कल्कि अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, श्री गुरूदेव की कृपा आशीर्वाद हम सब को यूं ही मिलता रहे और सभी गुरूदेव के सच्चे यंत्र के रूप में इस मिशन के प्रचार-प्रसार में सहभागी बने।
Jai gurudev agar mainey je naam jaap karna ho to kya karu, but mai yog or rog k liey gurudev enko manugi but mere pehley guru maa chintapurni hai jub tak mujhey sahi guru nahi mil jatey kirpa margdarshan karey.kya ab je gurudev es dunia mei hai agar jotijot sama gaye to kaisey naam jaap ker saktey maaf karna kuch galat bola ho to mai aur mere bachey bahut rogo se pareshaan hai har din doctor secondly sari kamai doctors ja medicine mei hi jati hai pls help karey.thanks.mainey koshis ki naam jaap ki but kai baar nahi kiya jata jub yaad aata tub fer ker leti kya karu kaisey karu
Jai Gurudev!🌹🙏 aap ko deeksha, naam jap aur dhyan ki vidhi vistaar se likh kar bhej rahe hain. Aap use dhyan se padh kar apni sadhana shuru kar sakte hain. Gurudev ke mantra jaap aur dhyan se lakho logo ke asadhya rog theek hue hain aur ho rahe hain. Gurudev ne 2017 me apna bhautik shareer tyag diya. Isase koi pharak nahi padta hai kyuki Guurdev ki divya vani me vo shakti hai jisase unki awaj me sanjeevani mantra sunane par sadhak ki kundalini jagrit ho jati hai. 9784742595 ye sanstha ka whats App number hai. aap is par bhi message kar ke apne prashn pooch sakte hain. गुरुदेव की आवाज में संजीवनी मंत्र सुनना ही शक्तिपात दीक्षा है। आपको संजीवनी मंत्र की लिंक साथ में भेज दी है- ruclips.net/video/YBraoSGcCIY/видео.html इस मंत्र को गुरुदेव की आवाज में सुनने के बाद अब आपको सिर्फ दो काम करने हैं - 1) प्रतिदिन सुबह और शाम 15 मिनट का ध्यान करना है, खाली पेट। 2) संजीवनी मंत्र का मानसिक जाप बिना होठ और जीभ हिलाये दैनिक कार्य करते हुए हर समय करना है -जैसे उठते-बैठते, नहाते-धोते, चलते-फिरते, खाते-पीते, करना है। ध्यान की विधि 1.आरामदायक स्थिति में बैठकर थोड़ी देर के लिए गुरुदेव के चित्र को एकाग्रता से देखें। 2. फिर आँखें बंद करके समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर (जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं) केन्द्रित कर, गुरुदेव से 15 मिनट के लिए ध्यान स्थिर करने की प्रार्थना करें। 3. अब गुरुदेव को आज्ञाचक्र पर देखते हुए और साथ ही संजीवनी मंत्र का मानसिक जाप करते हुए (बिना होंठ-जीभ हिलाए) ध्यान करें। 4. इस दौरान कोई भी यौगिक क्रिया (आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम) हो तो घबराएँ नहीं तथा न ही इन्हें रोकने का प्रयास करें। ये क्रियाएँ शारीरिक विकारों को ठीक करने के लिए होती हैं। ध्यान की अवधि पूर्ण होते ही सामान्य स्थिति हो जाएगी। 5. इस विधि से सुबह-शाम खाली पेट नियमित रूप से (केवल 15 मिनट) ध्यान करते रहें। विशेष ध्यान रखने योग्य बातें 1. संजीवनी मंत्र का जाप ही ध्यान की चाबी है इसलिए अपने दैनिक कार्य करते हुए जैसे- उठते, बैठते, खाना खाते, चलते हुए, नहाते हुए, ड्राइव करते आदि, हर समय मानसिक रूप से जपें बिना होठ जीभ हिलाए। 2. संजीवनी मंत्र के साथ किसी भी और मंत्र को नहीं जपना है अन्यथा लाभ नहीं मिलेगा। 3. किसी भी तांत्रिक, भोपों आदि से नहीं मिले और ना ही उनके दिए हुए डोरे या ताबीज पहनें। यदि पहन रखें हैं तो गुरुदेव सियाग सिद्धयोग साधना शुरू करने से पहले इन्हें निकाल कर फेंक दें। किसी भी प्रकार के अन्य सिद्धयोग संबंधित प्रश्नों के लिए आप हमें कभी भी संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद,
