Amir Khusro | Life & Work | Documentary | Part 2

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  • Опубликовано: 26 окт 2024

Комментарии • 8

  • @himashriable
    @himashriable 4 года назад +4

    Such a beautiful programme . thanks Prasar Bharati

  • @saofficials8742
    @saofficials8742 11 месяцев назад +1

    Tasawwuf ashiqon ki duniya hai , jisme badshah aur faqir me koi farq nahi hota... Usme sab ek hai...

  • @yoge_m20
    @yoge_m20 2 года назад +3

    Amir khusro is great mahatma

  • @Learn_compassion
    @Learn_compassion 10 месяцев назад

    Bhut accha documentary tha ❤

  • @ashishpandey3804
    @ashishpandey3804 4 года назад +5

    I am the first to watch this 😁😁😀🙏🙏😁

  • @PISHACHINEE
    @PISHACHINEE Год назад

    1 राग यमन, राग कल्याण के नाम से पहले से ही मौजूद था
    2 तबला भज की गुफा पुणे मे 5वी सदी के पेंटिंग मे चित्रित हैं जबकि खुसरो 1300 ई मे आये
    3 सितार सेन राजवंश मे पहले से ही बजाया जाता था
    4 ख्याल गायकी को ध्रुपद गायक अपनी बेज़्ज़ती मानते थे और इसे छोटा (बच्चा) मान के नही गाते थे क्योंकि इसमे जल्दबाज़ी थी जबकि संगीत( ध्रुपद) स्थिरता का विषय हैं और खुसरो इसी कला मे पारंगत थे और उन्हे इसका जनक मान लिया गया
    इन सारो का श्रेय अमीर खुशरू को बिना सोचे समझे दे दिया गया.. निश्चित ही वो अच्छे कलाकार थे जिन्होंने मुस्लिमो के बीच दरबार आदि मे इसको प्रशिध्द किया क्योंकि संगीत कुरान मे बैन हैं इसीलिए मुस्लिम इतिहसकारो ने उन्हे इसका जनक मान लिया क्योंकि उन्हे संगीत का पहला स्पर्श खुसरो ने ही करवाया..वही खुसरो एक गायक वादक और रचयिता थे जिन्होने 1 छाप तिलक सब छिन 2 काहे को बयाही विदेश बाबुल मोर ..जैसे रचना किये वही मुस्लिमो मे संगीत का पहला ज्योत जलाया वि भी कुरान मे वर्णन के बाद भी वही उनके कुछ नकारात्मक कार्य भी है जैसे मरती राजपूत महिलाओ के जौहर के समय उनकी जिस्म की सौंदर्य का कामुक उल्लेख करना .. हिंदू धर्म की अतर्किक आलोचना आदि