गीता अध्याय प्रथम श्लोक संख्या ३ । KARMASU HINDI
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- Опубликовано: 9 фев 2025
- गीता अध्याय 1 श्लोक 3 | Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 3
इस वीडियो में हम भगवद गीता के प्रथम अध्याय के तीसरे श्लोक का अध्ययन करेंगे। इस श्लोक में धृतराष्ट्र के पुत्र, दुर्योधन, अपनी सेना की शक्ति और वीरता को देखकर द्रोणाचार्य से वार्ता करता है। श्लोक का अर्थ, महत्व, और इसके पीछे छिपे गहरे आध्यात्मिक संदेश पर चर्चा की जाएगी।
श्लोक:
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता॥
अनुवाद:
"हे आचार्य! देखिए, पाण्डुपुत्रों की इस महान सेना को, जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद के पुत्र ने व्यवस्थित किया है।"
"O teacher, behold this vast army of the sons of Pandu, so expertly arranged by your intelligent disciple, the son of Drupada."
इस श्लोक में क्या सीखने को मिलेगा:
कौरवों और पाण्डवों की सेना का वर्णन
दुर्योधन का दृष्टिकोण
युद्ध की पृष्ठभूमि और रणनीतिक दृष्टिकोण
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस श्लोक का महत्व
वीडियो को अंत तक देखें और भगवद गीता के इस महत्वपूर्ण श्लोक के ज्ञान को आत्मसात करें।
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