अमृतसर में श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर व धर्मशाला का जीर्णोंद्धार

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  • Опубликовано: 11 сен 2024
  • बीकानेर के अमृतसर प्रवासी सुश्रावक बंशीलाल जी कोचर व श्री रोशन लाल जी का परिवार देव, गुरु व धर्म में पूर्ण समर्पित
    अमृतसर में श्री पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर व धर्मशाला का जीर्णोंद्धार
    बीकानेर मूल के पंजाब के अमृतसर में प्रवासी सुश्रावक बंशीलालजी कोचर और रोशन लाल जी और परिवार की तीन चार पीढ़ी देव, गुरु व धर्म में पूर्ण समर्पित है। कोचर परिवार ने पंजाब के साथ अपनी मातृभूमि बीकानेर कोचरों की कुलदेवी विशाला माताजी के मंदिर में भी अपने धन का सदुपयोग किया है।
    अमृतसर के सुल्तानविंड मार्ग पर स्थित श्री पार्श्वनाथ भगवान के इस मंदिर की प्रतिमा बीकानेर के पास उदासर से लाकर यहां प्रतिष्ठित करवाई गई। यह प्रतिमा करीब 161 वर्ष प्राचीन है। परिकर सहित सफेद संगमरमर की प्रतिमा का दर्शन-वंदन करने पर मन भरता ही नहीं, मन कहता है जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की इस चमत्कारिक प्रतिमा को निहारते रहे, दर्शन वंदन करते रहे।
    सिख पंथ के संस्थापकों, गुरुओं की साधना, आराधना और समर्पण तथा शूरवीरों, देश भक्तों की धर्म व आजादी के लिए मर मिटने वालों की जलियावाले बाग भूमि, विश्व विख्यात स्वर्ण मंदिर अमृतसर में जैन धर्म का डंका बजाने में बीकानेर निवासी अमृतसर प्रवासी कोचर परिवारों का अनुकरणीय व प्रशंसनीय योगदान रहा है।
    मंदिर का निर्माण पंजाब केसरी जैनाचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वरजी की प्रेरणा से सुश्रावक बंशीलालजी सुपुत्र प्रेम सुख दासजी कोचर व श्री रोशन लालजी सुपुत्र श्री शिवचंदजी कोचर ने विक्रम संवत 2003 वैशाख शुक्ल 3 को करवाया। भगवान पार्श्वनाथ के मंदिर की प्रतिष्ठा वैशाख सुदी छठ संवत 2020 दिनांक 29 अप्रेल 1963 को जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के आचार्यश्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर शांतमूर्ति जैनाचार्य श्रीमद् विजय समुद्र सूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में संपन्न हुई।
    मंदिर के संस्थापक ट्रस्टी बंशीलालजी व रोशन लालजी की सफेद संगमरमर की प्रतिमाएं जिनालय में परमात्मा पार्श्वनाथ की प्रतिमा को निहारते हुए स्थापित की गई है। मंदिर में गणधर गौतम स्वामी, योगीराज शांति गुरुदेव के साथ जैनाचार्य श्री विजयानंद सूरीश्वरजी, श्रीविजय वल्लभ सूरीश्वरजी, की प्रतिमाएं व अधिष्ठायक देवों की प्रतिमाएं है।
    मंदिर परिसर में श्री सम्मेद शिखर तीर्थ के अधिष्ठायक देव श्री भोमियाजी महाराज का मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना वैशाख शुक्ल 6 बुधवार दिनांक 24 अप्रेल 1993 को हुई। मंदिर की प्रतिष्ठा का लाभ सुश्रावक बंशीलालजी कोचर परिवार के सदस्यों ने उत्साह व भक्ति से लिया।
    मंदिर के परिसर में योगीराज शांति गुरुदेव का मंदिर है। इस मंदिर की प्रतिष्ठा विक्रम सवत 2043 माघ सुदि पंचमी, दिनांक 3 फरवरी.1987 को सुश्रावक रोशन लालजी कोचर के परिवार के सदस्यों ने भक्ति भाव से करवाई।
    मंदिर के संस्थापक ट्रस्टी बंशीलालजी कोचर के सुपौत्र शुभपाल कोचर व सुश्रावक रोशन लालजी कोचर के सुपुत्र राजेन्द्र कोचर सम्मानीय ट्रस्टी वर्तमान में दादाबाड़ी व जिनालय के जीर्णोंद्धार व नवीन निर्माण कार्य देख रहे हैं।
    मंदिर के ट्रस्टी राजेन्द्र कुमार कोचर (9872233333) व शुभपाल कोचर (9930216117) ने बताया कि श्रावक-श्राविकाओं, साधु-साध्विंयों की सुविधा के लिए नई चार मंजिल की धर्मशाला का निर्माण कार्य चल रहा है। धर्मशाला में 21 कमरे, प्रवचन हॉल, भोजनशाला, और लि््फ्ट की भी सुविधा रहेगी। जैनाचार्य धर्म धुरंधरजी सहित अनेक जैन मुनियां व साध्वीवृंद ने अपने संदेश में बताया कि इस चमत्कारिक मंदिर व जैनाचार्यों की तपोस्थली पर स्थापित धर्मशाला के जीर्णोंद्धार व निर्माण में सहयोग करने वाले भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को देव, गुरु व धर्म की आशीष का पुण्यार्जन प्राप्त होगा।
    शिव कुमार सोनी
    वरिष्ठ पत्रकार, विश्वकर्मा गेट के बाहर, बीकानेर राज

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