I m glad you all agreed that there is not much difference between Nature worship and Idol worship. We transformed our worship practices to Idol worship so as to give some tangible existence to our beliefs to whom we ultimately want to rely upon. It’s human trait to have a confidante!
@@kamleshagrawal-uv5tn Babri प्रतीक थी नृशंस हत्याओं की ।। जुल्म ज्यादती बर्बरता एवं अन्याय की प्रकाष्ठा थी बाबरी हिंदुओ ने किसी और की पूजास्थली को ध्वंस नहीं किया लेकिन अपनी पावन जगहों को सहेजना उनका सम्मान रखना ये भी उतना ही आवश्यक है आप कब उमरा के लिए निकल रहे हैं अग्रवाल साहब उर्फ कमलुदीन खान
@@kamleshagrawal-uv5tn जाओ पहले मक्का जाओ वहां काबा में जाके पूछो की पहले यहां जो 360 बुत रखे थे उनको बाहर क्यों फैंका, उसके अनुयायियों का दमन क्यों किया फिर जब वो तुम्हे अल्लाह जिब्राइल के वाकया बताएं तो पूछना इसका क्या सबूत है पक्के सबूत लेकर लौटना भाई साहब हम भी सबूत दिखा देंगे बाकी रही दुनियावी इंसाफ की बात तो पहले वहां मंदिर था , ये तो बाबरी से निकले खंबे , और उसके नीचे से मिले मंदिर के अवशेष बताते हैं , मुगल तारीखी किताबें , अंग्रेजो के दस्तावेज , यहां तक कि मुस्लिम पुरातत्त्ववेत्ता के के मोहम्मद साहब भी इसकी पुष्टि करते हैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी पक्ष में फैसला दिया, फिर भी आप की इच्छा आप जैसे चाहे विचार रखें
अमीश एक उम्दा इंसान और एक उत्कृष्ट लेखक है परंतु खेद के साथ कहना चाहता हूं कि बेहद साधारण वक्ता हैं इस कदर साधारण हैं कि शायद अपना मत भी ( जिसे प्रभावी ढंग से व्यक्त किया जाना चाहिए ) अति सामान्य रूप से व्यक्त कर पाते हैं।
One of the best Kitabwala interviews and more than the book it was good to know how to teach our kids to support each other during their difficult times... Also, the kind of Love Amis and Bhawana showed for each other was an amazing lifetime sibling bond :)
I got emotional and cried a bit watching the relationship between a brother and sister. I hope I had a sister....Thanks to Saurabh Dwiwedi Ji for having such beautiful conversations with different kind of people that reflects people among us and we can easily connect with them. Good luck to your channel and its various shows.
I think the idol puja might have been suggested by our predisessors just to concentrate our mind towards an idol ,which ultimately create a positivity of mind.By doing this and getting this positivity, we become successful in our life.
इस प्रकार की आलोचना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बेद काल के बाद जब मूर्ति पूजा की समय आई , तो विद्वान व्यक्तियों ने इसे साइंस के साथ जुड़ा दिया था । अब देखिए , हर गांव में ग्राम देवी प्रतिष्ठित हे ( Odisa में तो हे,अन्य राज्य की मुझे पता नहीं) । परंपरा हे की ग्राम देवी की अगुरु , चुआ,चंदन , जायफल , कर्पूर, सिंदूर आदि से माजना यानेकी , मूर्ति में एक लेप दिया जाता है । भक्त उसी मूर्ति से कुछ सिंदूर लाके अपनी घर की हर दरवाजे की ऊपरी हिस्सा में लगा देता है , ये सोच के --की मा की आसीरबाद मिलेगी । हर ग्राम देवी की मूर्ति एक बिसिस्ट पत्थर से निर्माण होता हे। जब इन सब चीजों को उस पत्थर की मूर्ति से घर्षण किया जाता है तो उसमें एक Chemical Reaction होता हे। जब व्यक्ति दिन भर अपनी घर की हर दरवाजे से बार बार आता जाता हे तो उस सिंदूर की गंध उस की शरीर की अंदर जाता है श्वास की प्रभाव से। जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से रोगी हो , तो उस गंध से उसे लाभ होता हे और दो चार महीनों में ओ ठीक हो जाता हे , एकाग्र भाव आ जाता हे । हिंदी सिनेमा OMG में दर्शाया गया है कि हिंदू लोग बेकार में ही सीबलिंग पर दूध चढ़ाते है। मगर उस में भी साइंस हे। सिबलिंग एक बिशेस प्रकार की पत्थर से बनाया जाता हे। और सीब मंदिर की सैली भी अलग प्रकार की होता हे । दिन में सूर्य देव की प्रभाव से उस लिंग का प्रभाव कम हो जाता हे। उस प्रभाव को बनाए रखने के लिए लिंग में दूध, माखन , जायफल, कर्पूर , नारियल का पानी , बेल पत्र, इत्यादि का घर्षण किया जाता हे । संक्रांति की दिन सूर्य का प्रभाव पृथ्वी पर थोड़ा कम होता हे ।इसलिए उस दिन ये सब घर्षण ज्यादा करना पड़ता है । ये सब चीजों की लिंग से घर्षण की कारण उस रसायन एक औषधि में परिवर्तित हो जाता है। भक्त उसे भगवान की प्रसाद की रूप में खाता है , तो ये प्रसाद एंटी ऑक्सीडेंट की रूप में काम करता है । मनुष्य दिन भर जितना भी Poison ग्रहण करता है,--खाना पीना से , परिवेश से , वो सब body से निकल जाता है। बहुत साल पहले Reader 's Digest नाम का एक मैगजीन में एक आर्टिकल में लिखा था ,--की साउथ अफ्रीका में एक मिशनरी पादरी के पास एक पत्थर का टुकड़ा था ,अगर किसी व्यक्ति को जहरीला सांप काट देता था , तो उस पादरी ने इस पत्थर को उस दसें हुए स्थान पर लगा देने से , उस पत्थर ने शरीर से poision को खींच लेता था । बाद में उस पत्थर को गाय की दूध से डुबो देने से , उस पत्थर से poision निकल जाता था। हमारा ओडिशा का पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गत जानकी बल्लभ पटनायक के एक भाई थे , वो भी कभी राज्यपाल थे ( उनका नाम मुझे याद नहीं है) , उनके पास भी ऐसा एक पत्थर था । सच तो ये हे की कासी की किसी टूटे हुए सिबलिंग की एक एक टुकड़ा उन लोगों के पास था । जिस से उन लोगों ने चमत्कार दिखाते थे। भारत की मूर्तियों के पीछे साइंस हे । लोगों को ये सब पता लगेगा तो कहीं भगवान से भाव -भक्ति कम हो जाएगा ,-- इसलिए ये सब हमें छुपाया गया था। और इस भ्रम के कारण हमें OMG और PK वाले भ्रमित करते हे। हिंदी मेरा मातृभाषा नहीं है, कहीं भूल हो तो माफ कीजिएगा । जय जगनाथ।
Hindi ta apankara bahut bhala acchi bhaina, kintu ahuri bhala jau point apana highlight karile, with historical reference. Sabu jinsa re logic khojideba ete bhi sahaj ta nuhe,Jai Jagannath ❤
Message to Saurabh Sir. Many of these talks on Dharma have been from Adwaiti POV. Please hold a talk with a Bhakti POV to give a Dwaiti view which resonates with the Masses in India.
जिन्होंने भी सत्य को जाना उन सबने कहा "कि सत्य को शब्दों में कहते ही असत्य हो जाता है, ये सिर्फ अनुभव से जाना जा सकता है" और इस interview में इन तीनों में से किसी का भी सत्य का अनुभव नहीं है, ये पढ़ कर और दूसरों की लिखी हुई बातों को अपना अनुभव समझ रहें हैं
सौरभ जी just to correct your statement, मूर्ति को भगवान या देव-देवी हिन्दू भी नहीं मानते, लेकिन ईश्वर के निराकार रूप को बिना जाने अन्धकार में भक्ति करने का क्या मतलब ? अपने इस्ट-देव तक अपना भाव समर्पित करने के लिए एक संकेत, इशारा या स्वरुप का सहारा लेना ही पड़ता है । शब्द स्वयं आकर रहित है, आकाश तत्त्व है लेकिन फिर भी बालपन में A for Apple से ही हम शब्द समझते हैं, इसका मतलब ये नहीं की Apple ही A शब्द है। हिन्दू सगुन से निर्गुण के उपासक हैं, आकर से निराकार के सफर में विश्वास रखते हैं। Hence Sadguru Jaggi rightly says that this is the land of seekers (गुरसिखी/साधक) and not just believers....
