After listening to this Bani, my heart bows with reverence towards the Lord, my eyes are filled with tears and I really feel as if my Lord has really come near me. It's because I identify myself with Sudama. I am the most poorest of the poor and He is the Almighty.
Waheguru! Bip sudhaamaa dhaalidhee baal sakhaaee mithr sadhaaeae|| Sudama, a poor Brahman, was known to be a friend of Krishna from childhood. Laagoo hoee baamaanee mil jagadhees dhalidhr gavaaeae|| His Brahmin wife always pestered him as to why he did not go to Lord Krishna to alleviate his poverty. Chaliaa ganadhaa gatteeaaa(n) kioukar jaaeeai koun milaaeae|| He was perplexed and pondered over how he could get re-introduced to Krishna, who could help him meet the Lord.
Bhai Krishna ji Ka bhajan Nahi hai yeh Gurbani hai Jis mein Krishna ji duryodhan ko reply Kar Raha hai, aap hathi aur raaj mein itne hakari ho gaya.ki bhagwan ko bhul gaya iss liya aap ke Ghar kyo aahu. हसती देखि भरम ते भूला स्री भगवानु न जानिआ ॥ तू हाथी (आदि) देख के मान में आ के टूट चुका है, परमात्मा को भुला बैठा है। एक तरफ तेरा दूध है, दूसरी तरफ बिदर का पानी है; ये पानी मुझे अमृत दिखता है।1।
@@damandeepsingh9503 थोड़ी ज्ञान में वृद्धि कर भाई ये sabad bhagvan श्री कृष्ण पर है और श्री कृष्ण के मित्र सुदामा के बीच की प्रसंग का वरण कर रहे है जिसे तुम्हारे भिंडरावाले खालिस्तानी सिख श्री कृष्ण को भगवान नहीं मानते है
@@damandeepsingh9503 😅🤣🤣🤣 ab 400 saal wale batayenge cheating khor SANATAN kya hei 😅🤣🤣 ITI GOVINDAM ADI PURUSHAM TAM AHAM BHAJAAMI 🙏😅 Bhagwan ne geeta mei pehle hi bataya thha ki moodhh buddhi manusya mujhe dehdhari manav smjh beith ta hei jabki mere janm or karm dono hi Divya hei 🥰
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Pahuthaa nagar dhuaarakaa singh dhuaar khalothaa jaaeae|| He reached the town of Duaraka and stood before the main gate (of the palace of Krishna). Dhoorahu dhaekh ddanddouth kar shadd singhaasan har jee aaeae|| Seeing him from a distance, Krishna, the Lord, bowed and leaving his throne came to Sudama.
Krishna ji said to duryodhan. ਹਸਤੀ ਦੇਖਿ ਭਰਮ ਤੇ ਭੂਲਾ ਸ੍ਰੀ ਭਗਵਾਨੁ ਨ ਜਾਨਿਆ ॥ ਤੁਮਰੋ ਦੂਧੁ ਬਿਦਰ ਕੋ ਪਾਨ੍ਹ੍ਹੋ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਕਰਿ ਮੈ ਮਾਨਿਆ ॥੧॥ ਤੂੰ ਹਾਥੀ (ਆਦਿਕ) ਵੇਖ ਕੇ ਮਾਣ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਖੁੰਝ ਗਿਆ ਹੈਂ, ਪਰਮਾਤਮਾ ਨੂੰ ਭੁਲਾ ਬੈਠਾ ਹੈਂ। ਇਕ ਪਾਸੇ ਤੇਰਾ ਦੁੱਧ ਹੈ, ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਬਿਦਰ ਦਾ ਪਾਣੀ ਹੈ; ਇਹ ਪਾਣੀ ਮੈਨੂੰ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦਿੱਸਦਾ ਹੈ।1। हसती देखि भरम ते भूला स्री भगवानु न जानिआ ॥ तू हाथी (आदि) देख के मान में आ के टूट चुका है, परमात्मा को भुला बैठा है। एक तरफ तेरा दूध है, दूसरी तरफ बिदर का पानी है; ये पानी मुझे अमृत दिखता है।1।
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
@@seematangri2176 🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
@@jagdeepsidhu6850 🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Pehilae dhae paradhakhanaa pairee pai kae lai gal laaeae|| First he circumambulated around Sudama and then touching his feet he embraced him. Charanodhak lai pair dhoe singhaasan outhae baithaaeae|| Washing his feet he took that water and made Sudama sit on the throne. Pushae kusal piaar kar gur saevaa dhee kathaa sunaaeae|| Then Krishna lovingly enquired about his welfare and talked about the time when they were together in the service of the guru Sandipani.
