श्री दुर्गा सप्तशती नमन प्रार्थना

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  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • श्री दुर्गासप्तशती (या देवीमहात्म्यम्) हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो देवी दुर्गा की स्तुति और उनके महिमाओं का वर्णन करता है। यह ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का हिस्सा है और इसे "चंडी पाठ" के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कुल 700 श्लोक होते हैं, जिन्हें तीन खंडों में विभाजित किया गया है:
    प्रथम चरित्र - महाकाली की कथा: इसमें देवी महाकाली के विभिन्न रूपों और उनके द्वारा दैत्यों के संहार का वर्णन किया गया है।
    मध्यम चरित्र - महालक्ष्मी की कथा: यह खंड महालक्ष्मी द्वारा महिषासुर के वध और दैत्यों के विनाश की कथा को प्रस्तुत करता है।
    उत्तम चरित्र - महासरस्वती की कथा: इस खंड में शुंभ-निशुंभ नामक असुरों के वध और महासरस्वती की विजय की गाथा है।
    श्री दुर्गासप्तशती का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है, जब भक्त देवी दुर्गा की आराधना करते हैं। इस ग्रंथ में देवी की महिमा, शक्तियों और उनकी कृपा से जुड़े कई कथानक हैं, जो भक्तों के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हैं।

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