How will anyone know the formless form of God? Not everyone has the comfort of seeking while living in and for the material world. That's why idol worship and char dham yatra like concept exist to dedicate one's energy or feelings in right direction.
I came across an impressive lecture on Hinduism from an orthodox Christian prospective public lecture by Father innocent and I found his lecture very honest well researched. We know less about our religion than these people. I strongly recommend it. H e talk about idol worship also.A must watch for all Hindus.
@thezoldics7648 you are right.But most lectures by western scholars reveal that they hardly understand Hinduism. This one was for a change honest, positive and well researched. I also found from comments the views were similar. So I recommended it.
स्मृति की नैतिकता .... नैतिकता हमारे व्यवहार को आकार देती है और स्मृति की नैतिकता का मतलब है कोई ऐसी याद/स्मृति जो आपके व्यवहार को आज भी परिमार्जित करती है .... Just for my understanding
सौरभ भाई जान , आपकी वजह , आपके ज्ञान की वजह से ये धार्मिक कार्यक्रम देखा . बस यही कहूँगा कि , हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल को बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है दुष्यंत जी के शब्दों में ख़ुदा सही न सही , आदमी का ख़वाब सही कोई सूरत तो है दिल को बहलाने के लिए . बस .
प्रणाम सर, मुझे किताबो से बहुत लगाव है। में निरंतर किताबे पढ़ता रहता हूं। आप किताबवाला बैठकी का संचालन करते है। आपको किसी किताब को पढ़ने में कितना समय लगता है और आप ये स्मरण केसे रखते हैं की किसी किताब में कोनसा तथ्य लेखकों से पूछना है। मेरा तात्पर्य है की किताबो को कम समय में पढ़ने और याद करने में आपका सुझाव दीजिए।
Amish ji se bolna chahunga ki ap desi clothes ko represent kre na ki western. Atleast temperature ke according to clothes select kre ab. Baki knowledge bahut deep tha. Infact saurabh ka knowledge hi interview ko nxt level kr deta h. #spiritual
Bhai haan acchi bat hai indian kapde pehena par thik hai kapde ek insaan ko define nahi karte. One can love western clothes more and still be a patriot indian and amazing hindu. Politicians pehente to hai desi clothes. Kuansa bhut accha kaam karte hai
Aapka Rourkela connection sun kar bahut Achaa laga kyunki main bhi Rourkela se hoon aur sach main tarini mata k darshan main woh vibe hai jo aap apni Maata ji k baare bata rahin hain …. Jai Tarini Ma
रहस्य के अस्तित्व के परे यह मात्र इन लोंगो की व्यक्तिगत अस्था है जिसमे सत्यता का अभाव है।कोई भी ऐसी वार्ता मृत्यु पर बृहत् वार्ता के अभाव में अपूर्ण हैं।असुरक्षा ही ऐसी बातों को जन्म देती है।
Reminds me of 'The argumentative Indians'. So brilliantly written by Amartya Sen. A Nobel laureate Economist to have such well rounded wisdom. I was present in the book launch program with my dad. There Mr. Sen gave speech on his book. He can speak in Sanskrit over hours
@@ahamasmiarinm 😁it doesn't hurt Sen or me. It hurts the country that is intolerant to critical logical argument from the intellectuals, tags them as jaichand or antinationals, sends them away for other countries' benefit, and trusts on babas, superstitions and oils a few capitalists
@@chandrikasaha6301 Trust me, mam, Bharat doesn't miss Sen, nor does it hurt Bharat one bit, and I will tell you why in a moment. Before that, I would like to point out the prejudiced and judgemental views you and your ilk carry about Bharat, something not expected from someone who is claiming to be brimming with logic and critical analysis. Let me give you an example. Bharat has had Panchang or Panjika since time immemorial. Its calculations are mostly based on Surya Siddhanta, and it used to have regular updates on planetary positions. The updates stopped since Bharat was occupied, but the Panchangs continued. However, ever since NASA started publishing planetary positions, Panchangs started referencing NASA bulletins and then applying those positional readings to the calculations and charts of Surya Siddhanta to come up with Panchangs. My point is that the strawmans argument you are trying to make about Bharat and its people, the reality is far from what you perceive, and by thinking what you think and by saying what you say, you are simply trying to pass on your own incompetence and incapability to grasp the reality as other people's fault. It's funny that while we consider continuity and longevity as the biggest proof of quality, certain people like you don't want to extend that same logic to civilizations. Even when we buy petty thing like a pair of slippers, we first look for the brand that lasted most, because it means quality, but we don't think or feel the same way when it comes to civilisations. Now, I can understand a non-Bharatiya doing so, because such considerations would burst their myth of civilisational superiority that they have been trying establish for centuries, but seeing some of our own people demeaning our civilization's cultures and norms by making strawmans arguments is really sad. And then you complain about why people are branded as anti-nationals, even though they humiliate Bharat's civilization and culture. Well, you can't have the cake and eat it too, isn't it? Regarding Sen, you said you attended his book launch. I don't know whether it makes you an authority on Sen or not, but I would like you to know that he sits on multiple trusts and think tanks funded and maintained by self-proclaimed haters of Bharat like Soros. You don't need to believe me on this, you can research it on your own. Are you saying that Soros is funding research groups and think tanks who are working for the betterment of Bharat? Nah! I'm not that naive, and I guess most Bhartiyas aren't either.
@@ahamasmiarinm it hurts our argumentative culture, thereby expedites brain drain and promotes hasty decisionmaking by an one man army - that is how demonetisation happened, that is how agniveer happened, that is how farmer bill came. Listen to discussions on Raghuram Rajan's recent book. We don't even have top ranking universities and our talented students settle in the US because our arguments are not argumentatively fought or defended. We run Google, Microsoft, Bose but not in our country. Our legendary classical musicians get honour abroad, our atheletes harassed, because dissents are repressed for sake of power. Ashok Rudra, Ashok Gulati had arguments against Sen but those were on the merit of logic. They didn't brand Sen as Jaichand. That is called educated debate. Obviously Sen or any other person alone can't hurt a country. Please read some of his books instead of branding one intellectual in the name of an ideology -that would make you an wiser person. Form logic, acquire wisdom, form opinion.
1:04:10 jeete jee ye jiska satya ye baat ka matlab bahot gehraa hai or ye khud mai ek answer hai uss sawal ka jo log humesa krte aaye hai ke humare grantho mai ye kyu kaha gya haii ke ye jo srushti haii ye jo brahmaand hai ye jo kuch v Hume dikh rha hai ye ek bhram hai ye mayajaal hai ye sab Maaya haii mithya hai... Ye Maya ki baat isliye hai kyuki humare granth rachaitaon ne ye jaan liya tha ke jeete jee ye jiska satya jiski Jesi madad kare Matlab ek ek hi chiz ke prati alg alg logo mai alg alg drishtikon hai alg alg trh se judey hue hai or alg trh se vyavahaar kar rhe hai ek hi chiz ke prati... ek udaharan ke Taur pe dekhe Toh ek Murti jo mandir mai lagi ho ya puja Pandaal maii lagi ho wo pujniya ho jaati hai lekin ussi murti ko banane waley ke liye wo murti rojgaar haii vyavsaay haii or kharidne waale ke liye kuch aur toh ye jo visheshtaa hai hum manushyon mai ke ek hi chiz ko alg alg trh se alg alg prastithiyo mai alg alg vyavahaar mai or jgh mai badal jaati hai Yahi chiz ko dekh ke sayad humare Granth rachaitaon ne kaha hoga or likha hoga ke ye srushti ek MAYA hai Har ek chiz ek MAYA hai kyuki ye jo visheshta hai ke hai kuch par dikh kuch aur raha alg alg logo ko ye visheshtaa srf MAYA maii hota hai or yahi visheshtaa agr kisi v chiz mai dikhe toh wo MAYA hai 😅 Pata nhi mene sahi kaha ya galat par mere mann mai aaya toh maine likh diya
आधा ज्ञान भयंकर वाले दोनो/कारण धर्म सम्बंधित पूरा अभ्यास नही/बायबल कुरान पढा नही/सत्यार्थप्रकाश पढ़ते तो ये द्वीधा मानसिकता से नही बोलते/ईसाई इस्लामी तत्वज्ञानका समजे न समजे उदात्तीकरण नही करते/ये हमारा कहना
शंकर हुसेन काल्पनिक कथा बतानेवाले इस्लामका उदात्तीकरण करनेवाले सौरभ जी एंकर/तो उनसे क्या अपेक्षा धर्म अधर्म पर चर्चा निपक्षपात से /या कोईभी एक अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना/दोनो विद्वान भी नही पहुंचे इतनी चर्चा कर 1अंतिम निष्कर्ष तक /सब काल्पनिक लग रहा
Dharma - Theoretical and practical Spiritual science and philosophy i.e. Aadhidaivic -Aadhyatmic gyaan -vigyaan - vidya To know the real meaning of Dharma To know the real goal of life To know the iternal spiritual awareness Mukti - Moksha Murti - Paramatma ka sthul rup aur Mantra sukshama rup . Pran - Pran tattva ki murti me pratishtha . ' pran tattva ' - book Swami Vishnu Tirth Narayan kuti sanyas aashram , Devas , M.P.
