? desh ke baahar isko destroy na kiyaa gayaa ho
मित्र ,शुभ और अशुभ एक ही सिक्के के दो पहलू है। दोनों का अस्तित्व हमेशा से रहा है और प्रत्येक युग मे रहेगा। मानव लक्ष्य ही यही है कि किस सीमा तक बुराई को कम किया जा सकता है।
Punjiwadi, bhautikwadi, manuwadi hi charwak darshan ko maanne wale hote hain. Kyunki sansarik aur bhautik sukh ko pana, punjiwadio, bhautikwadio, manuwadio ka kaam aur maqsad hai.
उपनिषद नही कहते की मृत्यु के बाद कुछ मिलेगा । चार्वाक दर्शन उपनिषदों के कथनों के सिर्फ शाब्दिक अर्थों के विरोध में है । उपनिषद में गहरा अर्थ है naki keval शाब्दिक अर्थ।
Khao piyo ais karo... it's like, credit card..you enjoy using it until bill is in your hand and then you are fucked up.. But still we live in same way...
चार्वाक दर्शन महान प्राचीनतम, वैज्ञानिक, यथार्थ, और तार्किक दर्शन है.....जो पाखंड और कर्मकांड को दरकिनार करते हुए समस्त अन्धविश्वासों का सीधा सटीक खंडन करते है.....
excellent topic; sir aap ne liya hai .thanks sir.
ग्रेट
हिंदू अपनी पूजा पाठ वेदिक दर्शन कर के करते हैं और अपनी दिनचर्या और व्यापार में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए चार्वाक दर्शन के अनुसार व्यवसाय करते हैं।
वेदिक दर्शन काल्पनिक है और चार्वाक दर्शन वास्तवीक है। इसलिए हिन्दू धर्म, चार्वाक दर्शन को जीवन यापन करने पर जोर देते है।
🤣🤣🤣😂😂😂😊
@@disappear492 yes anpadh zahil bnaya ja rha hai desh ko
चार्वाक दर्शन समाज में बहुत बड़ी क्रांति ला सकता है। इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए।पुरानी सड़ी-गली अर्थहीन परम्पराओं से मुक्ति मिलेगी ।
राजेश जी पाश्चात्य सभ्यता चार्वाक का ही अनुसरण करती है, जिसमे कोई रिस्ते नाते सामाजिक व्यवस्थाएं नही हैं केवल वर्तमान में रह कर भोग करो उसमे, माँ, मौसी चाची,बुआ,बहन में कोई फर्क नही किसी से भी कैसा भी व्यवहार करो।
@@ashishgarg1155 जो अच्छा लगे उसे अपना लो जो बुरा लगे उसे जाने दो।
@@RajeshSharma-yj3gc जी शर्मा जी ,सार सार को गहि रहे थोथा देय उड़ाय।
चार्वाक दर्शन नहीं philosophy है।
खाओ,पियो ऐश करो। जो दिखता है बस वहीं तक सीमित है। दर्शन जो बाहर है वोह अपने अंदर भी है अंतर्दृष्टि से देखने का विज्ञान है।Life must be goal oriented not half goal
⚡🪐💞
Charwak darshan ko follow karne se samaj janwaron ke saman ho jayega. Trueth wahi hai jo ham mahsoos karte hai.
बहुत सुंदर प्रस्तुति। बधाई। कपोत कबूतर है। कबूतर में मांस बहुत कम होता है मयूर में अधिक, इसलिए हाथ में आया कबूतर उस मयूर से बेहतर है, जो अभी उपलब्ध नहीं है।
Thanks सर आपने हमारी असली संस्कृती का परिचय करवाया. हम अभी इसके बारेमे अधिक जाणकारी जुटाने की कोशिश करेंगे.
We should neither follow extreme level of Vedic Philosophy nor the extreme level of Charwak Darshan.
We should only follow the path of moderation.
यावज्जीवं सुखं जीवेतास्ति मृत्योगोचर:
भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:?
भावार्थ -
जब तक जीवन है, सुखपूर्वक जिए, ऐसा कोई नहीं जो मृत्यु को प्राप्त न हो, जब शरीर एक बार जलकर राख हो गया, जब यह दोबारा कैसे आएगा?
अर्थात यह दोबारा आने वाला नहीं........
