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- Опубликовано: 17 янв 2025
- @rajlogshindi
पटना
बिहार की राजधानी
पटना (Patna) मगध के बिहार राज्य के पटना ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है और राज्य की राजधानी है। यह बिहार का सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र, पुष्पपुरी और कुसुमपुर था।
रहा। इन राजाओं ने यहीं से भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया। गुप्त वंश के शासनकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है। पर लगातार होने वाले हुणो के आक्रमण एवं गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद इस नगर को वह गौरव नहीं मिल पाया जो एक समय मौर्य वंश या गुप्त वंश के समय प्राप्त था। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद पटना का भविष्य काफी अनिश्चित रहा। 12 वीं सदी में बख़्तियार खिलजी ने बिहार पर अपना अधिपत्य जमा लिया और कई आध्यात्मिक प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर डाला। इस समय के बाद पटना देश का सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र नहीं रहा। मुगलकाल में दिल्ली के सत्ताधारियों ने अपना नियंत्रण यहाँ बनाए रखा। इस काल में सबसे उत्कृष्ठ समय तब आया जब शेरशाह सूरी ने नगर को पुनर्जीवित करने की कोशिश की। उसने गंगा के तीर पर एक किला बनाने की सोची। उसका बनाया कोई दुर्ग तो अभी नहीं है, पर अफ़ग़ान शैली में बना एक मस्जिद अभी भी है।
मुगल बादशाह अकबर की सेना 1574 ईसवी में अफ़गान सरगना दाउद ख़ान को कुचलने पटना आया। अकबर के राज्य सचिव एवं आइने-अकबरी के लेखक अबुल फ़जल ने इस जगह को कागज, पत्थर तथा शीशे का सम्पन्न औद्योगिक केन्द्र के रूप में वर्णित किया है। पटना राइस के नाम से यूरोप में प्रसिद्ध चावल के विभिन्न नस्लों की गुणवत्ता का उल्लेख भी इन विवरणों में मिलता है। मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने प्रिय पोते मुहम्मद अज़ीम के अनुरोध पर 1704 में, शहर का नाम अजीमाबाद कर दिया, पर इस कालखंड में नाम के अतिरिक्त पटना में कुछ विशेष बदलाव नहीं आया। अज़ीम उस समय पटना का सूबेदार था।
मुगल साम्राज्य के पतन के साथ ही पटना बंगाल के नबाबों के शासनाधीन हो गया जिन्होंने इस क्षेत्र पर भारी कर लगाया पर इसे वाणिज्यिक केन्द्र बने रहने की छूट दी। १७वीं शताब्दी में पटना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र बन गया। अंग्रेज़ों ने 1620 में रेशम तथा कैलिको के व्यापार के लिये यहाँ फैक्ट्री खोली। जल्द ही यह सॉल्ट पीटर (पोटेशियम नाइट्रेट) के व्यापार का केन्द्र बन गया जिसके कारण फ्रेंच और डच लोग से प्रतिस्पर्धा तेज हुई। बक्सर के निर्णायक युद्ध के बाद नगर इस्ट इंडिया कंपनी के अधीन चला गया और वाणिज्य का केन्द्र बना रहा। ईसवी सन 1912 में बंगाल विभाजन के बाद, पटना उड़ीसा तथा बिहार की राजधानी बना। आई एफ़ मुन्निंग ने पटना के प्रशासनिक भवनों का निर्माण किया। संग्रहालय, उच्च न्यायालय, विधानसभा भवन इत्यादि बनाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि पटना के नए भवनों के निर्माण में हासिल हुई महारथ दिल्ली के शासनिक क्षेत्र के निर्माण में बहुत काम आई। सन 1935 में उड़ीसा बिहार से अलग कर एक राज्य बना दिया गया। पटना राज्य की राजधानी बना रहा।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नगर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नील की खेती के लिये १९१७ में चम्पारण आन्दोलन तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन के समय पटना की भूमिका उल्लेखनीय रही है। आजादी के बाद पटना बिहार की राजधानी बना रहा। सन 2000 में झारखंड राज्य के अलग होने के बाद पटना बिहार की राजधानी पूर्ववत बना रहा।
भूगोल
पटना महानगरीय क्षेत्र
पटना से देखने पर गंगा नदी का दृश्य
पटना गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। पटना गंगा के दक्षिणी तथा पुनपुन के उत्तरी तट पर स्थित है। गंगा नदी नगर के साथ एक लम्बी तट रेखा बनाती है। पटना का विस्तार उत्तर-दक्षिण की अपेक्षा पूर्व-पश्चिम में बहुत अधिक है। नगर तीन ओर से गंगा, सोन नदी और पुनपुन नदी नदियों से घिरा है। नगर से ठीक उत्तर हाजीपुर के पास गंडक नदी भी गंगा में आ मिलती है। हाल के दिनों में पटना शहर का विस्तार पश्चिम की ओर अधिक हुआ है और यह दानापुर से जा मिला है।
महात्मा गांधी सेतु जो कि पटना से हाजीपुर को जोड़ने के लिये गंगा नदी पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में बना एक पुल है, दुनिया का सबसे लम्बा सड़क पुल है। दो लेन वाले इस प्रबलित कंक्रीट पुल की लम्बाई 5575 मीटर है। गंगा पर बना दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल पटना और सोनपुर को जोड़ता है।[10]
समुद्रतल से ऊँचाई: 53 मीटर
तापमान: गर्मी 43 °C - 21 °C, सर्दी 20 °C - 6 °C
औसत वर्षा : 1,200 मिलीमीटर
जलवायु
बिहार के अन्य भागों की तरह पटना में भी गर्मी का तापमान उच्च रहता है। गृष्म ऋतु में सीधा सूर्यातप तथा उष्ण तरंगों के कारण असह्य स्थिति हो जाती है। गर्म हवा से बनने वाली लू का असर शहर में भी मालूम पड़ता है। देश के शेष मैदानी भागों (यथा - दिल्ली) की अपेक्षा हलाँकि यह कम होता है। चार बड़ी नदियों के समीप होने के कारण नगर में आर्द्रता सालोभर अधिक रहती है।
गृष्म ऋतु अप्रैल से आरंभ होकर जून- जुलाई के महीने में चरम पर होती है। तापमान 46 डिग्री तक पहुंच जाता है। जुलाई के मध्य में मॉनसून की झड़ियों से राहत पहुँचती है और वर्षा ऋतु का श्रीगणेश होता है। शीत ऋतु का आरंभ छठ पर्व के बाद यानी नवंबर से होता है। फरवरी में वसंत का आगमन होता है तथा होली के बाद मार्च में इसके अ
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