#live

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 12 сен 2024
  • जीव के अंतर में धर्म का बीजारोपण कैसे हो?? अपने ह्रदय में स्वानुभुति का जागरण कैसे हो? अनुभूति को प्रगाढ़ करके आत्मस्थ दशा में रहकर अपना कल्याण कैसे करे.?? पात्र जीव के अंतर की दशा *पात्र गर्भ गाथा
    जब जिनु गर्भवास अवतरियो ऊर्ध ध्यान मनु लायो
    गुरुदेव श्री कहते हैं जब पात्र जीव के हृदय रूपी गर्भ में जिनु अंतरात्मा की श्रद्धा रूपी बीजारोपण से साम्य साक्षी भाव का जन्म होता है वहां पात्रता का अंकुरण होता है श्रद्धान की दृढ़ता न होने के कारण भय उत्पन्न होता है निर्भयता आना पात्रता की निशानी है।दुनिया के बीच में रहते हुए भी उसका ध्यान अपनी अंतरात्मा की स्मृति रूप रहता है स्वयं को जिनेंद्र होने वाला जीव समकित व्यवहारी मानकर ऊर्ध ध्यान मई अपनी सत्ता में पंच परमेष्ठि समान अपने पंच परम् पदो को ध्याता है। सम्यक दर्शन ज्ञान चारित्र की साधना से विशुद्ध परिणतियां प्रकट होने पर सिद्ध शिला का वासी बनकर संसार के जन्म मरण के बंधन से मुक्ति को प्राप्त करता है।
    Follow this link to join my WhatsApp community: chat.whatsapp....
    इस लिंक का उपयोग आप सभी तत्त्व देशना से जुड़ने के लिए कर सकते है।।
    🙏श्री पात्र गर्भ गाथा जी, यहां आचार्य देव पात्र के गर्भ की चर्चा कर रहे हैं जब माँ के गर्भ में बालक आता है तो आपने उसकी अनुभूतियां तो सुनी है लेकिन जब पात्र के गर्भ में अपने जिनु अंतरात्मा का अनुभव प्रकट होता है, लोकालोक प्रकाशी वीतराग चैतन्य स्वभाव उसके अनुभव में आता है तो उसको क्या अनुभूति होती है क्या उसकी चर्चा सुनी है? जिन जीवों की पात्रता है वह इस चर्चा से अपनी अनुभूति को परख सकते हैं मिलान कर सकते हैं कि हमारा हृदय, हमारी अंतरात्मा पात्र है या नहीं ? क्योंकि जो पात्र होगा उसी का गर्भ होगा और जो पात्र नहीं है तो उसका गर्भ भी नहीं होगा। यहां गुरुदेव ने पात्रता का स्वरूप बताया है कि पात्र कैसा होता है, उसकी अनुभूतियां क्या होती हैं इसका दिग्दर्शन कराया है, आप कितना ही सुनते रहो,सुनाते रहो लेकिन जब जिनेंद्र देव का उपदेश सुनते सुनते, अभ्यास करते-करते जब एक समय के लिए वह सिद्ध शिला का स्वामी चैतन्य महाप्रभु जो इस समय मेरे देह देवालय में विराजमान है वह स्वानुभूति में प्रकट होता है पात्रता तो तभी प्रकट होती है।
    *🙏 इस फूलना जी में निश्चय सम्यग्दर्शन का स्वरूप कहकर.. जीव के अंतर में धर्म का बीजारोपण करने की विधि दर्शायी है अपने ह्रदय में जिन स्वभाव अर्थात् जिनेन्द्र पद का गर्भावतरण कैसे होगा, शुद्धात्म अनुभूति कैसे होगी, इस बात को सरलता से बताया है। जिसके अंतर में शुद्धात्म अनुभूति का जन्म हो जाता है उसकी अद्भुत साधना की स्थिति को यहां दर्शाया है। वह अपनी पात्रता अनुसार तिअर्थ की साधना करता है, उमंग उत्साह के साथ साधना को बढ़ाता है। मोक्ष मार्ग में आरोहण करने रूप अंतरंग बहिरंग दशा को इस फूलना में सिद्धांत के रूप में संक्षेप में दिया है, स्वानुभूति को कैसे प्रगाढ़ करते हुए आत्मस्थ दशा को प्राप्त करें इस विधि को आचार्य देव यहां बता रहे हैं और बार-बार जीव को प्रेरणा दे रहे हैं कि अपने अंतर स्वभाव की ओर दृष्टि रखोगे तो ही तुम्हारा कल्याण होगा, बाहर में कहीं भी सुख नहीं है।