मनोज भाई
हिटलर ने लाखों निर्दोष लोगों को तड़पा तड़पा कर मेरा था। अंत में वोह भी मारा गया। ईश्वर ऐसा तौ नहीं कि इंसाफ न करे।
हिटलर के साथ इंसाफ तब ही justified है तब उसे बार बार जिंदा कर के सजा मिले तब इंसाफ मिलेगा और यह ईश्वर के लिए आसान है स्वर्ग नरक इसीलिए तौ बने हैं
जो सक्ष्य है नही तो प्रश्न उठते रहै गै ।भगवान भूत प्रेत नर्क स्वर्ग की सव कोरी वकवाश दर्शन की विचारधारा निकलती है
कुलमिलाकर चार्वाक वर्तमान में इन्द्रिय भोग को सहमति प्रदान करते हैं।
हां भी है और नहीं भी हैं।
चार्वाक इस जीवन को आनंद पूर्ण जीवन और सुखमय जीवन जीने के लिए बताते हैं।
Punjiwadi, bhautikwadi, manuwadi vichardhara ke log hi charwaki hote hain.
@@rizwanalisalam1057 मनुवादी किसे कहते होंगे??
Superb amazing wonderful fascinating interesting beautiful video. Thank you very much for your valuable video.
बहुत सुंदर व्याख्यान
बहुत सुन्दर वीडियो सर जी ,,,,आगे भी ऐसे ही हमारा मार्गदर्शन करते रहे।।।।जय श्री कृष्णा।।।
Very good explanation. Charwak darshan shall be understood in entirety. It has elements that are relevant even today. It is based on sound reason and object knowledge rather than conceptual imagination in Vedas. It is more relevant to address day-to-day affairs of life. It appears that mostly we live charwack darshan but preach vedic way of life. A life that neither true to oneself nor others. Need to see truth deep and clear.
Your explanation style and Hindi accent is very good
Thank you
नैतिक मूल्यों पर आधारित चार्वाक दर्शन को नये शिरे से लिखने की जरुरत है
Why you stopped making more videos on Indian philosophy?? This is by far the best ever explanation I heard on Charvak philosophy.
"Eat drink and be merry" is also one type of philosphy of Charwak of west.
KEEP IT UP FOR THE SAKE OF HUMANITY LOVE KINDNESS WOMEN POWER PROSPERITY DIGNITY AND HAPPINESS
Thank you sir
Nice information 4 us
भगवान बुध्द की जो साधना है वो बहोत प्राचीन है ऊसी साधनासे वेद बने है साधना करते समय जो संवेदना ऊठती है ऊसी पर वेद लीखे गये है
Very useful video
Very well explained 🙏
Thanks
very nice sir I agree with you
उपनिषद केवल यह कहते है की हम की भी निर्णय लेते है वो बाहरी परिस्थितियों के द्वार निर्मित होता है ,यह हमारी इच्छा नहीं है । अतः अपने मन का निर्माण करना पड़ता है यही मोक्ष है।
Aj ke vidygan ke yug me charvak he tatva satya pratit hote he....charvak hameesha satya tha satya he or satya rahega
👌👌👍
चार्वाक दर्शन को समझ लेने लिए पहले आप एक बार चार्वाक दर्शन (धर्म के धंधे की पोल खोल) नामक किताब जिसे डॉ सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने लिखा है उसे पढ़ ले। आपके समझ में बहुत कुछ बढ़ोतरी होगी
आपके सुझाव के लिए धन्यवाद। आप श्रेष्ठ प्रतीत होते है
Charvak darshan pakandwad ka virodhi tha practical bat karta tha
वहुत शानदार सर
धन्यवाद
Sir aap bahut acha padhte hai plz sir phir se padhana start kar digiye plz sir🙏🙏🙏
कपोत means कबूतर in sanskrit..Good एक्सप्लनेशन सर
Brihaspati ji ne Indra ko sabak sikhane ke liye Charwak Darshan diya ...kripya yah bhi sabko batayiye...sath hi Vedant darshan pr bhi kuch prakas daliye.
प्रबुद्ध मानव मष्तिष्क मे लौकिक अलौकिक जैसी विचार प्रारंभिक काल से ही रही,जिसके वजह से चर्वाक दर्शन अपने प्रारंभिक काल से ही विमर्श का बिषय बन गया।
चार्वाक दर्शन भौतिक वादी दर्शन है जिसमें भोतिकता को महत्व दिया गया है। और आज दुनिया भोतिकता पर ही टिकी हुई हैं। आत्मा परमात्मा पर विश्वास करने वाले भौतिक सुख सुविधाओं का आनंद लें रहे हैं।
अति सुन्दर गुरुदेव
Thank u sir. U are best of philosophy
Thank you
Sir, Aap ne bahut achcha explain kiya, mantramugdh ho gye. Plx poore subject k sare lectures daliye. Mein philosophy ko optional le rha hu
Bahut easy language me aapne bahut ache se samjha h sir ji
आपका आभार
बहुत बढ़िया सर 🌹
Thanku sir 🙏🙏🙏🙏🙏🙏bhut Acha video h
धन्यवाद
Sir bhut hi acha gyan mila, sir socio political philosophy pr aur video bnaye
धन्यवाद। जी जल्द ही वीडियो अपलोड करूँगा
अप्रतिम 🙏🙏🙏
Very clear explanation,
Thanks
Thank you
Content awesome
Beautiful presentation 👍
Thankyou sir for this platform .