Maf karna mujhe abhi tak ander se biswas nhi hota gurudev sri krishna ke avtar hai...sri krishna ke avtar hoga aisa abhi kaha likha nhi hai...srimad bhgvat me kaliyug anth me kalki avtar hoga aisa likha hai to gurudev ko kalki avtar kaise bolte hai samajh me nhi ata...lekin gurudev honest sant hai no doubt...🙏
श्री अरविंद सुप्रामेन्लटल स्रष्टि की स्थापना की बात करते हैं। जिसमें दिव्य अग्नि बीज प्रकाशमय शरीरधारी योगी संत महात्मा ,मुक्तावस्था प्राप्त करने पश्चात भी धरती के आभामंडलीय वातावरण में रहकर मानव को आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्यरत रहेंगे और साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्ती मान कर उन्हें भी दर्शन प्राप्त कराने में सक्षम होंगे। अतः दिव्य चेतना का उदय और अवतरण होगा और मानव एक नये आध्यात्मिक आयाम , विकास और उत्थान को धारण करेगा। ------ श्री अरविंद के अनुसार भूदेवी अपने स्वयं के आध्यात्मिक चेतनात्मक विकास और उत्थान में एक ऐसी अवस्था में पहुँचेगी जहाँ ऐसी आत्मायें जो मुक्ति की अधिकारिक सत्ता को प्राप्त हो चुकी हैं वह परम कैवल्य लाभ को प्राप्त आत्मस्थ परमात्मायें (अपनी प्रकाशमय- चिन्मय दिव्य देह जो कि अग्नि बीज है, ) भूलोक पर ही चिरकाल बनी रह कर मानवता के आध्यात्मिक विकास और भूचेतना के उत्थान में सहायक हो सकेंगी। ऐसी आत्मस्थ सिद्ध आत्मायें दीपक की लौ के समान साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्तीमान कर द्रष्टिगोचर होंगी। ----- ध्याता ,ध्यान व ध्येय यह अवस्था जैन धर्म में परम शुक्ल ध्यान की अवस्था मानी जाती है .जहाँ द्रष्टा ,दृश्य और अवलोकन की प्रक्रिया में कोई भेद नहीं रह जाता . इस मौन चेतना के प्राप्त होने पर या जैंसे जैंसे साधक निर्विकल्प अवस्था को प्राप्त करने लगता है तब विभिन्न एंडोक्राइन ग्लैंड्स - अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों की सक्रियता में परिवर्तन आने लगता है इसका अर्थ यही है कि मन ,देह और मस्तिष्क में बायो - फिजिओलॉजिकल बदलाव आने लगते हैं ,तब उस केवलज्ञानी की अवलोकन क्रिया टनल विजन में बदल जाती है .उदहारण के तौर पर ,जैंसे की जब हम किसी दूरबीन binocular या फिर किसी कैमरे से देखते हैं तो हमारी दृष्टि का फोकस केवल उतने ही क्षेत्र पर होता है ,जितना की उस लेंस से दृश्य पटल पर आरहा है . इसी प्रकार एक परम शुक्ल ध्यान को प्राप्त साधक इस प्रकार BINOCULAR VISION को प्राप्त होता है और तब ही ऐंसी स्तिथि में ध्याता ,ध्यान और ध्येय , उपासक ,उपास्य और उपासना में भेद नहीं रह जाता .