आकाश कागज़ बने और समुद्र् स्याही तो भी आपकी तारीफ़ नहीं की जा सकती...केवल इसलिए नहीं कि आपकी गायन कला से श्लोक निखर जाते हैं वो तो है ही साथ ही आपने अत्यल्प समय मे निवेदन स्वीकार कर उसे फलित किया। श्लोक शास्त्रीय गायन से ही पूर्ण भावाभिव्यक्ति कर पाते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद अमनदीप जी🙏
शोभनं, ज्ञानवर्धकं च।
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बहुत ही ज्ञानवर्धक व कर्णप्रिय वाचन, आदरणीय महोदय!
बहुत बहुत आभार
आकाश कागज़ बने और समुद्र् स्याही तो भी आपकी तारीफ़ नहीं की जा सकती...केवल इसलिए नहीं कि आपकी गायन कला से श्लोक निखर जाते हैं वो तो है ही साथ ही आपने अत्यल्प समय मे निवेदन स्वीकार कर उसे फलित किया।
श्लोक शास्त्रीय गायन से ही पूर्ण भावाभिव्यक्ति कर पाते हैं।
बहुत बहुत धन्यवाद अमनदीप जी🙏
बहुत बहुत धन्यबाद भाई साहब..... श्रोता तो परीक्षित की तरह एक भी हो तो वह सुनाने वाले को पूरा भागवत सुनाने के लिए विवश कर देता है।
@@sanskritguru24 साधूक्तं
@@sanskritguru24 किन्तु अभी वह मध्य लय रह रही है😊
एक video ज़रूर बनाइयेगा...
आदरणीय आर्या छंद की भी लय बताएं। संतुष्टिजनक लय कहीं मिल नहीं पा रही है।