घूंघट का पट खोल रे || Ghunghat Ka Pat Khol Re || Famous कबीर भजन पर सुंदर विचार || By Sadhu Ram Das
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- Опубликовано: 20 окт 2024
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घूंघट का पट खोल रे
Ghunghat Ka Pat Khol Re
Famous कबीर भजन पर सुंदर विचार
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घूंघट का पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे
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कहत कबीर भजन अर्थ सहित
घूंघट के पट खोल
घूंघट के पट खोल रे तोहे पीया मिलेंगे
घुंघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे
घूंघट के पट खोल री तोहे पिया मिलेंगे
घूघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे
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कबीर भजन:
घूंघट का पट खोल रे, प्रभु को देख ले,
अंतर में बसा है वासी प्रेम के द्वारे.
मूल अर्थ:
अपने हृदय के पर्दे को खोल दे, और प्रभु को देख ले।
प्रभु तेरे अंदर ही बसा हुआ है, प्रेम के द्वारा मिल सकता है।
कबीर दास जी का संदेश:
अपने अंदर की ओर ध्यान दें।
प्रेम और श्रद्धा से प्रभु को प्राप्त करें।
बाहरी दिखावे से आगे बढ़, और अंतर में झांक।
इस भजन का अर्थ हमें आत्म-चिंतन और प्रेम की ओर प्रेरित करता है।
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