#हिंदीदिवसपरउत्कृष्टभाषण

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  • Опубликовано: 5 ноя 2024
  • लखनऊ इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की कक्षा 10 की छात्रा साक्षी सिंह द्वारा हिंदी दिवस पर बोला गया ओजस्वी भाषण
    प्राचीन भारत में हिंदी का बोलबाला था l
    हिंदी में कविता ,हिंदी में लेखनी, हिंदी का उजाला था ।।
    लेकिन आज हम अपने माता-पिता को,
    मॉम - डैड बुलाते हैं ।
    क्या हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं ?
    कंप्यूटर से भी तेज दिमाग वाले चाचा चौधरी
    और साबू के किस्से ।
    घर घर गूंजने वाले रामायण और महाभारत के हिस्से ।।कभी बुद्धू, तो कभी बलवान ।
    पंडित गंगाधर बच्चों के लिए बन जाते शक्तिमान।।
    सुभद्रा कुमारी चौहान की वह वीर रस से भरी झांसी की रानी वाली कविता
    या फिर कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की ईदगाह
    और उनका नन्हा सा हामिद।
    वो गुलजार के कुछ मासूम से बोल
    वो लकड़ी की काठी , वो काठी का घोड़ा ।
    और घोड़े की दुम पर जो मारा हथौड़ा।।
    इन यादों को हमारे बचपन और जीवन के अलग - अलग पडाव से जोड़ती हुई हिंदी, मानो हिंदी में जीवन का रस बसा हो।हिंदी मात्र एक भाषा नहीं है यह भारत की समृद्ध संस्कृति का पर्याय है जो कि फिजी से लेकर मॉरीशस तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक , गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक और देश की भौगोलिक सीमाओं से फैले हुए पूरी दुनिया के तमाम हिंदी प्रेमियों को जोड़ने का काम करती है।
    प्रसिद्ध लेखिका साहिबा सफर की हिंदी पर कुछ खूबसूरत पंक्तियां इस तरह हैं -
    मैं ही वह भाषा हूं ,जिसमें तुम गाते हंसते हो।
    मैं ही वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपना सुख दुख रचते हो।मैं वह भाषा हूं ,जिसमें तुम सपनाते हो, अलसाते हो ।
    मैं वह भाषा हूं , जिसमें तुम अपनी कथा सुनाते हो ।
    मैं वह भाषा हूं ,जिसमें तुम जीवन साज़ में संगत देते हो।
    मैं वह भाषा हूं ,जिसमें तुम भाव नदी का अमृत पीते हो । मैं वह भाषा हूं ,जिसमें तुमने बचपन खेला और बढे।
    मैं हूं भाषा हूं जिसमें तुमने प्रीत के पाठ पढे।
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