जी महाराज जी आप दोनों महाराज जी की वचन सुनकर बहुत अच्छा लगा वट महाराज जी वर्ण में दिये गये शूद्र शब्द का प्रयोग क्यों और कैसे ताड़ना शब्द आया ? विद्यार्थी पर वर्णन कहां से कर दिए ? वर्ण को बांटने में बहुजन समाज को शूद्र की कोटि में रखकर ताड़ने पर स्पष्ट विश्लेषण करना क्या उचित नहीं होगा ? क्या छुआछूत, भेदभाव शूद्र वर्ण व्यवस्था के साथ इस देश में नहीं हुआ और वर्तमान में नहीं है ? आज भी बहुजन समाज में जाति सुचक शब्द से ताड़ित किया जा रहा है कि नहीं ? गीता में वर्ण व्यवस्था बनाने वाले कौन थे जो ब्राह्मण राजपूत वैश्य और शूद्र में बांट कर फिर ढ़ोल गंवार शूद्र पशु नारी ये सब हैं ताड़ना के अधिकारी के जगह ये भी लिखा जा सकता था कि - वर्ण में ब्रह्मण राजपूत वैश्य शूद्र पशु नारी ये सब हैं ताड़ना के अधिकारी। कुछ तो भेद भाव रखा गया है इस लिए देश में उक्त वर्णित तथ्य पर चर्चा भांति भांति प्रकार से पक्ष और विरोध हो रही है। इस पर अपना मंतव्य महाराज जी स्पष्ट कर देशवासियों को छुआ छूत भेदभाव रहित सुगम सुलभ प्रेम मुहब्बत राष्ट्रीय हित में शब्दों का प्रयोग करें। जय बहुजन हिताय जय भारत 🇮🇳
अरे मौर्य ये बात तुम मत समझो ,क्युकी ये बात तुम्हे तुम्हारे माता पिता नही समझा पाए तो हम लोग की बात ना समझो तो जायदा बहतर है। तुम एक लंपट ,बियाभचारी हो
कुछ भी कहो कितनी भी सफाई दो पर सच्चाई ये है कि शूद्र नें बहुत कष्ट असुविधा अपमान भूख सही है। भारत में जाती भेदभाव बहुत हुआ है आज भी कुछ जगह छोटी जाती वालों को सामाजिक कुरीतियों के तहत बहुत सताया जाता है
स्वामी जी का रामायण की इस विवादास्पद चौपाई पर विश्लेषण बहुत ही सटीक और सार्थक लगता है। साथ ही हमारी सोच है कि संत तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में रामचरित मानस। की रचना की थी। इस दृष्टिकोण से ताड़ना एक देशज शब्द है जिसका अवधी में अर्थ मारने पीटने से नहीं अपितु लक्ष्य रखने से है अर्थात् ध्यान या देखभाल करने से है। संस्कृत और हिन्दी में ताड़ना शब्द का अर्थ मारने पीटने या प्रताड़ित करने से लिया जाता है। अब प्रश्न यह है कि पाठक यहां ताड़ना शब्द का अर्थ किस भाषा में लेता है, यह उनका अपना विषय है। हां भाषांतर होने से एक ही शब्द कहीं प्रेम तो कहीं गाली बन सकता है। ऐसा नहीं है कि इस पर शोर मचाने वाले को यह पता नहीं है लेकिन वे तो इसका दूरूपयोग कर समाज में विघटन पैदा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में दिलचस्पी रखते हैं।
एक बात ध्यान दिजिएगा जिस दिन आप लोग ताड़न शब्द का अर्थ शिक्षा, प्रेम, शब्दों का डिक्शनरी हिंदी या अंग्रेजी के क़िताब में दिखा देंगें उस दिन हम भी समझ जायेंगे
Shriman ji isiliye bolte hai ki Hindi vyakaran or Sanskrit vyakaran padhana bahut jaruri he, Hindi vyakaran me samanarthy shabd padhlo tadne ka matalab kya hota he, aapko pta chal jayega
इन शब्दों से पता चलता है की समुद्र के अनुसार सर्वश्रेष्ठ तीन जाति के पुरुष है और जो यह जाति के लोग बोलेंगे वही सबको सच मानना चाहिए शिक्षा भी उतना दो जितने में तीनो समाज का सेवा हो सके
बहुत सुंदर व्याख्या दोनों विद्वान हो तो पक्षियों को नमन समाज को सही दिशा यही है उनके लिए कुछ नहीं कहा जा सकता की शंकर और सिख अर्थात उनको समाज से दूर करने के लिए सिखाया गया है तैयार किया गया है