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Lai kae thandhal chabioun vidhaa karae agai pahuchaavai|| Krishna asked for the rice sent by Sudama’s wife and after eating, came out to see off his friend Sudama. Chaar padhaarath sakuch pathaaeae ||9|| Though all the four boons (righteousness, wealth, fulfilment of desire and liberation) were given to Sudama by Krishna, Krishna's humbleness still made him feel totally helpless.
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
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Such a beautiful gurbani but i want to tell that this shabad is not allowed to hazuri ragi to sing this shabad and by this shabad he suspended for his kirtan duty Darbar sahib
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🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Satya Vachan Dasaya Si Aapne 🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Such mucho Guru mahraj ji da hi adesh hai waheguru ji satnam waheguru satnam waheguru satnam waheguru satnam waheguru satnam mere channel nu subscribe te promote kro choti ji koshish hai sewa di 🙏🇮🇳🇮🇳✌
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️ "अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥ धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण। बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥ 👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥ भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082) हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏 " हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥ अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2। हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥ पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3। अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3। केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥ अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1। भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
मैं जब भी ये शबद सुनता हूँ , न जाने क्यों अश्रु धारा बहने लगती है ।
भाव विभोर कर देने वाली बानी
After listening to this Bani, my heart bows with reverence towards the Lord, my eyes are filled with tears and I really feel as if my Lord has really come near me. It's because I identify myself with Sudama. I am the most poorest of the poor and He is the Almighty.
Gurdit Singh Grover true bro hariji is nemaaniyan de maan haribol
Gurdit Singh Grove
@@raghavmalhotra3482 isska arth bataana
We are his children
@@damandeepsingh9503 lord is the honour of the dishonoured one
ਧੰਨ ਧੰਨ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਮਹਾਰਾਜ
Lord Shri Krishna ❤
ਧੰਨ ਧੰਨ ਰਾਜਾਨ ਰਾਜ ਭਾਨਾਨ ਭਾਨ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ ਜੀ🙏
This is my father's favorite shabad
But he is no more i miss him very much 😞😔
Hare Krishna 🙏
May Lord Krishna _ Hari , blesses his soul🙏🙏
Waheguru!
Bip sudhaamaa dhaalidhee baal sakhaaee mithr sadhaaeae||
Sudama, a poor Brahman, was known to be a friend of Krishna from childhood.
Laagoo hoee baamaanee mil jagadhees dhalidhr gavaaeae||
His Brahmin wife always pestered him as to why he did not go to Lord Krishna to alleviate his poverty.
Chaliaa ganadhaa gatteeaaa(n) kioukar jaaeeai koun milaaeae||
He was perplexed and pondered over how he could get re-introduced to Krishna, who could help him meet the Lord.
SannyPrabhakar Thank you!
