पुलिस के खिलाफ नेताओं का, उनके रिश्तेदारों, और उनके चमचों का व्यवहार बहुत ही निंदनीय है, पुलिस कर्मचारी एक सरकारी कर्मचारी, अधिकारी होता है उसका सम्मान जरूरी है।
ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है नियम कानून के ऊपर वजनदारी दखलंदाजी वजनदारी हावी है सुनवाई का आधार जहाँ सोशल मीडिया की एक पोस्ट कार्यवाही का आधार बन जाती है वहीं जनसाधारण की वैधानिक शिकायतों की स्थिति अधिकार को भिक्षा जैसी है |
Bade adhikari netawo ke anusar kam kerte hai niyam ko kone me rakh ker jisse jo karamchari kam kerte hai unhe shirf unke nuksaan ke siva kuch nahi mil pata hai
मध्यप्रदेश मैं कानून व्यवस्था को शून्य हो गई है
राजनीति के के सामने नतमस्तक हो गया है
पुलिस के खिलाफ नेताओं का, उनके रिश्तेदारों, और उनके चमचों का व्यवहार बहुत ही निंदनीय है, पुलिस कर्मचारी एक सरकारी कर्मचारी, अधिकारी होता है उसका सम्मान जरूरी है।
कुछ समय बाद पुलिसगिरी खत्म हो जाएगी वह नेताओं की नेतागिरी चालू हो जाएगी फिर देश गुलाम होगा
@SupportMpPolice
राजनीति जनसेवा का माध्यम है बड़े आदर्शों की बातें होती हैं जनसेवा सर्वोपरि के कैसे आदर्श देखने आते हैं |
पुलिस के लच्छन ही ऐसे हो गए हैं इन्हे केवल पैसा दो और जचे जो करे
वरिष्ठ अधिकारी कर्मचारी की नहीं सुनते
जब जनता पिटेगी तो पुलिस भी खड़ी रहेगी बस
अब कहां गई पुलिस पर हाथ उठाने की सजा
वरिष्ठ अधिकारियों की चमचा गिरी के कारण है
जिस रामराज्य की बात की जा रही थी,क्या वो यही है।
सोयाबीन भाषान्तर भुगतान योजना मध्यप्रदेश २०१७ के बारे में समाचार प्रकाशित करे
ऐसी स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है नियम कानून के ऊपर वजनदारी दखलंदाजी वजनदारी हावी है सुनवाई का आधार जहाँ सोशल मीडिया की एक पोस्ट कार्यवाही का आधार बन जाती है वहीं जनसाधारण की वैधानिक शिकायतों की स्थिति अधिकार को भिक्षा जैसी है |
Bade adhikari netawo ke anusar kam kerte hai niyam ko kone me rakh ker jisse jo karamchari kam kerte hai unhe shirf unke nuksaan ke siva kuch nahi mil pata hai
Sir ye to samay chakr h.... police bhi to aam admi ke sath kesa vyavhar karti h.....am admi ki kahi koi ijjat nhi hoti ....