muharram 2022 jaipur Matam Alam

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  • Опубликовано: 10 ноя 2024

Комментарии • 11

  • @SaadKhan-ee1qx
    @SaadKhan-ee1qx Год назад +1

    Im watching this 100 times

    • @bharatyatri5945
      @bharatyatri5945 3 месяца назад

      ruclips.net/video/t35kY-NEOJs/видео.htmlsi=jiXj5XcnOAWvmd_v

  • @SONUBIKER
    @SONUBIKER 5 месяцев назад

    Bhai konsa mohalla hai

    • @mohammadashraf8567
      @mohammadashraf8567 3 месяца назад

      Mohalla machli walo ka bajane wale hum hai ramganj fool walo ka khanda

  • @AsadAli-ei8on
    @AsadAli-ei8on 2 года назад

    Konse mohalla ka he ye

    • @aamir321ful
      @aamir321ful 2 года назад

      Ramganj foolwalon ka khanda

    • @SalmanKhan-ro7rj
      @SalmanKhan-ro7rj  2 года назад

      Mohalla machaliwale

    • @aamir321ful
      @aamir321ful 2 года назад

      @@SalmanKhan-ro7rj machliwalon ka mohollla hai jahan baja rhe hai aur jo log hai jo baja rhe h woh ramganj k hai

    • @GkTinker-rj9hl
      @GkTinker-rj9hl 4 месяца назад

      ​@@SalmanKhan-ro7rjमुहर्रम, विशेष रूप से दसवें दिन जिसे अशूरा कहा जाता है, मुख्य रूप से इस्लाम में शोक का समय माना जाता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह 680 ईस्वी में करबला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की शहादत की याद दिलाता है। शिया मुसलमानों के लिए, यह दुख और हुसैन और उनके साथियों द्वारा की गई कुर्बानियों पर विचार करने का समय है।
      सुन्नी मुसलमान भी अशूरा मनाते हैं, लेकिन उनके तरीके और महत्व अलग हो सकते हैं। कुछ के लिए, यह उपवास का दिन और मूसा और इस्राएलियों की फिरौन की गुलामी से मुक्ति की याद का दिन होता है।
      कुल मिलाकर, मुहर्रम को खुशी का त्योहार नहीं, बल्कि शोक और याद का समय माना जाता है।
      क्या इसमें बेंड बजाने चाहिए
      मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या धूमधाम से जश्न मनाना शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उपयुक्त नहीं माना जाता। मुहर्रम, विशेषकर अशूरा का दिन, शोक और गम का समय होता है, जब लोग हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। इस दौरान लोग मातम मनाते हैं, जुलूस निकालते हैं, और मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं।
      हालांकि, कुछ क्षेत्रों में और विभिन्न समुदायों में प्रथाओं में अंतर हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से मुहर्रम को एक शोकपूर्ण समय के रूप में ही मनाया जाता है। इसलिए, इस समय बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।
      क्या इस्लाम में मोहरम पर बेंड बजाना सही हैं
      इस्लाम में मुहर्रम, विशेष रूप से अशूरा का दिन, हज़रत हुसैन इब्न अली और उनके साथियों की शहादत की याद में शोक और मातम का समय है। इस्लामी परंपराओं, विशेषकर शिया मुस्लिम परंपराओं के अनुसार, इस समय के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना उचित नहीं माना जाता।
      मुहर्रम के दौरान, लोग हुसैन की शहादत को याद करते हैं, मर्सिया और नोहा पढ़ते हैं, और शोक के जुलूस निकालते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, प्रार्थना, और शहीदों के बलिदान को याद करने का होता है।
      सुन्नी मुसलमानों के बीच भी मुहर्रम का महत्व है, लेकिन उनके प्रथाओं और तरीकों में कुछ अंतर हो सकता है। फिर भी, मुहर्रम को आमतौर पर शोक और याद का समय माना जाता है।
      इसलिए, इस्लामी दृष्टिकोण से मुहर्रम के दौरान बैंड बजाना या किसी प्रकार का उत्सव मनाना सही नहीं माना जाता।

  • @almaskhan1362
    @almaskhan1362 2 месяца назад

    Gazab taal khichi yrr