੯ [ਸੁਦਾਮਾ ਭਗਤ]
ਬਿਪ=ਬ੍ਰਾਹਮਣ। ਦਾਲਿਦ=ਦਰਿੱਦ੍ਰ੍ਰੀ, ਗ੍ਰੀਬ। ਲਾਗੂ=ਪਿੱਛੇ ਪੈਣਾ। ਗੱਟੀਆਂ=ਗਿਣਤੀਆਂ। ਸਿੰਘ ਦੁਆਰ=ਰਾਜ ਦੁਆਰ। ਤੰਦੁਲ=ਚਾਵਲ।)
ਬਿਪ ਸੁਦਾਮਾ ਦਾਲਿਦੀ ਬਾਲ ਸਖਾਈ ਮਿਤ੍ਰ੍ਰ ਸਦਾਏ।
ਸੁਦਾਮਾਂ (ਨਾਮੇਂ) ਬ੍ਰਾਹਮਣ (ਦਰਿੱਦ੍ਰ੍ਰੀ=) ਨਿਰਧਨ ਸੀ, ਬਾਲਕ ੳਮਰਾ ਦਾ (ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਦਾ) ਯਾਰ ਹੈਸੀ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੧
ਲਾਗੂ ਹੋਈ ਬਾਮ੍ਹਣੀ ਮਿਲਿ ਜਗਦੀਸ ਦਲਿਦ੍ਰ੍ਰ ਗਵਾਏ।
ਉਸਦੀ ਬਾਹਮਣੀ (ਵਹੁਟੀ) ਉਸਦੇ ਪਿੱਛੇ ਪੈ ਗਈ ਕਿ ਤੂੰ ਜਗਦੀਸ਼ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲ, (ਤੇਰਾ) ਦਰਿੱਦ੍ਰ੍ਰ ਗਵਾ ਦੇਵੇਗਾ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੨
ਚਲਿਆ ਗਣਦਾ ਗਟੀਆਂ ਕਿਉ ਕਰਿ ਜਾਈਐ ਕਉਣੁ ਮਿਲਾਏ।
(ਦਿਲ ਤਾਂ ਮੰਗਣ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ, ਪਰ) ਗਿਣਤੀਆਂ ਗਿਣਦਾ ਤੁਰ ਪਿਆ (ਭਈ) ਕਿੱਕੁਰ ਮੁਲਾਕਾਤ ਹੋਵੇ ਤੇ ਕੌਣ ਮੁਲਾਕਾਤ ਕਰਾਵੇ?
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੩
ਪਹੁਤਾ ਨਗਰਿ ਦੁਆਰਕਾ ਸਿੰਘਿ ਦੁਆਰਿ ਖਲੋਤਾ ਜਾਏ।
ਦੁਆਰਕਾ ਨਗਰੀ ਪਹੁੰਚਾ ਤੇ ਰਾਜ ਦੁਆਰ ਤੇ ਜਾ ਖੜੋਤਾ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੪
ਦੂਰਹੁੰ ਦੇਖਿ ਡੰਡਉਤ ਕਰਿ ਛਡਿ ਸਿੰਘਾਸਣੁ ਹਰਿ ਜੀ ਆਏ।
ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਦੂਰੋਂ ਦੇਖਕੇ ਸਿੰਘਾਸਨ ਛੱਡਕੇ ਆਏ ਤੇ ਮੱਥਾ ਟੇਕਿਆ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੫
ਪਹਿਲੇ ਦੇ ਪਰਦਖਣਾ ਪੈਰੀ ਪੈ ਕੈ ਲੈ ਗਲਿ ਲਾਏ।
ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਦੱਖਣਾ ਕੀਤੀ, ਪੈਰੀ ਪਏ ਫੇਰ ਗਲ ਨਾਲ ਲਾਯਾ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੬
ਚਰਣੋਦਕੁ ਲੈ ਪੈਰ ਧੋਇ ਸਿੰਘਾਸਣੁ ਉਤੇ ਬੈਠਾਏ।
ਸਿੰਘਾਸਨ ਪੁਰ ਬੈਠਾਕੇ ਚਰਣ ਧੋਤੇ ਤੇ ਚਰਨਾਂਮ੍ਰਿਤ ਲੀਤਾ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੭
ਪੁਛੇ ਕੁਸਲੁ ਪਿਆਰੁ ਕਰਿ ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਦੀ ਕਥਾ ਸੁਣਾਏ।
ਪਿਆਰ ਨਾਲ (ਫੇਰ) ਸੁਖ ਸਾਂਦ ਪੁੱਛੀ (ਤੇ) ਗੁਰ ਸੇਵਾ ਦੀ ਕਥਾ ਕੀਤੀ (ਭਈ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਗੁਰੂ ਦੀ ਟਹਿਲ ਕਰਦੇ ਹੁੰਦੇ ਸੇ, ਇਕੇਰਾਂ ਚਣੇ ਨਾਲ ਲੈ ਗਏ ਸੇ, ਭਈ ਭੁੱਖ ਲੱਗੇਗੀ ਤਾਂ ਚੱਬਾਂਗੇ, ਮੈਂ ਤਾਂ ਲੱਕੜੀਆਂ ਨੂੰ ਗਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ਤੂੰ ਪਿੱਛੇ ਦਾਣੇ ਚਬ ਲੀਤੇ ਜਦ ਮੇਰੇ ਜੋਗੇ ਨਾ ਰਹੇ ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਗੁੱਸੇ ਹੋ ਪਿਆ ਤੇ ਦਰਿੱਦ੍ਰ੍ਰੀ ਕਹਿ ਬੈਠਾ ਸਾਂ)।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੮
