और रविवार के दिना राम सिया वन से लौट रहे राम सिया वन से लौट रहे और छाई खुशी अपार आकाश से फूल है बरस रहे मात ने तिलक संजोयो है मात ने तिलक संजोयो है चाहे कितनों भी है जाय बैर बखत सुध अपने की आवे 😢❤ अब सभी वार पूरे huye बहनों ❤😊
सोनी जी, जब दोनो मित्र कृष्ण जी और सुदामा जी गुरू संदीपन के यहा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब एक बार गुरूमाता ने दोनो लोगो को जंगल से भोजन पकाने हेतु लकङी लाने भेजा। गुरूमाता ने सुदामा जी को एक मुठ्ठी भुने चने दिये और कहा कि अगर जंगल मे तुम लोगो को भूख लगे तो ये चने खा लेना। जंगल मे सुदामा जी ने कृष्ण जी को पेङ पर लकङी तोङने के लिए ऊपर चङा दिया। और सुदामा जी खुद चुपके से चने खाने लगे। जब उनके दातो से आवाज आई तो पेङ पर चङे कृष्ण जी ने सुदामा जी से पूछा, भैया सुदामा, आप के दातो से कुछ खाने की आवाज आ रही है, हमको भी दो, हमे भी भूख लगी है। सुदामा जी ने कहा, नही भैया कृष्ण, सर्दी बहुत है.. इसलिए दात बज रहे है। अन्तर्यामी कृष्ण सब जानते थे.. उन्होने सुदामा को मन ही मन श्राप दिया कि हे मित्र.. मित्रता मे विश्वासघात के कारण तुम दाने दाने को भटकोगे और कंगाल हो जाएगे। वही प्रसंग इस भजन मे है। बाद मे जब कृष्ण जी द्वारका के राजा बने तब सुदामा जी तीन अंजुल तंदुल जो कि उनकी धर्मपत्नी सुशीला पङोसिन से मांग कर लाई थी, वो लेकर कृष्ण जी से भेंट करने जाते है तब भी सुदामा जी तंदुल छुपा लेते है लेकिन कृष्ण ने वह तंदुल छीन कर उसमे से दो अंजुल तंदुल खा लिए और वरदान मे दो लोको का राज सुदामा जी को दिया। इस तरह कंगाली दूर हुई।
@@oumkumarprajapati1841 में आपके इस कथन से सहमत हूँ कि उन्होंने उन चनो को श्री कृष्ण जी से छुपाया था लेकिन इस भजन मै तो चावल का जिक्र है चनो का नही दूसरी बात सुदामा श्री सुदामा जी भगवन श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे। वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान् ब्राह्मण थे। श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में हुई। सुदामा जी अपना जीवन यापन ब्राह्मण रीति के अनुसार भिक्षा मांग कर करते थे। वे एक निर्धन ब्राह्मण थे तथा भिक्षा के द्वारा कभी उनके परिवार (पत्नी तथा बच्चे) का पेट भरता तो कभी भूखे ही सोना पड़ता था। परन्तु फिर भी सुदामा इतने में ही संतुष्ट रहते और हरि भजन करते रहते | बाद में वे अपनी पत्नी के कहने पर सहायता के लिए द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के पास गए। परन्तु संकोचवश उन्होंने अपने मुख से श्री कृष्ण से कुछ नहीं माँगा | परन्तु श्री कृष्ण तो अन्तर्यामी हैं, उन्होंने भी सुदामा को खली हाथ ही विदा कर दिया। जब सुदामा जी अपने नगर पहुंचे तो उन्होंने पाया की उनकी टूटी-फूटी झोपडी के स्थान पर सुन्दर महल बना हुआ है तथा उनकी पत्नी और बच्चे सुन्दर, सजे-धजे वस्त्रो में सुशोभित हो रहे हैं। इस प्रकार श्री कृष्ण ने सुदामा जी की निर्धनता का हरण किया। ।श्री कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम:।। सुदामा को गरीबी क्यों मिली?- अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे। जितना धन उनके पास था किसी के पास नही था। लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे। आखिर क्यों ? एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी। भिच्छा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिच्छा में दो मुट्ठी चना मिले। कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा अब ये चने रात मे नही खाऊँगी प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर तब खाऊँगी। यह सोंचकर ब्राह्मणी चनों को कपडे में बाँधकर रख दिय। और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी। देखिये समय का खेल: कहते हैं - पुरुष बली नही होत है समय होत बलवान ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये। इधर