श्रीशुक्लयजुर्वेदीय श्रीरुद्राष्टाध्यायीपाठ: | Shrī Shuklayajurvedīya Shrirudrāshtādhyāyīpāthaha |
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- Опубликовано: 18 апр 2020
- Let us faithfully recite or listen to this Rudrashtadhyayi sung by the Sandipani Rishikumars under the inspiration of a Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza.
पूज्य भाईश्री रमेशभाई ओझाजी के मार्गदर्शन में सांदीपनि के ऋषिकुमारों के स्वर में श्रीशुक्लयजुर्वेद की माध्यन्दिनी शाखा अंतर्गत षडंगन्यास-विधिपूर्वक श्रीरुद्राष्टाध्यायी का संपूर्ण पाठ यहाँ प्रस्तुत है। जिसका रिकार्डिंग भी ऋषिकुमार के द्वारा सान्दीपनि में ही हुआ है। भगवान आशुतोष हम सभी का कल्याण करे इस भाव से हम सभी इस श्री रुद्राष्टाध्यायी का श्रद्धापूर्वक पाठ करें, श्रवण करें।
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हर हर महादेव जय बाबा भोलेनाथ
बहुत सुन्दर वेदपाठ है
सटीक उच्चारण सहित रुद्राष्टाध्यायि
हर हरमहादेव
हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव
હર હર મહાદેવ. અતિ સુંદર ૐ નમઃ શિવાય.
जय जय जय श्री आशुतोष महाराज जी की जय हो सदा
जय जय जय श्री महाकाल सरकार जी की जय
श्री परम पूजनीय श्री आचार्य जी के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 बहुत बहुत सुंदर बड़ी सरलता सहजता से रुद्राष्टाध्याई का अनुपात किया बहुत ही अच्छा बहुत ही आनंद आया श्री सदगुरू देव भगवान के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
हर हर महादेव
भाई जी को कोटि कोटि प्रणाम अत्युत्तम उच्चारण सुना आत्मानंद प्राप्त हुआ सभी वेदपाठियों को पुनः ह्रदय से प्रणाम
Har har mahadev
हर हर महादेव !
सावन की पावन मंगलकामनायें !
सावन माह बाबा भोले नाथ की अराधना का सर्वश्रेष्ठ मास है. वेदों में भोले नाथ को रूद्र कहा गया है. ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि वे दैहिक, दैविक और भौतिक दुखों का नाश करते हैं।
वेद सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, वेद: शिव: शिवो वेद: यानी वेद शिव हैं और शिव वेद हैं। अर्थात शिव वेदस्वरूप हैं। इसके साथ ही वेद को भगवान सदाशिव का नि:श्वास बताते हुए उनकी स्तुति में कहा गया है - यस्य नि:श्वसितं वेदायो वेदेभ्योखिलं जगत्. निर्ममे तमहं वंदे विद्यातीर्थमहेश्वरम्। अर्थात वेद जिनके नि:श्वास हैं, जिन्होंने वेदों के माध्यम से संपूर्ण सृष्टि की रचना की है और जो समस्त विद्याओं के तीर्थ हैं, ऐसे देवों के देव 'महादेव' की मैं वंदना करता हूं। सनातन संस्कृति में वेदों की तरह शिव जी को भी अनादि कहा गया है।
वेदों में साम्ब सदाशिव को रुद्र नाम से पुकारा गया है। शिवजी को रुद्र इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ये रुत अर्थात दुख को दूर कर देते हैं। जो दैहिक, दैविक और भौतिक दुखों का नाश करते हैं, वे रुद्र हैं। इसीलिए उन्होंने त्रिशूल धारण किया है। रुद्रहृदयोपनिषद कहता है, सर्वदेवात्मको रुद्र: अर्थात रुद्र सर्वदेवमय हैं। अथर्व शिखोपनिषद भी इसका समर्थन करता है - रुद्रो वै सर्वा देवता: अर्थात रुद्र समस्त देवताओं का स्वरूप हैं। यजुर्वेद के रुद्राध्याय में रुद्रोपासना का विधान मिलता है। इसमें रुद्र शब्द के सौ पर्यायवाची नामों का उल्लेख होने से इसे शतरुद्री भी कहते हैं। माना जाता है कि शतरुद्री के माहात्म्य का उपदेश महर्षि याज्ञवल्क्य ने राजा जनक को दिया था। श्वेताश्वतरोपनिषदके अनुसार, महाप्रलय के समय एकमात्र रुद्र ही विद्यमान रहते हैं। श्रुतियों से यह तथ्य विदित होता है कि रुद्र ही परमपुरुष यानी आदिदेव साकार बहमा हैं, जिनके द्वारा ही सृष्टि की रचना, पालन और संहार होता है। ब्रहमा, विष्णु और महेश इनकी त्रिमूर्ति हैं।
