Kalibai Panorama Dungarpur (Rajasthan Heritage Authority, Jaipur)

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 9 сен 2024
  • शहीद वीरबाला कालीबाई पेनोरमा माण्डवा, जिला डूंगरपुर
    शिक्षा से जागृति और क्रान्ति आती है। इसलिए अंग्रेजों के शासन के दौरान तत्कालीन रियासत वागड़ में विद्यालयों को बन्द कराने के फरमान दिए गए मगर शिवराम भील एवं नानाभाई खांट ने विद्यालय बन्द नहीं किए तो रियासती सिपाहियों द्वारा उन पर अत्याचार किए जाने लगे। इन अत्याचारों का प्रतिकार करने उतरी 13 वर्षीय काली बाई ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर शिक्षा की ज्योत जलाए रखी।
    अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध स्वतन्त्रता सेनानियों और देश भक्तों द्वारा जगह-जगह पाठशालाएं संचालित कर सामाजिक कुरीतियां दूर करने की एवं देशप्रेम की शिक्षा दी जा रही थी। वागड़ क्षेत्र में अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध इन पाठशालाओं में जनमानस तैयार होने लगा जो अंग्रेजी सत्ता को खटकने लगा। उन्होंने इन प्रयासों को कुचलने का सिलसिला शुरु किया। शासन श्री गोविन्द गुरु की संतसभा, सेवासंघ, प्रजामंडल के कार्यक्रमों और पाठशालाओं को निशाना बनाकर खत्म करने लगा।
    डूंगरपुर के पूनावाड़ा में शिवराम भील एक पाठशाला चलाते थे। 1 जून, 1947 को रियासत के सिपाही इस पाठशाला को तोड़ने पहुँचे और अध्यापक शिवराम भील को उठाकर ले गये। जागरूक कार्यकर्ताओं के छुड़ाने के प्रयास पर पुलिस ने उन पर लाठियां बरसायीं और 38 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इन लोगों पर भारतीय दण्ड संहिता 124-ए के अन्तर्गत राजद्रोह का मुकदमा चलाकर पाठशालाएं बंद करवाई गई।
    19 जून, 1947 को जिला मजिस्ट्रेट जवेरीलाल चौबीसा, डी.एस.पी. बाबूलाल श्रीवास्तव कुछ राजकीय सिपाहियों के साथ डूंगरपुर के रास्तापाल में श्री नानाभाई खांट द्वारा संचालित पाठशाला को बन्द कराने पहुंचे। उन्होंने अध्यापक श्री सेंगा भाई रोत व संरक्षक श्री नानाभाई खांट को मारा-पीटा और बच्चों को भी मारपीट कर भगा दिया। स्कूल चलाने के अपराध में सेंगा भाई को क्रूरतापूर्वक ट्रक के पीछे रस्सियों से बांधकर घसीटना शुरू किया। लोगों ने इन्हें छुड़ाने का प्रयास किया तो उनको बेरहमी से बन्दूक के कुन्दे से मारा गया। इसी पाठशाला में पढ़ने वाली 13 वर्षीय बालिका कालीबाई का गुरु पर हो रहे क्रूर अत्याचारों से खून खौल उठा। वे दराती लेकर ट्रक की रस्सी काटने को दौड़ी। इस बालिका के अदम्य साहस ने अन्य लोगों को भी प्रेरणा दी। बौखलाये रियासती सिपाहियों ने मजिस्ट्रेट के आदेश से गोलियां चला दी। वीर बाला कालीबाई गोली लगने से बेसुध होकर गिर पड़ी एवं नवल बाई, मोगी बाई, लाली बाई, होमली बाई व सोहन लाल के भी गोलियां एवं छर्रे लगे। गुरु की जान बचाकर 20 जून 1947 की रात्रि को घायल कालीबाई ने अंतिम सांस ली।
    राज्य सरकार ने राजस्थान धरोहर प्राधिकरण, जयपुर के माध्यम से अन्याय के प्रति संघर्ष और स्त्री शिक्षा के महत्व की अलख जगाने के लिए आदिवासी वीर बाला के दिये गये बलिदान और गुरुभक्ति को दर्शाने हेतु माण्डवा, डूंगरपुर में शहीद वीर बाला कालीबाई पेनोरमा का निर्माण करवाया गया है।(Copyright Heritage Authority, Jaipur)

Комментарии •