    🙏आचार्य देव कहते हैं कि “पात्रं उवन विसेषु मुनि” निर्विकल्प आत्म समाधि में डूबे हुए, निज चैतन्य वीतराग अमृत रस का पान करने वाले छठवें सातवें गुणस्थान में झूला झूलने वाले, वीतरागी भावलिंगी महा मुनीश्वर वही इस लोक में विशेषता से पात्र कह गए हैं। और अपने से आचार्य देव कह रहे हैं हे जीवात्मा पात्रता प्रकट करो, साधु बनने की तैयारी करो, कैसे करें? अपने अंतराग में अपने ज्ञायक स्वभाव को स्वीकार करो, जैसा अरिहंत सिद्धों का स्वभाव है स्वीकार करो वैसा ही स्वभाव मेरा है, मानो कि जैसे वीतरागी भावलिंगी मुनिराज अपने आत्मिक सुख का वेदन कर रहे हैं वैसा ही ज्ञानमय स्वभाव, वह वीतरागता, वह शुद्धता, वह आनंद, वह शाश्वत सुख इस समय मेरे अंतरंग में विराजमान है।
    🙏यह मुनि बनने की पात्रता कहां से आएगी? “पत्त सुयं जिन उत्तु” जिनेंद्र परमात्मा कहते हैं कि तुम स्वयं पात्र हो, जब स्वयं में शरीर आदि से विभिन्न अपने ज्ञायक स्वभाव का,अपने वीतराग स्वभाव का अनुभव करोगे, जब स्वयं में यह देखोगे कि शरीर आदि संयोग में रहता हुआ भी मैं सिद्धों के समान पवित्र आत्मा हूं, जब ऐसे शुद्ध आत्म स्वभाव का, ज्ञायक स्वभाव का सहकार करने की शुद्ध भावना भाओगे तो साधु होने की, वीतरागता को प्रकट करने की पात्रता स्वयं तुम्हारे अंतरंग से प्रकट हो जाएगी।
    🙏 सदगुरुदेव कहते हैं कि “पत्त सहाउ सु न्यान मउ” पात्र का स्वभाव तो ज्ञानमय रहने का है, आप इस संसार में पात्र किसे मानोगे? जो ज्यादा व्रत नियम संयम करता है उसे मानोगे ? जो अच्छे प्रवचन करता है उसे मानोगे? जो चार बार मंदिर जाता है पूजा पाठ करता है उसे मानोगे या फिर जो मंदिर नहीं आता दुकान चलाता है पुत्र परिवार का पालन पोषण करता है उसे मानोगे? देखो आचार्य भगवान क्या कह रहे हैं कि जो ज्यादा नियम व्रत उपवास करता है वह नहीं, जो मंदिर आता है वह भी नहीं,जो ज्यादा क्रियाएं करता है वह भी नहीं, पात्र तो वह है जो अपने ज्ञानमय स्वभाव में लवलीन रहता है, पर द्रव्यों से भिन्न आत्मा जो ऐसे ज्ञान के अभ्यास से आत्मिक आनंद में मदमस्त रहता है वह पात्र है।
    🙏पात्र के अंदर में ज्ञान का प्रकाश प्रकट हो गया है कि इस जगत में मेरा कोई कुछ बिगाड़ने नहीं वाला नहीं है, उसके अंदर से पर पर्याय परिणमन के समस्त भयों का नाश हो गया है, उसने जान लिया है कियह कर्म मेरा तभी कुछ बिगाड़ सकते जब मैं उनसे जुड़े इनमें रमूँ, यदि मुझे यह बोध है कि मैं तीन लोक का नाथ ज्ञायक तत्व भगवान आत्मा हूं, मुझे अपनी स्व सत्ता का बोध है,तो इस पूरे ब्रह्मांड में मेरी चेतना पर आवरण डालने की सामर्थ किसी भी कर्म की नहीं है, पात्र का स्वभाव तो दृढ़ संकल्प मय शक्ति में है।

