सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक सुधार पर देश को कोई उम्मीद नही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ और सिर्फ नेताओं को जमानत देने का अड्डा बन गया है... ऐसी जगहँसाई सुप्रीम कोर्ट की कभी नही हुई
We public Hate such a Rotten Justice System, Indian Government should seriously think about it, What is the use of these so-called Judges , Most Incompetent, Most Lethargic, Most Useless department of India,
जब तक कोर्ट से दलाली सिस्टम समाप्त नहीं होगी तब तक ऐसे ही ढुलमुल नीति रहेगा। कोर्ट में जजों की बहाली ओपन कमीशन से होनी चाहिए ताकि सभी को उसमें जाने का मौका मिले। अभी तो उसमें केवल कुछ खास परिवार की मनमानी है। कभी कभी तो सुप्रीम कोर्ट अपने को संसद से भी ऊपर समझता है।लगाम लगाना जरूरी है
जब मामला केजरीवाल का हो और वकील सिंघवी साहिब हो तो सुनवाई जल्दी हो सकती है, एक एक दिन में तीन तीन बार, आप हमारी जुडीशियल सिस्टम को समझ नहीं रहे,, हां आम आदमी की सारी उम्र गुजर सकती है जी, ऐसा ही है हमारा सिस्टम जय हिन्द
मेरा service case हाई कोर्ट में 5 साल से पेंडिंग है. ईमानदारी से दोनों वकील और judge चाहें तो एक ही सुनवाई के बाद फैसला दिया जा सकता है. लेकिन क्या करें भारत में हैं 😢
भ्रष्टाचारियों, आतंकवादियों, मंत्री, अधिकारियों के अपराध में जल्दी न्याय कर दे तो सुप्रीम कोर्ट की देश पर मेहरबानी होगी जिससे देश को सही दिशा मिलेगी। आर्थिक अपराधियो को जल्दी सजा मिले।
विजयजी,भारत की पुरी न्याय पालिका शुरू से ही अकबर की तरह दिवाणे आम्,जिस मे आम् आदमी को सिर्फ तारीख पे तारीख मिलती है,या उन पर फैसलां थोक दिया जाता है,न्याय नाही, जब की खास लोगो को कुछ खास वकीलो द्वारा तुरंत सूनवाई हो कर उन्हे रात को कोर्ट खोलके "न्याय"? मिळता है.सब के सब मिली भगत है.
में तो इंडियन कोर्ट को न्यायालय नही बोलता अन्यायालय ही बोलता हूं न्यायालय में सिर्फ पैसा बोलता है लोगो के साथ खिलवाड़ होता हे उससे बैटर यही रहेता की न्यायालयो को बंध किया जाए ऐसा मेरा कहेना हे
स्कूल में स्टूडेंट को क्या कपड़े पहने चाहिए इसका फैसला एक चपरासी स्कूल का 5 मिनट में कर सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इसका निर्णय करने में 6 महीने लगते हैं
Sardhana जी अभी उत्तर प्रदेश में दशहरे की नर्सरी स्कूल में छुट्टी नहीं हुई है लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट 5-10-2024 से 14-10-2024 तक दशहरे की छुट्टी पर है l
स्टडी करने की क्या जरूरत है क्या जज नासमझ है उनको हिसाब किताब नहीं आता 1 साल में ब्याज कितना होता है कितना नुकसान हुआ इस देश में सब को अधिकार चाहिए कर्तव्य का पालन कोई नहीं करना चाहता
बिल्कुल इस प्रकार का अध्ययन होना चाहिए और मेरा एक सुझाव है के वर्तमान अदालतों की संख्या के 5 गुना कम से कम अदालत और होनी चाहिए तब जाकर हम कुछ देरी को कम कर सकते हैं दूसरे सभी मुक्त में तकनीकी रूप से चलने चाहिए और और हर मुकदमे की और हर बात दायर करने की हर हर बात की समय सीमा निश्चित होनी चाहिए के