उपास्य के सारे गुण उपासक में परवश करने लगते हैं . ज्ञाता ,ज्ञान और ज्ञेय का एक होना ,ध्यान की इस अवस्था को पतंजलि योग सूत्र मे निर्विकल्प ध्यान समाधि कहा गया है। इस निर्विकल्प ध्यान समाधि का विवरण एक योगी ज्योतिजी ने निम्नलिखित प्रकार से दिया। -------------------------------------------------- अचानक ज्योतिजी ने देखा --- आसमान से एक ज्योतिर्मय अथवा प्रकाशमय पदार्थ सहसा आविर्भूत होकर उनमें प्रवेश कर गया और प्रवेश करके उनकी सत्ता मे मिल गया। इसके बाद उनमे एक अद्भुत परिवर्तन का भाव दिखाई देने लगा। एक अवर्णनीय आनन्द और उल्लास ने उनकी समग्र सत्ता को व्याप्त किया। उनकी अपनी सत्ता जिसका आश्रय लेकर वे हमेशा अपने को " मैं " के रूप मे प्रयोग करते रहे , वह मानो लुप्त हो गया। इस व्यक्तिगत ' अह्मत्व ' के लोप के साथ - साथ उनके ह्रदय में एक अद्भुत अनुभूति का आविर्भाव हुआ , जिसका वर्णन भाषा जरिये नहीं किया जा सकता। उस वक्त उनकी दृष्टि जिधर पड़ी , उधर देखने लगे , जैसे मैं ही वहाँ हूँ। पशु , पक्षी , कीट , पतंग , वृक्ष ,लता जिस किसी पदार्थ की ओर उनकी निगाहें जातीं , उसी पदार्थ को वह अपना स्वरुप समझते थे। अपना व्यक्तिगत " मैं " के तिरोहित हो जाने के बाद वह " मैं " (आत्म ) का भाव जगत की प्रत्येक वस्तु का अबलम्बन करते हुए आत्मप्रकाश करने लगा। तब वे देखने लगे जैसे एक " मैं " (आत्मा ) ही अनन्त "मैं "(आत्मा) के रूप मैं पशु , पक्षी, लता , पत्ते आदि का आकार लेकर प्रकट हुए हैं। इस प्रकार अपने को अपने अनन्त भावों मै देख पाने पर उनमे अपूर्व आनन्द का उल्लास उद्वेलित होने लगा। उस समय मंदिर मैं एक बिल्ली मौजूद थी , शायद वह बिल्ली देवता के भोग के लिए रखे दूध के आकर्षण से वहाँ आयी थी। बिल्ली की ओर दृष्टि -- निक्षेप करने के साथ ही - बिल्ली ही वे हैं , "मैं ही बिल्ली हूँ " यह अनुभूति उनमे उत्पन्न हुई। एक क्षण के लिए वे सोचने लगे की शायद यह अनुभूति उनके मस्तिष्क के विकार का फल है। यह अनुभव करते ही वे उस बिल्ली को पकड़ने के लिए बढ़े। बिल्ली को स्पर्श करने के साथ ही वे फिर बिल्ली को
तुम्हारी रहमतो का जिक्र कैसे करूँ,
तुमने खोले हैं, दरवाज़े आसमान में,
मेरे प्रभु अनंत अनंत प्रणाम
जय गुरुदेव!🙏🌹
कल्कि अवतार के चरणों में कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम करता हूँ ।जय कल्कि भगवान् सर जी
Jai Gurudev!🙏🌹
जय समर्थ सद्गुरु देव की जय हो
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Happy birthday gurudev. Aapka ek ek word truth hain . Aap sabse sacche ho. Thank you for being with all of us🙏🙏🙏🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
जय श्री गुरुदेव जी।
🙏🙏🌹🌹
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🌹 🌹 Shree Guru charno me sheesh naman 💐 💐
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai gurudev.........🌺........ jai gurudev
Jai gurudev..........🌺......... jai gurudev
🌹🌹🌷🌷🌹🌹🌿🌹🌹🌷🌷🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय गुरुदेव!🌹🙏
गुरुदेव की जय हो गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु की जय हो
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय गुरुदेव जय कल्कि अवतार
Jai Gurudev! 🙏🏻
Very nice and jaigurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Gurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय गुरुदेव!!!
