मेरे दोस्तों! 1300 सौ साल से मुसलमानों के अंदर से ईमान के सीखने और सिखलाने का रिवाज़ निकल चुका है, जिसकी वजह से आज इंसानियत अमल करने के बावजूद तबाही के कगार पर खड़ी हुई है। ईमान को न सीखने की वजह इंसानियत का फिराकों मे बट जाना है, मुसलमानों मे ही देवबंदी, बरेलवी, अहले हदीस, हयाती, ममाती, हनफी, शाफअई, हंबली और मालिकी फिराकों मे बटी हुई है, इनमे से हर एक अपने आप को हक़ पर समझ रहा है और बाकी सारे लोगों को काफिर और मुशरिक, आज मुसलमानों मे कुरान के सीखने का तो रिवाज़ है पर ईमान से ग़ाफ़िल। हज़रत इब्ने उमर रज़िo फरमाते थे ! ऐ लोगों हमने अपनी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा इस तरह से गुजारा है कि हममें से हर एक ने पहले ईमान सीखा है फिर कुरान सीखा है पर मैं तुम लोगों को देख रहा हूँ कि तुम लोग ईमान सीखने से पहले कुरान सीख रहे हो। (हैसमी Part 1,Page No 165) ये बयानात को सुनकर इंसान ईमान के सीखने के लिए अपने आप को तैयार करे और दुनियाँ व आख़िरत मे कामयाब होने के लिए नमाज़ को अपनी परवारिश का ज़रिया बनाए।
मेरे दोस्तों! 1300 सौ साल से मुसलमानों के अंदर से ईमान के सीखने और सिखलाने का रिवाज़ निकल चुका है, जिसकी वजह से आज इंसानियत अमल करने के बावजूद तबाही के कगार पर खड़ी हुई है। ईमान को न सीखने की वजह इंसानियत का फिराकों मे बट जाना है, मुसलमानों मे ही देवबंदी, बरेलवी, अहले हदीस, हयाती, ममाती, हनफी, शाफअई, हंबली और मालिकी फिराकों मे बटी हुई है, इनमे से हर एक अपने आप को हक़ पर समझ रहा है और बाकी सारे लोगों को काफिर और मुशरिक, आज मुसलमानों मे कुरान के सीखने का तो रिवाज़ है पर ईमान से ग़ाफ़िल। हज़रत इब्ने उमर रज़िo फरमाते थे ! ऐ लोगों हमने अपनी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा इस तरह से गुजारा है कि हममें से हर एक ने पहले ईमान सीखा है फिर कुरान सीखा है पर मैं तुम लोगों को देख रहा हूँ कि तुम लोग ईमान सीखने से पहले कुरान सीख रहे हो। (हैसमी Part 1,Page No 165) ये बयानात को सुनकर इंसान ईमान के सीखने के लिए अपने आप को तैयार करे और दुनियाँ व आख़िरत मे कामयाब होने के लिए नमाज़ को अपनी परवारिश का ज़रिया बनाए।
Send me number of hajy ahmed sb
Hajy ahmed sb ka number chahiye
Dukan band ho gai kya
14 sal pehaly kha thai jab ap rawangi ky bat kartai thai
Assalam walekum aapka number dijiye na who is baat karni hai