ਲੈ ਕੈ ਤੰਦੁਲ ਚਬਿਓਨੁ ਵਿਦਾ ਕਰੇ ਅਗੈ ਪਹੁਚਾਏ।
ਫੇਰ ਉਸ ਦੇ ਪੱਲਿਓਂ ਚਾਵਲ (ਜੇਹੜੇ ਬਾਹਮਣੀ ਨੇ ਭੇਟਾ ਲਈ ਬੰਨ੍ਹ ਦਿੱਤੇ ਸੀ)
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੯
ਚਾਰਿ ਪਦਾਰਥ ਸਕੁਚਿ ਪਠਾਏ ॥੯॥
ਚਾਰੇ ਪਦਾਰਥ 'ਸਭ ਕਿਛ ਇਉਂ) ਸ਼ਰਮਾ ਕੇ ਦਿੱਤੇ (ਜਿੱਕੁਰ ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਉਦਾਰ ਕਿਸੇ ਗਰੀਬ ਨੂੰ ਇਕ ਟਕਾ ਦੇਵੇ)।ਭਾਵ ਇਸ ਕਥਾ ਵਿਚ ਇਹ ਉਪਦੇਸ਼ ਹੈ ਕਿ ਗੁਰ ਭਾਈਆਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਆਦਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ, ਜੋ ਬਾਲਕ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਗੁਆਲਿਆਂ ਦਾ ਪੁਤਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੀ ਅਤੇ ਹੁਣ ਦੁਆਰਕਾ ਦਾ ਰਾਜਾ ਸੀ, ਨੇ ਬਾਲ ਸਖਾਈ ਗੁਰ ਭਾਈ ਕੰਗਾਲ ਸੁਦਾਮੇ ਦਾ ਕਿੰਨਾਂ ਆਦਰ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਇੱਜ਼ਤ ਪਾਕੇ ਫਿੱਟ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਤੇ ਗੁਰਭਾਈ ਦਾ ਮਾਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਤੇ ਜੋ ਗੁਰਭਾਈ ਕਰਮਗਤੀ ਕਰ ਕੇ ਗਰੀਬ ਹੋਣ, ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਅਮੀਰ ਗੁਰਭਾਈਆਂ ਪਾਸੋਂ ਧਨ ਦੀ ਇੱਛਾ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ, ਜੈਸਾ ਕਿ ਸੁਦਾਮਾਂ ਦਾ ਅਪਣਾਂ ਖਿਆਲ ਦੱਸਿਆ ਹੈ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਮੀਰੀ ਦੇ ਸਬੱਬ (ਜੇ ਉਹ ਪਰਮੇਸ਼ੁਰ ਭਗਤ ਹੋਣ) ਤਾਂ ਛੱਡ ਨਹੀਂ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ, ਪਿਆਰ ਵਿਚ ਅਮੀਰ ਨੂੰ ਅਮੀਰੀ ਦਾ ਹੰਕਾਰ ਤੇ ਗਰੀਬ ਨੂੰ ਗਰੀਬੀ ਦਾ ਖਿਆਲ ਮੇਲ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਬੰਧਕ ਨਹੀਂ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਏ।
ਵਾਰ ੧੦ ਪਉੜੀ ੯/੧੦
Jai sri krisha 🙏🙏
बहुत ही अच्छा भजन है जय श्री कृष्णा जय गौ माँ सनातन धर्म की जय सिख धर्म की जय
Bhai Krishna ji Ka bhajan Nahi hai yeh Gurbani hai
Jis mein Krishna ji duryodhan ko reply Kar Raha hai, aap hathi aur raaj mein itne hakari ho gaya.ki bhagwan ko bhul gaya iss liya aap ke Ghar kyo aahu.