All roads dont lead to same destination and so absolute truth means only one path is correct and rest will lead to unintended destination. LALLANTOP should invite Dr. MUFTI YASIR to discuss on why athiesm or idol worship is wrong as there is none so logically perfect in explaination.
तर्क-वितर्क और कुतर्क ! मेरे विचार में ध्यान का प्रथम स्तर ही तर्क-वितर्क से आरम्भ होकर, दूसरे में लक्ष्य, तीसरे में चित्त की अनुपस्थिति और चतुर्थ में समाधि है ! प्रथम स्तर में साधक तर्क-वितर्क में स्वंय पूर्व एवं उत्तर पक्ष होता है ! ध्यान के दूसरे स्तर में लक्ष्य की स्थापना और तीसरे में चित्त की अनुपस्थिति कर चतुर्थ में समाधि में प्रवेश करना है। परन्तु यहां कुतर्क या असंगत प्रश्नों का न कोई औचित्य है और न ही उनके उत्तर खोजने की आवश्यकता।
देखिए शिव शंकर क्या हैं,हम समय आने पर बतायेंगे, क्योंकि हम इस बात के दृषटा हैं हमें ध्यान में दृश्य साफ दिखाया गया हम यह दृश्य शरीर रहित देख रहे थे। इत्यादि इत्यादि।
Sar mujhe bhi bulao Dharm Murti Puja Darshan Shastra arthat jitne bhi prashn hai aapke pass mein ya aur bhi jitne prashn UN sab ka confidently Uttar Dene ka prayas kar sakta hun
Sir ek bar aacharya prashant ko dubara bulaye he is gret person superb plz sir bulaye,inko abhi pta ni h India me kya kya hota h plz sir aacharya prashant ko bulaaye sir he is gret person thanks sir
@sandeepkumar-markov India never had religions. It was the abode of the greatest philosophies. These philosophies were distilled to the masses so that ordinary people could cultivate wisdom and practice spirituality. Religion came with the Mohammedans. And following, Indian civilisation in the North and North-West was burned to the ground. Indians today have no idea what India used to look like, because what the Muslims wanted to do was to destroy our visual arts and architecture. North India had Rome, Vienna, Basel, Budapest, Dresden and Prague. But now there is no trace of it.
मूर्ति पूजा इंसान को कपट और लालच कि दुनिया में ज्यादा धकेलते है.. बनिसप्त के अध्यात्मिकता की ओर... क्योंकि देवी देवताओं कि कहानियाँ भी आदमी को इंसानियत कि शिक्षा बिलकुल नहीं देती, सिर्फ स्वार्थ कि पूर्ति कैसे हो यही सुझाती हैं....
वह तो मूर्तिपूजा न करने वाले भी कपट और लालच नहीं छोड़ पा रहे । अपने आराधना में माँगते ही रहते है। बल्कि मूर्ति से व्यक्ति ईश्वर से बहुत सरल तरह से जुड़ पाता है। भले उस उच्च कोटि का अध्यात्म न हो फिर भी बहुतायत लोगों के अहंकार को नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीक़ा मूर्तिपूजा ही है।
आपके मेहमान और उनके साथ हुई चर्चा बहुत ही ज्ञानात्मक होती है जिसको सुनते सुनते मग्न हो जाते है लेकिन बीच बीच में आपके प्रचार आकर मग्नता को भंग कर देते है। यदि संभव है तो कम से कम प्रचार को जोड़ा जाय।
Connecting concept of resonance with murti puja sounds ill logical .... Every object is emitting some frequency which is its natural frequency ... How does natural frequency changes when a stone is cut in murti ...
The Lallantop se vinti he ki islamic Scholars kobhi show me bulaya jaye jiise islam ka pksh bhi logoke samne khul jaye jaise Adv. Faiz syed, Zaid patel (Or Pak se Mufti tariq masood kobhi bula skte he agar koi problem naho)
Ye kabhi nhi bulayenge aise scholars ko jo islam ka sahi paksh rakh saken. Ye bulayenge bhi to modern muslims ko aur unke dwara islam ka paksh rakhwayenge jinka concept khud clear nhi hota na wo practicing muslim hote hain. Aise logon ko bulakar ye log islam ka bigda hua roop samaj me failate hain jisme ayyashi fahashi bepardagi nach gana aur gair islami chizon ke liye jagha hoti hai. Jab aise muslim ko non muslims sunte hain to kahte hain ye sacha muslim hai aur is tarha practicing muslims ko log kattar manne lagte hain aur nafrat karte hain. Agar islam par hi bat karni hai to kisi ache islamic scholar ya mufti ko q nahi bulate show me...malum hai agar bulayenge to islam ka sahi concept pahunchega logon tak. jabki ek sacha musalma hi smjh skta hai ki tv wale muslim ke basics hi hile hue hain wo kya paksh rakhega islam ka.
When he said Chanakaya niti... Means he is going for RSS mindset !!!... Good for him.. but not good for country.. We Ambedkarite are there ... to fullfill Buddha, Ashoka and Ambedkar thoughts with dignity and wisdom..
मेरा ऐसा बिल्कुल भी मनाना नहीं है कि कोई ऐसा है जिसने ब्रह्मांड को सोच समझ कर रचा है और लुक छिप कर हमें देखता रहता है, पर एक बार को हो भी सकता है कि किसी ने ब्रह्मांड को जानबूझकर रचा हो, पर वह वैसा बिलकुल नहीं होगा जैसा अरे यह सब पाखंडी भाई लोग मानते हैं और ना ही वह हमारे बारे में जानने में कोई रुचि लेता होगा ,कि हम क्या कर रहे हैं, हां अगर कोई इस ब्रह्मांड को ही भगवान माने तो कुछ समझ भी आता है ,बाकी अपने मन को दिलासा देने के लिए किन्ही लोगों ने मस्जिद बना लिया, किन्हीं लोगों ने मंदिर और चर्च बना डालें ,कोई जूता पहन के पूजा करता है कोई नंगे पैर पूजा करता है, कोई घुटने के बल बैठकर पूजा करता है ,कोई पलटी मार के पूजा करता है, कोई नहा कर पूजा करता है कोई बिना नहाए पूजा करता है, अगर भगवान एक है तो उसकी भावना अलग अलग कैसे महसूस हो सकती हैं या यू कहे कि अलग अलग भावनाओं ने अपना अलग अलग भगवान बना लिया और अपने ही अज्ञान को ,अपने अंधकार को पूजे जा रहे हैं
@@Ashish-rf2eh जो लोग कहते हैं कि भगवान एक है वही लोग तो यह कहते हैं कि तुम हिंदू हो हम मुस्लिम है हम अलग अलग हैं, अगर भगवान है तो उसकी बनाई रचनाएं अलग क्यों? अब यह तो भगवान कई सारे हैं ,यह तो कोई ना कोई अंधकार को पूज रहा है, मेरी मानो दोनों अंधकार को पूज रहे हैं अगर लोगों के मन से डर और लालच खत्म हो जाए तो मंदिर मस्जिद पर बड़े बड़े ताले लटक जाएंगे, क्योंकि लोग दो ही वजह से यहां जाते हैं या तो उन्हें कुछ मांगना होता है ,यह उनके मन में कुछ डर होता है जो पंडित या मौलवी बैठा देते हैं , अगर मैं पागल हूं तो ठीक यह पागलपन हीं एक दिन पूरी दुनिया पर छा जाएगा और इन पाखंड वादियों, आडंबरकारियो, धार्मिक कायरो को भगाने का रास्ता नहीं मिलेगा, तब इनका अंत होगा वैसा अंत जैसा अंत कृष्ण ने अर्जुन के डर का किया था, अर्जुन की कमजोरी का किया था, अर्जुन के अंधकार का किया था ,अर्जुन के अज्ञान का किया था ,ज्ञान के प्रकाश से, तलवार से नहीं क्योंकि तलवार धार्मिक चुतियों का हथियार है , कोई हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है कोई खालिस्तान ,कोई गजवा ए हिंद का सपना पाले है सबकी अपनी अपनी धार्मिक भावनाएं हैं और सब भावना मिलकर सबको मार देना चाहती हैं
Always a pleasure to hear you speak सौरभ ....... You know a lot and express your knowledge beautifully ....... but please select your guests with greater care . It was a complete waste of time to hear this brother-sister duo . Very shallow ....... Very poor show . They need to understand things better .