सरदाना जी आपने बिल्कुल सही बात कही है लेकिन जबसे भाजपा सरकार आई है तबसे लोगों कि सोच और भावनायें कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है इसका तो पिछली सरकारों का कारण लेकिन सनातनी हिन्दू लोगों को अब सब कुछ जल्दी जल्दी चाहिए जय हिन्द वन्देमातरम।
आपका सुझाव सही है फैसला सही हो शीध्रहो कुछ जज साहब सही फैसला करते है जबलपुर हाई कोरट से मेरे प क्ष मे हुवा सुनकर सबलोग कह रहे है यह सही फैसला हुवा बिप क्ष भगवानदास प्रभावती बगैरह डबल बेंच मे अपील की है आशा है मेरे पक्ष मे मेरी माता भूरी बाई के पक्ष मे होगा कानून का भरोसाहै
अंधी नहीं कांनी है जो आम नागरिकों की पीड़ा नहीं देख पाती परंतु अपने चहेते (आतंकियों, नक्सलियों, जिहादियों, घुसपैठियों, बलात्कारियों, भ्रष्टाचारियों सहित तमाम देश द्रोहियों एवं हिन्दू द्रोहियों) लोगों के लिए आधी रात को भी मुजरा करती है।।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को प्रशासन व अन्य संस्थानों के लिए गाईड लाईन जारी करनी चाहिए। कयोकि देश वासियों को उलाहना देने में कोई कमी नहीं छोड़ाते । इस समस्या का समाधान निकाले। हमारी राय यह है कि जजों को भी कटघरे में खडा़ किया जाय और उनके विरुद्ध कड़ा कानून संसदीय कमेटी के द्वारा बनाना चाहिए ,जनता अपनी राय संसदीय कमेटी को भेजें।
Sir, it is the responsibility of Judiciary itself to improve their judiciary... The Judiciary finds fault in all organizations except their own. People have already lost all their faith from India Judiciary.... There is an urgent need for reforms in Judiciary
Very well issue raised.Govt and judiciary should contemplate on it and involve think tank people of the country. Like other committees and commission it should create one for this too which suggest the ways.
न्याय नहीं मिलेगा, उनके अदालत में ! जो आदतों से लाचार है, न्याय देना ही नहीं चाहते, सिस्टम जिम्मेदार है,, न्याय व्यापार है! न्यायपालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसे सरकार भी छुपाती है,,,,
डैड लाइन फिक्स नही तो अन्याय निश्चित है और ये हो भी रहा है जनता को सड़कों पर उतर कर इसकी मांग करना चाहिए। अनन्त काल तक चलने बाली प्रकिया पर रोक लगना ही चाहिए।
I think Law Commission should take initiative to draw a procedure to assess the economic costs of delay in delivery of justice. I understand the economic loss would be more than the cost that the government would incur in expanding the judicial establishments at all levels.
सुप्रीम कोर्ट के जज निरंकुश हो गए हैं।न्याय सनक के आधार पर देते हैं। विशेष लोगों के लिए अलग न्याय और साधारण लोगों के लिए अलग न्याय। ऐसा न्याय निष्पक्ष तो नहीं ही लगता है।
I fully agree with you I too have fought property case in the Delhi High court for 14 yrs then again for 2 years in the lower court imagine .Heavy fines should be imposed on defendant for not being present and getting dates after dates or pass judgement if they are not present fo argue the case,why should the other party suffer?