उधर बहुत ढूँढा चोरों को वह चनों की बँधी पुटकी मिल गयी चोरों ने समझा इसमे सोने के सिक्के हैं इतने मे ब्राह्मणी जग गयी और शोर मचाने लगी। गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे। चोर वह पुटकी लेकर भगे। पकडे जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये। (संदीपन मुनि का आश्रम गाँव के निकट था जहाँ भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे) गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं चोर समझ गये कोई आ रहा है चोर डर गये और आश्रम से भगे ! भगते समय चोरों से वह पुटकी वहीं छूट गयी।और सारे चोर भग गये। इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब जाना ! कि उसकी चने की पुटकी चोर उठा ले गये। तो ब्राह्मणी ने श्राप दे दिया की ” मुझ दीनहीन असह।य के जो भी चने खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा ”। उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाडू लगाने लगी झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पुटकी मिली गुरु माता ने पुटकी खोल के देखी तो उसमे चने थे। सुदामा जी और कृष्ण भगवान जंगल से लकडी लाने जा रहे थे। (रोज की तरह ) गुरु माता ने वह चने की पुटकी सुदामा जी को दे दी। और कहा बेटा ! जब वन मे भूख लगे तो दोनो लोग यह चने खा लेना। सुदामा जी जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। ज्यों ही चने की पुटकी सुदामा जी ने हाथ मे लिया त्यों ही उन्हे सारा रहस्य मालुम हो गया। सुदामा जी ने सोंचा ! गुरु माता ने कहा है यह चने दोनो लोग बराबर बाँट के खाना। लेकिन ये चने अगर मैने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो सारी सृष्टि दरिद्र हो जायेगी। नही-नही मै ऐसा नही करुँगा मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा। मै ये चने स्वयं खा जाऊँगा लेकिन कृष्ण को नही खाने दूँगा। और सुदामा जी ने सारे चने खुद खा लिए। दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया। चने खाकर। लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नही दिया।
बहुत सुंदर भजन गाया अपने वेरी वेरी नाइस.🙏🙏👌👌👌👌👌
Gjbbbb
Bhut badiya
बहुत सुंदर बहन अपने चैनल में स्वागत करती हूं 🙏🙏 प्लीज
और रविवार के दिना राम सिया वन से लौट रहे राम सिया वन से लौट रहे
और छाई खुशी अपार आकाश से फूल है बरस रहे
मात ने तिलक संजोयो है मात ने तिलक संजोयो है
चाहे कितनों भी है जाय बैर बखत सुध अपने की आवे 😢❤
अब सभी वार पूरे huye बहनों ❤😊
Bahut sundar bhajan
👌👌👌🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐
Bahut Sundar bhajan
बहुत सुन्दर भजन सब आप के सब भजन मे यह भजन बहुत अच्छा है chammach wali aunty ismein lagta hai bimar hai
बहुत ही सुंदर भजन 👌🙏🎉☺️
Supar se upar
Super
Bohot sundar
❤❤❤ अति सुन्दर शिक्षा प्रद भजन प्रस्तुति
🎉🎉🎉🎉🎉bahut sundar Bhajan 😊
Very very nice bhajan
Bahut bahut badhiya bhajan
Bahut sundar bhajan
Nice anju didi 👌 👏 👍
बहुत अच्छा
भजन है लिरिक्स भी प्लीज
Ate sundar
बहुत अच्छा लगा भजन
बहुत सुंदर
Bahut sundar bhajan di
bahut hi achha bhjan sunayi thank you
bahuh hi sunder bhajn hai apne ise bahut achhe se gaya hai
Bhut sundar
Bahut Sundar👍👍
Gajb
Good
Bahut achha bhjan h didi
Aise hi new bhajan aur lekar aaye
Karam k. Mushkil bhajan lkn. Bahoot badhiya gaaya
Jay shri ram ki
Ati sundar bhjan h bhut acha h
Meri mummy ko ye bhajan bahut pasand aaya, nice bhajan
Like bhout sunder bhajan 👍👍👍👍👌👌👌💐
Like bhut sundr bhjn
Wah bauith hi sunder
नमो राघवाय जयसिय राम बहुत ही सुन्दर है
Bahut hi sunder Bhajan Gaya h meri bahno ram ram
Supar bahajan
बहुत ही सुंदर भजन गाया बहन आपने👌👌👌🌹🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏🌹🌹
Very good
Ati sunder di.