Thanku so much philosophy ka hindi m you tube pr upsc ke liye pahle bar acha teacher mila h
Sir aap bahut bahut ache se samjate hai sir please ek video sankracharya ke upar bna dijiye na sir please
sabhi charwak ko manege to bank se lone sab lenge fir koyi wapis nahi karega ....to zara sochiye ki GDP and Economy ka Qa hoga....
Nice clip
Great
बहुत उपयोगी विडियो, धन्यवाद महोदय 🙏🏻
धन्यवाद
मोछ !
Good information ,
Bhartiya sabhi darshan badiya hai
Interesting class...
Nice lecture
Thank you
No.1
Good...very nice video
धन्यवाद
चार्वाक दर्शन ही असली दर्शन है।
जब परमात्मा नही थे.तो, इतना सटिक ग्रन्थ कौन लिखा, कैसै आज भी, सर्वमुल्य पृथ्वी को कौन चला रहा है.
great
Thanks
Puri philosophy ki class upload karenge sir...???
Hanji complete course
@@SamkhyaIAS kat tak???
Isme samay lagega, week me 2 or 3 video upload hongi
@@SamkhyaIAS good sir...... kariyega jarur
आप चार्वाक के श्लोक को आप गलत पढ़ रहे हैं
प्रत्यक्ष चार्वाक ग्रंथ नाही milata, टीका के स्वरुप मे आलोचना milati है, unake ग्रंथ nasta kiye गये, isliye हम चार्वाक को न्याय नाही दे sakate
xcellent 👍
Thanks
Thanks Sarji.
Thank u sir charwak vichar dalne k liye .
Chatinya mahaprabhu achintya behdabehd
Siddhant ka vistar se gyan de
Can prescribe a good book about charvaka.. I want know about charvaka in depth
There is no such book on charvaka which is completely unbiased. But Tattvapallavsingh and sarvadarshan sanghra are good sources of charvaka philosophy
@@SamkhyaIAS ty
Sir aur videos dijiye
খুবই ভাল-
आपका कमेंट भाषा के कारण समझ नही पाया।
श्रीमान लोकायत दर्शन इसलिए नहीं कहा जाता क्योंकि इसके मानने वाले लोग बहुत थे , बल्कि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दर्शन इस लोक और भौतिक जगत को मानता है। स्वर्ग , नर्क , मुक्ति ,पुनर्जन्म आदि को नहीं मानता।
कुल मिलाकर ये अपने जमाने का राम रहीम, और आशाराम दर्शन है।
महोदय जैसे चर्वाक शब्द के अनेक अर्थ हैं वैसे ही लोकायत शब्द के अनेक अर्थ लिए जाते हैं। शाब्दिक अर्थ के अनुसार जो लोक में व्याप्त है वही लोकायत है। आज भी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में इसी मत का बोलबाला है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस दर्शन के कारण उस जमाने के कई पाखंडियो(जैसा कि अपने कुछ नाम लिए है) की पोल खोली। लोगो को तार्किक बनाया और हमारे दर्शन को भी।
@@SamkhyaIAS श्रीमान एक शब्द के अनेक अर्थ हो सकते हैं। परन्तु ये तर्क कि बहुसंख्यक समाज द्वारा इसका अनुसरण किया गया या वर्तमान में सभी लोग चार्वाक के सिद्धांतों का पालन करते हैं, यह मेरे समझ से परे है। क्योंकि आज तक मैंने एक भी शादी नहीं देखी जहां पंडित और मंत्रोच्चारण के बिना शादी हुई हो । अन्नप्राशन, मुंडन , यज्ञोपवित, विवाह , मृत्यु के उपरांत दाह संस्कार, ये सभी कर्मकाण्ड के विरोध में ही चार्वाक महान जी ने हमें अपना अमूल्य ज्ञान दिया।
@@Ramesh3987 मित्र इसीलिए मैंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष शब्द का प्रयोग किया है।प्रत्यक्ष भौतिकवादी वे हैं जो आध्यात्मिक सत्ता को स्वीकार नही करते तथा अप्रत्यक्ष भौतिकवादी वे हैं जो आध्यात्मिक सत्ताओ को इसलिए स्वीकार करते है ताकि उन्हें भौतिक सुख प्राप्त हो सके। इस दृष्टि से आप देखेंगे तो प्रत्येक युग मे इस मत के समर्थक बहुसंख्यक में ही हैं। वास्तव में जितने भी संस्कारो का उल्लेख अपने किया है वो जीवन मे भौतिक सफलताओ के लिए ही आयोजित किए जाते रहे है। इस रूप में ये सभी संस्कार तो भौतिकवाद को ही मजबूती देते हैं।
Darun
Bhut achcha sir pr aapki awaj goonjti h
Thank you sir... plese sir or class upload kare apa philosophy acha prate hai.
