Class 38 | काल (समय) क्या है? What is Time?
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- Опубликовано: 12 сен 2024
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मैं वैदिक विज्ञान के द्वारा एक अखण्ड, सुखी व समद्ध भारत के निर्माण की आधारशिला रखने का प्रयास रहा हूँ, जिसमें प्रत्येक भारतीय तन, मन, विचारों व संस्कारों से विशुद्ध भारतीय होगा। उसके पास अपना विज्ञान वेदों, ऋषियों व देवों के प्राचीन विज्ञान पर आधारित एवं अपनी भाषा हिन्दी व संस्कृत में होगा। उसे अपने पूर्वजों की प्रतिभा, चरित्र एवं संस्कारों पर गर्व होगा, उसे पाश्चात्य विद्वानों की बौद्धिक दासता से मुक्ति मिलेगी, जिससे लार्ड मैकाले का वर्तमान में साकार हो चुका स्वप्न ध्वस्त हो सकेगा। यह प्यारा राष्ट्र पुनः विश्वगुरु बनकर विश्व को शांति एवं आनंद का मार्ग दिखाएगा।
-आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
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10. वैदिक भौतिकी पर तकनीक एवं गणित का विकास करके - हमारे वैदिक सैद्धान्तिक भौतिकी को जनोपयोगी बनाने के लिए इसके आधार पर तकनीक एवं गणित का विकास करने का प्रयास करके।
11. वेद विरोधियों अथवा जिज्ञासुओं को उत्तर देकर - वेदादि शास्त्रों पर हो रहे मिथ्या आक्षेपों अथवा वास्तविक जिज्ञासुओं को, जो भी आपने अब तक समझा है, के आधार पर उत्तर देकर आचार्य श्री का बहुमूल्य समय बचा सकते हैं।
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यह कार्य अत्यन्त पवित्र है, इस कारण आचार्य श्री की भावनानुसार विनम्र निवेदन है कि जिनकी आजीविका किसी भी प्रकार की हिंसा, चोरी, तस्करी, अश्लीलतावर्धक साधनों, नशीली वस्तुआ की विक्री, धोखाधड़ी, शोषण आदि पर निर्भर हो तथा जो निर्धन भाई अपनी सामर्थ्य से अधिक (अथवा अपने परिवार में क्लेश करके) दान देना चाहते हों, ऐसे महानुभावों की सद्भावना का धन्यवाद करते हुए भी हम उनका दान लेने में असमर्थ हैं। कृपया ऐसा करने का प्रस्ताव करके हमें लज्जित न करें। हाँ, जो बन्धु ऐसे कर्मों को त्यागकर हमसे जुड़ना चाहें, तो उनका हार्दिक स्वागत है।
(Note: This is Very Holy work, so according to the emotions of Acharyaji we are not able to accept the donations from the people whose life is related to any of this profession like- Smuggling, Violence, theft, sexuality enhancer products, selling of intoxication products, Betrayal, Exploitation etc. Yes, anyone who wants to join us by leaving these professions, then we will welcome them.)
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जैसे चुंबक से जुड़कर लोहा भी चुंबक की तरह हो जाता है शायद वैसे ही काल भी ईश्वर से सीधा संबंधित होने पर चेतन की भांति कार्य करता है लेकिन है वह जड़.
पुरातन काल के भारतीय कितने भाग्यशाली और उच्च कोटि के विद्वान होंगे जिन्होंने इस महान, दिव्य ज्ञान को ग्रहण ही नहीं आत्मसात भी किया होगा। मैं भी बहुत भाग्यशाली हूँ जो कि आचार्य जी के व्याख्यान सुन रहा हूँ और आत्मसात करने का प्रयास कर रहा हूँ।
जय मातृभूमि
किसी भाई का आचार्य जी के इस lecture से दिमाग का फ्यूज उड गया हो तो संभव है कि या तो आपने पिछले lecture नहीं सुने या ध्यान से नहीं सुने । कृपया lecture 1 से प्रारंभ करें और सभी lectures क्रमशः सुने वरना दिमाग की सारी बत्तियां गुल हो जाएंगी ।
Being Muslim I respect your hard work acharya ji.