जय गुरुदेव! 🌹🙏
कल्कि अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, श्री गुरूदेव की कृपा आशीर्वाद हम सब को यूं ही मिलता रहे और सभी गुरूदेव के सच्चे यंत्र के रूप में इस मिशन के प्रचार-प्रसार में सहभागी बने।
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Happy Birthday Gurudev
Gurudev ki jay ho
Gurudev ki jay jay ho
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Gurudev ❣️🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai sadgurudevji namah Jai gurudevji namah Jai gangaynath Ji namah
जय गुरुदेव!🙏
जय सदगुरुदेव 🙏🙏🌹🌹
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय हो मेरे परम प्यारे परम सदगुरुदेव की जय होवे😇🙌🙌🙌🙌
जय गुरुदेव!🌹🙏🏻
Jay Gurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jay Gurudev 🙏🙏🌷🌷
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🌸🙏🌻जय सदगुरुदेव🌻🙏🌸
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय गुरुदेव जय गुरुदेव सर जी पहचाने पुखराज जी के पास रहते हैं जय गुरुदेव
Jai Gurudev
Jai garu dav ji
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय गुरूदेव 🙏🌷🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai gurudev jai kalki
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🙏JaiGurudev ji 🙏🌺💐🌹🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Gurudev Jai Dadagurudev🙏🙏🙏💐💐💐
Jai Gurudev!🙏🌹
जय सदगुरुदेव
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai shree gurudev
Jai dada gurudev
Jai Gurudev!🙏🌹
Jai gurudev
Jai Gurudev❤ Jai Dada Gurudev❤
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय श्री गुरुदेव जी मुझे आपके चरणे से दुर मत करना
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय गरुदेव
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Happy birthday gure drv
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Jai mere Pujay Shri GURUDEV Ramlaljisiyag 🌹🌹🙇🙇🙏🙏🙏Aapki sadaa Jai Jaikaar Ho
Jai Gurudev!🌹🙏🏻
प्रणाम जी संत शिरोमणि भारत भूमि पर प्रकाश डालते हुए
जय गुरुदेव!🙏
JAi gurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai sadgurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🌺Jai guru Dev Jai dada gurudev 🌺
🍃🍃🌿🌿🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌷🌷
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
जय गुरुदेव! 🌹🙏
पूज्य गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग की जय हो 24 नवंबर 1926 को हम सबके भगवान आए धरती को पवित्र कर जाए जय गुरुदेव
जय गुरुदेव! 🌹🙏
জয় gurudev জয় dada gurudev
Jai Gurudev!🙏🌹
Jay hooooooo
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय कल्कि भगवान
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai jai mere sadgurudev, Kalki Bhagwan
Jai Gurudev!🌹🙏
Jai shree Gurudev ji 🙏🙏
Hamare shree Gurudev ji jeisa koi nahi 🙏❤️
Jai Gurudev!🙏🌹
Guruji is really great.jai guruji
