ये बात आधी हैं, गुरूदेव, अगर ऐसा सब करेंगे तो, जीवन में, परिवर्तन नहीं हों पाएगा , अगर ऐसा हैं तो आपने मुरथल आश्रम क्यों छोड़ दिया , कर लेते आप भी स्वीकार , फिर आप ऐसी बात क्यों करते हैं , आप लोगों को संतवाना क्यों दे रहे हो
मेरा सवाल क्या आपलोग इन बाबा के पास ले जायेगे ? मैंने 300+ किताबें पढ़ी है! जिसमे गर्थ और उपनिषद शामिल है। कुछ महीने पहले मै लॉज़िक की किताब पढ़ रहा था, और एक एक शब्द को गहराई से समझने की कोशिश कर रहा था। तभी एक दूर घटना घटी! मेरा मन जैसे सिकुड़ जा इकठा हो गया। कुछ देर चिंतन करने के बाद मुझे पता चला की यह संतुष्टि है ऐसा लगा जैसे पूरा का पूरा विश्व इस छोटी सी वस्तु का पीछा कर रहा है। इसके बाद मन गयाब हो गया! (मैंने महसूस किया )मेरा मन गयाब हो गया। और मै बहुत खुश था ख़ुशी बढ़ते बढ़ते इतनी ज़्यादा बढ़ गई की मै पागल हो गया। और मै मज़बूर हो गया खुदको नमस्कार करने के लिये। मेरी बुद्धि स्थिर हो गई और मन गयाब। यह आश्चर्य से भरी यह मनोस्थिती है। क्या यह आत्मज्ञान था या कोई बीमारी उसदिन के बाद मै इतना ज़यादा डर गया की मैंने किताब को हाथ नहीं लगाया। कुछ दिन पहले किताबें दुबारा शुरू की है। क्या यही परम्आनदमई स्वरूप है जिसको आदि शकराचार्य प्रणाम करते है ?
Mahaan Param Pujya Swami ji Aap Swikaar Karen Mera Hardik Pranaam 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Osho ji ❤🙏
अहोभाव धन्यवाद नमन 🙏🧎♀️🎊💕
Jai gurudev osho ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Naman🙏❤️
❤❤❤जय हो प्यारे विश्वगुरु ह्रदय से प्रेम धन्यवाद भगवान आप वर्तमान के बुद्ध हो....🎉🎉🎉
Great
Osho Naman sadguru ji
नमन स्वामी जी❤️🙏❤️
Guru ji Coti coti naman
🙏❤️RIGHT ❤️🙏
शत शत नमन छोटे बाबा🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹
Vandan Guruji🙏🙏🙏🙏🙏
धन्य प्रभु धन्य
Parnam guruji,🙏
अहोभाव नमन 🌹🌹🌹💞💞💞🌹🌹🌹
आज एक नए पॉइट ऑफ व्यू से तथाता समझा ।
Naman guru dev ❤
Khubsurati ❤
नमन गुरुदेव
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
❤❤❤❤❤
Sahi hai
Aapki sun kaun Raha hai ? Vicharniy Topic .Sadguru ji Sadar Naman .
Thanks❤
🙏
❤🙏
😊❤🙏
🙏🕉️
🙏♥️🙏
🙏🙏💐❤️❤️
🕉🌹🌹🌹🙏🙏🙏
💯💯💯💯👌🙏🌹
ये बात आधी हैं, गुरूदेव, अगर ऐसा सब करेंगे तो, जीवन में, परिवर्तन नहीं हों पाएगा , अगर ऐसा हैं तो आपने मुरथल आश्रम क्यों छोड़ दिया , कर लेते आप भी स्वीकार , फिर आप ऐसी बात क्यों करते हैं , आप लोगों को संतवाना क्यों दे रहे हो
मेरा सवाल क्या आपलोग इन बाबा के पास ले जायेगे ? मैंने 300+ किताबें पढ़ी है! जिसमे गर्थ और उपनिषद शामिल है। कुछ महीने पहले मै लॉज़िक की किताब पढ़ रहा था, और एक एक शब्द को गहराई से समझने की कोशिश कर रहा था। तभी एक दूर घटना घटी! मेरा मन जैसे सिकुड़ जा इकठा हो गया। कुछ देर चिंतन करने के बाद मुझे पता चला की यह संतुष्टि है ऐसा लगा जैसे पूरा का पूरा विश्व इस छोटी सी वस्तु का पीछा कर रहा है। इसके बाद मन गयाब हो गया! (मैंने महसूस किया )मेरा मन गयाब हो गया। और मै बहुत खुश था ख़ुशी बढ़ते बढ़ते इतनी ज़्यादा बढ़ गई की मै पागल हो गया। और मै मज़बूर हो गया खुदको नमस्कार करने के लिये। मेरी बुद्धि स्थिर हो गई और मन गयाब। यह आश्चर्य से भरी यह मनोस्थिती है। क्या यह आत्मज्ञान था या कोई बीमारी उसदिन के बाद मै इतना ज़यादा डर गया की मैंने किताब को हाथ नहीं लगाया। कुछ दिन पहले किताबें दुबारा शुरू की है। क्या यही परम्आनदमई स्वरूप है जिसको आदि शकराचार्य प्रणाम करते है ?
Description me link hain wahan aap apna sawal puchh sakte Swami ji se.
@@shya-am6450शुक्रिया मित्र! 😇
@@GagandeepSingh-rp2wmaap ka man ruk gaya esliya bahut anand aya mujhe dhi hue hai khai bar esko samadhi kehete hai
इसलिये विधि गत ज्ञान ज़रूरी है योग्य गुरु से नहीं तो कॉपी पेस्ट 10000 बुक पढ़ तो भी भयभीत रहोगे
Naman gurudev ❤❤❤
❤❤❤
🙏🏻🙏🙏
Naman, pyaare baba ...
❤
❤