Very informative lecture
After sometime I will make proper notes of this playlist.
Terrific lecture... tremendous knowledge.... amazing depth.... what a wonderfully drowning philosophy. Some western scholar has rightly said that Indian scholars have deliberated upon answers of those deep metaphysical questions that all western scholars seem infant in front of Indian scholars because they don't have capacity to even think about such questions, forget about answering them.
Jai ho Bhaarat Maa ki jisne aise vidwaan paidaa kiye. The soil of this land is pious. This land called Bhaarat is truly worshippable.
Immense regards for Acharya Agnivrat. May he live healthily for 1000 years.
इसलिए ईश्वर का एक नाम महाकाल भी है।
🕉️🙏🚩
आपकी बात सुनकर आचार्य जी मेरा यह निष्कर्ष है कि ईश्वर ही काल है।
I wish oneday whole world will understand this deep knowledge
आप युग सम्राट है।मेरा आपके चरणों में नमन
आज पता चला की ऋषि मुनि क्यों कहते थे की कण कण में ईश्वर है
समय की मार से कोई नहीं बच सकता यह कहावत है समाज में जो निर्मित हुआ है उस पर काल का प्रभाव होता है
ओउम् प्रणाम आचार्य ऋषीवर जी.
Wa ji man gye me bsc student sabhi vad vivado par apki theory ka hi jikar karta hu lakin teacher mante nhi apka no
इनके फ़ोन नंबर चैनल को देखे अछे से about section में है
भाई मेरे पास भी कुछ बुक्स हैं इस type की pdf में आप उन्हें भी पढ़ो आपको पसंद आएगी। आप msg करो मै detail मे बता दूंगा 7071270366
Aalok ved vigyan book hai
Apke pass ved vigyan alok hai
@पाखंड का अंत with jogesh jatav आप msg करो 7071270366 whatsapp पर आपको पूरी जानकारी देता हूँ भाई।
May god give years of my life to you, so that I could listen to you till the day I die. Want to listen more about God , like I just listen to my whole life and the story never ends🙏
आचार्य जी प्रणाम करता हूँ।
गुरु जी जानने, सीखने की काफी इच्छा होती है, लेकिन सरल शब्दों की हम जैसों को बहुत आवश्यकता है, शब्द समझने में बहुत कठिनाई होती है। हम रेगुलर सुनने वालों की यही समस्या है। कृपया मार्ग प्रशस्त करें, अति कृपा होगी। कुछ मुझ जैसे अंग्रेजी माध्यम से पढे दुर्भाग्यशाली लड़कों की यही समस्या है।
हमे वेस्टर्न लर्निंग प्रोसेस का मॉडल(जो सिर्फ पैसा कमाने के लिए, और स्पेसिफिक विषय का ज्ञान देता है ) भुलाकर प्राचीन भारतीय गुरुकुल और प्राचीन भारतीय संस्कृति शिक्षा व्यवस्था(जिसमे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक, ज्ञान-विज्ञान , सामाजिक और पारिवारिक विषयोंका ज्ञान मिलता था) का मॉडल अनिवार्य करना चाहिये ।
ईश्वर बिना काल के क्रिया ही नही कर सकता ।
इसीलिए काल ईश्वर के इच्छा करते ही सक्रिय होजाता है जिसके बाद ईश्वर ओम रश्मी द्वारा प्रक्रति के गुणों को सक्रिय कर देता है जिसके उपरांत काल के बचे गुण भी सक्रिय हो जाते है
I will call it a Philosophy..😊
ओ३म्।।
सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏
Excellent discussion on kal tatwa.
Apke jaise vaidic baigganik bharat ko unke gaurab Ved, biggyan ke bare me ggayanita karrahahei.
Parampitaka iccha purna ho..
🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी के चरणों में बारम्बार प्रणाम 🙏🙏
ओम शम
Hey mahan vidvan mahapurus..mera pranaam swikaar Kare!! 😊
ओ३म् 🙏🙏🙏
"Kaal Boudhdha Parinaam"
"Time is a Form of intelleect"---- H Spencer. Kaal hi Kriya hain.
Osm
ओं सादर नमस्ते विश्व गुरु आचार्य जी
Ye jyan vedonka he humare purvajonka he..iska credit humarahi rehna chayiye..jo is line me padh rahe he wo gurukul join kare aur waha se aage badhe..apne rashtra aur apne vijyan ko roshan kare duniya k samne laye..🙏
Guys ye short knowledge videos he..har bat puri tarah se you tube pe clear nahi kar sakte..na karni chayiye...books leke padhe .
नमस्कार आचार्य जी, तैत्तिरीय आरण्यक ग्रंथ के छठे प्रश्न में "कला मुहूर्ता: काष्ठाश्चाहोरात्राश्च सर्वश:। अर्धमासा मासा ऋतवस्संव्वथ्सरश्च कल्पंताम्।। एसा संदर्भ है, जो काल के बारेंमें दर्शाता है।
आचार्य जी, एक बात समझ नही आयी कि आपने कहा प्रारम्भ में ओम रश्मियां प्रकृति में सत्व रज गुण को एक्टिवेट करती है और इसके बाद काल तत्व सत्व रज गुण के साथ एक्टिवेट होता है।
तो फिर जब प्रलय होता है तो ओम रश्मियां भी सुषुप्त अवस्था मे चली जाती है।ऐसे में काल तत्व को भी सुषुप्त अवस्था मे चले जाना चाहिए।
लेकिन ऐसे में फिर प्रलयकाल का निर्धारण ही नही हो पायेगा की कब तक प्रलय की अवस्था रहनी है।
तो क्या काल तत्व और ओम रश्मिया सत्व रज गुण के साथ हमेशा एक्टिवेट रहती है???प्रलय काल मे भी?
सभी ब्राह्ममाण्ड मे काल एक जैसा है गुरु देव
गुरु देव जी 🙏🏼 चरण-स्पर्श 🙏🏼
आशीर्वाद
प्रणाम आचार्य श्री
भगवन काल के विषय में कबीर बीजक में भी आपके तुल्य कुछ विचार है।दृष्टि डाले एक बार उस पर भी।
Uttam
Ati navin jankari
क्या काल और 🕉️ रश्मी एकसाथ ईश्वर की प्रेरणा लेती है . दोनो मे फर्क क्या है
आचार्य श्री सादर नमस्ते।
Acharya ji, Pralay me kaal kaise kaary karta hai kripya bataye🙏
जबरदस्त वीडियो है🙏🙏
Namasta guru ji🙏🙏👌👌❤️❤️
नमस्ते ओउम् महर्षि जी
Kalchakra hota hai. Center me kal nahi hota (kalatit) sthir hota hai lekin circumference par kal tin prakar ka dynamic gati ka hota hai. Kal tatv maya tatv hai.
🙏 🙏🙏🙌
Can we move into different time like past or future? do we have a parallel universe and how time works there? Does time exist in paradise and hell? in which dimension time do not work?
You can go from point A to point B. But movement of time is same in all over creation. Then you have to move from point A to point A,cause no different speed no different points. I think this is not possible.
Namaste achary ji
Acharya ji namaskar
Rigvedadibashyabhumika aur Manusmriti me kal gnana karte hue brahm din aur brahm raat kahi gayi hai, braham raat yani pralaya kaal
yani pralaya k samay bhi kaal .... ye kaisi hai
Sir ईश्वर में कामना कैसे हो सकती है??