Jai Gurudev!🌹🙏
Jaigurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Sree jai gurudev🙏💐
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🙏🌷🌼🕉श्री गंगाईनाथाय नमः 🙏🌷🌼🕉श्री गंगा गंगाईनाथाय नमः 🙏🌷🌼🕉श्री सद्गुरु देवाय नमः 🙏🌷🌼
जय गुरुदेव !🙏🌹
🙏 जय श्री गुरुदेव जी की 🙏
🌻 गुरुकृपा सदैव बनी रहे 🌻
जय गुरुदेव!🙏🌹
Jai Gurudev sa 😍👏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय श्री गुरूदेव।
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय गुरुदेव 🙏💐जय दादा गुरुदेव 🙏💐
जय गुरुदेव !🌹🙏
Jai gurudev 🌹🌹🌹🌹🌹
Jai dada gurudev 🙏🙏🙏🙏🙏
जय गुरुदेव!🙏🌹
जय श्री कल्कि
जय गुरुदेव!🙏🌹
Jai gurudev siyagji and jai dadaguru gangainathji kijayjaykar pranaam
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jay shree guru dev ji 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Jai Gurudev!🌹🙏🏻
भगवान श्री कल्कि अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जय गुरुदेव! 🌹🙏
जय श्री गुरुदेव जी जय श्री गुरुदेव मुझे आप कि चरणे मे रखना
🙏🌼🌷🕉श्री गंगाईनाथाय नमः 🕉श्री सद्गुरु देवाय नमः 🙏🌼🌷
Jai Gurudev!🙏🌹
🙏🌷🌷jai shree gurudev
🙏🌷🌷jai shree dada gurudev #immunityboostery
Jai Gurudev!🌹🙏
Jai Shree Gurudev🙏🌸Jai Shree DadaGurudev🙏🌸
Jai Gurudev!🌹🙏
🥀जय गुरुदेव,,,🍁🍁🍁
🥀जय दादा गुरुदेव,,,🍁🍁🍁
🥀जय कल्कि अवतार की🍁🍁🍁
🥀👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
जय गुरुदेव!🌹🙏
जय श्री राम जय श्री कृष्णा
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🌺Jai guru Dev Jai dada gurudev 🌺
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌷🌷🌷🌷🌷
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🌹🙏🌹 Jai Gurudev ji
Jai Gurudev!🙏🌹
Jai Guru Dev 🙏 ✨️ 💖 💙 Jai Dada Guru Dev 🙏 ✨️ ❤❤❤❤❤❤❤
जय गुरुदेव!🙏
Jai Gurudev 🙏🙏🌹👌
Jai Gurudev! 🙏🌹
Jai Gurudev...🌷🌷🌷🌺🌺🌺
Jai Gurudev! 🙏🌹
JAY GURU DEV JI.
Jai Gurudev! 🙏🌹
गुरुदेव जय गुरुदेव जय गुरुदेव
Jai Gurudev! 🙏🌹
Jay gurdev 🙏🙏🙏
Jai Gurudev!🙏🌹
The incarnation of lord Krishna
Jai Gurudev!🙏🌹
महान् व दिव्य परमसत्ता का अवतरण दिवस - 24 नवम्बर 💫❣️#Divine_Power
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai gurudev 🙏🙏
Jai Gurudev
Jay Shree Gurudev Jay Shree DadaGurudev 🙏🌹🙏
Jai Gurudev!🙏🌹
Jay guru dev siyag
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🙏🙏🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
ब्रह्मलीन समर्थ गुरुदेव और कल्कि अवतार श्री गोविंद जी के जन्म दिवस की सभी गुरु भाइयों बहनों और भक्तों को हार्दिक शुभकामनाएं
जय गुरुदेव! 🌹🙏
💐💐💐🙏🙏🙏💐💐💐💐
जय गुरुदेव!🙏🌹
प्रभु के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन,,,
🙏🌷🌷🙏
Jai Gurudev!🙏🌹
Jai Guru Dev🙏🙏🌹🌹🙏🙏.Thank you Guru Dev🙏🙏
Jai Gurudev!🌹🙏🏻
Jaygurudebjaydadaguruded😢😮😮
जय गुरुदेव!🙏
Mujhe health me thoda b recovery ni ho rha h. 3 month ho gya h chanting krte krte
जय गुरुदेव!🙏🌹 din-raat lagatar Sanjeevani mantra ka mansik jaap kare.