What if after 6 month person was punished found not guilty? India’s Present justice system is time consuming is due to very high population of India and less judges and resources to run court.
Saurabh pe dhyaan dena kabhi v left ki vichardhara wale logo ko counter question nhi krta jitne josh se rastravadi vichara ka krta h .. fir neutral hone ka dhong krta h😂😂😂
@@sarozkumar3939परमात्मा को सागर की तरह मानो और आत्मा तरंग चूंकि तरंग कुछ समय बाद उठकर दोबारा सागर में ही लीन हो जायेगी परन्तु सागर पर इसका कोई असर नहीं होगा इससे ये पता चलता है कि तरंग का अस्तित्व सागर पर निर्भर है परन्तु सागर का अस्तित्व इतना बड़ा है कि जब तक तरंग सागर में विलीन होकर उसका हिस्सा नहीं बन जाती उसको पता नहीं चलेगा ऊं नमो भगवते वासुदेवाय।
Murti pooja ki shuruaat baudh dharm ke mahayaan shakha se hi aaya.... Usase pahle murti kala hi bikishit nhi thi.... Pahli satabdi me jab kanishk ne gandhar aur mathura me murti kala kendr ki sthapana ki.... Usase pahle ki ek bhi hindu devi devtao ki murti nhi milti puratattav vibhag iski pushti karti hai
मूर्त्ति पूजन क्यों? हिंदू धर्म में मूर्ति पूजन का आरंभ का आधार ध्यान की कल्पना और प्रक्रिया में निहित है । जब आप ध्यान की प्रक्रिया में जाते है तो किसी निराकार के स्थान पर एक साकार पे ध्यान करना आसान हो जाता है । एक प्रकार से ध्यान की प्रक्रिया में मूर्ति पूजन इसे आसान बना देता है । इसे आप ध्यान की प्रक्रिया का आरंभ मान सकते है। क्योंकि निराकार पर ध्यान करना एक उच्च स्तर की ध्यान प्रक्रिया है इसलिए अधिकांश लोग मूर्ति पूजन तक ही सीमित रह जाते है।और हम हिन्दू धर्म को मूर्ति पूजन तक ही सीमित समझ लेते है ।
अमीष जी कि यह बात हमें भी खटकती है कि मंदिरों में आया दान सनातन संस्कृति के विकास के लिए उपयोग न होके सरकार अपने तरह से उपयोग करती है। वेदों ,उपनिषद , पुराण, आदि के प्रचार को समर्पित होना चाहिए। शंकराचार्य पद को महत्वपूर्ण बनाया जाए। आधुनिक गुरकुल को बनाया जाए। शास्त्रार्थ को आधुनिक बनाया जाए। आचार्य चाणक्य कि रचनाओं को जब अमेरिका अपने रक्षा संस्थान में उपयोग मे लाया जा रहा है तो हमारे यहाँ क्यों नहीं। उतर वेदिक काल मे भारत की उपलब्धियों को जन सामान्य मे प्रचार किया जाए।
जैसे जैसे समाज उन्नत होता गया नागरिक व्यस्त होते गये, और गूढ़ विषय जैसे उपनिषद छूटते लग गये और ब्रम्ह ऐवं चेतना के स्तर कि उपासना सर्व सुलभ नहीं रह गई थी। और संभवतः ईसी कारण से प्रतीक उपासना शुरू हुई होगी।
Karnataka state me hijab ban hai? Ya karnataka ke school me classroom me lecture attend karte samay hijab ban hai? Kyuki har ek school ka apna ek uniform hota hai. Please share your knowledge and explain it?
अग्रज सौरभ आज के अतिथि अद्भुत हैं ही पर आप अत्यंत अद्भुत चेतना हैं और आश्चर्य है कि आज से पहले मैं आपके व्यक्तित्व को देख क्यों नहीं पाया 🙏
Iske dikhawe pe matt jana bhai
Best kitabwala episode so far. Always inspiring listening to Amish .
I m glad you all agreed that there is not much difference between Nature worship and Idol worship. We transformed our worship practices to Idol worship so as to give some tangible existence to our beliefs to whom we ultimately want to rely upon. It’s human trait to have a confidante!
There's nothing to be glad in this ,this is obvious and it has never created rift between sanatanis ever so why to be glad?
@@kamleshagrawal-uv5tn Babri प्रतीक थी नृशंस हत्याओं की ।।
जुल्म ज्यादती बर्बरता एवं अन्याय की प्रकाष्ठा थी बाबरी
हिंदुओ ने किसी और की पूजास्थली को ध्वंस नहीं किया लेकिन अपनी पावन जगहों को सहेजना उनका सम्मान रखना ये भी उतना ही आवश्यक है
आप कब उमरा के लिए निकल रहे हैं
अग्रवाल साहब उर्फ कमलुदीन खान
@@kamleshagrawal-uv5tn जाओ पहले मक्का जाओ वहां काबा में जाके पूछो की पहले यहां जो 360 बुत रखे थे उनको बाहर क्यों फैंका, उसके अनुयायियों का दमन क्यों किया
फिर जब वो तुम्हे अल्लाह जिब्राइल के वाकया बताएं तो पूछना इसका क्या सबूत है
पक्के सबूत लेकर लौटना भाई साहब
हम भी सबूत दिखा देंगे
बाकी रही दुनियावी इंसाफ की बात तो पहले वहां मंदिर था , ये तो बाबरी से निकले खंबे , और उसके नीचे से मिले मंदिर के अवशेष बताते हैं , मुगल तारीखी किताबें , अंग्रेजो के दस्तावेज , यहां तक कि मुस्लिम पुरातत्त्ववेत्ता के के मोहम्मद साहब भी इसकी पुष्टि करते हैं
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी पक्ष में फैसला दिया,
फिर भी आप की इच्छा आप जैसे चाहे विचार रखें
wah, beautifully, expressed and emphasized on this important issue
@@atd3000nnnnnmmmnnmmn
अमीश एक उम्दा इंसान और एक उत्कृष्ट लेखक है परंतु खेद के साथ कहना चाहता हूं कि बेहद साधारण वक्ता हैं इस कदर साधारण हैं कि शायद अपना मत भी ( जिसे प्रभावी ढंग से व्यक्त किया जाना चाहिए ) अति सामान्य रूप से व्यक्त कर पाते हैं।
Very true 👍
मुझे भी ऐसा ही लगा
❤hiii by.
P@@rajeevgupta3904
Isme problem kya hai
श्रेष्ठतम सराहनीय सत्संग,,,,,, धन्यवाद चरेवेति चरेवेति 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
Heartening to know about Amish and his family's association with Rourkela, Odisha.
One of the best Kitabwala interviews and more than the book it was good to know how to teach our kids to support each other during their difficult times... Also, the kind of Love Amis and Bhawana showed for each other was an amazing lifetime sibling bond :)
I got emotional and cried a bit watching the relationship between a brother and sister. I hope I had a sister....Thanks to Saurabh Dwiwedi Ji for having such beautiful conversations with different kind of people that reflects people among us and we can easily connect with them. Good luck to your channel and its various shows.
I think the idol puja might have been suggested by our predisessors just to concentrate our mind towards an idol ,which ultimately create a positivity of mind.By doing this and getting this positivity, we become successful in our life.
If we become successful in life after deceiving ourselves then it's not healthy.
you are correct@@ravindrakumarsingh6059 may be that way people are bound to do what they are supposed to do.
