इस मंदिर का निर्माण हुस्सेपुर राज्य के शासक महाराजा बहादुर युवराज शाही ने सन् 1715 ईस्वी में करवाया था। उसके पहले यहां घना जंगल हुआ करता था। अफगानों के साथ युद्ध के दौरान एक दिन रात्रि में हुस्सेपुर राज्य के शासक इस जगह पर अपनी सेना के साथ रूके थे। माता ने महाराजा बहादुर युवराज शाही को स्वप्न में स्वयं के यहां होने की बात बताई थी उसके बाद महाराजा ने सारण क्षेत्र में हमला करने वाले अफगानो को मारकर विजय प्राप्त किया था। महाराजा ने उस स्थान पर खुदाई करवाया जिसके बाद मां दुर्गा की एक मूर्ति प्राप्त हुए, उस मूर्ति को महाराजा ने उसी स्थान पर स्थापित करके एक मंदिर का निर्माण करवाया जिसे थावे माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। जय मां थावेवाली 🙏🙏
@abhinavkumar9905 इस मंदिर में पंडा लोगों को किसी भी प्रकार का शुल्क अथवा पैसा देना अनिवार्य नहीं है। अपनी इच्छा से दक्षिणा दे सकते हैं। इस मंदिर के मुख्य पुजारी को हथुआ राजपरिवार के महाराजा बहादुर के द्वारा नियुक्त किया जाता है। मुख्य पुजारी राजपरिवार के अधिकारी के रूप में इस मंदिर में सेवा देते हैं उन्हें वेतन भी राजपरिवार के द्वारा ही दिया जाता है। किसी भी पंडा के खिलाफ मनमानी रूप से पैसा वसूल करने के लिए मुख्य पुजारी के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
Nice
जबरदस्त जिंदाबाद🥰
iaymata di Jai mata di Jai thanwe wali Maha durge Maha Kali Jai mata di sabse bari Shakti ki jai Jai
Nice 😅😅😅
Jai maa thave vali
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
इस मंदिर का निर्माण हुस्सेपुर राज्य के शासक महाराजा बहादुर युवराज शाही ने सन् 1715 ईस्वी में करवाया था। उसके पहले यहां घना जंगल हुआ करता था। अफगानों के साथ युद्ध के दौरान एक दिन रात्रि में हुस्सेपुर राज्य के शासक इस जगह पर अपनी सेना के साथ रूके थे। माता ने महाराजा बहादुर युवराज शाही को स्वप्न में स्वयं के यहां होने की बात बताई थी उसके बाद महाराजा ने सारण क्षेत्र में हमला करने वाले अफगानो को मारकर विजय प्राप्त किया था। महाराजा ने उस स्थान पर खुदाई करवाया जिसके बाद मां दुर्गा की एक मूर्ति प्राप्त हुए, उस मूर्ति को महाराजा ने उसी स्थान पर स्थापित करके एक मंदिर का निर्माण करवाया जिसे थावे माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। जय मां थावेवाली 🙏🙏
यहा पर पंडा लोगों का क्या सिस्टम है? कितना पैसे लेते है? और यहा पर जाकर कैसे क्या विध करना होता है?
@abhinavkumar9905 इस मंदिर में पंडा लोगों को किसी भी प्रकार का शुल्क अथवा पैसा देना अनिवार्य नहीं है। अपनी इच्छा से दक्षिणा दे सकते हैं। इस मंदिर के मुख्य पुजारी को हथुआ राजपरिवार के महाराजा बहादुर के द्वारा नियुक्त किया जाता है। मुख्य पुजारी राजपरिवार के अधिकारी के रूप में इस मंदिर में सेवा देते हैं उन्हें वेतन भी राजपरिवार के द्वारा ही दिया जाता है। किसी भी पंडा के खिलाफ मनमानी रूप से पैसा वसूल करने के लिए मुख्य पुजारी के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
Tren mat dikhao