Jai gurudev agar mainey je naam jaap karna ho to kya karu, but mai yog or rog k liey gurudev enko manugi but mere pehley guru maa chintapurni hai jub tak mujhey sahi guru nahi mil jatey kirpa margdarshan karey.kya ab je gurudev es dunia mei hai agar jotijot sama gaye to kaisey naam jaap ker saktey maaf karna kuch galat bola ho to mai aur mere bachey bahut rogo se pareshaan hai har din doctor secondly sari kamai doctors ja medicine mei hi jati hai pls help karey.thanks.mainey koshis ki naam jaap ki but kai baar nahi kiya jata jub yaad aata tub fer ker leti kya karu kaisey karu
Jai Gurudev!🌹🙏 aap ko deeksha, naam jap aur dhyan ki vidhi vistaar se likh kar bhej rahe hain. Aap use dhyan se padh kar apni sadhana shuru kar sakte hain. Gurudev ke mantra jaap aur dhyan se lakho logo ke asadhya rog theek hue hain aur ho rahe hain. Gurudev ne 2017 me apna bhautik shareer tyag diya. Isase koi pharak nahi padta hai kyuki Guurdev ki divya vani me vo shakti hai jisase unki awaj me sanjeevani mantra sunane par sadhak ki kundalini jagrit ho jati hai.
9784742595 ye sanstha ka whats App number hai. aap is par bhi message kar ke apne prashn pooch sakte hain.
गुरुदेव की आवाज में संजीवनी मंत्र सुनना ही शक्तिपात दीक्षा है। आपको संजीवनी मंत्र की लिंक साथ में भेज दी है-
ruclips.net/video/YBraoSGcCIY/видео.html
इस मंत्र को गुरुदेव की आवाज में सुनने के बाद अब आपको सिर्फ दो काम करने हैं -
1) प्रतिदिन सुबह और शाम 15 मिनट का ध्यान करना है, खाली पेट।
2) संजीवनी मंत्र का मानसिक जाप बिना होठ और जीभ हिलाये दैनिक कार्य करते हुए हर समय करना है -जैसे उठते-बैठते, नहाते-धोते, चलते-फिरते, खाते-पीते, करना है।
ध्यान की विधि
1.आरामदायक स्थिति में बैठकर थोड़ी देर के लिए गुरुदेव के चित्र को एकाग्रता से देखें।
2. फिर आँखें बंद करके समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर (जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं) केन्द्रित कर, गुरुदेव से 15 मिनट के लिए ध्यान स्थिर करने की प्रार्थना करें।
3. अब गुरुदेव को आज्ञाचक्र पर देखते हुए और साथ ही संजीवनी मंत्र का मानसिक जाप करते हुए (बिना होंठ-जीभ हिलाए) ध्यान करें।
4. इस दौरान कोई भी यौगिक क्रिया (आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम) हो तो घबराएँ नहीं तथा न ही इन्हें रोकने का प्रयास करें। ये क्रियाएँ शारीरिक विकारों को ठीक करने के लिए होती हैं। ध्यान की अवधि पूर्ण होते ही सामान्य स्थिति हो जाएगी।
5. इस विधि से सुबह-शाम खाली पेट नियमित रूप से (केवल 15 मिनट) ध्यान करते रहें।
विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
1. संजीवनी मंत्र का जाप ही ध्यान की चाबी है इसलिए अपने दैनिक कार्य करते हुए जैसे- उठते, बैठते, खाना खाते, चलते हुए, नहाते हुए, ड्राइव करते आदि, हर समय मानसिक रूप से जपें बिना होठ जीभ हिलाए।
2. संजीवनी मंत्र के साथ किसी भी और मंत्र को नहीं जपना है अन्यथा लाभ नहीं मिलेगा।
3. किसी भी तांत्रिक, भोपों आदि से नहीं मिले और ना ही उनके दिए हुए डोरे या ताबीज पहनें। यदि पहन रखें हैं तो गुरुदेव सियाग सिद्धयोग साधना शुरू करने से पहले इन्हें निकाल कर फेंक दें।
किसी भी प्रकार के अन्य सिद्धयोग संबंधित प्रश्नों के लिए आप हमें कभी भी संपर्क कर सकते हैं।
धन्यवाद,
Jaygurudebgaydadagurudeb😅😢
Jai Gurudev!