ये समुद्र व राम का सम्वाद मात्र मनोरंजन का नाटक है न की हकीकत आप स्वतः जो समझदार है यह उनके लिए नही है जो अंधभक्त है कही समुद्र मानव हो सकता है । ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@@SaurabhMishra-tg6or kitana pata hai gyani misra ji khud pahale padho manusmriti fir baad mein gyan batana auar tadan ka arth sabdo se hi aspast ho jata hai to yah mahapurush log tadan ka arth dekhana hota hai kaha se padhkar aate hai yah log sayad yah mahapurush log hame lagata hai khud ki kitab padhkar aaye honge ya apane mahapurusho ke
महाराज जी प्रणाम, आपको आद्योपांत सुना विवेचना भी समाधान युक्त है किन्तु मेरा मत है कि तुलसी दास जी ने तत्कालीन परिस्थितियों का यथार्थ ही चित्रित किया है वे महान संत थे अतः किसी के शत्रु या मित्र नहीं थे उनके ये वचन भी देखें, बिप्र निरक्षर लोलुप कामी , निराचार शठवृषली स्वामी, क्षत्रिय तनु धरि समर हटाना,कुल कलंक तेहि पामर आना आदि ्
दोनो महानुभाव बताये की पूर्ववर्ती संस्करणों में जो अर्थ लिखा था अब क्यों बदला समुद्र कभी बोलता है दोनों बातों को घुमाकर बेवकूफ बनाते हैं तुलसी का तात्पर्य ताड़ना ही था है।
महाराज श्री के मुखारविंद से श्रीराम चरित मानस में सप्रसंग वर्णित चौपाई की सविधि व्याख्या सुन कर हृदय गदगद हो गया, मानस मंत्रराज संहिता के अनुसार जिस किसी का आचरण पोषित हुआ जीवन सफल हुआ,नि:संदेह सत्य है वहीं जिस किसी की बुद्धि कलुषित, विकृत है त्रिविधितापित है रुग्ण है उसका उपचार तो धन्वंतरि गदहा (बैद्य) से भी संभव नहीं है। महाराज श्री के पावन चरणों में सादर प्रणाम ज्ञापित करता हूं।
A sant nahi h apani apani dukane bachane ki kosis kar rahe h larkiyon ko ghar ke bahar bhejoge to vah aajad ghumegi esliye mahila ghar me hi achchi lagati h 40 , 40 sal sadi hi nahi karati h magar 17, 18 sal ki umar me iasa tufan aata hia k jsame koe bach nahi sakata
हमको तो पढ़ने का अधिकार ही नहीं था। नारी को भी पढ़ने का अधिकार नहीं था। तुम्हारी सेवा सिर्फ पिछड़े लोग ही करें क्या बेटा अब हम तुम्हारे जाल में फसने वाले नहीं हैं अब हम पढ़ लिख गये। संविधान के। जय भीम जय संविधान।
भाई शूद्र का मतलब सेवक है भाषा की नजर से मत देखो आदमी पढ़ा लिखा हो या अनपढ वह सरकारी कर्मचारी बने या निजी कर्मचारी दिहाडी का काम करे या फिर कोई व्यापार क्या सेवक सेवा दिये बिना कोई कार्य सम्पन्न हो सकता है सोच बदलो नजर बदलो वरना पढने लिखने का क्या काम
@@partikkumar453 Shudra ki matalb Tumhare dhram ki tekhdar alag bata deta hai koi iskon ki amogh Lila Prabhu bolte hai shudra employee hote hai koi bolte hai shudra jo galt kam karte hai koi bolte hai shudra sevak hai ab tum batao kya cheez hai shudra ek hai ya phir teeno hai kya hai kya mazak bana rakha hai tumlog ne koi kuch bolte hai koi kuch koi tadna ko dekhna bolte hai koi marne koi kuch tumlog ye to khud canfuse ho ya tumlog dusro ko canfuse karte ho kya pata har dhran ki tekhdar yahi haal hai
यमक अलंकार का प्रयोग यह पर प्रभावहीन है क्यों कि ऐसा ही एक चौपाई इसके पहले है जिसका मतलब है केला के को कितना भी पानी दो फल नहीं देगा जब तक उसको काटोगे नहीं
इसका मतलब यह हुआ कि, वर्णित वर्ण के सभी जन को ही मात्र शिक्षा, प्रशिक्षण की जरूरत है, इस वर्ण में एक भी गॉड गिफ्टेड नहीं है और शेष वर्ण के लोगों को शिक्षा और प्रशिक्षण की कोई जरूरत ही नहीं है क्या?