❤❤
Very good
bhot sundar nohre ka mining please bhot sundar Bhajan
Bht achha bhajan h or dholak bhi bht acchi bja rhi ho 🙏
Nice bhajan liriks daliye samchh nahi aaya
Very nice diii Radhe Radhe
Bahut achha hai. Ye. Bhajan👌
Bahut bahut bahut bahut bahut Sundar bhajan bahut Sundar awaaz bahut Sundar bahanon
बहुत सुंदर भजन
लेकिन मेरे मन में एक शंका है कि श्री कृष्ण जी ने सुदामा जी को कब श्राप दिया था
Acha ap shi se suno smjh aa jayega
@@drpriyankayadavyadav6037 ji achi trh se sunkr or smjh kr hi mne ye question kiya h
सोनी जी, जब दोनो मित्र कृष्ण जी और सुदामा जी गुरू संदीपन के यहा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब एक बार गुरूमाता ने दोनो लोगो को जंगल से भोजन पकाने हेतु लकङी लाने भेजा। गुरूमाता ने सुदामा जी को एक मुठ्ठी भुने चने दिये और कहा कि अगर जंगल मे तुम लोगो को भूख लगे तो ये चने खा लेना। जंगल मे सुदामा जी ने कृष्ण जी को पेङ पर लकङी तोङने के लिए ऊपर चङा दिया। और सुदामा जी खुद चुपके से चने खाने लगे। जब उनके दातो से आवाज आई तो पेङ पर चङे कृष्ण जी ने सुदामा जी से पूछा, भैया सुदामा, आप के दातो से कुछ खाने की आवाज आ रही है, हमको भी दो, हमे भी भूख लगी है।
सुदामा जी ने कहा, नही भैया कृष्ण, सर्दी बहुत है.. इसलिए दात बज रहे है।
अन्तर्यामी कृष्ण सब जानते थे.. उन्होने सुदामा को मन ही मन श्राप दिया कि हे मित्र.. मित्रता मे विश्वासघात के कारण तुम दाने दाने को भटकोगे और कंगाल हो जाएगे।
वही प्रसंग इस भजन मे है। बाद मे जब कृष्ण जी द्वारका के राजा बने तब सुदामा जी तीन अंजुल तंदुल जो कि उनकी धर्मपत्नी सुशीला पङोसिन से मांग कर लाई थी, वो लेकर कृष्ण जी से भेंट करने जाते है तब भी सुदामा जी तंदुल छुपा लेते है लेकिन कृष्ण ने वह तंदुल छीन कर उसमे से दो अंजुल तंदुल खा लिए और वरदान मे दो लोको का राज सुदामा जी को दिया। इस तरह कंगाली दूर हुई।
@@oumkumarprajapati1841 में आपके इस कथन से सहमत हूँ कि उन्होंने उन चनो को श्री कृष्ण जी से छुपाया था लेकिन इस भजन मै तो चावल का जिक्र है चनो का नही
दूसरी बात सुदामा
श्री सुदामा जी भगवन श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे। वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान् ब्राह्मण थे। श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में हुई। सुदामा जी अपना जीवन यापन ब्राह्मण रीति के अनुसार भिक्षा मांग कर करते थे। वे एक निर्धन ब्राह्मण थे तथा भिक्षा के द्वारा कभी उनके परिवार (पत्नी तथा बच्चे) का पेट भरता तो कभी भूखे ही सोना पड़ता था। परन्तु फिर भी सुदामा इतने में ही संतुष्ट रहते और हरि भजन करते रहते | बाद में वे अपनी पत्नी के कहने पर सहायता के लिए द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के पास गए। परन्तु संकोचवश उन्होंने अपने मुख से श्री कृष्ण से कुछ नहीं माँगा | परन्तु श्री कृष्ण तो अन्तर्यामी हैं, उन्होंने भी सुदामा को खली हाथ ही विदा कर दिया। जब सुदामा जी अपने नगर पहुंचे तो उन्होंने पाया की उनकी टूटी-फूटी झोपडी के स्थान पर सुन्दर महल बना हुआ है तथा उनकी पत्नी और बच्चे सुन्दर, सजे-धजे वस्त्रो में सुशोभित हो रहे हैं। इस प्रकार श्री कृष्ण ने सुदामा जी की निर्धनता का हरण किया।
।श्री कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम:।।