हसती देखि भरम ते भूला स्री भगवानु न जानिआ ॥
तू हाथी (आदि) देख के मान में आ के टूट चुका है, परमात्मा को भुला बैठा है। एक तरफ तेरा दूध है, दूसरी तरफ बिदर का पानी है; ये पानी मुझे अमृत दिखता है।1।
@@damandeepsingh9503 थोड़ी ज्ञान में वृद्धि कर भाई ये sabad bhagvan श्री कृष्ण पर है और श्री कृष्ण के मित्र सुदामा के बीच की प्रसंग का वरण कर रहे है
जिसे तुम्हारे भिंडरावाले खालिस्तानी सिख श्री कृष्ण को भगवान नहीं मानते है
@@ritesh7866 Gurbani Krishan Ji supreme god Nahi
Mahapurak maana
@@damandeepsingh9503 😅🤣🤣🤣 ab 400 saal wale batayenge cheating khor SANATAN kya hei 😅🤣🤣 ITI GOVINDAM ADI PURUSHAM TAM AHAM BHAJAAMI 🙏😅
Bhagwan ne geeta mei pehle hi bataya thha ki moodhh buddhi manusya mujhe dehdhari manav smjh beith ta hei jabki mere janm or karm dono hi Divya hei 🥰
@@ashishtiwari9135tu kitna Purana hai 😀😀😀😀
No difference between Sikhism and Hinduism we are one
Hinduism is wasting his time in murthi Puja ,but Sikh only believe in akal purakh not in stupid things , there is a huge difference.
@@veersingh6993oh bhai, Read about bhagat dhana ji, Pathar cho bhagwaan prgat hoye san bhau bhagat krke
Guru sahib ka pyara bhav
Hari bol
Bhut payre shabd. Ram ram shri ram
Satnaam Shri Waheguruji..
Waheguruji Sab Da Bhala Kare..
Waheguruji Sab Te Mehar Kare..❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jai Shri Hari 🙏🙏
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव 🙏🙏
I cannot stop listening this sublime Shabad. Thanks to Bhai Sarbajit Singh ji for bringing this to us. 🙏🙏🙏
Ruhani dooriyan mitaon wala shabad
Anand Anand SAb ko kahe .. Anand Guru te janeya... waheguru...
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Dhan dhan malak kirpa karrn satnam ji
Pahuthaa nagar dhuaarakaa singh dhuaar khalothaa jaaeae||
He reached the town of Duaraka and stood before the main gate (of the palace of Krishna).
Dhoorahu dhaekh ddanddouth kar shadd singhaasan har jee aaeae||
Seeing him from a distance, Krishna, the Lord, bowed and leaving his throne came to Sudama.
SannyPrabhakar thankyou bro gives a much better understanding om namo narayana!
Krishna ji said to duryodhan.
ਹਸਤੀ ਦੇਖਿ ਭਰਮ ਤੇ ਭੂਲਾ ਸ੍ਰੀ ਭਗਵਾਨੁ ਨ ਜਾਨਿਆ ॥ ਤੁਮਰੋ ਦੂਧੁ ਬਿਦਰ ਕੋ ਪਾਨ੍ਹ੍ਹੋ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਕਰਿ ਮੈ ਮਾਨਿਆ ॥੧॥
ਤੂੰ ਹਾਥੀ (ਆਦਿਕ) ਵੇਖ ਕੇ ਮਾਣ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਖੁੰਝ ਗਿਆ ਹੈਂ, ਪਰਮਾਤਮਾ ਨੂੰ ਭੁਲਾ ਬੈਠਾ ਹੈਂ। ਇਕ ਪਾਸੇ ਤੇਰਾ ਦੁੱਧ ਹੈ, ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਬਿਦਰ ਦਾ ਪਾਣੀ ਹੈ; ਇਹ ਪਾਣੀ ਮੈਨੂੰ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦਿੱਸਦਾ ਹੈ।1।
हसती देखि भरम ते भूला स्री भगवानु न जानिआ ॥
तू हाथी (आदि) देख के मान में आ के टूट चुका है, परमात्मा को भुला बैठा है। एक तरफ तेरा दूध है, दूसरी तरफ बिदर का पानी है; ये पानी मुझे अमृत दिखता है।1।
true love of devotees
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ
Satnaam Shri Waheguruji..