ताड़ना' शब्द के हिन्दी पर्यायवाची शब्द हैं - प्रहार, आघात, भाँपना, ताड़न, चेतावनी, प्रताड़न, कनैठी, गोशमा 13:37 ली, पहचानना, भाँपना, तैराना, देखना (पंडित जी बातें बना रहे हैं) जय भीम
बीसपी वाले केवल वोट राजनीति का लाभ लेने के लिए ही हिन्दू संस्कृति के ग्रंथ की किसी भी एक अंश को लेकर आजकल अर्थ का अनर्थ निकालकर अपने ही समाज के अनपढ़ लोगों को गुमराह इसलिए करते रहते हैं क्योंकि उनने तो स्वयं हिन्दू ग्रंथों का पूर्ण स्वाध्याय तो किया नहीं औृर हिन्दी काव्य साहित्य में किसी दिये गये शब्दों के कितने और अर्थ हो सकते हैं तथा उनके अर्थ किसी वस्तु ,पात्र,परिस्थिति ,के अनुसार बदले हुए अर्थों को जानना समझना भी चाहिए कि किन किन व्यक्ति के लिए किस शब्द का अर्थ क्या क्या हो सकते हैं इन सबको समझना आवश्यक है तभी हम किसी उक्ति का सही सही अर्थ निकाल सकते हैं ,अत:हमेशा किसी शब्द का अर्थ एक ही नहीं होता ,वरन् उस एक शब्द के कई अर्थ भी हो सकते हैं ।
Mhila khud hi apni shurkhsha kr skti hai kisi dusre ki jrurat nhi hoti hai kyoki jis kisi ka bhi barosha kregi vhi uska fayda uthayega or us pr fayde ke kiye jhutha ilzaam lgayega chahe guru ho ya sant ho koi bhi purush ho
अभी तक का सबसे सुंदर तरीके से समझाया डॉक्टर साहब ने🙏
Aap bhut gyani hai maharaj kaise dhyan me rakhte hai aapka jvab nhi koti koti naman. Mere tum hi krushn ho
" शिक्षा की आवश्यकता हर प्राणी को होती है,इन पांचों को ही नहीं आप दोनों को भी .|
Batmeez hindu darm ke vachankon ka apman kar raha hai to
जी महाराज जी आप दोनों महाराज जी की वचन सुनकर बहुत अच्छा लगा वट महाराज जी वर्ण में दिये गये शूद्र शब्द का प्रयोग क्यों और कैसे ताड़ना शब्द आया ? विद्यार्थी पर वर्णन कहां से कर दिए ? वर्ण को बांटने में बहुजन समाज को शूद्र की कोटि में रखकर ताड़ने पर स्पष्ट विश्लेषण करना क्या उचित नहीं होगा ? क्या छुआछूत, भेदभाव शूद्र वर्ण व्यवस्था के साथ इस देश में नहीं हुआ और वर्तमान में नहीं है ? आज भी बहुजन समाज में जाति सुचक शब्द से ताड़ित किया जा रहा है कि नहीं ? गीता में वर्ण व्यवस्था बनाने वाले कौन थे जो ब्राह्मण राजपूत वैश्य और शूद्र में बांट कर फिर ढ़ोल गंवार शूद्र पशु नारी ये सब हैं ताड़ना के अधिकारी के जगह ये भी लिखा जा सकता था कि - वर्ण में ब्रह्मण राजपूत वैश्य शूद्र पशु नारी ये सब हैं ताड़ना के अधिकारी। कुछ तो भेद भाव रखा गया है इस लिए देश में उक्त वर्णित तथ्य पर चर्चा भांति भांति प्रकार से पक्ष और विरोध हो रही है। इस पर अपना मंतव्य महाराज जी स्पष्ट कर देशवासियों को छुआ छूत भेदभाव रहित सुगम सुलभ प्रेम मुहब्बत राष्ट्रीय हित में शब्दों का प्रयोग करें। जय बहुजन हिताय जय भारत 🇮🇳
हिंदी का अध्ययन करें
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सत्यमुक्तम् त्वया नात्र मिथ्या किंचितयोदितम् भो द्वौ आचार्य प्रवर:। सादरं नमाम्यहम प्रणमाम्यहम्।। सादर जय जय श्री सीताराम
ठीक कहा भाई सत्यमुक्तम अर्थात सत्य से मुक्त है इन दोनों ढोंगी महानुभावों का यह अर्थ।
जी सर बहुत बहुत धन्यवाद चाहता हूं मेरे गुरुदेव को बार बार हजार बार मेरा प्रणाम है जैसे चाहिए मेरे गुरुजी को
इन दोनों हरिजन को बहुत बहुत बधाई मैं राजकुमार मौर्य उप हरदोई