Good & sanskaari families have good family members, including brothers and sisters!❤
इस प्रकार की आलोचना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बेद काल के बाद जब मूर्ति पूजा की समय आई , तो विद्वान व्यक्तियों ने इसे साइंस के साथ जुड़ा दिया था । अब देखिए , हर गांव में ग्राम देवी प्रतिष्ठित हे ( Odisa में तो हे,अन्य राज्य की मुझे पता नहीं) । परंपरा हे की ग्राम देवी की अगुरु , चुआ,चंदन , जायफल , कर्पूर, सिंदूर आदि से माजना यानेकी , मूर्ति में एक लेप दिया जाता है । भक्त उसी मूर्ति से कुछ सिंदूर लाके अपनी घर की हर दरवाजे की ऊपरी हिस्सा में लगा देता है , ये सोच के --की मा की आसीरबाद मिलेगी । हर ग्राम देवी की मूर्ति एक बिसिस्ट पत्थर से निर्माण होता हे। जब इन सब चीजों को उस पत्थर की मूर्ति से घर्षण किया जाता है तो उसमें एक Chemical Reaction होता हे। जब व्यक्ति दिन भर अपनी घर की हर दरवाजे से बार बार आता जाता हे तो उस सिंदूर की गंध उस की शरीर की अंदर जाता है श्वास की प्रभाव से। जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से रोगी हो , तो उस गंध से उसे लाभ होता हे और दो चार महीनों में ओ ठीक हो जाता हे , एकाग्र भाव आ जाता हे ।
हिंदी सिनेमा OMG में दर्शाया गया है कि हिंदू लोग बेकार में ही सीबलिंग पर दूध चढ़ाते है। मगर उस में भी साइंस हे। सिबलिंग एक बिशेस प्रकार की पत्थर से बनाया जाता हे। और सीब मंदिर की सैली भी अलग प्रकार की होता हे । दिन में सूर्य देव की प्रभाव से उस लिंग का प्रभाव कम हो जाता हे। उस प्रभाव को बनाए रखने के लिए लिंग में दूध, माखन , जायफल, कर्पूर , नारियल का पानी , बेल पत्र, इत्यादि का घर्षण किया जाता हे । संक्रांति की दिन सूर्य का प्रभाव पृथ्वी पर थोड़ा कम होता हे ।इसलिए उस दिन ये सब घर्षण ज्यादा करना पड़ता है । ये सब चीजों की लिंग से घर्षण की कारण उस रसायन एक औषधि में परिवर्तित हो जाता है। भक्त उसे भगवान की प्रसाद की रूप में खाता है , तो ये प्रसाद एंटी ऑक्सीडेंट की रूप में काम करता है । मनुष्य दिन भर जितना भी Poison ग्रहण करता है,--खाना पीना से , परिवेश से , वो सब body से निकल जाता है।
बहुत साल पहले
Reader 's Digest नाम का एक मैगजीन में एक आर्टिकल में लिखा था ,--की साउथ अफ्रीका में एक मिशनरी पादरी के पास एक पत्थर का टुकड़ा था ,अगर किसी व्यक्ति को जहरीला सांप काट देता था , तो उस पादरी ने इस पत्थर को उस दसें हुए स्थान पर लगा देने से , उस पत्थर ने शरीर से poision को खींच लेता था । बाद में उस पत्थर को गाय की दूध से डुबो देने से , उस पत्थर से poision निकल जाता था। हमारा ओडिशा का पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गत जानकी बल्लभ पटनायक के एक भाई थे , वो भी कभी राज्यपाल थे ( उनका नाम मुझे याद नहीं है) , उनके पास भी ऐसा एक पत्थर था । सच तो ये हे की कासी की किसी टूटे हुए सिबलिंग की एक एक टुकड़ा उन लोगों के पास था ।
जिस से उन लोगों ने चमत्कार दिखाते थे। भारत की मूर्तियों के पीछे साइंस हे ।
लोगों को ये सब पता लगेगा तो कहीं भगवान से भाव -भक्ति कम हो जाएगा ,-- इसलिए ये सब हमें छुपाया गया था। और इस भ्रम के कारण हमें OMG और PK वाले भ्रमित करते हे।
हिंदी मेरा मातृभाषा नहीं है, कहीं भूल हो तो माफ कीजिएगा ।
जय जगनाथ।
Hindi ta apankara bahut bhala acchi bhaina, kintu ahuri bhala jau point apana highlight karile, with historical reference. Sabu jinsa re logic khojideba ete bhi sahaj ta nuhe,Jai Jagannath ❤
😂😂😂
छोटी छोटी टिप्पणी कीजिये पढनेमे समजनेमे आसानी होती है/बाकी आपका प्रयास अच्छा 👍👍
Abe berojgar faltu insan koi kam dham hai nhi ...itne lambe lambe comments kar rha hai😂😂🤣🤣🤣🤣
बहुत बढ़िया, भाई ❤
Adbut Saurabh Sir just feel like hearing to you , you are truly gifted
Amazing interview!!
Inko thoda kahiye ki Quran,Hadit,GAZWA-E-HIND,Sar-tan-se-juda par video banaye.
Saurabh Dwivedi- pls maintain the same purity in journalism going forward.
Message to Saurabh Sir.
Many of these talks on Dharma have been from Adwaiti POV.
Please hold a talk with a Bhakti POV to give a Dwaiti view which resonates with the Masses in India.
Actual Hinduism is advait sir
@@HJHarsh-d8g who told you sir?
@@HJHarsh-d8g
Basis of your claim ???
👍👍👍👍💯💯💯💯
देखिए आध्यात्म, ज्ञान,या स्वयं सम्बन्धित ज्ञान जानना है तो मूर्ति बनना ही होगा। देखिए मूर्ति एकान्त, एकाग्र, शान्त है। इत्यादि
Wonderful interview
.......ur way of questioning and deep way of thinking on the subjects keeps us to listen /watch the episode ...thanks 🙏
जिन्होंने भी सत्य को जाना उन सबने कहा "कि सत्य को शब्दों में कहते ही असत्य हो जाता है, ये सिर्फ अनुभव से जाना जा सकता है" और इस interview में इन तीनों में से किसी का भी सत्य का अनुभव नहीं है, ये पढ़ कर और दूसरों की लिखी हुई बातों को अपना अनुभव समझ रहें हैं
सुरुवात यही से करनी पड़ती है auma मैम । आपकी बात सही है।
Itna accha baate hui ki. Kya batya jaaye bahut accha. Thanx saurbah ji.
Very nice talk.l am listening from Rourkela and the Maa Tarini mandir mentioned between Kansbahal is now a shaped a big one.
प्रोग्राम की प्रस्तुति बहुत आत्मीय थी
अच्छी अनुभूति हुई
Aap sabhi ko namaskaar aap dono bahut achchi baat kahi hai
Amazing episode. Loved the conversation. Thank you so much
सौरभ जी just to correct your statement, मूर्ति को भगवान या देव-देवी हिन्दू भी नहीं मानते, लेकिन ईश्वर के निराकार रूप को बिना जाने अन्धकार में भक्ति करने का क्या मतलब ? अपने इस्ट-देव तक अपना भाव समर्पित करने के लिए एक संकेत, इशारा या स्वरुप का सहारा लेना ही पड़ता है । शब्द स्वयं आकर रहित है, आकाश तत्त्व है लेकिन फिर भी बालपन में A for Apple से ही हम शब्द समझते हैं, इसका मतलब ये नहीं की Apple ही A शब्द है। हिन्दू सगुन से निर्गुण के उपासक हैं, आकर से निराकार के सफर में विश्वास रखते हैं। Hence Sadguru Jaggi rightly says that this is the land of seekers (गुरसिखी/साधक) and not just believers....
Han ji ,inko thoda kahiye Quran,Hadit,GAZWA-E-HIND,Sar-tan-se-juda par video banakar Maulanao ka dhoti khole
How will anyone know the formless form of God?
Not everyone has the comfort of seeking while living in and for the material world.
That's why idol worship and char dham yatra like concept exist to dedicate one's energy or feelings in right direction.
Sir i am so impressed for your किताबवाला sessions. It’s a very good initiative.
I want to know what Saurabh sir thinks about religion.
I came across an impressive lecture on Hinduism from an orthodox Christian prospective public lecture by Father innocent and I found his lecture very honest well researched. We know less about our religion than these people. I strongly recommend it. H e talk about idol worship also.A must watch for all Hindus.
Please tell him to do some videos on Quran,Hadit,GAZWA-E-HIND,Sar-tan-se-juda. Because he only focusing one sect of Belief.
@thezoldics7648 you are right.But most lectures by western scholars reveal that they hardly understand Hinduism. This one was for a change honest, positive and well researched. I also found from comments the views were similar. So I recommended it.
@@swadeshtaneja3512I have also listened that lecture and it is not good it is misinterpreted
Can you send link pls?
@@jkuyujgng Hinduism from an Orthodox Christian Perspective | Public Lecture | Part 1 (Lecture)
Lallan top ne amish ji sunane k liye bahut dhanya bad
Bahut badhiya Interview 🎉🎉
Saurabh sir aap Amish aur Devdutt Patnaik ka ek sath ek interview kijiye🙏🙏🙏
स्मृति की नैतिकता .... नैतिकता हमारे व्यवहार को आकार देती है और स्मृति की नैतिकता का मतलब है कोई ऐसी याद/स्मृति जो आपके व्यवहार को आज भी परिमार्जित करती है .... Just for my understanding
😊
सौरभ भाई जान , आपकी वजह , आपके ज्ञान की वजह से ये धार्मिक कार्यक्रम देखा .