बदकिस्मती से हमारे देश की न्यायपालिका और सरकारी दफ्तरों में न तो संविधान बचा है और न ही इंसाफ़ मिलने की उम्मीद बची है।आज हमारी न्यायपालिका और सरकारी दफ्तरों में काम भारतीय संविधान की बजाय जजों और अफसरों की मनमानी से हो रहे हैं।मेरी जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों से अपील है कि चुपचाप तमाशा देखने की बजाय तुरंत इस मामले में कड़ा संज्ञान लिया जाए। संदीप मैहता
सरदाना सर, इस देश की न्याय प्रणाली पूरी तरह से औचित्यहीन हो चुकी है। न्याय के नाम पर 5,10,20,30,40 बरस निगल जाने वाली इस निरंकुश व्यवस्था में प्रबल गंभीर सुधारों की जरूरत है। मगर महामानव भी लम्बी चादर ओढ़े सो रहे हैं !!! इस देश में न्यायिक सुधारों को लेकर मै माननीय राष्ट्रपति महोदया, प्रधानमन्त्री, कानून मंत्री आदि को असंख्य पत्र लिख चुका हूं, मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। न्याय में देरी के कितने गम्भीर परिणाम होते हैं, इस ओर किसी भी सत्ताधीश का कोई ध्यान ही नहीं है।
I am also waiting for justice since 2008 the case was dismissed on the basis of false statement given by the Housing Board Haryana in the HC Chandigarh. At present I am an Advocate and waiting for Justice.
कोर्ट कोई भी हो, जिला कोर्ट, हाईकोर्ट, या सुप्रीम कोर्ट आम आदमी को उसके जीवन में न्याय मिलना संभव नहीं है। लेकिन नेताओं और आतंकियों की सुनवाई तुरंत मिल जाती है।
ये न्यायालय केवल नेता लोगों के लिए नहीं है क्योंकि उनके ही केस अक्सर सुने जाते हैं पूर्व जनरल पब्लिक को तारीख़ पर तारीख़ दी जाती है जनरल पब्लिक के लिए अन्याय है भगवान आपको कभी माफ़ नहीं करेगा
ये मुद्दा नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए भेजा जाना चाहिए, शायद आने वाले नए वकीलों की जमात इसका हल निकाल सके। आगे चलकर उनको ही इसका सामना करना पड़ सकता है।
हरहाल में न्याय बेवस्था में संशोधन किया जाना अत्यंत जरूरी-महत्वपूर्ण बिषय है?और न्यायाधिशों अपने मनमानी कार्य करने में लगाम लगाना अत्यंत जरूरी-महत्वपूर्ण विष्लेशण है-निसंदेह न्याय में समयसिमा होना अत्यंत जरूरी है अन्यथा...❤जयश्री अन्तर्यामी भगवान शहश्र नाम...❤जय श्री सत्य सनातन वैदिक धर्म संश्कृती ❤बंदे मात्रम ❤भारत माता की जय
जय मां दूर्गे ! 3 बर्षों मे अगर कोर्ट किसी केस का फैसला नही कर पाती है , तो कोर्ट को उस केस को विधानसभा अध्यक्ष के पास भेज देना चाहिए जिससे विधान सभा बहुमत से फैसला ले ले । कुछ इस तरह का कानून बनना चाहिए ।
अच्छा विडिओ. केजरीवाल केस झठ से बोर्डपर आती है और सामान्य नागरिक 25 साल लढता है. CJI दुनियाको ग्यान देगा लेकिन न्यायाधीश को ग्यान नहीं देता. कोर्ट फी देकर यह हाल है और जिम्मेदार कोई नहीं. अजिब है.
सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक सुधार पर देश को कोई उम्मीद नही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ और सिर्फ नेताओं को जमानत देने का अड्डा बन गया है... ऐसी जगहँसाई सुप्रीम कोर्ट की कभी नही हुई
Kaam agar jaghasai ka karega to kya hoga
Jaha se malai milega, court usika sunega
जनाब- 101 % सही कहा
जजों की सेवा करो - न्याय लो
We public Hate such a Rotten Justice System, Indian Government should seriously think about it, What is the use of these so-called Judges , Most Incompetent, Most Lethargic, Most Useless department of India,
विजय जी अवश्य इस पर शोध होना चाहिए और उस नुकसान की भरपाई जस्टिस और सरकारों से ही होना चाहिए
विजय जी सुप्रिम कोर्ट की यही तो साजिश है जो वकीलों के साथ मिल कर रहा है
बिना योग्यता के भाई भतीजावाद से बने हुए जजों से ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए
NJAC को सुप्रीम कोर्ट ने जिस दिन गैर संवैधानिक बता कर उसे रद्द किया उसी दिन से भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार समाप्त हो गया है
जब तक कोर्ट से दलाली सिस्टम समाप्त नहीं होगी तब तक ऐसे ही ढुलमुल नीति रहेगा। कोर्ट में जजों की बहाली ओपन कमीशन से होनी चाहिए ताकि सभी को उसमें जाने का मौका मिले। अभी तो उसमें केवल कुछ खास परिवार की मनमानी है। कभी कभी तो सुप्रीम कोर्ट अपने को संसद से भी ऊपर समझता है।लगाम लगाना जरूरी है
जब मामला केजरीवाल का हो और वकील सिंघवी साहिब हो तो सुनवाई जल्दी हो सकती है, एक एक दिन में तीन तीन बार, आप हमारी जुडीशियल सिस्टम को समझ नहीं रहे,, हां आम आदमी की सारी उम्र गुजर सकती है जी, ऐसा ही है हमारा सिस्टम जय हिन्द
Quite right
तारीख पर तारीख तारीख परतारीख यही तो हमारे देश की न्याय व्यवस्था की खूबसूरतीहै इसी के चलते पूरे वर्ल्ड में हमारी न्याय व्यवस्था को सारा जाता है
मेरा service case हाई कोर्ट में 5 साल से पेंडिंग है. ईमानदारी से दोनों वकील और judge चाहें तो एक ही सुनवाई के बाद फैसला दिया जा सकता है. लेकिन क्या करें भारत में हैं 😢
90% case hain jo 3se7 din me nipat jayega
भ्रष्टाचारियों, आतंकवादियों, मंत्री, अधिकारियों के अपराध में जल्दी न्याय कर दे तो सुप्रीम कोर्ट की देश पर मेहरबानी होगी जिससे देश को सही दिशा मिलेगी।
आर्थिक अपराधियो को जल्दी सजा मिले।
ढीले ढाले कानून की वजह से आम जनता दहशत में जी रही है l
विजयजी,भारत की पुरी न्याय पालिका शुरू से ही अकबर की तरह दिवाणे आम्,जिस मे आम् आदमी को सिर्फ तारीख पे तारीख मिलती है,या उन पर फैसलां थोक दिया जाता है,न्याय नाही,
जब की खास लोगो को कुछ खास वकीलो द्वारा तुरंत सूनवाई हो कर उन्हे
रात को कोर्ट खोलके "न्याय"? मिळता है.सब के सब मिली भगत है.
सुप्रीम कोर्ट का नाम सुनने से ही पाप लग जाता है ।
वाकई सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली अत्यंत निराशाजनक है 😢
सर आप बिल्कुल सही कह रहे हैं अश्विनी उपाध्याय सर तो बहुत दिन से देश भर में घूम घूम कर लोगो से चर्चा कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है
में तो इंडियन कोर्ट को न्यायालय नही बोलता अन्यायालय ही बोलता हूं न्यायालय में सिर्फ पैसा बोलता है लोगो के साथ खिलवाड़ होता हे उससे बैटर यही रहेता की न्यायालयो को बंध किया जाए ऐसा मेरा कहेना हे
स्कूल में स्टूडेंट को क्या कपड़े पहने चाहिए इसका फैसला एक चपरासी स्कूल का 5 मिनट में कर सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इसका निर्णय करने में 6 महीने लगते हैं
6 mahine nahi 6 saal,
लोकतंत्र की ये ही ख़ूबसूरती है 😂😂
Sardhana जी अभी उत्तर प्रदेश में दशहरे की नर्सरी स्कूल में छुट्टी नहीं हुई है लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट 5-10-2024 से 14-10-2024 तक दशहरे की छुट्टी पर है l
मुस्लिम जज भी दशहरे की छुट्टी ले रहे हैं। इससे आगे क्या कहें?