अरे मौर्य ये बात तुम मत समझो ,क्युकी ये बात तुम्हे तुम्हारे माता पिता नही समझा पाए तो हम लोग की बात ना समझो तो जायदा बहतर है। तुम एक लंपट ,बियाभचारी हो
बहुत खूब😂
अपनी भाषा पर विचार कीजिए
@@MLYADAV-gv8llक्यों ये हरिजन नहीं हैं
@@Ashwanij20 tu hoga sale harijan 😡
ॐ जय श्री सीता राम ॐ
कुछ भी कहो कितनी भी सफाई दो पर सच्चाई ये है कि शूद्र नें बहुत कष्ट असुविधा अपमान भूख सही है। भारत में जाती भेदभाव बहुत हुआ है आज भी कुछ जगह छोटी जाती वालों को सामाजिक कुरीतियों के तहत बहुत सताया जाता है
बहुत सुंदर एवं ज्ञानवर्धक जानकारी
Pranam गुरुदेव
मैं डॉक्टर पाराशर जी की बात से सहमत हूं
Jugal Maharaj ji ke charno me koti koti pranam aur dandwat 🙏🙏🙏🙏🙏
Radhey radhey,,mere pujya mhRa6ji,,,bhut satik gyaan bya krrhe he....❤
पहली बार सुना है समुंद्र बोलता है क्या ज्ञान प्राप्त है
Tu bewkuf
Iska matlab tu nastik hai
तुम जैसे गधे को बेकार ही लगेगा 😀😀😀😀😀😀
𝙻𝚐𝚝𝚊 𝚑 𝚝𝚞𝚖 𝚙𝚊𝚐𝚕 𝚑...
Jab log educated hue to samudra bolna band kardiya😂
Dr.sahab apne bahut achcha samjaya guru jì shree Mann narayan ji ki Jai ho
Thanks excellently within Heartly Teaching Reaching entroduction very very nicely follows jai jai jai himachal
जय हो ,अति सुन्दर श्रीमन नारायण हरे -हरे
❤
जय श्री कृष्ण, बहुत सुन्दर महाराज जी
आज मजबूर हो गए हैं ये भाड़े के कथा वाचक.
वर्ण व्यवस्था पर चोट ज़रूरी है.
ये तो ऐसे कथा सुना रहे हैं जैसे इस देश में गैर बराबरी कभी नहीं थी.
Mast. He. Video. Guruji
स्वामी जी का रामायण की इस विवादास्पद चौपाई पर विश्लेषण बहुत ही सटीक और सार्थक लगता है।
साथ ही हमारी सोच है कि संत तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में रामचरित मानस। की रचना की थी। इस दृष्टिकोण से ताड़ना एक देशज शब्द है जिसका अवधी में अर्थ मारने पीटने से नहीं अपितु लक्ष्य रखने से है अर्थात् ध्यान या देखभाल करने से है। संस्कृत और हिन्दी में ताड़ना शब्द का अर्थ मारने पीटने या प्रताड़ित करने से लिया जाता है। अब प्रश्न यह है कि पाठक यहां ताड़ना शब्द का अर्थ किस भाषा में लेता है, यह उनका अपना विषय है। हां भाषांतर होने से एक ही शब्द कहीं प्रेम तो कहीं गाली बन सकता है।
ऐसा नहीं है कि इस पर शोर मचाने वाले को यह पता नहीं है लेकिन वे तो इसका दूरूपयोग कर समाज में विघटन पैदा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में दिलचस्पी रखते हैं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति आपको दिल से धन्यवाद देना चाहता हु ❤❤❤❤❤
आपके भाषा में तारण। का अर्थ शिक्षा है तो हमारे भाषा में शूद्र का अर्थ जीजा है। जय भीम जय mulnivasi
😂😂😂
😂😂 Right
😂😂 Right😅
एक बात ध्यान दिजिएगा जिस दिन आप लोग ताड़न शब्द का अर्थ शिक्षा, प्रेम, शब्दों का डिक्शनरी हिंदी या अंग्रेजी के क़िताब में दिखा देंगें उस दिन हम भी समझ जायेंगे
Shriman ji isiliye bolte hai ki Hindi vyakaran or Sanskrit vyakaran padhana bahut jaruri he, Hindi vyakaran me samanarthy shabd padhlo tadne ka matalab kya hota he, aapko pta chal jayega
बेटे तुम्हारी समझ में नहीं आ सकता, जो मानना है मानते रहो।
Jay sri ram aj hame bahut achha laga iska matlab sunna tha sun liya ham bhi kisi ko samjha sakte hai
हमारे दोनों महाराज जी को सोनू महाराज जी को हमारे दोनों महाराज जी को कोटि कोटि प्रणाम