वो तो कामना रहित है
अभोक्ता है
अचल है अडोल है निर्बंधन है
प्लीज़ बताइए sir
पूरा व्यक्खान अच्छा लग रहा है
परन्तु वो मतलब समझ नहीं आया
आचार्य जी मेरा एक विचार है कृपया बताएं ऐसा संभव है अथवा नहीं जैसे यदि हमारे पास एक लगातार गतिशील कोई चक्र है और वो एक हैंडल द्वारा नियंत्रित है। उस हैंडल को दबा कर जैसी ही हम उसके घूमते हुए चक्र को दूसरे रुके हुए चक्र के साथ जोड़ते हैं तो दूसरा चक्र भी चलने लगता है। फिर जैसे ही घूमते हुए चक्र को हैंडल द्वारा दूर करते है तो दूसरा चक्र रुक जाता है। ऐसा संभव हो कि काल सदा सक्रिय रहता हो और ईश्वर उसको एक समय अवधि के बाद प्रकृति के साथ उसका सम्बन्ध कर देते हो। में ऐसा इस लिए बोल रहा हूँ । क्योंकि सृष्टि और प्रलय का चक्र हमेशा एक निश्चित काल अवधि के बाद ही प्रारम्भ होता है। ईश्वर को इस काल अवधि का पता कैसे चलेगा यदि काल क्रियाशील न हो। और यदि प्रलय में काल भी निष्क्रिय हो जाता है तो ईश्वर निश्चित काल अवधि का ज्ञान कैसे रखता है। ऐसा आपने बताया भी है।
ओउम
Aum Shani.🙏
om guruji
घंटे का निसान (notification bell) चालू नहीं हो रहा है
Try करते रहो भाई हो जाएगा
गुरुजी मैने मेरे अध्यापक जी से तो पूछ लिया एक प्रश्न आपसे भी पूछता हूं,,
Q.) क्या बिना त्रिज्या का बिंदु संभव होगा ?
क्युकी में जब अति सूक्ष्म की कल्पना करता हूं तो दिमाग डिस्टर्ब हो जाया करता है 🚩🙏🙏🙏
Acharya ji mera ek sawaal hai, kya samay yatra sambav hai?
mera toh dimag ghoom gya aur mere maan mai kayi sawal aa gye..ek que h mera..jb time kabhi rukta nhi hai..toh shri krishna ji ne aswathama ko shrap diya tha ki tum samay ke aant tak aise hi bhataktey rahoge..samay ka aant kya hoga..samay toh sab jagah alag2 hai..toh ye kaam kaise karta hai..? aur jb ye bhraman bna toh use pehle sab sleep mode mai tha toh time bhi sleep mode mai raha hoga..toh phir toh wo dubra bhi hoo sakta hai..time toh ek hi speed se chal rha h but..ye har jagah alag 2 hai..aur jb pralay hoti hai toh time ki kya bhoomika hoti hai..koi ho toh btana
Vishwan sav it u Duraniyadbhadramtadaasuv
Aum Or ishwar mai kamna hi kyo prakat hoti h Sristhi utpan karne ki.. . Jb chetan h to kyo kamna?? ?? ? Or kyo prerna?? ??
logo ko ye sunna chaiye aur bhi
नमस्ते आचार्य जी🙏
Acharya ji Kabir das ji kis kaal ki bat karte hain
प्रलय सब जगह एक साथ होता है तब ईस्वर जीव आत्मा का क्या करता है क्योंकि तभी कोई श्रुष्टि होती ही नही जहा जीव आत्मा जन्म ले सके ???? कृपा प्रकाश डाले आचार्य जी
इस बारे में कहा गया हक़ी कि प्रलय काल मे सभी जीवात्मा मुक्ति की अवश्था में चली जाती हैं।सबके कर्म विलीन हो जाते हैं।कर्म का कोई प्रभाव नही होता।इस तरह सभी जीवात्माओं को चाहे उनके कर्म जैसे भी हो,प्रलय काल मे या कम से कम एकबार मुक्ति का आनंद दिया जाता है।
