हरिवंश राय बच्चन जी की कविता। निशा निमन्त्रण।

Поделиться
HTML-код
  • Опубликовано: 15 окт 2024
  • हरिवंश राय बच्चन जी की कविता
    निशा निमन्त्रण
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
    हो जाए न पथ में रात कहीं,
    मंजिल भी तो है दूर नहीं
    यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
    बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
    नीड़ों से झाँक रहे होंगे
    यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
    मुझसे मिलने को कौन विकल?
    मैं होऊँ किसके हित चंचल?
    यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
    दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
    #harivanshraibachchan #poetry #kavita #viral
    #subscribe
    • Jo Beet Gayi So Baat G...
    • Very beautiful lines b...
    • हरिवंश राय बच्चन जी की...

Комментарии • 2