Waheguruji Sab Da Bhala Kare..
Waheguruji Sab Te Mehar Kare..
satnam waheguru
gurbani is priceless
Sachi baat
Guruo ki bani aisy priceless hi hoty hai...kyoki vo simran mein hi rahte hai
Ryt
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"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
@@seematangri2176 🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
@@jagdeepsidhu6850 🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Waheguru ji 🙏 Waheguru ji 🙏 Waheguru ji 🙏 Waheguru ji 🙏 Waheguru ji 🙏
Shri hari waheguru
Waheguru with your grace m in usa
This shabad by Bhai Sarbjit Singh is really filled with so many emotions and very meaningful...can keep listening to it over and over again...
Pehilae dhae paradhakhanaa pairee pai kae lai gal laaeae||
First he circumambulated around Sudama and then touching his feet he embraced him.
Charanodhak lai pair dhoe singhaasan outhae baithaaeae||
Washing his feet he took that water and made Sudama sit on the throne.
Pushae kusal piaar kar gur saevaa dhee kathaa sunaaeae||
Then Krishna lovingly enquired about his welfare and talked about the time when they were together in the service of the guru Sandipani.
Sat Nam Shri Waheguru Ji ,
Wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah wah No comments No words
Waheguru ji 👏❤️
Bahut hi pyar nal gayan kitta bhai sahb ji ne eh shabad
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Lai kae thandhal chabioun vidhaa karae agai pahuchaavai||
Krishna asked for the rice sent by Sudama’s wife and after eating, came out to see off his friend Sudama.
Chaar padhaarath sakuch pathaaeae ||9||
Though all the four boons (righteousness, wealth, fulfilment of desire and liberation) were given to Sudama by Krishna, Krishna's humbleness still made him feel totally helpless.
WAHEGURU JI 🙏🙏 YOU are always available 💖🙏 with us Everytime and Everywhere 🙏🌹🙏🌹🙏
us malk di bani sunan ch bara ras milda
Waheguru
Waheguru ji ka khalsa waheguru ji ki fathe
dil khush ho gaya ji:D
waheguru g
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"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Guruji are always respectful 🙏 from ancient
Thank you bhai saab Shabad Gayan ke Liye
DEV KAMAL . ,, b
.no
Mam'!!?b no means
He gobind he gopal he kripal lal lal
Waheguru ji
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"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Jai Shree Krishna, very beautiful shabad 🙏🙏🙏
WAHEGURU
The Waheguru ji
ओम् जय श्री कृष्णा ओम्
Absolutely beautiful.
saare je sudama samjhan apne aap nu ta har ji maharaj vasudev zaroor awange
Partama mahapurak Santo ke roopo mein aata rahaata hai .
Jaise Dawapar mein krishna mahapurak ke roop mein Aaya .
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Thanks for singers of shabad really thnx
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ 🙏
Waheguru ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Hari ji
Jai shree Krishna
This is the beauty of Gurbani ♥️
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Such a beautiful gurbani but i want to tell that this shabad is not allowed to hazuri ragi to sing this shabad and by this shabad he suspended for his kirtan duty
Darbar sahib
Why , please explain ?
Because SGPC is radicalising Sikhism. Islam se compete kr rha hai Sikhism radicalism me. Ye Sabad lord Krishna ki praise me hain, isliye suspend kiya
ruclips.net/video/KQiw9J19emI/видео.htmlsi=tXLVo6wfrux0NYmk
No. It is not true.