यह तो उनका जन्मसिद्ध अधिकार है 😢😢 बाबा सबको कहे पर बाबा को कौन कहे 👿👿
Criminal Human rights are more important than आम जनता ह्यूमन राइट्स l
उकिलो के फायदा के लिए "तारीख पे तारीख" होता है।
जजेस् भी डायनेस्टी मेंटॅलिटी के है। जजेस् मानते ही नही की, अपना पगार और फॅसिलिटीज् जनता के टॅक्स से ही होता है।
Slow system of justice is only for common people, not for influential & rich persons.
स्टडी करने की क्या जरूरत है क्या जज नासमझ है उनको हिसाब किताब नहीं आता 1 साल में ब्याज कितना होता है कितना नुकसान हुआ इस देश में सब को अधिकार चाहिए कर्तव्य का पालन कोई नहीं करना चाहता
अब।अदालत।की।असली।हैसियत।केसरीवाल।ने।देश।को।बतादिया।है।अगर।आपके।पास।पैसा।है।तो।आप।अदालत।मै।जज।की।कलम।पकडकर।कुछभी।लिख।सकते।हैं।और।जज।से।कह।सकते।हैं।कि।इस।पर।साइंन।करैं।इसका।उधारण।जज।नयाय।बिंदू।है
बिल्कुल इस प्रकार का अध्ययन होना चाहिए और मेरा एक सुझाव है के वर्तमान अदालतों की संख्या के 5 गुना कम से कम अदालत और होनी चाहिए तब जाकर हम कुछ देरी को कम कर सकते हैं दूसरे सभी मुक्त में तकनीकी रूप से चलने चाहिए और और हर मुकदमे की और हर बात दायर करने की हर हर बात की समय सीमा निश्चित होनी चाहिए के
No case should continue beyond five years. Law needs to be changed. More judiciary machinary, infrastructure needs to be provided.
Very good analysis Jai Hind Jai Bharat
Jai Shree Ram very good vishleshan thanks 🙏
आज सबसे बड़ा अन्याय तो भारत के सभी कोर्ट ही है अब जनता को ही जजों से हार्ड प्रश्न करने चाहिए.
अदालते न्याय के लिए नही बल्की रोजगार सृजन के काम आ रहीं हैं, किसी को वादी और प्रतिवादी की प्रताड़ना से कोई सरोकार नहीं हैं।
ये तारीक पर तारीक बंद होना चाहिए हम लोगों की इनकम टैक्स का पैसा बर्बाद ना करे जज लोग
Court should be run in two shift, like industry
जब बड़े बड़े नेताओं की सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर होने लगे तो आम जनता को तो तारीख ही मिलेगी
हमारे देश का सरा हुआ तंत्र है कभी सुघर ने वाला नही है
सरदाना जी आपने बिल्कुल सही बात कही है लेकिन जबसे भाजपा सरकार आई है तबसे लोगों कि सोच और भावनायें कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है इसका तो पिछली सरकारों का कारण लेकिन सनातनी हिन्दू लोगों को अब सब कुछ जल्दी जल्दी चाहिए जय हिन्द वन्देमातरम।
आपका सुझाव सही है फैसला सही हो शीध्रहो कुछ जज साहब सही फैसला करते है जबलपुर हाई कोरट से मेरे प क्ष मे हुवा सुनकर सबलोग कह रहे है यह सही फैसला हुवा बिप क्ष भगवानदास प्रभावती बगैरह डबल बेंच मे अपील की है आशा है मेरे पक्ष मे मेरी माता भूरी बाई के पक्ष मे होगा कानून का भरोसाहै
Our judiciary is truly blind folded and historically delinquent!