@@IN-DEFENDER9164 तो भाई जो जीवात्मा अच्छा कर्म करता है उसको भी मोक्ष और जो जीव आत्मा बुरा कर्म करती है उसको भी मोक्ष तो फिर ईस तरह तो ईस्वर अन्याय कारी हो जाएगा जब कि ईस्वर तो न्याय कारी है
@@bhupendrasolanki2550 नही अन्यायकारी नही होगा।।जब तक सृष्टि चलती है,तब तक सबको कर्मानुसार मोक्ष मिलता रहता है।बताया गया है कि मोक्ष भी हमेशा के लिए नही होता।एक ही सृष्टि में किसी को थोड़े समय के लिए,किसी को थोड़े ज्यादा समय के लिए मोक्ष मिलता है।और मोक्ष भोगने के बाद उसी सृस्टि में दुबारा जन्म भी मिल जाता है,कर्मानुसार।
आत्मा बिना शरीर के नही रह सकती।एक सेकंड भी नही।उसको शरीर चाहिए
या फिर वो मुक्ति की अवस्था मे रह सकती है।शायद इसी को नरक कहते है,की मरने केबाद कर्मानुसार कुछ समय के लिये आत्मा को न शरीर मिले न ही मुक्ति।ऐसे में आत्मा छटपटाती रहती है।
प्रलय काल मे कर्म का फल भोगने के लिए कुछ माध्यम बचता ही नही।तो फिर कर्म का कोई महत्व नही रह जाता।
महत्व अगली सृष्टि में होता है।अगली सृष्टि में जो भी पहले पैदा होते है,उनकी जीवात्मा सबसे ज्यादा पुण्यवान होती है।और बाकी जीव जंतुओं की आत्माओं को पिछली सृष्टि के कर्मो के अनुसार अगली सृष्टि में शरीर मिलता है।
पिछली सृष्टि के विनाश और अगली सृष्टि के निर्माण के बीच जो समय होता है,उस दौरान सभी आत्मा मुक्ति की अवश्था में होती है।इसमें कोई अन्याय नही है।हमे ऋषियों द्वारा यही बताया गया है।
भाई जो जीव प्रलय से पहले मुक्त हो चुके होंगे वो एक अन्य शरीर जिसको तुरीय शरीर कहते है उसके द्वारा आनन्द का और मोक्ष का भोग करते हैं और जो जीव मुक्त नहीं होतें वो सुसुप्ति अवस्था में ईश्वर में स्थित रहतें हैं।
Ye goodh prashn h. Dekhe acharya ji iska kya uttar dete h. Mujhe bhi intezaar rahega
अरे आप अपने ज्ञान को साबरमती गुकुलकुल में बताई वहां के बच्चे जरूर इस पर ध्यान देंगे
Gurudev mera prnaam svikaar kre.! 🙏or samaadhaan ki kripa kre ki kya gun rashmi rup hain?
ओ३म
ॐ नमस्ते आचार्य जी
Tagda
TKS
aachariye ji aap bata sakte ho Mahabharat mey Bhishm ji ke aayu aur Shri krishan ji ke aayu kitney thi koi kahta h bhism ji ke aayu 220 koi kahta h175.sab ke raaye alag alag h aap bataye kitney think aachariye ji
Kaal iswar ka prerit hai
🕉🙏🕉🙏🕉🙏
🚩🚩🚩🚩🚩
Nice Acharya g
very nice sir
Time absolute hai
Ved 🧡🔱🙏
🚩🚩🚩
प्रणाम आचार्यजी
जिस तरह से 4 युगों के बारे में समय बताया गया है क्या वह सच है, जैसे कलयुग चार लाख बतीस हजार वर्ष है और भी युगों के बारे में बताया है
सवाल यह है कि जिस तरह ये बताया है इस मे कुछ गड़बड़ लगती है क्युकी काल के बारे में जिस तरह से आप ने बताया है
और वर्तमान समय के बारे में बताते है,
तो गड़बड़ लगती है,
कृपया काल और समय के बीच का अंतर समजाये
आप के काल के बारे में 3 वीडियो देखे है, और स्पष्ट तरीके से समजाये,
धन्यवाद
आप का किरपभाई लाशु
Sahi shabd "AUM, OUM ,ya OM" he ????
ओ३म् ये सही है
Aum
Acharya Ji WhatsApp group join karna h
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