5. हर्ष पर्वत सीकर ❤️ ।। औरंगजेब के आक्रमण से कैसे बचा भैरू नाथ मंदिर 💯।।1000 साल पुराने मंदिर 💕।।
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- Опубликовано: 3 сен 2023
- शेखावाटी के हृदय स्थल सीकर नगर से 16 किमी दूर दक्षिण में स्थित हर्ष पर्वत ( Harsh mountain Sikar ) पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातात्विक दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है। हर्ष पर्वत की ऊंचाई लगभग 3100 फीट है। यह प्रदेश में माउंट आबू के बाद सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है। 1018 में चौहान राजा सिंह राज ने हर्ष नगरी और हर्षनाथ मंदिर की स्थापना करवाई थी।
शेखावाटी के हृदय स्थल सीकर नगर से 16 किमी दूर दक्षिण में हर्ष पर्वत स्थित है जो अरावली पर्वत श्रृंखला का भाग है। यह पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातत्व की दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है। हर्ष पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3100 फीट है जो राजस्थान के सर्वोच्च स्थान आबू पर्वत से कुछ कम है। इस पर्वत का नाम
हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा। उल्लेखनीय है कि दुर्दान्त राक्षसों ने स्वर्ग से इन्द्र व अन्य देवताओं का बाहर निकाल दिया था। भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था। इससे देवताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना व स्तुति की। इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एवं भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा। एक पौराणिक दन्त कथा के अनुसार हर्ष को जीणमाता का भाई माना गया है।
हर्ष पर्वत पर भगवान शंकर का प्राचीन व प्रसिद्ध हर्षनाथ मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा पर्वत के उत्तरी भाग के किनारे पर समतल भू−भाग पर स्थित है। हर्षनाथ मंदिर से एक महत्वपूर्ण शिलालेख प्राप्त हुआ था, जो अब सीकर के राजकुमार हरदयाल सिंह राजकीय संग्रहालय में रखा हुआ है। काले पत्थर पर उर्त्कीण 1030 वि.सं. (973 ई.) के शिलालेख की भाषा संस्कृत और लिपी विकसित देवनागरी है। इसमें चौहान शासकों की वंशावली दी गई है। इसलिए चौहान वंश के राजनीतिक इतिहास की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें हर्षिगरी, हर्षनगरी तथा हर्षनाथ का भी विवरण दिया गया है।
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हर्ष पर्वत कहां हैं
हर्ष पर्वत का शिलालेख
हर्ष पर्वत की ऊंचाई
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''हर्ष पर्वत'' के साथ जुड़ी है भगवान शिव से संबंधित कथा
शेखावाटी के हृदय स्थल सीकर नगर से 16 किमी दूर दक्षिण में हर्ष पर्वत स्थित है जो अरावली पर्वत श्रृंखला का भाग है। यह पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातत्व की दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है। हर्ष पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3100 फीट है जो राजस्थान के सर्वोच्च स्थान आबू पर्वत से कुछ कम है। इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा।