अंधी नहीं कांनी है जो आम नागरिकों की पीड़ा नहीं देख पाती परंतु अपने चहेते (आतंकियों, नक्सलियों, जिहादियों, घुसपैठियों, बलात्कारियों, भ्रष्टाचारियों सहित तमाम देश द्रोहियों एवं हिन्दू द्रोहियों) लोगों के लिए आधी रात को भी मुजरा करती है।।
न्याय पृकिृया का पृादृशी होना बहुत जरुरी है।
Sardana Sir, Aapka Sawal Bilkul Jayaz h. Jai Hind Vndematram
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को प्रशासन व अन्य संस्थानों के लिए गाईड लाईन जारी करनी चाहिए। कयोकि देश वासियों को उलाहना देने में कोई कमी नहीं छोड़ाते । इस समस्या का समाधान निकाले। हमारी राय यह है कि जजों को भी कटघरे में खडा़ किया जाय और उनके विरुद्ध कड़ा कानून संसदीय कमेटी के द्वारा बनाना चाहिए ,जनता अपनी राय संसदीय कमेटी को भेजें।
सुप्रीम मिलाॅर्ड की छुट्टियाँ बंद कर देना चाहिये सरदाना जी । अ सत्यमेव जयते ।
*सबसे बड़ा मुद्दा श्वेतवसन अपराधियों का हितसाधन हो गया है,क्योंकि वे इसे प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त संसाधन रखते हैं।*
Definitely a detailed study on cost of delayed justice has to be done to open the eyes of Governments and Judiciary
Jai Hind Ji
Sir, it is the responsibility of Judiciary itself to improve their judiciary... The Judiciary finds fault in all organizations except their own. People have already lost all their faith from India Judiciary.... There is an urgent need for reforms in Judiciary
इतना होने के बावजूद न्यायाधीशों को ये गुमान है कि वे सर्व श्रेष्ठ हैं और उनकी तनख्वाह सबसे ज्यादा होनी चाहिये।
Both Bar and Bench are equally responsible for this mess.
अच्छी बातें कहीं आपने
Yes
विजय जी, भारतीय अदालतों में न्याय नहीं, निर्णय होता है तथा जस्टिस का अर्थ न्याय नहीं जज होता है। उत्तम विश्लेषण के लिए धन्यवाद
Very well issue raised.Govt and judiciary should contemplate on it and involve think tank people of the country. Like other committees and commission it should create one for this too which suggest the ways.
सब समस्या मनुष्यता की है।फिर चाहे कमी सरकार की हो या न्यायधीशों की।
रास्ता यही है कि कि कई कोर्ट लगाओ और समाज के पढ़ेलिखे तजुर्बे वाले व्यक्तियों को बुलाकर बीस से पच्चीस लोगों के डिसीजन को वोट करवा कर फ़ाइनल डिसीजन दे
यह देश नर्क बन चुका है। अधिकारी,जज, वकील नहीं चाहते कि मुकदमों का निबटारा जल्दी हो।
दिल्ली शराब घोटाले सुनने मैं वर्षो लगायेंगे किन्तु नेता जी की जमानत झटपट तथा और घोटाले करो कि आप आजाद हैं!
Accountability of Judiciary must be fixed as Law and Order problem has become Big .
True,
Very innovative idea. Only suffered people will be aware about it.
बात आपकी बिलकुल सही है। मेरे ख्याल से काम से काम तीन लेयर मे, सामाजिक संस्था हो, जो चौबीस घंटे, चर्चा करें और फैसला ले तभी शायद न्याय मिलेगा।
न्याय नहीं मिलेगा, उनके अदालत में !
जो आदतों से लाचार है, न्याय देना ही
नहीं चाहते, सिस्टम जिम्मेदार है,, न्याय व्यापार है!
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसे सरकार भी छुपाती है,,,,
बिल्कुल होनी चाहिए।
Good analysis
न्याय व्यवस्था को बैहतर करने के लिए time frame बनाना जरूरी है।
It has been more than an year and our case has not been listed after 2 hearing in supreme court.