काव्य की संरचना को चरण कहतेहैं
बहुत सुंदर ढंग से समझाया गुरुजी ने धन्यवाद
इन शब्दों से पता चलता है की समुद्र के अनुसार सर्वश्रेष्ठ तीन जाति के पुरुष है और जो यह जाति के लोग बोलेंगे वही सबको सच मानना चाहिए शिक्षा भी उतना दो जितने में तीनो समाज का सेवा हो सके
यदि ऐसा है तो उच्च पदों पर होने के बाद भी sc/st को मंदिरों में क्यों घुसने नही दिया जाता है कृपया एक विडियो जरुर दिखाएं
Suun Teri Sonch P Kuttey Mutey.Itni Budhi or Samjh Lene k Baad Tu Ye Baat Kah Raha Hai.
GOOD
केदारनाथ , बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री , हरिद्वार व त्रषिकेश आ जाइये
यहाँ पर जाति नहीं पूछी जाती है ।
गरूजी आपके वॉक सुनकरमुझको बहुतहीअच्छालगा मेरी अंतरात्मा में शीतलता आ गई गुरुजी को कोटि कोटि नमन,
जय हो गुरु महाराज की जय हो भितरवार वाले शास्त्री जी की
जय हो शुद्र महाराज आप दोनो को शुद्र मान लिया
Maharaj aaj aadmi bechaara hai.mhila nithur ho rhi hai.pl.bhulbjao pura time..aaj ladke jayada preshan hai..kanun ka durupyog ho rha hai
Wah kaya bistaar se samjhaya hai aapne, mann ki tsalli ho gaee Aaj(first time)❤❤
घुमा दिया आपने पडिंत जी
जय जय सियाराम।। गुरुजनों के चरणों में प्रणाम। बहुत ही सारगर्भित चर्चा रही। बहुत ही सरल और मार्मिक ढंग से समझाया गया है। धन्यवाद। जय सियाराम
महाराज जी अपने नाम के आगे सूत्र लगाओ तुम भी तो अपने गुरु के दास होना और सेवक होता शूद्र आप ही कह रहे हैं यह बात
सत्य एवं सटीक उत्तर महाराज जी सादर प्रणाम
Hare Krishna Hare Ram 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत सुंदर व्याख्या दोनों विद्वान हो तो पक्षियों को नमन समाज को सही दिशा यही है उनके लिए कुछ नहीं कहा जा सकता की शंकर और सिख अर्थात उनको समाज से दूर करने के लिए सिखाया गया है तैयार किया गया है
बात को कितना भी घुमाकर बताओ लेकिन सच्चाई जो है वो कभी भी छुपेगी नही ।
आर्यो का इतिहास पढ़कर देखो बात खुद मालूम हो जायेगी ।
Arya word kis kis ke liye use hota hai kripa karke samajhaeyega 🙏
Arya and Dravidian theory is false and without proof by Britishers to divide us ---- ambedkar said
ये समुद्र व राम का सम्वाद मात्र मनोरंजन का नाटक है न की हकीकत
आप स्वतः जो समझदार है यह उनके लिए नही है जो अंधभक्त है कही समुद्र मानव हो सकता है ।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
જયભીમ જયભીમ જયભીમ
जय श्री राधे🙏🙏
शब्दों को घुमाने का प्रयास लेकिन अब जनता जान चुकी है आप लोगों के पाखंड को
Ekdum sahi100%
@@SaurabhMishra-tg6or kitana pata hai gyani misra ji khud pahale padho manusmriti fir baad mein gyan batana auar tadan ka arth sabdo se hi aspast ho jata hai to yah mahapurush log tadan ka arth dekhana hota hai kaha se padhkar aate hai yah log sayad yah mahapurush log hame lagata hai khud ki kitab padhkar aaye honge ya apane mahapurusho ke
Ye gautam hokar pandit hokar bhi lanth hai pahle dekh bol kon raha hai jan pahle fir bolna
हमारा क्या उखाड लोगे।।
Right bhai
Bahut. Achha Jai sri Ramjee❤
कबीर sahib कहते हैं ईश्वर अंश जीव अविनाशी ना जाने पीव को ,बहुत समझाया लख चौरासी के जीव को
Kon he Kabir koi janta bhi he???