बस यही कहूँगा कि ,
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल को बहलाने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है
दुष्यंत जी के शब्दों में
ख़ुदा सही न सही , आदमी का ख़वाब सही
कोई सूरत तो है दिल को बहलाने के लिए .
बस .
प्रणाम सर,
मुझे किताबो से बहुत लगाव है।
में निरंतर किताबे पढ़ता रहता हूं।
आप किताबवाला बैठकी का संचालन करते है। आपको किसी किताब को पढ़ने में कितना समय लगता है और आप ये स्मरण केसे रखते हैं की किसी किताब में कोनसा तथ्य लेखकों से पूछना है। मेरा तात्पर्य है की किताबो को कम समय में पढ़ने और याद करने में आपका सुझाव दीजिए।
Amish ji se bolna chahunga ki ap desi clothes ko represent kre na ki western. Atleast temperature ke according to clothes select kre ab. Baki knowledge bahut deep tha. Infact saurabh ka knowledge hi interview ko nxt level kr deta h. #spiritual
Bhai haan acchi bat hai indian kapde pehena par thik hai kapde ek insaan ko define nahi karte. One can love western clothes more and still be a patriot indian and amazing hindu. Politicians pehente to hai desi clothes. Kuansa bhut accha kaam karte hai
Aapka Rourkela connection sun kar bahut Achaa laga kyunki main bhi Rourkela se hoon aur sach main tarini mata k darshan main woh vibe hai jo aap apni Maata ji k baare bata rahin hain …. Jai Tarini Ma
जय सत्य सनातन धर्म की❤❤❤
Bring Anand ranganathan to this show please
रहस्य के अस्तित्व के परे यह मात्र इन लोंगो की व्यक्तिगत अस्था है जिसमे सत्यता का अभाव है।कोई भी ऐसी वार्ता मृत्यु पर बृहत् वार्ता के अभाव में अपूर्ण हैं।असुरक्षा ही ऐसी बातों को जन्म देती है।
Jay Shri ram ❤❤❤❤❤
Saurabh Bhai.....
Aap kaise kar lete ho......
"Brahman" hote huye itna rational thinking...... ❤Salute Bhau Tula...Lay Bhariiii❤
क्यों क्या ब्राह्मण चिंतक नहीं हो सकते क्या ,
जो चिंतक नहीं वह ब्राह्मण नहीं है कर्म कंडी है चिंतक की ब्राह्मण हो सकता है
मैं ब्रह्मण नहीं पर rational ब्रह्मण ही होता है तभी उसका पद है।
Such a beautiful conversation ❤
Such an enriching talk.
सिन्धु घाटी सभ्यता में मुर्ति का चिन्ह मिला है।
This episode is not about religion, it's about spirituality.
Both are same in indian ethos
India is about that Hinduism is always about spirituality
Such an interesting & amazing interview to listen. So much to learn, read & discover more. Hoping for many more...❤
Plz plz
Plz
Make more such episodes on understanding BHARAT+RELIGION+ CULTURE+ WORLD❤
Loved the episode....
Blind fan of AMEESH. saurab bhai thanks for calling him
Thore mote ho gye Ameesh bhai but for me u r smartest man of our culture
Beautiful interview
जो हमारे बाप दादा मानते थे वही सत्य है तो फिर मानव प्राणी भी जङ पदार्थ है
Excellent discussion
Reminds me of 'The argumentative Indians'. So brilliantly written by Amartya Sen. A Nobel laureate Economist to have such well rounded wisdom. I was present in the book launch program with my dad. There Mr. Sen gave speech on his book. He can speak in Sanskrit over hours
He is leftist I am 100% sure he would have distorted the real things
I hope it doesn't hurt you but Amartya Sen is a modern day Jaichand.
@@ahamasmiarinm 😁it doesn't hurt Sen or me. It hurts the country that is intolerant to critical logical argument from the intellectuals, tags them as jaichand or antinationals, sends them away for other countries' benefit, and trusts on babas, superstitions and oils a few capitalists
@@chandrikasaha6301 Trust me, mam, Bharat doesn't miss Sen, nor does it hurt Bharat one bit, and I will tell you why in a moment.
Before that, I would like to point out the prejudiced and judgemental views you and your ilk carry about Bharat, something not expected from someone who is claiming to be brimming with logic and critical analysis. Let me give you an example.
Bharat has had Panchang or Panjika since time immemorial. Its calculations are mostly based on Surya Siddhanta, and it used to have regular updates on planetary positions. The updates stopped since Bharat was occupied, but the Panchangs continued. However, ever since NASA started publishing planetary positions, Panchangs started referencing NASA bulletins and then applying those positional readings to the calculations and charts of Surya Siddhanta to come up with Panchangs.
My point is that the strawmans argument you are trying to make about Bharat and its people, the reality is far from what you perceive, and by thinking what you think and by saying what you say, you are simply trying to pass on your own incompetence and incapability to grasp the reality as other people's fault.
It's funny that while we consider continuity and longevity as the biggest proof of quality, certain people like you don't want to extend that same logic to civilizations. Even when we buy petty thing like a pair of slippers, we first look for the brand that lasted most, because it means quality, but we don't think or feel the same way when it comes to civilisations. Now, I can understand a non-Bharatiya doing so, because such considerations would burst their myth of civilisational superiority that they have been trying establish for centuries, but seeing some of our own people demeaning our civilization's cultures and norms by making strawmans arguments is really sad. And then you complain about why people are branded as anti-nationals, even though they humiliate Bharat's civilization and culture. Well, you can't have the cake and eat it too, isn't it?
Regarding Sen, you said you attended his book launch. I don't know whether it makes you an authority on Sen or not, but I would like you to know that he sits on multiple trusts and think tanks funded and maintained by self-proclaimed haters of Bharat like Soros. You don't need to believe me on this, you can research it on your own.
Are you saying that Soros is funding research groups and think tanks who are working for the betterment of Bharat? Nah! I'm not that naive, and I guess most Bhartiyas aren't either.
@@ahamasmiarinm it hurts our argumentative culture, thereby expedites brain drain and promotes hasty decisionmaking by an one man army - that is how demonetisation happened, that is how agniveer happened, that is how farmer bill came. Listen to discussions on Raghuram Rajan's recent book. We don't even have top ranking universities and our talented students settle in the US because our arguments are not argumentatively fought or defended. We run Google, Microsoft, Bose but not in our country. Our legendary classical musicians get honour abroad, our atheletes harassed, because dissents are repressed for sake of power. Ashok Rudra, Ashok Gulati had arguments against Sen but those were on the merit of logic. They didn't brand Sen as Jaichand. That is called educated debate. Obviously Sen or any other person alone can't hurt a country. Please read some of his books instead of branding one intellectual in the name of an ideology -that would make you an wiser person. Form logic, acquire wisdom, form opinion.
What a great line
It is ❤️..... 1:08:51
Please invite Anand Ranganathan to this show
1:04:10 jeete jee ye jiska satya ye baat ka matlab bahot gehraa hai or ye khud mai ek answer hai uss sawal ka jo log humesa krte aaye hai ke humare grantho mai ye kyu kaha gya haii ke ye jo srushti haii ye jo brahmaand hai ye jo kuch v Hume dikh rha hai ye ek bhram hai ye mayajaal hai ye sab Maaya haii mithya hai...