डैड लाइन फिक्स नही तो अन्याय निश्चित है और ये हो भी रहा है जनता को सड़कों पर उतर कर इसकी मांग करना चाहिए। अनन्त काल तक चलने बाली प्रकिया पर रोक लगना ही चाहिए।
कोर्ट ने न सुधरने की कसम खा रखी है
संवेदनहीनता आ गई है समाज में।
I think Law Commission should take initiative to draw a procedure to assess the economic costs of delay in delivery of justice. I understand the economic loss would be more than the cost that the government would incur in expanding the judicial establishments at all levels.
Why to go courts, सीधे सीधे निपट लें।
सही है ,हमने तो यह सोचा भी नही था ।
अपराधी मस्त
माफिया मस्त
कोर्ट मस्त
सरकार मस्त
वकील मस्त
पुलिस मस्त
राजनेता मस्त
दलाल मस्त
पीड़ित निर्दोष पस्त
बस वोट दे दो
After 2 years the case should go to military courts and police. People do not have faith in judiciary.
Well said.
श्रीमान कोर्ट में बार to कभी नहीं चाहेंगे कि फासले जल्दी दिया जाय इससे उनकी कमाई पर फर्क पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट के जज निरंकुश हो गए हैं।न्याय सनक के आधार पर देते हैं। विशेष लोगों के लिए अलग न्याय और साधारण लोगों के लिए अलग न्याय। ऐसा न्याय निष्पक्ष तो नहीं ही लगता है।
सर मेरी तरफ से एक सुझाव सुप्रीम कोर्ट में आपभेजिए वह यह है की अदालत ऑन की संख्या 5 गुना कर देनी चाहिए जिससे कुछ समय सीमा काम हो जाए
I fully agree with you I too have fought property case in the Delhi High court for 14 yrs then again for 2 years in the lower court imagine
.Heavy fines should be imposed on defendant for not being present and getting dates after dates or pass judgement if they are not present fo argue the case,why should the other party suffer?
बदकिस्मती से हमारे देश की न्यायपालिका और सरकारी दफ्तरों में न तो संविधान बचा है और न ही इंसाफ़ मिलने की उम्मीद बची है।आज हमारी न्यायपालिका और सरकारी दफ्तरों में काम भारतीय संविधान की बजाय जजों और अफसरों की मनमानी से हो रहे हैं।मेरी जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों से अपील है कि चुपचाप तमाशा देखने की बजाय तुरंत इस मामले में कड़ा संज्ञान लिया जाए।
संदीप मैहता
I am a great fan of yours Sir
क्या आप इस चैनल के सदस्य बन गये हैं ?? ?? यहां सदस्यों को ही तवजो मिलती है 😢😢😢😢😢
Very paining faces of the judiciary .
सरदाना सर,
इस देश की न्याय प्रणाली पूरी तरह से औचित्यहीन हो चुकी है।
न्याय के नाम पर 5,10,20,30,40 बरस निगल जाने वाली इस निरंकुश व्यवस्था में प्रबल गंभीर सुधारों की जरूरत है।
मगर महामानव भी लम्बी चादर ओढ़े सो रहे हैं !!!
इस देश में न्यायिक सुधारों को लेकर मै माननीय राष्ट्रपति महोदया, प्रधानमन्त्री, कानून मंत्री आदि को असंख्य पत्र लिख चुका हूं, मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
न्याय में देरी के कितने गम्भीर परिणाम होते हैं, इस ओर किसी भी सत्ताधीश का कोई ध्यान ही नहीं है।
I am also waiting for justice since 2008 the case was dismissed on the basis of false statement given by the Housing Board Haryana in the HC Chandigarh. At present I am an Advocate and waiting for Justice.