कबीर कौन है? जानना है तो भारत के बुद्धिजीवियों से पूछो. साधुओं का संग करो।
½⅖11¹q¹1⅖ ho Jo only@@Dharmacharyaduleshwarjimaharaj
ईश्वर अंश जीव अविनाशी ये कबीर दास जी का नहीं तुलसी दास जी का है
बेहतरीन चर्चा, धन्यवाद
सभी साधु संत अलग अलग अर्थ बताते हैं इसका मतलब तो यह गलत ही है सुधार होना चाहिए सही होता तो सब लोग एक ही अर्थ बताते हैं
इसीलिए तो कहते हैं कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से ज्ञानी व्यक्ति भक्त मेरी नजर में नहीं हुआ
राम और लक्ष्मण बिश्बामित्र का सेवक यानी शुद्र ही हैं।
महाराज जी प्रणाम, आपको आद्योपांत सुना विवेचना भी समाधान युक्त है किन्तु मेरा मत है कि तुलसी दास जी ने तत्कालीन परिस्थितियों का यथार्थ ही चित्रित किया है वे महान संत थे अतः किसी के शत्रु या मित्र नहीं थे उनके ये वचन भी देखें, बिप्र निरक्षर लोलुप कामी , निराचार शठवृषली स्वामी, क्षत्रिय तनु धरि समर हटाना,कुल कलंक तेहि पामर आना आदि
्
बहुत अच्छी तरीके से समझाया है महाराज जी ने
Bahut shundar samajhaya aap ne Maharaj ji Jai Sitaram.🙏🙏
दोनो महानुभाव बताये की
पूर्ववर्ती संस्करणों में जो अर्थ लिखा था अब क्यों बदला समुद्र कभी बोलता है दोनों बातों को घुमाकर बेवकूफ बनाते हैं तुलसी का तात्पर्य ताड़ना ही था है।
Ļ
अद्भुत व्याख्या। जय श्री राम
Om Jai Jai Siya Ram Ji 🙏🙏💐🌹💐
महाराज श्री के मुखारविंद से श्रीराम चरित मानस में सप्रसंग वर्णित चौपाई की सविधि व्याख्या सुन कर हृदय गदगद हो गया, मानस मंत्रराज संहिता के अनुसार जिस किसी का आचरण पोषित हुआ जीवन सफल हुआ,नि:संदेह सत्य है वहीं जिस किसी की बुद्धि कलुषित, विकृत है त्रिविधितापित है रुग्ण है उसका उपचार तो धन्वंतरि गदहा (बैद्य) से भी संभव नहीं है। महाराज श्री के पावन चरणों में सादर प्रणाम ज्ञापित करता हूं।
प्रणाम बहुत सुंदर अर्थ समझ में आया
ठाकुर जी की कृपा आप और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहें 🙏✨
बहुत सुन्दर ढङ्गसे स्पष्ट किया है ।
द्वय गुरुदेवमें सादर प्रणाम
Jio.nastik
काव्य कौशल की यह उत्कृष्ट व्याख्या है।
इससे बेहतरीन कोई अर्थ नही हो सकता।
दोनों संतों के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
A sant nahi h apani apani dukane bachane ki kosis kar rahe h larkiyon ko ghar ke bahar bhejoge to vah aajad ghumegi esliye mahila ghar me hi achchi lagati h 40 , 40 sal sadi hi nahi karati h magar 17, 18 sal ki umar me iasa tufan aata hia k jsame koe bach nahi sakata
ATI
Sunder hai
हमको तो पढ़ने का अधिकार ही नहीं था।
नारी को भी पढ़ने का अधिकार नहीं था।
तुम्हारी सेवा सिर्फ पिछड़े लोग ही करें क्या
बेटा अब हम तुम्हारे जाल में फसने वाले नहीं हैं
अब हम पढ़ लिख गये। संविधान के। जय भीम जय संविधान।
भाई शूद्र का मतलब सेवक है भाषा की नजर से मत देखो आदमी पढ़ा लिखा हो या अनपढ वह सरकारी कर्मचारी बने या निजी कर्मचारी दिहाडी का काम करे या फिर कोई व्यापार क्या सेवक सेवा दिये बिना कोई कार्य सम्पन्न हो सकता है सोच बदलो नजर बदलो वरना पढने लिखने का क्या काम