सुदामा को गरीबी क्यों मिली?- अगर अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो सुदामा जी बहुत धनवान थे। जितना धन उनके पास था किसी के पास नही था। लेकिन अगर भौतिक दृष्टि से देखा जाये तो सुदामाजी बहुत निर्धन थे। आखिर क्यों ? एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी। भिच्छा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिच्छा में दो मुट्ठी चना मिले। कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा अब ये चने रात मे नही खाऊँगी प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर तब खाऊँगी। यह सोंचकर ब्राह्मणी चनों को कपडे में बाँधकर रख दिय। और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी।
देखिये समय का खेल:
कहते हैं - पुरुष बली नही होत है समय होत बलवान
ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये। इधर उधर बहुत ढूँढा चोरों को वह चनों की बँधी पुटकी मिल गयी चोरों ने समझा इसमे सोने के सिक्के हैं इतने मे ब्राह्मणी जग गयी और शोर मचाने लगी। गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे। चोर वह पुटकी लेकर भगे। पकडे जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये। (संदीपन मुनि का आश्रम गाँव के निकट था जहाँ भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे)
गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं चोर समझ गये कोई आ रहा है चोर डर गये और आश्रम से भगे ! भगते समय चोरों से वह पुटकी वहीं छूट गयी।और सारे चोर भग गये।
इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब जाना ! कि उसकी चने की पुटकी चोर उठा ले गये। तो ब्राह्मणी ने श्राप दे दिया की ” मुझ दीनहीन असह।य के जो भी चने खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा ”।
उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाडू लगाने लगी झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पुटकी मिली गुरु माता ने पुटकी खोल के देखी तो उसमे चने थे। सुदामा जी और कृष्ण भगवान जंगल से लकडी लाने जा रहे थे। (रोज की तरह )
गुरु माता ने वह चने की पुटकी सुदामा जी को दे दी। और कहा बेटा ! जब वन मे भूख लगे तो दोनो लोग यह चने खा लेना। सुदामा जी जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। ज्यों ही चने की पुटकी सुदामा जी ने हाथ मे लिया त्यों ही उन्हे सारा रहस्य मालुम हो गया।
सुदामा जी ने सोंचा ! गुरु माता ने कहा है यह चने दोनो लोग बराबर बाँट के खाना। लेकिन ये चने अगर मैने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो सारी सृष्टि दरिद्र हो जायेगी। नही-नही मै ऐसा नही करुँगा मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जायें मै ऐसा कदापि नही करुँगा। मै ये चने स्वयं खा जाऊँगा लेकिन कृष्ण को नही खाने दूँगा।
और सुदामा जी ने सारे चने खुद खा लिए। दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया। चने खाकर। लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नही दिया।
@@mukulsoni3423 इस भजन को लेकर देना
Bhut Sundar bhajan ddi ☺️☺️☺️
मुन्दर🙏🙏
सबसे अच्छा सुपरहिट जय श्री राधे कृष्णा🚩🚩💐💐🌻🌻🌹🌺🌺🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Gjb 🌹🙏🏽🌹
soooo sweet
नमो राघवाय🙏🙏 जयश्रीसीताराम🙏🙏 बहुत ही अच्छा है👌👌 बहिन भजन आपका👍👍👌👌💯💯💯💯💯💯
Bhajan to bahut sundar h please likh kr dal do
Very nice bhajan
Sabse jayda Sunder bhajan...