Maf karna mujhe abhi tak ander se biswas nhi hota gurudev sri krishna ke avtar hai...sri krishna ke avtar hoga aisa abhi kaha likha nhi hai...srimad bhgvat me kaliyug anth me kalki avtar hoga aisa likha hai to gurudev ko kalki avtar kaise bolte hai samajh me nhi ata...lekin gurudev honest sant hai no doubt...🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
@@GurudevSiyagsSiddhaYoga jai Gurudev🙏🙏🙏
श्री अरविंद सुप्रामेन्लटल स्रष्टि की स्थापना की बात करते हैं। जिसमें दिव्य अग्नि बीज प्रकाशमय शरीरधारी योगी संत महात्मा ,मुक्तावस्था प्राप्त करने पश्चात भी धरती के आभामंडलीय वातावरण में रहकर मानव को आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक के रूप में कार्यरत रहेंगे और साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्ती मान कर उन्हें भी दर्शन प्राप्त कराने में सक्षम होंगे। अतः दिव्य चेतना का उदय और अवतरण होगा और मानव एक नये आध्यात्मिक आयाम , विकास और उत्थान को धारण करेगा।
------
श्री अरविंद के अनुसार भूदेवी अपने स्वयं के आध्यात्मिक चेतनात्मक विकास और उत्थान में एक ऐसी अवस्था में पहुँचेगी जहाँ ऐसी आत्मायें जो मुक्ति की अधिकारिक सत्ता को प्राप्त हो चुकी हैं वह परम कैवल्य लाभ को प्राप्त आत्मस्थ परमात्मायें (अपनी प्रकाशमय- चिन्मय दिव्य देह जो कि अग्नि बीज है, ) भूलोक पर ही चिरकाल बनी रह कर मानवता के आध्यात्मिक विकास और भूचेतना के उत्थान में सहायक हो सकेंगी। ऐसी आत्मस्थ सिद्ध आत्मायें दीपक की लौ के समान साधारण मनुष्य को उनके स्थूल चक्षुओं को दिप्तीमान कर द्रष्टिगोचर होंगी।
-----
ध्याता ,ध्यान व ध्येय
यह अवस्था जैन धर्म में परम शुक्ल ध्यान की अवस्था मानी जाती है .जहाँ द्रष्टा ,दृश्य और अवलोकन की प्रक्रिया में कोई भेद नहीं रह जाता . इस मौन चेतना के प्राप्त होने पर या जैंसे जैंसे साधक निर्विकल्प अवस्था को प्राप्त करने लगता है तब विभिन्न एंडोक्राइन ग्लैंड्स - अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों की सक्रियता में परिवर्तन आने लगता है इसका अर्थ यही है कि मन ,देह और मस्तिष्क में बायो - फिजिओलॉजिकल बदलाव आने लगते हैं ,तब उस केवलज्ञानी की अवलोकन क्रिया टनल विजन में बदल जाती है .उदहारण के तौर पर ,जैंसे की जब हम किसी दूरबीन binocular या फिर किसी कैमरे से देखते हैं तो हमारी दृष्टि का फोकस केवल उतने ही क्षेत्र पर होता है ,जितना की उस लेंस से दृश्य पटल पर आरहा है . इसी प्रकार एक परम शुक्ल ध्यान को प्राप्त साधक इस प्रकार BINOCULAR VISION को प्राप्त होता है और तब ही ऐंसी स्तिथि में ध्याता ,ध्यान और ध्येय , उपासक ,उपास्य और उपासना में भेद नहीं रह जाता .उपास्य के सारे गुण उपासक में परवश करने लगते हैं .