चकबन्दी विभाग 1980 मे पक्ष विपक्ष की साक्ष्य समाप्त होने के बाद बहस होना है। जो आज तक नहीं हो पाया।
Absolutely true sir. They are hand in glove with some crooked laywers intentionally delaying proseedings.
कोर्ट कोई भी हो, जिला कोर्ट, हाईकोर्ट, या सुप्रीम कोर्ट आम आदमी को उसके जीवन में न्याय मिलना संभव नहीं है। लेकिन नेताओं और आतंकियों की सुनवाई तुरंत मिल जाती है।
ये न्यायालय केवल नेता लोगों के लिए नहीं है क्योंकि उनके ही केस अक्सर सुने जाते हैं पूर्व जनरल पब्लिक को तारीख़ पर तारीख़ दी जाती है जनरल पब्लिक के लिए अन्याय है भगवान आपको कभी माफ़ नहीं करेगा
सिब्बल और सिंघवी सुप्रीम कोर्ट के विशेष मेहमान हैं उनके लिए कोर्ट २४ घंटे ३६६ दिनखुला है , कोई तारीख की दरकार नहीं।
ये मुद्दा नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए भेजा जाना चाहिए, शायद आने वाले नए वकीलों की जमात इसका हल निकाल सके। आगे चलकर उनको ही इसका सामना करना पड़ सकता है।
हरहाल में न्याय बेवस्था में संशोधन किया जाना अत्यंत जरूरी-महत्वपूर्ण बिषय है?और न्यायाधिशों अपने मनमानी कार्य करने में लगाम लगाना अत्यंत जरूरी-महत्वपूर्ण विष्लेशण है-निसंदेह न्याय में समयसिमा होना अत्यंत जरूरी है अन्यथा...❤जयश्री अन्तर्यामी भगवान शहश्र नाम...❤जय श्री सत्य सनातन वैदिक धर्म संश्कृती ❤बंदे मात्रम ❤भारत माता की जय
भ्रष्ट जज, भ्रष्ट न्यायपालिका, सड़ा कानून।
जय मां दूर्गे !
3 बर्षों मे अगर कोर्ट किसी केस का फैसला नही कर पाती है ,
तो
कोर्ट को उस केस को विधानसभा अध्यक्ष के पास भेज देना चाहिए जिससे विधान सभा बहुमत से फैसला ले ले ।
कुछ इस तरह का कानून बनना चाहिए ।
JAI SHRI RAM 🙏
Supreme court should take tjis malary seriously and iniate necessaru measures tosolve it on priority basis
विजय जी- सोनिया सुप्रीम कोर्ट से न्याय लेना हो तो कपिल सिब्बल ओर मनु सिघंवी को वकील करो
अगर गरीब है तो न्याय के लिए अगले जन्म में इन्तज़ार करो
पावर और पैसे वालों के लिये तो हाथों हाथ मिल जाता है ,ये देश की जनता बहुत अच्छे से समझ चुकी है
पैसा दो - न्याय लो
अदालत में केस की सखंया के निर्धारण के साथ साथ समय सीमा का भी निर्धारण होना चाहिए।
Supreme court is very prompt in giving bail to corrupt politicians
सुप्रीम कोर्ट से आज के समय में कोई उम्मीद करना मूर्खता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट केवल केजरीवाल और नेता के लिए है आम जनता से उसेकोई लेना देना नहीं है
अच्छा विडिओ. केजरीवाल केस झठ से बोर्डपर आती है और सामान्य नागरिक 25 साल लढता है. CJI दुनियाको ग्यान देगा लेकिन न्यायाधीश को ग्यान नहीं देता. कोर्ट फी देकर यह हाल है और जिम्मेदार कोई नहीं. अजिब है.
Sir, what your analysis is correct, there must be study and accountability shall be fixed. That is why criminalities are increasing in society.
Loss is no responsible, wrong judgment is no punished.
न्यायलय को केजरीवाल के केस की जल्दी होती हैं ऊसर जल्दी से जल्दी ज़मानत देनी हैं