स्त्री का सबसे बेहतर रूप केवल माँ है:- दर्शनाचार्य कर्मवीर मेधार्थी जी

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  • Опубликовано: 28 ноя 2024

Комментарии • 19

  • @OnkaralalPatidar-er8kv
    @OnkaralalPatidar-er8kv 7 месяцев назад +1

    Bahut hi Sundar Vyakhya Jay Sanatan Jay aryavrat

  • @madanlal-mf6fo
    @madanlal-mf6fo 2 года назад +4

    परम आदरणीय आचार्य कर्मवीर जी सादर नमस्कार 🙏।
    उल्लेखनीय है कि महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों को देश में प्रसारित व प्रचारित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।। आयुष्मान
    और यशस्वी बने।। धन्यवाद।

  • @Geetanjali7879
    @Geetanjali7879 2 года назад +2

    बहुत ही अच्छा लगा धन्यवाद आचार्यजी🙏🕉️🙏

  • @anitameena7939
    @anitameena7939 7 месяцев назад

    बहुत ही सुंदर प्रवचन बहुत बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

  • @vaibhavinain737
    @vaibhavinain737 2 года назад +5

    कोटि कोटि नमस्कार आचार्य जी आप जैसे महापुरुषों के इस समाज को बहुत जरूरत है

  • @sonusaini3101
    @sonusaini3101 2 года назад +1

    Aacharya karmveer Mein Dharti ko Sadar namaste Gurukul Malhar Nath

  • @vinita2004
    @vinita2004 2 года назад +1

    Bahut sunder aacharya ji 🙏

  • @kapilnehra6951
    @kapilnehra6951 2 года назад +1

    अति सुन्दर विचार जी

  • @rajinderchopra4425
    @rajinderchopra4425 2 года назад +1

    Koti Koti Naman 🕉🕉🕉🙏🙏🙏dhanywaad

  • @jawansingh6775
    @jawansingh6775 2 года назад +1

    जयश्री,गुरुदेव,केश्रीचरणो,मेसत,सतनमन

  • @jagvirj1686
    @jagvirj1686 2 года назад +1

    बहुत ही सुंदर आचार्य जी 👍🙏

  • @surenderkumar-di4pw
    @surenderkumar-di4pw 2 года назад +1

    Acharya ji ati sundar 🙏🙏🙏

  • @satyavirarya5507
    @satyavirarya5507 Год назад +1

    Excellent

  • @YashKhokhar976
    @YashKhokhar976 Год назад

    Nameste aceharya ji 🙏🙏🙏👌👌👌👌

  • @sarvandhull3114
    @sarvandhull3114 2 года назад +1

    ओ३म नमस्ते जी🙏

  • @YOGESHKUMAR-cu9ed
    @YOGESHKUMAR-cu9ed Год назад +1

    उपाध्यायान्दशाचार्य आचार्याणां शतं पिता ।
    सहस्त्रं तु पितृन्माता, गौरवेणीतिरिच्यते ॥
    शब्दार्थ
    उपाध्यायन्= वेतनभोगी शिक्षक।
    आचार्यः = जिसके गुरुकुल में ब्रह्मचारी विद्या ग्रहण करते हैं।
    शतम्= सौ गुना।
    सहस्रम् = हजार गुना।
    गौरवेण= श्रेष्ठता में।
    अतिरिच्यते = श्रेष्ठ होती है।
    प्रसंग
    प्रस्तुत श्लोक में नारी के माता रूप के गौरव का वर्णन किया गया है।
    अन्वय
    दश उपाध्यायान् (अपेक्ष्य) आचार्यः, आचार्याणां शतं (अपेक्ष्य) पिता, सहस्रं पितृन् (अपेक्ष्य) तु माता गौरवेणे अतिरिच्यते।। व्याख्या-दस उपाध्यायों की अपेक्षा आचार्य श्रेष्ठ होता है। सौ आचार्यों की अपेक्षा पिता श्रेष्ठ होता है। हजार पिता की अपेक्षा माता श्रेष्ठ होती है। तात्पर्य यह है कि सबसे ऊँचा स्थान माता का, उसके पश्चात् पिता का, फिर आचार्य का और तत्पश्चात् उपाध्याय का मान्य होता है ।

  • @SumitKumar-gn8cf
    @SumitKumar-gn8cf 2 года назад +1

    🙏🙏🙏