@ जो मेरे न रहे में भी कब किसी का रहा बिछड़ के उनसे सलीका ना जिंदगी का रहा जो मेरे ना रहे मैं भी कब किसी का रहा लवो से उड़ गया जुगनू की तरह नाम उसका सहारा कोई अब मेरे घर में ना रोशनी का रहा बिछड़ के उनसे सलीका ना जिंदगी का रहा जो मेरे ना रहे मैं कब किसी का रहा गुजरने को तो हजारों ही काफिले ही गुजरे जमीं पर बस नक्शे कदम किसी किसी का रहा बिछड़ के उनसे सलीका ना जिंदगी का रहा जो मेरे ना रहे मैं कब किसी का रहा
Very very nice pottery kaifi sahaab 👌👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹nd lovely singing 🎤🎵
Wah ustad ji
Bahot khub sirji
Very nice
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जो मेरे न रहे में भी कब किसी का रहा
बिछड़ के उनसे सलीका ना जिंदगी का रहा
जो मेरे ना रहे मैं भी कब किसी का रहा
लवो से उड़ गया जुगनू की तरह नाम उसका
सहारा कोई अब मेरे घर में ना रोशनी का रहा
बिछड़ के उनसे सलीका ना जिंदगी का रहा
जो मेरे ना रहे मैं कब किसी का रहा
गुजरने को तो हजारों ही काफिले ही गुजरे
जमीं पर बस नक्शे कदम किसी किसी का रहा
बिछड़ के उनसे सलीका ना जिंदगी का रहा
जो मेरे ना रहे मैं कब किसी का रहा
Mere sahab hai yeh gazal ki asaliyat tarif from music teacher
Very nice 👌👌👌👌👌
This poetry was written by Kaifi Azmi, father of actress Shabana Azmi
Nice
Shukriya sir
Waaahhh
Kya bat
❤
Plz raag name
शायद राग कलावती
Raag Bilawal