Комментарии • 13

  • @saritasamaiya3051
    @saritasamaiya3051 20 дней назад +1

    जय हो जय हो जय हो हो

  • @pushplatajain1272
    @pushplatajain1272 20 дней назад +1

    जय हो जय हो जय हो अम्रतमय शुद्ध जिनदेशना की जय हो जय हो जय हो🙏🙏🙏🙏🙏

  • @sonalisamaiya88
    @sonalisamaiya88 19 дней назад

    जय हो जय हो जय हो जब जिनु गर्भवास अवतरियो उर्ध्व ध्यान मनु लायो जय हो जय हो जय हो जय हो 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @sushmaajain9168
    @sushmaajain9168 20 дней назад

    Jay ho Jay ho Jay ho

  • @surekhajain5510
    @surekhajain5510 20 дней назад

    तरन तरन जिन्ननाय हो जय हो जय हो मेरे निज नाथ स्वामी शुद्धात्म देव की जय हो 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @praneetjain6800
    @praneetjain6800 20 дней назад

    जय हो स्वयं जिन नाथ की

  • @abhayjain5829
    @abhayjain5829 20 дней назад

    जय हो जय हो जय हो कोटि कोटि अनुमोदना है

  • @keertisamaiya7472
    @keertisamaiya7472 20 дней назад

    जय हो

  • @anujain-uy6xw
    @anujain-uy6xw 20 дней назад +1

    पात्र के गर्भ में जिनत्व का अंकुरण करने वाली शुद्ध देशना जयवंत हो!

  • @pushplatajain1272
    @pushplatajain1272 20 дней назад

    चैतन्य चैत्यालय में जहाँ आतम रहता है जहाँ आतम रहता है आनंद बरसता है आहाहा आनंद आनंद और आनंद ही आनंद सहज आनंद आहाहा आत्मीय आनंद आहाहा आनंदं आहाहा परमानंदं जय हो जय हो जय हो🙏🙏🙏🙏🙏

  • @VaishaliAnkaj-wn4dz
    @VaishaliAnkaj-wn4dz 20 дней назад

    जय हो जय हो 🙏🏻🙏🏻

  • @pushplatajain1272
    @pushplatajain1272 20 дней назад

    चैतन्य चैत्यालय में जहाँ आतम रहता है जहाँ आतम रहता है आनंद बरसता है आहाहा जय हो जय हो आनंद आनंद और आनंद ही आनंद सहज आनंद अतीन्द्रिय आनंद जय हो जय हो जय हो 🙏🙏🙏🙏

  • @pushplatajain1272
    @pushplatajain1272 20 дней назад

    अहो अहो जय हो जय हो मेरे देह देवालय में विराजमान त्रिलोकाधिपति मेरे जिनु अंतरात्मा की जय हो जय हो शुद्ध सम्यक्त्व महारत्न की जय हो जय हो जय हो🙏🙏🙏 अहो अहो मैं स्वयं भगवान हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ हूँ जय हो जय हो जय हो बारंबार प्रणाम आपके चरणों में मेरे स्वामी शुद्धात्म चैतन्य महाप्रभु आपके चरणों में आहाहा जय हो जय हो जय हो🙏🙏🙏🙏🙏