Waheguru Ji 🙏🙏🙏
bhut khoob
Bhai sahib India return ho jao
Kya Hua Inko Ji
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मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
Dhan Dhan Sri Guru Ram Das Ji waheguru ji
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
waaheGURU
🙏#Guru_Arjun_Dev_Ji Baani ⬇️
"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
केसी कंस मथनु जिनि कीआ ॥ जीअ दानु काली कउ दीआ ॥ प्रणवै नामा ऐसो हरी ॥ जासु जपत भै अपदा टरी ॥४॥१॥५॥
अर्थ: उसी प्रभु ने केसी व कंस का नाश किया था, और कालीया नाग की जान बख्श दी थी। नामदेव विनती करता है - प्रभु ऐसा (कृपालु बख्शिंद) है कि उसका नाम स्मरण करने से सब डर और मुसीबतें टल जाती हैं।4।1।
भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........
dhan sri vaheguru
Dislike Karan vale maha moorkh ne
Satya Vachan Dasaya Si Aapne
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"अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥ मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥ रिखीकेस 👉गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥
मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥ जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥ जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥
धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा॥
👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
हरि हरि करत पूतना तरी ॥ बाल घातनी कपटहि भरी ॥ सिमरन द्रोपद सुत उधरी ॥ 👉🧐गऊतम सती सिला निसतरी ॥३॥
पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
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if anyone know VODAPHONE Caller Tune Code for this Kirtan??
melody
Love it..
Thanks
91K views, how people are mean, not to leave any comments... Waheguru ji...
🙏🙏🙏🙏🙏
Such mucho Guru mahraj ji da hi adesh hai waheguru ji satnam waheguru satnam waheguru satnam waheguru satnam waheguru satnam mere channel nu subscribe te promote kro choti ji koshish hai sewa di 🙏🇮🇳🇮🇳✌
Waheguru ji
Waheguru jo
Hare krishna 🙏
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धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥ दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण।
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👉श्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥ बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥ सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥
भगति वछलु अनाथह नाथे ॥ गोपी नाथु सगल है साथे ॥ बासुदेव निरंजन दाते बरनि न साकउ गुण अंगा ॥(अंग page 1082)
हरे कृष्ण हरे राम भज् गोविन्दम् भज् गोविन्दम् गोविंदम् भज् 🙏
" हरि हरनाकस हरे परान ॥ अजैमल कीओ बैकुंठहि थान ॥ सूआ पड़ावत गनिका तरी ॥ सो हरि नैनहु की पूतरी ॥२॥
अर्थ: प्रभु ने हरणाक्षस (दैत्य) को मारा, अजामल पापी को बैकुंठ में जगह दी। उस हरि का नाम तोते को पढ़ाते हुए वेश्या भी विकारों से हट गई; वही प्रभु मेरी आँखों की पुतली है।2।
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पद्अर्थ: पूतना = उस दाई का नाम था जिसको कंस ने गोकुल में कृष्ण जी को मारने के लिए भेजा था; ये स्तनों पर जहर लगा के गई, पर कृष्ण जी ने स्तन मुँह में ले कर इसके प्राण खींच लिए; आखिर मुक्ति भी दे दी। घातनी = मारने वाली। कपट = धोखा, फरेब। द्रोपद सुत = राजा द्रोपद की बेटी, द्रोपदी। सती = नेक स्त्री, जो अपने पति के श्राप से सिला बन गई थी, 👉🧐श्री राम चंद्र जी ने इसको मुक्त किया था।3।
अर्थ: बच्चों को मरने वाली और कपट से भरी हुई पूतना दाई का भी उद्धार हो गया, जब उसने हरि-नाम स्मरण किया; नाम-जपने की इनायत से ही द्रोपदी (निरादरी से) बची थी, गौतम की नेक स्त्री का पार उतारा हुआ था, जो (गौतम के श्राप से) शिला बन गई थी।3।
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भाव: प्रभु का स्मरण सभी धर्मों से श्रेष्ठ धर्म है। नाम-जपने की इनायत से सब मुसीबतें टल जाती हैं, बड़े-बड़े विकारी भी विकारों से हट जाते हैं।.........