Bro yaha tulshdas ji ne is dohe me yamak alankar ka prayog kiya hai.😊😊😊
ढोगी पाखंडी बोलने केनाम की कमाईखाते है लिपा पोती बद करो जो तुम सफाई पेशकर रहे हो सब समझते हैं लोग इतने मूर्ख नही है जो तुम घूमारहे हो
@@partikkumar453 Shudra ki matalb Tumhare dhram ki tekhdar alag bata deta hai koi iskon ki amogh Lila Prabhu bolte hai shudra employee hote hai koi bolte hai shudra jo galt kam karte hai koi bolte hai shudra sevak hai ab tum batao kya cheez hai shudra ek hai ya phir teeno hai kya hai kya mazak bana rakha hai tumlog ne koi kuch bolte hai koi kuch koi tadna ko dekhna bolte hai koi marne koi kuch tumlog ye to khud canfuse ho ya tumlog dusro ko canfuse karte ho kya pata har dhran ki tekhdar yahi haal hai
यमक अलंकार का प्रयोग यह पर प्रभावहीन है
क्यों कि ऐसा ही एक चौपाई इसके पहले है जिसका मतलब है केला के को कितना भी पानी दो फल नहीं देगा जब तक उसको काटोगे नहीं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति सुपर
❤ Jai Jaikar
Usi ka gulam bnke
Usi se gulami karwana
Antim samy tak sath dena ya sath rhna
Or apne adhikar me rakhna
कुच भी कहो बात शूद्र पर ही आकर रुकती हैं क्या बात है चातुगिरी की
जयभीम
App budh apnao fir mulla banoge
Ye bhim kon hai ve
अब शूद्र खुद को मान ही बैठे हो तो हम भी प्रसन्न हैं बहुत अच्छे शावाश भाई तुम तो शूद्र ही रहो
अरे मूर्ख भगवान का पूजा छोड़ के जो मनुष्य का पूजा करता है उसका यही गति होता है तुम भीम का पूजा करते हो तो तुम इस पे नही बोलो तो ही अच्छा है
Y😂e बात बहुत गहराई की है,तुम्हारे लिए समझ नहीं आएगी चुटिया
Wah guruji, jai shri ramjiki
इसका मतलब यह हुआ कि, वर्णित वर्ण के सभी जन को ही मात्र शिक्षा, प्रशिक्षण की जरूरत है, इस वर्ण में एक भी गॉड गिफ्टेड नहीं है और शेष वर्ण के लोगों को शिक्षा और प्रशिक्षण की कोई जरूरत ही नहीं है क्या?
सही कहा आपने ने जी मेंरे मन बात कही यही सही अर्थ है जी
घायल की गति घायल ही जाने और न जाने कोई
जानबूझकर न समझने वालों को नही समझाया जा सकता
गुरदेव भगवान के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
नारी ताडन का अधिकारी तो तुलसी क्या अपनी माँ को बोल रहे हैं या फिर उन शुद्र को जो ऋषि मुनि हुए ..... ruclips.net/video/sQ2CYsqcPgI/видео.html
एक शब्द का एक ही श्लोक मे अनेक अर्थ कैसे ये पाखंडी बेबकूफ बना रहा है ये झूठ अधिक दिनो तक नही चल सकता है
@@ManojKumar-x4k2m पहले प्रमाण देखो फिर टिप्पणी
ताड़ना' शब्द के हिन्दी पर्यायवाची शब्द हैं - प्रहार, आघात, भाँपना, ताड़न, चेतावनी, प्रताड़न, कनैठी, गोशमा 13:37 ली, पहचानना, भाँपना, तैराना, देखना (पंडित जी बातें बना रहे हैं) जय भीम
प्रताणना का अर्थ क्या होता है
😂
Bahut.sundr.kha.aapne.hmare.swami.ji.ne.bhi.yhi.btayi.h.ki.in.pnacho.ko.prshichit.krne.ke.adhikari.hai.jay.sree.ram
बहुत सुंदर मर्मज्ञ कथा
जय श्री राम जय गुरुदेव
ये लच्छन सभी में होते है और सभी शूद्र है
Lekin Jo sudr hoga usko jaroor is line Sai dikkat hogi sahi baat to ye hai