Ye Maya ki baat isliye hai kyuki humare granth rachaitaon ne ye jaan liya tha ke jeete jee ye jiska satya jiski Jesi madad kare
Matlab ek ek hi chiz ke prati alg alg logo mai alg alg drishtikon hai alg alg trh se judey hue hai or alg trh se vyavahaar kar rhe hai ek hi chiz ke prati... ek udaharan ke Taur pe dekhe Toh ek Murti jo mandir mai lagi ho ya puja Pandaal maii lagi ho wo pujniya ho jaati hai lekin ussi murti ko banane waley ke liye wo murti rojgaar haii vyavsaay haii or kharidne waale ke liye kuch aur toh ye jo visheshtaa hai hum manushyon mai ke ek hi chiz ko alg alg trh se alg alg prastithiyo mai alg alg vyavahaar mai or jgh mai badal jaati hai Yahi chiz ko dekh ke sayad humare Granth rachaitaon ne kaha hoga or likha hoga ke ye srushti ek MAYA hai Har ek chiz ek MAYA hai kyuki ye jo visheshta hai ke hai kuch par dikh kuch aur raha alg alg logo ko ye visheshtaa srf MAYA maii hota hai or yahi visheshtaa agr kisi v chiz mai dikhe toh wo MAYA hai
😅
Pata nhi mene sahi kaha ya galat par mere mann mai aaya toh maine likh diya
98% सही ही है।
वाह, बेहतरीन। तीन के तीन एक से बढ़कर एक बुद्धिजीवी। प्रतिभा की गंगा,जमना सरस्वती एक साथ बह रही है।
बिलकुल मंत्रमुग्ध करने वाला संवाद ❤
Inko bolie thoda Quran,Hadit,GAZWA-E-HIND,Sar-tan-se-juda pe bhi charcha kare
@@SPanda9938 इनका ही सर तन से जुदा हो जाएगा इस तरफ़ चर्चा करी तो😅
Sahi bola
आधा ज्ञान भयंकर वाले दोनो/कारण धर्म सम्बंधित पूरा अभ्यास नही/बायबल कुरान पढा नही/सत्यार्थप्रकाश पढ़ते तो ये द्वीधा मानसिकता से नही बोलते/ईसाई इस्लामी तत्वज्ञानका समजे न समजे उदात्तीकरण नही करते/ये हमारा कहना
शंकर हुसेन काल्पनिक कथा बतानेवाले इस्लामका उदात्तीकरण करनेवाले सौरभ जी एंकर/तो उनसे क्या अपेक्षा धर्म अधर्म पर चर्चा निपक्षपात से /या कोईभी एक अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना/दोनो विद्वान भी नही पहुंचे इतनी चर्चा कर 1अंतिम निष्कर्ष तक /सब काल्पनिक लग रहा
I was waiting for kitaabwala's new episode...
Thank you sir
Dharma -
Theoretical and practical
Spiritual science and philosophy
i.e.
Aadhidaivic -Aadhyatmic
gyaan -vigyaan - vidya
To know the real meaning of Dharma
To know the real goal of life
To know the iternal spiritual awareness
Mukti - Moksha
Murti -
Paramatma ka sthul rup aur
Mantra sukshama rup .
Pran -
Pran tattva ki murti me pratishtha .
' pran tattva ' - book
Swami Vishnu Tirth
Narayan kuti sanyas aashram , Devas , M.P.
All roads dont lead to same destination and so absolute truth means only one path is correct and rest will lead to unintended destination. LALLANTOP should invite Dr. MUFTI YASIR to discuss on why athiesm or idol worship is wrong as there is none so logically perfect in explaination.
तर्क-वितर्क और कुतर्क ! मेरे विचार में ध्यान का प्रथम स्तर ही तर्क-वितर्क से आरम्भ होकर, दूसरे में लक्ष्य, तीसरे में चित्त की अनुपस्थिति और चतुर्थ में समाधि है ! प्रथम स्तर में साधक तर्क-वितर्क में स्वंय पूर्व एवं उत्तर पक्ष होता है ! ध्यान के दूसरे स्तर में लक्ष्य की स्थापना और तीसरे में चित्त की अनुपस्थिति कर चतुर्थ में समाधि में प्रवेश करना है। परन्तु यहां कुतर्क या असंगत प्रश्नों का न कोई औचित्य है और न ही उनके उत्तर खोजने की आवश्यकता।
Yeah podcast dekh mujhe Ramayan yaad a Gaya ..
देखिए शिव शंकर क्या हैं,हम समय आने पर बतायेंगे, क्योंकि हम इस बात के दृषटा हैं हमें ध्यान में दृश्य साफ दिखाया गया हम यह दृश्य शरीर रहित देख रहे थे। इत्यादि इत्यादि।
Sar mujhe bhi bulao Dharm Murti Puja Darshan Shastra arthat jitne bhi prashn hai aapke pass mein ya aur bhi jitne prashn UN sab ka confidently Uttar Dene ka prayas kar sakta hun
Sourabh jee bahut bahut dhanywad
Small Kishan ke liye bhi kuch video banwate to help hota
Sir ek bar aacharya prashant ko dubara bulaye he is gret person superb plz sir bulaye,inko abhi pta ni h India me kya kya hota h plz sir aacharya prashant ko bulaaye sir he is gret person thanks sir
Need more content on philosophy and spirituality! 🙌
@sandeepkumar-markov
India never had religions. It was the abode of the greatest philosophies. These philosophies were distilled to the masses so that ordinary people could cultivate wisdom and practice spirituality. Religion came with the Mohammedans. And following, Indian civilisation in the North and North-West was burned to the ground. Indians today have no idea what India used to look like, because what the Muslims wanted to do was to destroy our visual arts and architecture. North India had Rome, Vienna, Basel, Budapest, Dresden and Prague. But now there is no trace of it.
Good conversation
Dhanyawad sir........
मूर्ति पूजा इंसान को कपट और लालच कि दुनिया में ज्यादा धकेलते है.. बनिसप्त के अध्यात्मिकता की ओर... क्योंकि देवी देवताओं कि कहानियाँ भी आदमी को इंसानियत कि शिक्षा बिलकुल नहीं देती, सिर्फ स्वार्थ कि पूर्ति कैसे हो यही सुझाती हैं....
🙏
वह तो मूर्तिपूजा न करने वाले भी कपट और लालच नहीं छोड़ पा रहे । अपने आराधना में माँगते ही रहते है।
बल्कि मूर्ति से व्यक्ति ईश्वर से बहुत सरल तरह से जुड़ पाता है। भले उस उच्च कोटि का अध्यात्म न हो फिर भी बहुतायत लोगों के अहंकार को नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीक़ा मूर्तिपूजा ही है।
आपके मेहमान और उनके साथ हुई चर्चा बहुत ही ज्ञानात्मक होती है जिसको सुनते सुनते मग्न हो जाते है लेकिन बीच बीच में आपके प्रचार आकर मग्नता को भंग कर देते है। यदि संभव है तो कम से कम प्रचार को जोड़ा जाय।
Amish= respect, love your works, im a fan
Connecting concept of resonance with murti puja sounds ill logical ....
Every object is emitting some frequency which is its natural frequency ...
How does natural frequency changes when a stone is cut in murti ...
अदभुत❤❤
Speechless
The Lallantop se vinti he ki islamic Scholars kobhi show me bulaya jaye jiise islam ka pksh bhi logoke samne khul jaye jaise Adv. Faiz syed, Zaid patel (Or Pak se Mufti tariq masood kobhi bula skte he agar koi problem naho)
Bhai ye karne se Inka bhanda poot jayega
Ye kabhi nhi bulayenge aise scholars ko jo islam ka sahi paksh rakh saken.
Ye bulayenge bhi to modern muslims ko aur unke dwara islam ka paksh rakhwayenge jinka concept khud clear nhi hota na wo practicing muslim hote hain. Aise logon ko bulakar ye log islam ka bigda hua roop samaj me failate hain jisme ayyashi fahashi bepardagi nach gana aur gair islami chizon ke liye jagha hoti hai. Jab aise muslim ko non muslims sunte hain to kahte hain ye sacha muslim hai aur is tarha practicing muslims ko log kattar manne lagte hain aur nafrat karte hain.
Agar islam par hi bat karni hai to kisi ache islamic scholar ya mufti ko q nahi bulate show me...malum hai agar bulayenge to islam ka sahi concept pahunchega logon tak. jabki ek sacha musalma hi smjh skta hai ki tv wale muslim ke basics hi hile hue hain wo kya paksh rakhega islam ka.
When he said Chanakaya niti... Means he is going for RSS mindset !!!... Good for him.. but not good for country.. We Ambedkarite are there ... to fullfill Buddha, Ashoka and Ambedkar thoughts with dignity and wisdom..
We are okay with RSS mind set .......we don't want fractured thought of liberals
Where is your wisdom when you eating animal
Looks like you assumed chanakya niti to be RSS. Even if it is, you should read it before deciding it is bad.