हर्ष पर्वत पर भगवान शंकर का प्राचीन व प्रसिद्ध हर्षनाथ मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा पर्वत के उत्तरी भाग के किनारे पर समतल भू−भाग पर स्थित है। हर्षनाथ मंदिर से एक महत्वपूर्ण शिलालेख प्राप्त हुआ था, जो अब सीकर के राजकुमार हरदयाल सिंह राजकीय संग्रहालय में रखा हुआ है। काले पत्थर पर उर्त्कीण 1030 वि.सं. (973 ई.) के शिलालेख की भाषा संस्कृत और लिपी विकसित देवनागरी है। इसमें चौहान शासकों की वंशावली दी गई है। इसलिए चौहान वंश के राजनीतिक इतिहास की दृष्टि से यह बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें हर्षिगरी, हर्षनगरी तथा हर्षनाथ का भी विवरण दिया गया है। यह बताता है कि हर्ष नगरी व हर्षनाथ मंदिर की स्थापना संवत् 1018 में चौहान राजा सिंहराज द्वारा की गई और मंदिर पूरा करने का कार्य संवत् 1030 में उसके उत्तराधिकारी राजा विग्रहराज द्वारा किया गया। इन मंदिरों के अवशेषों पर मिला एक शिलालेख बताता है कि यहां कुल 84 मंदिर थे। यहां स्थित सभी मंदिर खंडहर अवस्था में हैं, जो पहले गौरवपूर्ण रहे होंगे। कहा जाता है कि 1679 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब के निर्देशों पर सेनानायक खान जहान बहादुर द्वारा जानबूझकर इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया गया था।
हर्षनाथ मंदिर को कई गांव जागीर के तौर पर प्रदान किये गये थे। इस मंदिर का ऊंचा शिखर सुदूर स्थानों व मार्गों से देखा जा सकता है। हर्ष का मुख्य मंदिर भगवान शंकर की पंचमुखी प्रतिमा वाला है। शिव वाहन नंदी की विशाल संगमरमरी प्रतिमा भी आकर्षक है। शिव मंदिर की मूर्तियां आश्चर्यजनक रूप से सुन्दर हैं। देवताओं व असुरों की प्रतिमाएं कला का उत्कृष्ट नमूना हैं। इनकी रचना शैली की सरलता, गढ़न की कुकुमारता व सुडौलता तथा अंग विन्यास और मुखाकृति का सौष्ठव दर्शनीय है। इन पत्थरों पर की गई कारीगरी यह बतलाती है कि उस समय के सिलावट कारीगर व शिल्पी अपनी कला को किस प्रकार सजीव बनाने में निपुण थे। मंदिर की दीवार व छतों पर की गई चित्रकारी दर्शनीय है।
1935 ई. में सीनियर अंग्रेज ऑफिसर कैप्टन डब्लू वैब ने हर्ष पर्वत की कलाकृतियों को महामंदिर स्थित कोठी के संग्रहालय में रखवाया। इस मंदिर से प्राप्त विश्व प्रसिद्ध लिंगोद्भव शिल्प खण्ड राजकीय संग्रहालय, अजमेर में प्रदर्शित है। हर्ष की मूर्तियां जयपुर व लंदन के संग्रहालयों में भी भेजी गई हैं।
मुख्य शिव मंदिर की दक्षिण दिशा में भैरवनाथ का मंदिर है, जिसमें मां दुर्गा की सौलह भुजा वाली प्रतिमा है जिसकी प्रत्येक भुजा में विभिन्न शस्त्र हैं, एक हाथ में माला व दूसरे में पुस्तक है। इस मंदिर मर्दनी की खण्डित प्रतिमा एवं अर्धनारीश्वर रत्रधारी गणपति प्रतिमा भी है। मंदिर के मध्य गुफा जैसा तलघर भी है जिसमें काला भैरव तथा गोरा भैरव की दो प्रतिमाएं हैं।
🔱🌹🦁जग जननी जगदंबा भवानी जीण मया की जय🙏🙏🚩जय हो बाबा हर्ष भैरव नाथ की 🌱 🌹🙏
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Very good vdo ❤❤❤
Punjab se hu nice video
Aap ka video bhut accha laga
जय माता जी की सा आपका वीडियो हमको अच्छा लगा धन्यवाद❤❤❤
जीण मां भवानी और हर्ष नाथ भेरुजी भाई बहन का सच्चा प्यार ❤❤🌹🙏🌹🙏🌹🚩
M yha 2 bar gya hu bhut hi sunder jgh h
Jay jeen Bhawani
Bhut bdhiya
Jai Ho Shree Aadi Shakti JagatJanani Maa Jin Mata Kul Devi Maa Ki Jai Ho Shree HarashNath Bhariva Bhagwan Ki 🚩🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
Super ji
जय माता दी❤❤❤❤❤❤
Super duper
Aap itne cute kese lg rhe ho ki like u❤❤
Mujhe to tu achi lgi yr vha ❤❤
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Mst h yara.....❤❤
Sachii😊
Yeh hmare gav ke pass h❤
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Aap ke next vlog ka wait kr rhe h dear ❤❤
Ohoo 😮
Good morning baby girls
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जोरदार ब्लॉक🎉❤
धन्यवाद बुआजी
Nice di❤❤
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