Lekin lekin hathi par betha hua bhikari kabhi Raja nahi ban sakta
बिलकुल सही अर्थ बताए। आज मैं धन्य हो गया। ।।रामप्यारे कुशवाहा।।
अंधे इस का सीधा अर्थ है कि ढोल को
पीटोगे तभी आवाज आती है। ऐसा ही अर्थ है।
अनपढ़ गंवार समुद्र क्या बोलता है।
हां ताड़ना अर्थ मारना होता है ।
Jay Shree Krishna 🚩🙏🙏🚩
Guru ke charanon mein koti koti vandan agar yahi Satya hai to Bharat mein lagu Karen Jay Shri
महाराज की जय हो
तो फिर गीता प्रेस गोरखपुर वालों ने ताड़ना की जगह शिक्षा क्यो लिख दिया। तो क्या इनके शिक्षा हेतु सभी के लिए अलग-अलग स्कूल खोलने की जरूरत है।
गुरू जी अनुसार शिक्षा विभाग को ताड़न विभाग कर देना चाहिए।
पशु किस स्कूल में पढाये जाते थे या पढाये जाते हैं ढोल कहाँ पढाये जाते हैं
@@sarveshkumaryadav1153hj hmm fb ††
लिखवाया गया है
बीसपी वाले केवल वोट राजनीति का लाभ लेने के लिए ही हिन्दू संस्कृति के ग्रंथ की किसी भी एक अंश को लेकर आजकल अर्थ का अनर्थ निकालकर अपने ही समाज के अनपढ़ लोगों को गुमराह इसलिए करते रहते हैं क्योंकि उनने तो स्वयं हिन्दू ग्रंथों का पूर्ण स्वाध्याय तो किया नहीं औृर हिन्दी काव्य साहित्य में किसी दिये गये शब्दों के कितने और अर्थ हो सकते हैं तथा उनके अर्थ किसी वस्तु ,पात्र,परिस्थिति ,के अनुसार बदले हुए अर्थों को जानना समझना भी चाहिए कि किन किन व्यक्ति के लिए किस शब्द का अर्थ क्या क्या हो सकते हैं इन सबको समझना आवश्यक है तभी हम किसी उक्ति का सही सही अर्थ निकाल सकते हैं ,अत:हमेशा किसी शब्द का अर्थ एक ही नहीं होता ,वरन् उस एक शब्द के कई अर्थ भी हो सकते हैं ।
Right Pandit ji.
Mhila khud hi apni shurkhsha kr skti hai kisi dusre ki jrurat nhi hoti hai kyoki jis kisi ka bhi barosha kregi vhi uska fayda uthayega or us pr fayde ke kiye jhutha ilzaam lgayega chahe guru ho ya sant ho koi bhi purush ho
महिला को ऐश आराम कोई क्यूं करवाएगा,अगर उसको फायदा नहीं उठाना होगा
मैं आपका एकलव्य हु सर जी 🙏
গুরুজী প্রণাম। দারুণ ব্যাখ্যা করলেন।
Guruji app subah se pravachan dete ho tv par iske jagah app 30 minute ginti ya pahada sunay to bachcho ko sikhne me khafi madat milegi.
महाराज गुरु जी आपको ताड़ते थे तो आप इन 5 वर्णो में किस मे आते थे?
आप के द्वारा समझाया गया स्लोक से हमें गयान मिलता है और हम आपको नमस्कार करता हूं
Gol gol mat ghumaiye tadna ka arth peetna hi hota hai❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
मैं अयोध्या जी से गुरुजी सीताराम
समझ,से,बाहर,है,ये,सवाल,का,जवाब,नही, है
तो आप बताइए क्या है
शुद्ध शिक्षा देना शास्त्र के अनुसार माना है ऐसा suna hai 🙏
स्वर्ण शब्द का अर्थ कवि व्यभिचारी तथा चोर का अर्थ अलग अलग है शब्द का अर्थ का अनर्थ कर देना ही अज्ञानता है
जय जय श्री सीताराम सीताराम🙏🙏
Jai sri ram
आपका धन्य हो महाराज 🙏🙏🙏 प्रभु कि कृपा से हमेशा स्वस्थ रहिए और हमको प्रभु कि कथा सुनाते जायिए।
तुम से भी पढ़ें लिखे लोग ज्यादा शुद्र में है। पहले भी थे। जैसे कबीर, रैदास एवं वर्तमान में अम्बेडकर जी। तुम कितना सफाई दोगे।