रुद्र का परिचय शास्त्रों में इस प्रकार भी दिया गया है - अशुभं द्रावयन् रुद्रो यज्जाहार पुनर्भवम्। तत: स्मृताभिधो रुद्रशब्देनात्राभिधीयते।। अर्थात जो प्राणी जीवनकाल में सब अनिष्टों को दूर करते हैं और शरीर त्यागने पर मुक्ति प्रदान करते हैं, वे सदाशिव रुद्र के नाम से जाने जाते हैं। इसी कारण दुखों-कष्टों से मुक्ति तथा सद्गति प्राप्त करने के उद्देश्य से मनुष्य रुद्रोपासना करता आया है।
रुद्र को अभिषेकप्रिय: रुद्र: कहा गया है, यानी उन्हें अभिषेक पसंद है। इसीलिए सावन के महीने में रुद्र का अभिषेक किया जाता है। सामान्यत: लोग जल द्वारा अभिषेक करते हैं, तो सामर्थ्यवान दूध, दही, शहद आदि विभिन्न द्रव्यों से उनका अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से उत्पन्न विष को जनकल्याण के लिए पिया था, तब इंद्र ने शीतलता देने के लिए वर्षा की थी, इसी कारण श्रावण मास में शिव जी को जल अर्पित करने की परंपरा शुरू हुइ।
भगवान शंकर की शक्ति 'पार्वती' पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। हमने पर्वतीय क्षेत्र को जो क्षति पहुंचाई है, उसके विनाशकारी परिणाम दिखाई देते हैं। इसलिए हमें हिमालय की पवित्रता बनाए रखने का संकल्प इस सावन में लेना चाहिए, तभी शिवार्चन सफल हो सकेगा और शिव हमेशा कल्याणकारी होंगे।
मेरे मन में अवस्थित मानस गुरु भाई श्री के श्री चरणों में दंडवत।
Har har Mahadev Jay Shiv Shankar
❤❤❤बेदंं् ॐजयॐ कारा हरहरहरहरहर माहादेव पर्वतिपते माहादेव ॐजयॐ सोमनाथ नमः नमः ॐ ❤🕉️🕉️🕉️🕉️ नमः नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः नमोस्तुते नमोस्तुते नमोस्तुते नमः नमः ❤❤❤❤❤
हर हर महादेव शिव शम्भू जय श्री महाकाल महाराज आपकी जय जय कार हों श्री सांचे दरबार की जय हो।
परमपूज्यपाद सन्त वीणापाणि के वरद पुत्र विद्वत्प्रवर श्री श्री रामेशभाईओझाई के चरणारविन्द में कोटि कोटि प्रणाम
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Har Har Mahadev
Har har Mahadev
Har har mahadev 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः ॐ नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय
ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय ऊं नमो शिवाय
HAR HAR MAHADEV
Love
Om namah shivaya Om Shanti Om namah shivaya 🙏🙏
ॐ करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वाऽपराधम। विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शंभो।।🌹🌷🌻🌼🍀🌙🍏🍊🍎🍐🌿🍁🌸🌺🚩🔔🙏😊
Koti Koti shiva
Se bada ne koi
Sab pura world ka janma data
Sab ka guru shiva
Mahadeva ha
जय श्री महादेव
Jay bhole nath
हर हर महादेव शंभो
Jai shree gaumata ki jai ho jai shree ganesh jai shree Radhe jai shree krishna 💚 jai shree Ram 💚 jai shree SitaRam 💚 jai shree Ram 💚 Bhakt Hanuman 💚 ki jai ho jai shree ganesh jai shree Radhe jai shree krishna 💚
Hàr har Mahadev
प्रणाम गुरु जी आपकी और आपकी अति उत्तम सुंदर रुद्री
जय हो आपकी जय सीताराम
H ar har mahadev
Har har mahadev Jay ho bolenath ki
.Namaskar. Prabhu. Jay. Jay. Shri. Sharanagat. Vatsal. Bhagvan. Shri. Uma Shankarayah. Namo. Namah. Sharanagato asmi. Prabhu. Rakshh. Maam. Jay. Jay. Namskar.