मेरा ऐसा बिल्कुल भी मनाना नहीं है कि कोई ऐसा है जिसने ब्रह्मांड को सोच समझ कर रचा है और लुक छिप कर हमें देखता रहता है,
पर एक बार को हो भी सकता है कि किसी ने ब्रह्मांड को जानबूझकर रचा हो, पर वह वैसा बिलकुल नहीं होगा जैसा अरे यह सब पाखंडी भाई लोग मानते हैं और ना ही वह हमारे बारे में जानने में कोई रुचि लेता होगा ,कि हम क्या कर रहे हैं,
हां अगर कोई इस ब्रह्मांड को ही भगवान माने तो कुछ समझ भी आता है ,बाकी अपने मन को दिलासा देने के लिए किन्ही लोगों ने मस्जिद बना लिया, किन्हीं लोगों ने मंदिर और चर्च बना डालें ,कोई जूता पहन के पूजा करता है कोई नंगे पैर पूजा करता है, कोई घुटने के बल बैठकर पूजा करता है ,कोई पलटी मार के पूजा करता है, कोई नहा कर पूजा करता है कोई बिना नहाए पूजा करता है,
अगर भगवान एक है तो उसकी भावना अलग अलग कैसे महसूस हो सकती हैं या यू कहे कि अलग अलग भावनाओं ने अपना अलग अलग भगवान बना लिया और अपने ही अज्ञान को ,अपने अंधकार को पूजे जा रहे हैं
दिमाग तुम्हें बिल्कुल नहीं ऐसा लगता है
@@Ashish-rf2eh जो लोग कहते हैं कि भगवान एक है वही लोग तो यह कहते हैं कि तुम हिंदू हो हम मुस्लिम है हम अलग अलग हैं, अगर भगवान है तो उसकी बनाई रचनाएं अलग क्यों? अब यह तो भगवान कई सारे हैं ,यह तो कोई ना कोई अंधकार को पूज रहा है,
मेरी मानो दोनों अंधकार को पूज रहे हैं अगर लोगों के मन से डर और लालच खत्म हो जाए तो मंदिर मस्जिद पर बड़े बड़े ताले लटक जाएंगे, क्योंकि लोग दो ही वजह से यहां जाते हैं या तो उन्हें कुछ मांगना होता है ,यह उनके मन में कुछ डर होता है जो पंडित या मौलवी बैठा देते हैं ,
अगर मैं पागल हूं तो ठीक यह पागलपन हीं एक दिन पूरी दुनिया पर छा जाएगा और इन पाखंड वादियों, आडंबरकारियो, धार्मिक कायरो को भगाने का रास्ता नहीं मिलेगा, तब इनका अंत होगा वैसा अंत जैसा अंत कृष्ण ने अर्जुन के डर का किया था, अर्जुन की कमजोरी का किया था, अर्जुन के अंधकार का किया था ,अर्जुन के अज्ञान का किया था ,ज्ञान के प्रकाश से, तलवार से नहीं क्योंकि तलवार धार्मिक चुतियों का हथियार है ,
कोई हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है कोई खालिस्तान ,कोई गजवा ए हिंद का सपना पाले है सबकी अपनी अपनी धार्मिक भावनाएं हैं और सब भावना मिलकर सबको मार देना चाहती हैं
वेदों में सारे देवताओं की रुपों का वर्णन है । वेे मे सिर्फ निराकारवाद नहीं है ।
Dharm aur Murti Puja Sab Satya ke sath ki Jaaye ki Shakti hoti hai
Only acharya Prashant ❤❤
No one has a bed of roses 🌹 🙌
very interesting topic
Always a pleasure to hear you speak सौरभ ....... You know a lot and express your knowledge beautifully .......
but please select your guests with greater care . It was a complete waste of time to hear this brother-sister duo . Very shallow ....... Very poor show . They need to understand things better .
What if after 6 month person was punished found not guilty? India’s Present justice system is time consuming is due to very high population of India and less judges and resources to run court.
Saurabh Dwivedi .... Dil Se ! ! !
कभी आतंकवादियों के धर्म गुरुओं को भी बुलाइए सौरभ जी देखें कौन सा ज्ञान देते हैं वे लोग
RSS के बहुत से आतंकवादि आये हैं इस शो में।
Aatanki ke hi dharm guru aasram sahi se dekh yah sab tere hi mutr aatanki hindu dharm ke guru 😂😂😂
JNU balo se ye ummed na rkho dost 😂
Saurabh pe dhyaan dena kabhi v left ki vichardhara wale logo ko counter question nhi krta jitne josh se rastravadi vichara ka krta h .. fir neutral hone ka dhong krta h😂😂😂
@@rajajiparmarrr😂 jnu ki ghaas bhi nhi choo payega tu
Vaahiyaat Interview
सीखने की प्रक्रिया स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाती है। इसलिए निराकार भगवान को जानने के लिए मूर्ति से शुरू करके अहम् ब्रह्मास्मि तक पहुँचता है।
विग्रह और मूर्ति क्या दोनो एक ही शब्द है ।
Dear saurabh ji
क्या आत्मा, परमात्मा और ब्रह्म एक ही अवस्था के विग्रह नाम हैं ?
आत्मा परमात्मा पर आचार्य प्रशांत जी से प्रश्न करो बहुत अच्छे से समझाएंगे
@@sarozkumar3939परमात्मा को सागर की तरह मानो और आत्मा तरंग चूंकि तरंग कुछ समय बाद उठकर दोबारा सागर में ही लीन हो जायेगी परन्तु सागर पर इसका कोई असर नहीं होगा इससे ये पता चलता है कि तरंग का अस्तित्व सागर पर निर्भर है परन्तु सागर का अस्तित्व इतना बड़ा है कि जब तक तरंग सागर में विलीन होकर उसका हिस्सा नहीं बन जाती उसको पता नहीं चलेगा
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय।
हम सनातन किसी भी जाति-धर्म से कम तर नही।👍✅️
अमीश जी सनातन के गुण बताना चाहते है लेकिन सायद वो डर रहे है की 1 वर्ग उनसे नाराज न हो जाए ।🙏
I am big fan of you sourav sir
Murti pooja ki shuruaat baudh dharm ke mahayaan shakha se hi aaya.... Usase pahle murti kala hi bikishit nhi thi.... Pahli satabdi me jab kanishk ne gandhar aur mathura me murti kala kendr ki sthapana ki.... Usase pahle ki ek bhi hindu devi devtao ki murti nhi milti puratattav vibhag iski pushti karti hai
Jab se shristi hai tab se murti puja hai.
मूर्त्ति पूजन क्यों?
हिंदू धर्म में मूर्ति पूजन का आरंभ का आधार ध्यान की कल्पना और प्रक्रिया में निहित है । जब आप ध्यान की प्रक्रिया में जाते है तो किसी निराकार के स्थान पर एक साकार पे ध्यान करना आसान हो जाता है । एक प्रकार से ध्यान की प्रक्रिया में मूर्ति पूजन इसे आसान बना देता है । इसे आप ध्यान की प्रक्रिया का आरंभ मान सकते है। क्योंकि निराकार पर ध्यान करना एक उच्च स्तर की ध्यान प्रक्रिया है इसलिए अधिकांश लोग मूर्ति पूजन तक ही सीमित रह जाते है।और हम हिन्दू धर्म को मूर्ति पूजन तक ही सीमित समझ लेते है ।
बहुत ही शानदार लोग हैं ये
Aray yaar bhavna ji childhood memories bata rahi thai or kuch naya batati but amish bhai philosophical baatein krke story ko short kr diya 🤣.
Saurabh bhai amish ke sath dr vikas divyakirti ke sath kuch kraiye❤
अमीष जी कि यह बात हमें भी खटकती है कि मंदिरों में आया दान सनातन संस्कृति के विकास के लिए उपयोग न होके सरकार अपने तरह से उपयोग करती है।
वेदों ,उपनिषद , पुराण, आदि के प्रचार को समर्पित होना चाहिए। शंकराचार्य पद को महत्वपूर्ण बनाया जाए। आधुनिक गुरकुल को बनाया जाए। शास्त्रार्थ को आधुनिक बनाया जाए। आचार्य चाणक्य कि रचनाओं को जब अमेरिका अपने रक्षा संस्थान में उपयोग मे लाया जा रहा है तो हमारे यहाँ क्यों नहीं। उतर वेदिक काल मे भारत की उपलब्धियों को जन सामान्य मे प्रचार किया जाए।
सेंधव सभ्यता में पाशुपत की मूर्ति मिली है, नटराज की कांस्य प्रतिमा भी मिली है
Shiv vedik sabhyta se phle ke the
जैसे जैसे समाज उन्नत होता गया नागरिक व्यस्त होते गये, और गूढ़ विषय जैसे उपनिषद छूटते लग गये और ब्रम्ह ऐवं चेतना के स्तर कि उपासना सर्व सुलभ नहीं रह गई थी। और संभवतः ईसी कारण से प्रतीक उपासना शुरू हुई होगी।
किताबवाला में प्रणव मुखर्जी की बेटी की किताब प्रणव - माई फादर पर चर्चा कीजिए।
Karnataka state me hijab ban hai? Ya karnataka ke school me classroom me lecture attend karte samay hijab ban hai? Kyuki har ek school ka apna ek uniform hota hai. Please share your knowledge and explain it?