धन्यवाद
उपनिषद कर्मकांडो को बढ़ावा नहीं देते
neeraj bhai charvak darshan ke granth ko agar aaj dhoondhnaa ho jaise brihaspaty darshan ko aaj dhoodhnaa ho tau bhaarat ke kis praant mei talash karnee chahiye? ... kaheen naa kaheen kisee khandahar mei ho saktaa hai? kyaa ye granth hamaare desh kee seema se baahar gayaa ho tau kahaan jaa saktaa hai? desh ke baahar isko destroy na kiyaa gayaa ho
Kapotah means kabootar (pigeon) not crow ( kauwa)
Don't misguide students as they usually not read sanskrit . Myself sanskrit scholar .
nice
चार्वाक दर्शन इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि निकृष्ट लोग हमेशा से इस धरा पर अवतरित होते रहें हैं।
Ramesh Pandey - Iska matlab 'Charvaka Darshan Sahittyako' tumhare 'Purkhone' jaise 'Nalanda Baudhha Vishvavidyalay' ko jalakar nasta kar diya vaisehi jalakar nasta kar diya.
मित्र ,शुभ और अशुभ एक ही सिक्के के दो पहलू है। दोनों का अस्तित्व हमेशा से रहा है और प्रत्येक युग मे रहेगा। मानव लक्ष्य ही यही है कि किस सीमा तक बुराई को कम किया जा सकता है।
Punjiwadi, bhautikwadi, manuwadi hi charwak darshan ko maanne wale hote hain.
Kyunki sansarik aur bhautik sukh ko pana, punjiwadio, bhautikwadio, manuwadio ka kaam aur maqsad hai.
बढ़िया
धन्यवाद
Jo insaan behos hota hai to sansar kha chala jata hai tab sukh suvidha kyu ni mangta?
Tnx sir g
Charvak ka mul sidhant tha kao pio mast raho
Çharwak kb aya
भौतिकवाद से पृथ्वी का क्या भला हुआ है आज तक। पश्चिम सबसे अधिक भौतिकवादी है और सबसे ज्यादा प्रकृति का शोषण उन्होंने ही किया है और अभी भी कर रहे है
Kapot ka matlab kabutar hai.kak mane kauva.
कर्मोके फल कैसै मीलते है और क्या है जो पुनर जन्म लेता है ये अगर जानना है तो भगवान बुध्द की साधना चेक करे सब पता चल जायेगा
Very nic
Thank you
उपनिषद नही कहते की मृत्यु के बाद कुछ मिलेगा । चार्वाक दर्शन उपनिषदों के कथनों के सिर्फ शाब्दिक अर्थों के विरोध में है । उपनिषद में गहरा अर्थ है naki keval शाब्दिक अर्थ।
लोकायत मतलब इसलिए संसार तक संसार के बाहर नहीं
kapot means kabutar
Sir do u have phylosophy optional online course??
Yes
Kapot means kabootar hota he not crow
Anil Kumar good
👌👌👌
Thanks sir
Thx sir😊
आपका आभार
Khao piyo ais karo... it's like, credit card..you enjoy using it until bill is in your hand and then you are fucked up..
But still we live in same way...
कपोत = कबूतर (न कि कौआ)।
R in.
Rin.
Unsolved before MUDRA RAKSHASA.
कपोतः meaning in sanskrit कबुतर not कौआ sir
Right. Sahi pakde, thank you
Best explanation sir plz ap western contemporary bhi padha dijiye bhut ache se samjh Aya ..tq so much
Thank you
🙏🙏🙏🙏