बिहार की मंजूषा कला - एक अद्भुत धरोहर | Manjusha Art of Bhagalpur

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  • Опубликовано: 30 окт 2024

Комментарии • 21

  • @AnjaliSingh-tz9mm
    @AnjaliSingh-tz9mm 3 года назад +1

    Nice vedio...... Knowledgble information about bihar art.... 🙏

  • @rajuthoppil3393
    @rajuthoppil3393 3 года назад

    Thanks for the information

  • @dhirajkumarthakur9255
    @dhirajkumarthakur9255 2 года назад

    Came here in search of BPSC material,thanks for wonderful work❤️🙏

  • @ashishanand3726
    @ashishanand3726 3 года назад

    ❤️❤️❤️

  • @sweetykashyap8805
    @sweetykashyap8805 3 года назад

    Thank u for this vedio

  • @sandeepjha-iitkgp
    @sandeepjha-iitkgp 3 года назад +1

    Thank you for this video. Great work!

  • @sequinb7155
    @sequinb7155 3 года назад +1

    Wonderful video introducing Manjusha art. Best wishes

  • @BadmashPandit144
    @BadmashPandit144 4 года назад

    🙏🙏🙏🙏

  • @icsindia
    @icsindia 4 года назад +3

    यह शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री अच्छी दिखती है। हालांकि इसकी स्क्रिप्टिंग बहुत ही खराब है और उसके लिए गंभीर रिसर्च का अभाव है। मसलन, पूरे डॉक्यूमेंट्री से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि यह मंजूषा पर आधारित है या मंजूषा चित्रकला पर। त्योहार का चिन्ह क्या होता है? जब हम सिर्फ मंजूषा की बात करते हैं तब वह मंजूषा क्राफ्ट हो जाता है जो मंदिरनुमा आकार लिये हुए होता है और वास्तव में वह बिहुला-विषहरी लोकगाथा में बिहुला के नाव का प्रतीक है और जिसे मंजूषा कहा जाता है। आगे भी नाव शब्द का प्रयोग किया गया है जबकि उसके लिए मंजूषा के साथ नाव का प्रयोग करना चाहिए था ताकि स्पष्ट हो कि मंजूषा नाव है। दूसरी तरफ मंजूषा चित्रकला है जो बिहुला-विषहरी की लोकगाथा पर आधारित चित्रकला है। यह कला 1200 वर्षों के करीब पुरानी है, इसका कोई प्रमाण नहीं है। भागलपुर में कोई एक मनसा मंदिर नहीं है, बल्कि अनेक मनसा मंदिर है, डॉक्यूमेंट्री में यह बात स्पष्ट नहीं होती है कि किस मंदिर की बात की जा रही है। त्योहार का नाम और उसके पीरियड के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बिहुला विषहरी की स्टोरी इनकंप्लीट है। मसलन उसे वहीं खत्म कर दिया गया जहां बाला लखेंद्र जीवित होता है। उससे यह स्पष्ट नहीं होता, कि विषहरी या मनसा की पूजा चांदो सौदागर या चंद्रधर सौदागर करता है या नहीं? मालाकार को मलाकर कहा गया है। एडिशनल लाइट्स का प्रयोग नहीं करने की वजह से कलर जंप और आईएसओ जंप साफ दिखता है। चूंकि स्टोरी की लाइन-लेंथ गड़बड़ है तो उसका असर बाइट पर भी दिखता है। मनोज पंडित की बाइट जबरदस्ती घुसायी हुई दिखती है। रमन सिन्हा की बाइट में इंडो-चंपा शहर का नाम है, यह नाम कहां से आया - दो संस्कृतियों के मेल से शहर का नाम बनता है या नहीं, इसपर भी गौर करने की जरूरत थी। उलुपी झा की बाइट से यह प्रतीत होता है कि पूरी फिल्म उन्हीं के ऊपर बनायी गयी है। यानी शूट से पहले उन्हें ब्रीफ भी नहीं किया गया कि उन्हें किस प्रकार बाइट देनी है और जिस भी संदर्भ भी उनकी बाइट है, उसकी चर्चा स्क्रिप्ट में नहीं है।

    • @kritikastylehouse8158
      @kritikastylehouse8158 3 года назад +1

      Pls make another vidio about this manjula shaili in detail thank u for this information

    • @icsindia
      @icsindia 3 года назад +1

      @@kritikastylehouse8158 Thank you Kirti. We are looking for financers.

  • @gnpantulu1919
    @gnpantulu1919 6 лет назад +2

    Jai Manasa devi. !
    Jai Manjusha art. !
    Jai Bhagal pur !
    Jai Bihar !
    Jai Jai India !!!
    Thankyou. Mrs Pantulu.

  • @RaviKumar-kx5go
    @RaviKumar-kx5go 5 лет назад +1

    can i get contact of artist

    • @gothroughfineart7179
      @gothroughfineart7179 4 года назад

      Yes you can.
      #Gothroughfineart
      Plz subs my youtube channel. I m an artist..

  • @arifiqbal3676
    @arifiqbal3676 5 лет назад

    Main champanagar se hu........

  • @julikumari3581
    @julikumari3581 4 года назад

    My restaurant hasten haha if I'd UFC UFC UFC UGC UGC UGC UGC kitchen haha haha unhappy relationship