श्री राम गीता | सत्र 3 | स्वामी अभेदानन्द | रामचरितमानस |

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  • Опубликовано: 7 янв 2025

Комментарии • 3

  • @vrijendra
    @vrijendra День назад

    🌸🙏🙏🙏पुज्य स्वामीजी को सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🌸

  • @santoshagarwal5488
    @santoshagarwal5488 2 дня назад +1

    🌹जगत को लेकर आप जितना अनाग्रही बनेंगे उतना आप सबके साथ रह सकते हैं। महात्मा का एक लक्षण है कि वह सबके साथ ख़ुशी के साथ रह पाता है।
    ​​🌹जो रागी होता है वह बहुत दुखी रहता है क्योंकि वह अपने मन को कई जगह से जोड़कर रखता है |​​ द्वेष भी एक प्रकार का राग ही है |
    ​​🌹जो माया को ना जाने, ईश्वर को ना माने उसे जीव कहते है |
    ​​🌹राग होने पर या द्वेष होने पर आपको बहुत तिरस्कार झेलना पड़ता है |

  • @reenubhandari4303
    @reenubhandari4303 День назад

    🙏🙏🙏🙏