Day 1 - जीते कर्म को , जीते कर्म से शिविर - दुर्ग (02.02.2025)
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- Опубликовано: 8 фев 2025
- 02/02/2025
विषय: जीते कर्म को, जीते कर्म से
🌺 शिविर के प्रथम दिवस के मुख्य बिंदू 🌺
जीवन की हर परिस्थिति एक समान नहीं रहती है, परिस्थिति हमारे कर्म पर आधारित होती है।
हमारे जीवन के हीरो हम है, हमारे कर्म हमारे विलेन रूप में है, जिनसे हमें जितना है।
परिस्थिति को इग्नोर करना सीखना चाहिए और हमें कर्म पर हावी होना चाहिए, कर्म को हमम्पर हावी नहीं होने देना चाहिए
परमात्मा किसी का अच्छा या बुरा नहीं करते है, मनुष्य का अच्छा या बुरा उनके कर्मों में डिपेंड रहता है।
विज्ञान के अनुसार मनुष्य का स्वरूप, रंग, आकार, आचार, व्यवहार उनके माता पिता या अनुवाशिक होता है, पर उनका जीवन उनके पूर्व कर्मो के अनुसार होता है।
जीवन का मुख्य कंट्रोलर उनका कर्म होता है, जो दिखता नहीं है लेकिन आत्मा के साथ हमेशा जुड़ा रहता है।
तीन प्रकार के कर्म होते हैं :
1. भाव कर्म : किसी भी चीज को पाने का भाव, जैसे किसी चीज को प्राप्त करने की इच्छा, गुस्से का भाव, लोभ, राग, द्वेष आदि।
2. द्रव्य कर्म : सूक्ष्म कण जैसे होते हैं जो आत्मा से चिपक जाते हैं और आने वाले कई भवो तक जुड़े रहते हैं।
3. नो कर्म: ऐसे कर्म जो हमें फल देने में सहायक बने वो नो कर्म होते हैं
तीनों कर्म आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए भाव कर्म को कंट्रोल करें तो पदार्थ कर्म और नो कर्म भी स्वतः ही कंट्रोल में हो जाते है।
मृत्यु के बाद शरीर तो यही रह जाता है, आत्मा के साथ हमारे कर्म जाते है, जैसे हमारे कर्म होंगे वैसे ही आत्मा की गति मिलती है।
किसी की निंदा करने से, किसी पर गुस्सा करने से, कर्म बंधन बांधते है, इसलिए हमेशा अच्छा कर्म करें । किसी पर गुस्सा करने से, कर्म बंधन बांधते है, इसलिए हमेशा अच्छा कर्म करें । भाव कर्म को कंट्रोल करें तो पदार्थ कर्म और नो कर्म भी स्वतः ही कंट्रोल में हो जाते है।
मृत्यु के बाद शरीर तो यही रह जाता है, आत्मा के साथ हमारे कर्म जाते है, जैसे हमारे कर्म होंगे वैसे ही आत्मा की गति मिलती है।
किसी की निंदा करने से, किसी पर गुस्सा करने से, कर्म बंधन बांधते है, इसलिए हमेशा अच्छा कर्म करें । किसी पर गुस्सा करने से, कर्म बंधन बांधते है, इसलिए हमेशा अच्छा कर्म करें ।