Bahut sunder bhajan 🙏🙏
वेरी नाइस पर्सन दीदी बहुत-बहुत धन्यवाद
thank you🙏🙏😊
🙏🙏🙏👌👌
,🙏🙏
Nice
Very nice bhajan very good di
Thank you
ATI Sundar radhe radhe
Radhe Radhe
Nice bhjan anti ji ham toh aap k fan hogay ji bhjano k or Dholak bali anti ji ram ram ji ham ne aap k sare bhjan sune h ji
Itna achha bhajan h ,,,jo log like nhi kr skte h km s km dislike v na kre ,,,,
Radhe radhe
Rafbe Radhe
अति सुन्दर भजन । कृपया लिरिक भेंजें ।
👌👌👌👌👌
अमृत बेला बालो भजन बहुत सुन्दर है कॅम का लेख मिटे ना भाई लेकिन बीच मे समझ नही आया इसलिये लिरिक्स मे भेजैं आशारानी
Hindi me beje thnku
@@amanoberoi3842 😊😊😊😊
@@amanoberoi3842❤❤❤❤
Haa
Didi glt gana ga rhi dino ka dhyan rkha kro kab kya hua
👌👌👌👌👌👌👌👍
Vx
Bahin ye barahmasi bda kirtan sagar me milegi use dekhkar sahi gaye
6जगह
Jai jai maiyaa❤️❤️
अमृत बेला बालो भजन बहुत सुन्दर है लेकिन बीच मै समझ नही आया और सुदामा ने चावल नही चने छुपाए थे आशारानी
sorry but ham poori koshish kar rahe hai ki aapko sabhi bhajno ke lyrics provide karaye jaye aap ko lyrics dehatiheetmala.xyz website par mil jayenge
🙏🏻🙏🏻
🙏🙏
Nice👍👍👍👍 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
👌👌👌👌👌❤❤🙏🙏
Nice 🙏
Bahut hi Sundar
Good
Anti yaha pr kya bol rhi koun mahove mai sadi kr laya
🙌🙌🙌🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏radhe radhe anti
Swami adhar Chetan ji ki sad as gayi is bhajan ki sun kr
बहुत सुंदर 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Aap donon login ke bhajan kyon nahin a Rahi😊
Sanday ka din to aaya he nhi
🙏🙏🙏❤️❤️❤️👏👏👏👏👏🌷🌷🌷🌹🌹🌹🌹
,🙏🙏🙏🏻🌹🌹🌹very nice🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
V
👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻
Bahut hi sunder bhazan 👌👌pta nhi kitni baar sunn chuki hoon pr mn nhi bhrta 👍👍aapki awaj bahut hi achhi hai
👍👍🙏🌹🌹🙏👍👍
Most suspenseful bhajan
Jai Shri Ram