भोले शंकर के सन्दर्भ में बढ़िया प्रस्तुती | कृपया एक अन्तरा मेरी ओर से देखें - भस्म लपेटे तन में, गंगा जी सोहैं सिर में | पग बिचखपरा की खड़ाऊं, मैं देख-देख डर जाऊँ | कैसे जूता चुराऊँ, नेग कैसे मैं पाऊँ, धिनक-धिनक धिन धिन्नाऽऽऽ, ऐसो देखो भेष कहीं ना || *सिव पद कमल जिन्हहिं रति नाहीं | ते नर मोहिं सपनेहुँ न सोहाहीं || बिनु छल बिश्वनाथ पद नेहू | राम भगत कर लच्छन ऐहू ||
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
भोले शंकर के सन्दर्भ में बढ़िया प्रस्तुती | कृपया एक अन्तरा मेरी ओर से देखें -
भस्म लपेटे तन में, गंगा जी सोहैं सिर में |
पग बिचखपरा की खड़ाऊं, मैं देख-देख डर जाऊँ |
कैसे जूता चुराऊँ, नेग कैसे मैं पाऊँ,
धिनक-धिनक धिन धिन्नाऽऽऽ, ऐसो देखो भेष कहीं ना ||
*सिव पद कमल जिन्हहिं रति नाहीं | ते नर मोहिं सपनेहुँ न सोहाहीं ||
बिनु छल बिश्वनाथ पद नेहू | राम भगत कर लच्छन ऐहू ||