ज्ञाता ,ज्ञान और ज्ञेय का एक होना ,ध्यान की इस अवस्था को पतंजलि योग सूत्र मे निर्विकल्प ध्यान समाधि कहा गया है।
इस निर्विकल्प ध्यान समाधि का विवरण एक योगी ज्योतिजी ने निम्नलिखित प्रकार से दिया।
--------------------------------------------------
अचानक ज्योतिजी ने देखा --- आसमान से एक ज्योतिर्मय अथवा प्रकाशमय पदार्थ सहसा आविर्भूत होकर उनमें प्रवेश कर गया और प्रवेश करके उनकी सत्ता मे मिल गया। इसके बाद उनमे एक अद्भुत परिवर्तन का भाव दिखाई देने लगा। एक अवर्णनीय आनन्द और उल्लास ने उनकी समग्र सत्ता को व्याप्त किया। उनकी अपनी सत्ता जिसका आश्रय लेकर वे हमेशा अपने को " मैं " के रूप मे प्रयोग करते रहे , वह मानो लुप्त हो गया।
इस व्यक्तिगत ' अह्मत्व ' के लोप के साथ - साथ उनके ह्रदय में एक अद्भुत अनुभूति का आविर्भाव हुआ , जिसका वर्णन भाषा जरिये नहीं किया जा सकता। उस वक्त उनकी दृष्टि जिधर पड़ी , उधर देखने लगे , जैसे मैं ही वहाँ हूँ। पशु , पक्षी , कीट , पतंग , वृक्ष ,लता जिस किसी पदार्थ की ओर उनकी निगाहें जातीं , उसी पदार्थ को वह अपना स्वरुप समझते थे। अपना व्यक्तिगत " मैं " के तिरोहित हो जाने के बाद वह " मैं " (आत्म ) का भाव जगत की प्रत्येक वस्तु का अबलम्बन करते हुए आत्मप्रकाश करने लगा। तब वे देखने लगे जैसे एक " मैं " (आत्मा ) ही अनन्त "मैं "(आत्मा) के रूप मैं पशु , पक्षी, लता , पत्ते आदि का आकार लेकर प्रकट हुए हैं।
इस प्रकार अपने को अपने अनन्त भावों मै देख पाने पर उनमे अपूर्व आनन्द का उल्लास उद्वेलित होने लगा।
उस समय मंदिर मैं एक बिल्ली मौजूद थी , शायद वह बिल्ली देवता के भोग के लिए रखे दूध के आकर्षण से वहाँ आयी थी। बिल्ली की ओर दृष्टि -- निक्षेप करने के साथ ही - बिल्ली ही वे हैं , "मैं ही बिल्ली हूँ " यह अनुभूति उनमे उत्पन्न हुई। एक क्षण के लिए वे सोचने लगे की शायद यह अनुभूति उनके मस्तिष्क के विकार का फल है। यह अनुभव करते ही वे उस बिल्ली को पकड़ने के लिए बढ़े। बिल्ली को स्पर्श करने के साथ ही वे फिर बिल्ली को
Jai Gurudev!🙏🌹
Jai sree guru dev jaidada guru dev kotikoti pranam 👍👍👍🎉🎉
जय गुरुदेव
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Gurudev
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai shree gurudev
Jai dada gurudev
Jai Kalki Avatar
जय गुरुदेव!🙏
जय सद्गुरुदेव!🌹🌹🙏🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Gurudev
Jai gurudev ji ki
Jai Gurudev
Jai gurudev 🙏💐 jai dada gurudev 🙏🙏💐
जय गुरुदेव!🙏🌹
Jai gurudev 🙏🙏🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
🌺Jai gurudev jai dada gurudev 🌺
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌿🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय गुरुदेव!🌹🙏
जय गरुदेव
जय गुरुदेव! 🌹🙏
JAY GURU DEV
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai Shree gurudev ji jai Shree dada gurudev ji.
Jai Gurudev!🙏🌹
Jai gurudev ramlala ji ki
Jai Gurudev!🌹🙏
🙏🌷🌼🕉श्री गंगाईनाथाय नमः 🙏🌷🌼🕉श्री सद्गुरु देवाय नमः 🙏🌷🌼
Jai Gurudev!🌹🙏
Jay shree Gurudev siyag 💐🙏👏💕
जय गुरुदेव !🙏🏻🌹
Jai Jai sadgurudev
Jai Gurudev! 🙏🌹
Jay gurudev 🙏
जय गुरुदेव! 🌹🙏
Jai jai jai sadgurudev ji ki
Jai Gurudev! 🌹🙏