Jai ho guru ji
Om nam shivay
Har Har Mahadev Om Namah Shivaya Har Har Mahadev
Jai shree sitaram
Mahadev
Om Nmah Shivay
Very. Great. Shiv. Rudra path
Shrimali shiromani guru dev naman
Om namah shivay
Bhai Shree k charno m koti koti namn🙌
ॐ नमः शिवाय हर हर महादेव
ॐ नमः शिवाय 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯🔯
Om namah shivayay acharyagano ko pranam bholenath sabhi ka kalyan karenge
जय सियाराम
Om namey Shiva
तन्मे मनःशिव संकल्पमस्तु
ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ॥
आप के चरणों में नमन नमो ब्राम्हण देवा या नमो नमः जय सनातन धारियों की
Jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai jai 🎸🎸🪕🪕🎻🎻🪘🪘🥁🥁🪗🪗🎤🎤🎷🎷🎺🎺🖼️🖼️⛳⛳🎏🎏🏡🏡🏘️🏘️🏝️🏝️🌃🌃🏠🏠🏚️🏚️🛤️🛤️🛣️🛣️🏝️🏝️🏝️
ooommmmmm nama shivaya
Ma saraswati aap ke kant me birajti he me aap ke sabhi vidio dekhta hu
🌷☀शम्भो 🌷☀
भाई श्री को कोटि कोटि प्रणाम जैसी कृपा महादेव की आप पर है वैसी कृपा हम सब पर भी ही अति सुन्दर भजन एवं पाठ हर हर महादेव 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
pklp/ram
7:58
Best adhytma path
हर हर हर महादेव
💐💐🙏💐💐 हर हर महादेव
Har har mahadev 🌺🌺🌺🌺🙏🙏🙏
भाईश्री सादर प्रणाम
🙏🙏
Jai ho,,bahut bada prayas
Jai Dwarikadhish. Shri Hari.
Om namh baghvty rudrh shiv sadha shivay !
NAMSKAR NAMSKAR. PRABHU. Jay jay. Shri. Bhakta. Vatsal. Bhagvan. Shiv. NAMSKAR
Har har Mahadev 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय जयकार हो बाबा की.......
OM KHAM BRAHM OM AUM OM HAR HAR Mahadev OM AUM OM
Om Namah shivaya.
औम नमः शिवाय
अति सुन्दरम, ॐ नमः शिवाय ,
कोई शब्द ही नही है-?
हमारी वैदिक ज्योतिष चार्य एवं संस्कृति को नमस्कार
HAR HAR MAHADEV . Pujya Bhai Shri ko sadar Pranaam
सुंदरस्य किम् सुंदरम्
बहुत ही लयबद्ध पाठ
....शिव संकल्पमस्तु । नमः शिवाय ।।
नारायणं।
Om nmah shiway 🙏🙏🙏
पंपू भाई श्री के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री शचिदानन्द भगवान
🎉❤har har Mahadev ❤🎉
5:24 अथ प्रथमोऽध्यायः
Hot se Sanskrit tha loktak Roy rahe hain to aap Dil Se mansure ne yah Baat gakar Samanya Logon Ko protsahit Kar Diya Bhagwat Shastri dhanyvad
Srikaantt sataannt charankamlebhyouinnmahhh
Bhavaninshankarouin
ShraddhavishvasRupinoun
Jai
Sataaaaannt
Jay gurudev Pranam guruji 🙏🙏🪷🪷 Jay Bholenath ke jay
Jay mahadev
हर हर महादेव जी
Har har har Mahadev
Ramramji
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमो राघवाय 🙏🙏 जयश्री सीता राम 👌👌 सुप्रभात 🙏🙏 बहुत बहुत अच्छा 👌👌 प्रणाम 🙏🙏
ऊं नम शिवाय
Wa.wa.good.
Tem.job om.om
ऊँ शिव शरणम् गच्छामि
Mare Karna trupta thayaji.
JAI JAI SAMBASHIVAY
अत्युत्तमः
Har Har Mahadev ki Jai
Sadhuvad
सुन्दर प्रस्तुति
अध्याय के अंत में इति का उच्चारण वर्जित करने की किरपा की जाय
ॐ।
जय हो।