Bulldozer justice: justice or miscarriage of justice?: a talk with Anish Ankur, cultural activist

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  • Опубликовано: 3 фев 2025

Комментарии • 16

  • @omprakashrai3042
    @omprakashrai3042 3 месяца назад

    Bahut Achchha.
    🙏🌹

    • @vyasji3758
      @vyasji3758  3 месяца назад

      धन्यवाद 🎉

  • @ashokkumarsharma1425
    @ashokkumarsharma1425 3 месяца назад

    👏👏💐💐

  • @mohitdubey5915
    @mohitdubey5915 3 месяца назад

    सही कहा आपने सर 🙏

  • @anilprakash6703
    @anilprakash6703 3 месяца назад

    शे
    यर कर रहा हूं।

    • @vyasji3758
      @vyasji3758  3 месяца назад

      ख़ुशी हुई 🌹🌹🌹

  • @drvprakashpatna7751
    @drvprakashpatna7751 3 месяца назад

    Very pertinent interview. Congratulations.

    • @vyasji3758
      @vyasji3758  3 месяца назад

      Thank you so much for watching and appreciation! 🌹🌹🌹

  • @AmanKumar-uo4fj
    @AmanKumar-uo4fj 3 месяца назад

    Very nice and Good luckiest Sir

  • @birendranarayanjha8526
    @birendranarayanjha8526 3 месяца назад

    आप दोनों को सुनना सुखद रहा और जेसीबी संस्कृति के संबंध में आपकी सोच और आपके नजरिए को जाना। कुल मिलाकर अनीस अंकुर का यह साक्षात्कार एक बेहतर विमर्श बन गया जो बड़ी तफसील से जेसीबी से उपजे हालातों को उकेरता है।
    हाँ, यह विमर्श तब और संतुलित होता जब भिन्न विचार वाले भी आपके साथ मौजूद होते और अपनी बात गहराई से रखते।
    वैसे, अनीस अंकुर जी को अच्छी तरह जानत हूँ, बड़े ही मानवीय और अपने विचार और कर्म में ईमानदार और निष्ठावान हैं। आपको बेशक खूब करीब से जनता ही हूँ। आपकी चिंता वाजिब ही नहीं है, मानवीय है। लेकिन दूसरे पक्ष को भी जानना-समझना आवश्यक है, जब कि हम एक खास विचारधारा (राजनीतिक) के पोषक-समर्थक हों।
    इस विमर्श के लिए आप सब का बहुत-बहुत शुक्रिया❤

    • @vyasji3758
      @vyasji3758  3 месяца назад

      दूसरा पक्ष तो उप्र, मप्र, आसाम या गुजरात के संबंधित अफ़सर या मंत्री ही हो सकते थे न वीरेंद्र जी! ध्यान रहे, क़ानून हर राज्य का समान हैं और सत्ता तथा प्रशासन को क़ानून के अनुसार ही काम करना होता है । क़ानून प्राकृतिक न्याय एवं संविधान के सिद्धांतों के विपरीत नहीं हो सकता । संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार क़ानूनी प्रक्रिया just and proper होनी चाहिए, arbitrary नहीं । सुनवाई का पर्याप्त अवसर देकर अंतिम आदेश पारित किया जाना चाहिए । स्पष्ट है कि जो सत्ता और प्रशासन इन प्रदेशों में बुलडोज़र से घर ढाह दे रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रक्रिया पर गंभीर टिप्पणी की है। अब यदि उन्हीं से कोई बात आप करेंगे तो वे अपनी कार्रवाई को येन-केन-प्रकारेण न्याय संगत ठहराने के अलावा दूसरा कुछ तो कहेंगे नहीं! तो दूसरे पक्ष से बात करने का मतलब होगा, बेवजह का विवाद । क्या आप चाहते हैं कि बे वजह का विवाद पैदा किया जाए? 😌😌😌😊😊😊

  • @kulbhushangopal6225
    @kulbhushangopal6225 3 месяца назад

    बढ़िया विमर्श

    • @vyasji3758
      @vyasji3758  3 месяца назад

      धन्यवाद 🌹